अमेरिकन बादाम से भी महंगी हो गई है भारत की यह सब्जी जाने 1200 प्रति किलो मूल्य होने का क्या है कारण?

अमेरिकन बादाम से भी महंगी हो गई है भारत की यह सब्जी जाने 1200 प्रति किलो मूल्य होने का क्या है कारण?

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राजस्थान में एक जगह है शेखावटी और वहां पर एक सब्जी  बहुत ज्यादा मशहूर है.अब आपको लग रहा होगा कि हम राजस्थान के एक छोटी सी जगह की मशहूर सब्जी के बारे में बात क्यों कर रहे हैं.तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान के शेखावटी में मिलने वाली सब्जी का नाम है सांगरी और सामग्री इसलिए मशहूर है क्योंकि यह सब्जी बादाम से भी अधिक दाम में बाजार में बिकती हैं.

इसके अलावा जो सांगरी चुरू जिले के सरदारशहर और तारा नगर इलाके में उगाई जाती है उसका गायिका और स्वाद बाकी जगह के मुकाबले बहुत ज्यादा अच्छा माना जाता है. अगर आप सरल शब्दों में हिसाब समझना चाहते हैं तो 1 किलो भर सांगरी में 1 महीने की पूरी सब्जी आ जाती है.

हाल ही में इसके दाम बढ़कर दुगने हो गए हैं और व्यापारी इस बात से बहुत ज्यादा परेशान है. इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है इस सब्जी में होने वाला एक रोग जिससे यह सब्जी प्रभावित हो रही है और उसके व्यवसाय में करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है.  अब इस सब्जी को खरीदते हुए लोग पहले कई बार सोच रहे हैं कि सब्जी खरीदी जाए या नहीं.

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चूरु जिले में और उसके आसपास के इलाकों में सालाना सांगरी की सब्जी लिखने के लिए आती हैं और अगर एक अनुमान लगाया जाए तो एक बार में लगभग 25 टन के करीब कि सब्जी की खपत हो जाती है.  लेकिन इस बार गिलडू रोग (गलेडा) की वजह से इसका प्रोडक्शन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. इस रोग ने एक हिसाब से इसके पूरे उत्पादन पर ही ब्रेक लगा दिया है और बहुत से व्यापारियों का कहना है कि इस बार इस सब्जी का उत्पादन केवल 35% यानी कि 8 टन ही रह गया है जो बहुत बड़ी मुश्किल की बात है.  उत्पादन में कमी होने के कारण इस बार सांगरी के भाव 1200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं.

सामग्री के उत्पादन के गिरने का बहुत बड़ा कारण है बारिश

सांगली सब्जी की एक सबसे खास बात है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से ही उगाई जाती है और इसमें किसी भी तरह के कीटनाशक या फिर केमिकल दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यह सब जी खेजड़ी के पेड़ पर लगती है.  इस बार सांगरी  के उत्पादन में कमी का सबसे बड़ा कारण बिना मौसम की बरसात को माना जा रहा है.  जिन इलाकों में सामग्री उगाई जाती थी वहां पर बहुत ज्यादा बारिश हुई है जिसका विपरीत असर सांगरी की फसल पर देखने को मिल रहा है.

इसके अलावा पैदावार देने का दूसरा सबसे बड़ा कारण तापमान भी माना जा रहा है.  चूरू के आसपास के इलाकों में मार्च का महीना शुरू होते ही तापमान अपना असर दिखाना शुरू कर देता है और यहां पर तापमान अप्रैल होते तक लगभग 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, लेकिन इस बार तापमान 35 डिग्री के आसपास ही रहा. इसके अलावा तीसरा कारण बिजली की चमक को माना जा रहा है. आसपास के किसानों ने बताया कि बारिश के साथ साथ बहुत जगह पर आकाशीय बिजली सी चमकती है जिसकी वजह से सांगरी के फूल समय से पहले ही नीचे गिर कर खराब हो जाते हैं.

सांगरी का भाव छू रहा है आसमान

इस बार की बात की जाए तो बाजार में सुखी सांगरी 1000 से 1200 रुपये के बीच प्रति किलो बिक रही है. इससे पहले यह भाव 600 से ₹800 के बीच में ही रहता था. भाव बढ़ने से व्यापारियों और किसानों दोनों को ही नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. आसपास के इलाकों से किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कम गर्मी और बारिश के कारण फसल में बहुत ज्यादा कीड़े पनपने लगे और साथ ही गले दा रोग में भी सांगरी की फसल को जकड़ दिया जिससे आसपास के इलाकों में है फसल पूरी तरह से खराब हो गई है.

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35 प्रतिशत तक गिर गया है फसल का उत्पादन

किसानों से हुई बातचीत में पता चला है कि इस बार सांगवी की फसल में कांटे बन गई हैं जिसकी वजह से सांगली पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई है. अगरउत्पादन की बात की जाए तो यह घटकर लगभग 35% तक ही रह गया है. इस समय तक बाजार में लगभग 70% तक सांगरी की फसल आ चुकी होती है लेकिन इस बार यह केवल 35% तक ही बाजार में पहुंच पाई हैं.

बहुत से लोगों के लिए रामबाण है सांगरी की सब्जी

सांगरी की सब्जी के बारे में महाभारत में भी हमें पढ़ने को मिलता है और इस सब्जी को इम्यूनिटी बढ़ाने वाली सब्जी के रूप में जाना जाता है.  अगर सांगरी की सब्जी की बात की जाए तो यह सूखे मेवों के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक मानी गई है. सांगरी में पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर है. इसमें पाया जाने वाला सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने और