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सहकारिता

अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

मथुरा में 18 सहकारी समितियां हुईं ऑनलाइन

मथुरा। शासन ने किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ देने की तैयारी शुरू कर दी है। शासन का निर्देश दिया है कि भविष्य में जो सहकारी समितियां ऑनलाइन नहीं होंगी, उनके उपभोक्ताओं
सहकारिता विभाग के माध्यम से दी जाने वाली केन्द्र व राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। शासन के इस निर्देश के बाद सहकारिता विभाग सहकारी समितियों को ऑनलाइन कराने में जुट गया है। बता दें कि जनपद मथुरा में 79 सहकारी समितियां संचालित हैं। जिनके माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद व बीज खरीदते हैं। अब समितियों से सभी प्रकार के लेन-देन किसानों को ऑनलाइन माध्यम से ही करने होंगे। जनपद में अब तक 18 समितियों को ऑनलाइन किया जा चुका है।

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केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सरकारी समितियों का स्तर सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ताकि सीधे शासन की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचे। कोई बिचौलिया इसका फायदा न उठाए। शासन के निर्देशों का पालन कराने के लिए सहायक निबंधक सहकारिता सभी समितियों के सचिवों के माध्यम से समितियों को ऑनलाइन करने के लिए जुट गए हैं। सहायक निबंधक सहकारिता रविन्द्र कुमार ने बताया कि समस्त समितियों को अतिशीघ्र ऑनलाइन करा दिया जाएगा। किसानों की सुविधा के लिए शासन को कई प्रस्ताव तैयार कराकर भेजे जाएंगे। ताकि किसानों को सरकार की सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिल सके।

राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश

- आगामी 3 जुलाई को केन्द्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाएगा। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता दिवस से पहले सभी सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं।

◆ सहकारी समितियों के लाभ

- यह उत्पाद सस्ता बेचती है क्योंकि इसमें विज्ञापन आदि पर कोई खर्चा नहीं करना पडता। - लेखा इत्यादि रखने तथा प्रबन्ध के कार्यों का खर्चा न्यूनतम होता है क्योंकि सदस्य अवैतनिक रूप से स्वयं ही काम करते है। - यह अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन व स्थिति प्रदान करते है। - यह एक सामुदायिक सेवा है, इसलिए इसमें अधिक लाभ, काला बाजारी तथा जमाखोरी जैसी बुराइयां नहीं होती। - इसमें खरीद सीधे उत्पादकों से होती है, अतः बिचौलियों का लाभ कम हो जाता है। - यह भारतीय कृषकों की समस्याओं में सुधार हेतु उचित है ताकि उन्हें भण्डारण ऋण आदि की सुविधाएं प्राप्त हो सकें। - इसमें लाभ का हिस्सा समान रूप से निश्चित दर से वितरित किया जाता है तथा शेष सामाजिक विकास कार्यों में लगा दिया जाता है। - सामान्य जनता को लाभ पहुंचाती है। - इसमें सरकार से ऋण के रूप में अधिक राशि लेना संभव है। - सदस्यों में सहकारिता एवं सहयोग की भावना उत्पन्न करती है। ------- लोकेन्द्र नरवार
खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार

खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार

खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार - सहकारिता विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव

मथुरा।
सहकारिता विभाग ने अपनी शाखाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक योजना तैयार की है। आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। सहकारिता विभाग प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा है। इस प्रस्ताव में सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समिति पर खाद-बीज के साथ-साथ आरओ पानी व पशु आहार बेचने की योजना तैयार की जा रही है। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रवीन्द्र कुमार द्वारा समितियों को आत्मनिर्भर बनाने और अन्य व्यवसायों के लिए प्रेरित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत कृषि अवस्थापना निधि से प्रथम चरण में मथुरा जनपद की 6 समितियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस योजना के तहत सहकारी समितियों पर अब खाद-बीज के साथ-साथ आरओ पानी व पशु आहार उचित मूल्यों पर मिलेगा।

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सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहले आरओ पानी व पशु आहार बेचने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके तहत शुरुआत में 6 सहकारी समितियों का चयन किया गया है। इसके बाद पूरे जनपद की 78 सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। इसमें किसान स्वंय सहायता समूह, क्षेत्रीय सहकारी समितियों, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड पैन को चार प्रतिशत की मासिक ब्याज दर से बैंकों को ऋण दिलाया जाएगा। जिसमें कृषि उपकरण, ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, मेज व हैरों आदि खरीदे जा सकेंगे। इसके अलावा नाबार्ड के सहयोग से इस योजना में सहकारिता विभाग 17 गोदाम बनाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का मूल उद्देश्य सहकारी समितियों को स्वाबलंबी बनाना है। जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान व ग्रामीण समितियों से जुड़े रहें।

इन समितियों का किया गया है चयन :

- सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना के अंतर्गत पहले चरण के लिए चौमुहां, बेरी, देवीआटस, सहपऊ, सेही और वृंदावन सहकारी समितियों को चयनित किया गया है। जल्दी जी शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इन समितियों पर आरओ पानी व पशु आहार की बिक्री होगी। ------ लोकेन्द्र नरवार
राजस्थानः किसान संग मछली और पशु पालकों की भी चांदी, जीरो परसेंट ब्याज पर मिलेगा लोन

राजस्थानः किसान संग मछली और पशु पालकों की भी चांदी, जीरो परसेंट ब्याज पर मिलेगा लोन

इस साल 20 हजार करोड़ का ब्याज मुक्त फसली लोन देगी राजस्थान सरकार, पांच लाख नए किसान जोड़ने की तैयारी

राजस्थान सरकार ने इस साल 5 लाख नए सदस्य किसानों को शून्य प्रतिशत पर फसली ऋण का लाभ देने का निर्णय किया है। यह निर्णय इसलिए अहम है क्योंकि इस ऋण सुविधा का लाभ किसानों के साथ ही मत्स्य एवं पशु पालकों को भी मिलेगा।
सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने इस बारे में निर्देश दिए हैं। मत्स्य एवं पशु पालकों को भी जीरो परसेंट ब्याज पर लोन प्रदान करने के लिए विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं।


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प्रबंध निदेशकों की बैठक

अपेक्स बैंक में सभी केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने इस बैठक को संबोधित किया। संबोधन के दौरान उन्होेंने जीरो परसेंट ब्याज पर लोन प्रदान करने के संबंध में निर्देश देकर सहकारी कार्यों की समीक्षा की।

नए सदस्य किसानों को जोड़ने का लक्ष्य

बैठक में गुहा ने कहा कि, मछली और पशु पालकों को भी शून्य प्रतिशत ब्जाज दर पर लोन प्रदान करने से मछली एवं पशु पालन करने वाले लोगों की भी आवश्यक्ताओं की पूर्ति होगी। उन्होंने अधिक से अधिक नए सदस्य किसानों को फसली ऋण से जोड़ने के बारे में भी विभागों को निर्देश दिए। इस साल सरकार के लक्ष्य के अनुसार 5 लाख नए सदस्य किसानों को शून्य फीसदी ब्याज पर फसली ऋण का लाभ प्राप्त हो सकेगा।


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टारगेट बढ़ाया

राजस्थान में इस साल 20 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली कर्ज बांटने का टारगेट तय किया गया है। पिछले साल की बात करें, तो साल 2021-22 में कृषकों को 18,500 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

ब्याज मुक्त कर्ज का विस्तार

पहले इस लोन योजना के तहत किसानों को शामिल किया गया था। अब मछली और पशु पालने वालों को भी दायरे में शामिल कर लेने से निश्चित ही ब्याज मुक्त कर्ज योजना का विस्तार हो जाएगा। दी गई जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने पिछले टारगेट के आसपास किसानों को कर्ज प्रदान कर दिया है। सरकारी निर्णय से अब क्रेडिट कार्ड की तरह ब्याज मुक्त लोन में भी मछली और पशु पालन को जोड़ने से ज्यादा वर्ग के जरूरतमंद लोगों को आर्थिक मदद मिल सकेगी।


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व्यवसाय विविधीकरण

ग्राम सेवा सहकारी समितियों की स्वयं की आवश्यकता के साथ ही आस-पास के लोगों की जरूरतों को भी पूरा करने के उद्देश्य से ग्राम सेवा सहकारी समितियों को व्यवसाय के विविधीकरण के लिए भी प्रेरित करने के निर्देश बैठक में दिए गए।

समितियों का गठन

बैठक में सभी बैंकों को यह सुनिश्चित करने निर्देशित किया गया कि, आजीविका से जुड़े स्वयं सहायता समूहों को जरूरत के मुताबिक लोन मिल सके। गुहा ने बताया कि, इस साल 25 करोड़ रुपए का ऋण सहायता समूहों कोे प्रदान किया जाएगा। इस प्रक्रिया के अंतर्गत पंचायत स्तर पर ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। ग्राम सेवा सहकारी समितियों को अपनी आय के लिए केवल फसली ऋण वितरण तक ही सीमित नहीं रहने के लिए भी बैठक में निर्देशित किया गया।


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सहकारी बैंक करें नियमों का पालन - गुहा

सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने सहकारी बैंकों को कमर्शियल बैकों की तरह अपडेट रहने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने सहकारी बैंकों की स्थिति में सुधार के लिए नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक / NABARD) और आरबीआई (RBI - Reserve Bank of India) के नियमों का सख्त पालन करने निर्देश दिए।

कर्मचारियों की होगी भर्ती

बैठक में अपने संबोधन में गुहा ने कहा कि, बैंकों में कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। इस प्रक्रिया के तहत 500 से अधिक कर्मचारियों की भर्ती के लिए अतिशीघ्र विज्ञप्ति जारी की जाएगी। उन्होंने जुलाई माह तक सभी पैक्स का ऑडिट सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
इस राज्य सरकार ने दलहन-तिलहन खरीद के लिए पंजीयन सीमा में की 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

इस राज्य सरकार ने दलहन-तिलहन खरीद के लिए पंजीयन सीमा में की 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

इन दिनों रबी का सीजन चल रहा है, खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही हैं और जल्द ही इनकी हार्वेस्टिंग शुरू हो जाएगी। इसको देखते हुए भारत के कई राज्यों की सरकारों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। लगभग सभी राज्यों में रबी सीजन में उत्पादित होने वाली फसलों के पंजीयन शुरू कर दिए गए हैं, ताकि किसानों की फसलों को बेहद आसानी से खरीदा जा सके तथा उनके बैंक खातों में फसलों का भुगतान शीघ्र अतिशीघ्र किया जा सके। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने अपने राज्य में रबी फसलों का पंजीयन शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने हर जिले में पंजीयन केंद्र बनाए हैं, जहां किसान आसानी से जाकर अपनी फसल का पंजीयन करवा सकते हैं। इस बार राजस्थान सरकार का अनुमान है, कि पिछली बार की अपेक्षा दलहन और तिलहन का बम्पर उत्पादन होने वाला है। इसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने दलहन और तिलहन के लिए खरीदी केंद्रों में पंजीयन सीमा बढ़ाने की स्वीकृति दी है। पूरे राज्य में दलहन और तिलहन की खरीदी में केंद्रों में 10 प्रतिशत पंजीयन की बढ़ोत्तरी की गई है। इसकी जानकारी राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने मीडिया को दी है। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि राजस्थान सरकार ने मूंग के 368 खरीद केन्द्रों पर, मूंगफली के 270 खरीद केन्द्रों पर, उड़द के 166 खरीद केन्द्रों पर तथा सोयाबीन के 83 खरीद केन्द्रों पर पंजीयन सीमा को बढ़ा दिया है। ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान बेहद आसानी से अपना पंजीयन करवा पाएं। सहकारिता मंत्री ने बताया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 41 हजार 271 अतिरिक्त किसानों को लाभ मिलेगा।

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बकौल सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, पंजीयन सीमा बढ़ाने से मूंग के 10 हजार 775 किसान, मूंगफली के 15 हजार 856 किसान, उडद के 2 हजार 158 किसान एवं सोयाबीन के 12 हजार 482 किसान और लाभान्वित हो सकेंगे। अगर अभी तक के रिकार्ड की बात करें तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसलें बेचने के लिए किसानों ने बंपर पंजीयन करवाए हैं। मूंग की फसल के लिए अब तक 67 हजार 409 किसान पंजीयन करवा चुके हैं। जबकि मूंगफली के लिए अभी तक 22 हजार 638 किसानों ने पंजीयन कराया है। राज्य में अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की बात की जाए, तो इस साल अब तक मूंग की 50 हजार 389 मीट्रिक टन खरीदी की जा चुकी है। जिसे 26 हजार 583 किसानों से खरीदा गया है। साथ ही 638 मीट्रिक टन मूंगफली खरीदी जा चुकी है। खरीद के बाद अब तक 7 हजार 698 किसानों को उनके बैंक खातों में फसल का सीधा भुगतान किया जा चुका है। बाकी जिन किसानों की राशि बची है, उसका भुगतान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया है, कि इस साल सरकार ने 3.03 लाख मीट्रिक टन मूंग, 62 हजार 508 मीट्रिक टन उड़द, 4.66 लाख मीट्रिक टन मूंगफली तथा 3.62 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि, राजस्थान सरकार ने प्रारंभ में खरीदी लक्ष्य का 90 प्रतिशत पंजीयन कराने का ही फैसला किया था। लेकिन अब सरकार ने अपना निर्णय बदलते हुए इसमें 10 फीसदी का इजाफा कर दिया है। ताकि लक्ष्य का 100 प्रतिशत खरीदी की जा सके। सरकार के इस निर्णय से उन किसानों को बड़ा लाभ होने वाला है, जो अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य में बेचने के लिए पंजीयन नहीं करवा पा रहे थे।
पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषकों को कस्टम हायरिंग सेंटरों के जरिए किराये पर उपलब्ध कराई जा रही मशीनें

किसान भाई कस्टम हायर‍िंग सेंटरों से मशीन क‍िराये पर लेकर खेती का कार्य सुगमता से कर सकते हैं। यदि आप सेंटर खोलने के ल‍िए इच्छुक हैं, तो आपको स्नातक की डिग्री चाहिए। सरकार 10 लाख रुपये तक की सब्स‍िडी प्रदान करेगी। एक सेंटर निर्मित करने के ल‍िए 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता पड़ेगी। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है, क‍ि फसलों की उत्पादकता एवं क‍िसानों का मुनाफा बढ़ाने के ल‍िए कृषि क्षेत्र में मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा। यह एक गलत धारणा है, कि मशीनीकरण से रोजगार के अवसरों में कोई गिरावट आती है। दरअसल, सच तो यह है क‍ि इससे रोजगार की नवीन संभावनाएं बनती हैं। राज्य में इस वक्त 3800 कस्टम हायरिंग केंद्र (CHC) मतलब मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं, ज‍िन राज्यों में क‍िसान मशीनों का अधिक उपयोग करते हैं, वो खेती में काफी आगे हैं। इसके ल‍िए पंजाब एवं हर‍ियाणा को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश भी इस द‍िशा में आगे बढ़ने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसकी तस्दीक यहां पर होने वाली ट्रैक्टर ब‍िक्री से की जा सकती है।

किसानों ने विगत पांच वर्षों में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदें हैं

राज्य सरकार ने दावा किया है, क‍ि मध्य प्रदेश के किसानों ने 2018-19 से अब तक बीते पांच साल में 1 लाख 23 हजार ट्रैक्टर खरीदे हैं। ट्रैक्टर की ब‍िक्री कृष‍ि व‍िकास की न‍िशानी मानी जाती है। कस्टमर हायर‍िंग सेंटर
सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्यम‍ियों द्वारा संचालित किया जाता है। जिससे कि लघु एवं मध्यम कृषकों को कृषि यंत्रों की सुविधा सुगमता से मिल जाए। यहां पर 2012 में कस्टम हायरिंग सेंटर निर्माण की पहल की गई थी। ये भी पढ़े: सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में 35.5% फीसदी की वृद्धि

किसान भाइयों को मशीन बैंक का फायदा कैसे मिलता है

कस्टम हायरिंग सेंटर इस उद्देश्य के साथ स्थापित किए गए हैं, कि वे 10 किलोमीटर के आस-पास के दायरे में लगभग 300 किसानों को सेवाएं दे सकें। इसके माध्यम से क‍िसान अपनी आवश्यकता की मशीनों को क‍िराये पर लेकर कृषि कार्य कर सकते हैं। इन केंद्रों की सेवाओं को अधिक फायदेमंद बनाने के लिए संख्या को सीमित रखा गया है। संपूर्ण राज्य में केवल 3800 मशीन बैंक कार्य कर रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर से लघु व सीमांत किसानों को किराये पर मशीन उपलब्ध कराई जाती है, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। राज्य सरकार 40.00 लाख से लेकर 2.50 करोड़ तक की कीमत वाली नवीन और आधुनिक कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब तैयार कर रही है। अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब निर्मित हो गए हैं। यह जानकारी मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचालक राजीव चौधरी द्वारा साझा की गई है।

प्रदेश के युवाओं के ल‍िए रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं

किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर का फायदा देने एवं किराये पर उपलब्ध कृषि मशीनों के संबंध में जागरूक करने के लिए एक अभ‍ियान जारी क‍िया गया है। कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के ज्ञान एवं कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और सतना में ऐसा कार्यक्रम चल रहा है। इनमें ट्रैक्टर मैकेनिक एवं कंम्बाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर कोर्स आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 4800 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित क‍िया जा चुका है। ये भी पढ़े: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

युवा किसान किस प्रकार मशीन बैंक खोल सकते हैं

ग्रामीण युवा स्नातक की डिग्री के साथ इस योजना का फायदा ले सकते हैं। इसमें समकुल 25 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है। युवाओं को 5 लाख रुपये की मार्जिन धनराशि देनी पड़ती है। सरकार समकुल लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देती है, जो अधिकतम 10 लाख तक होती है। अतिरिक्त लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है। किसानों के हित में केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से योजनाएं चलाती हैं।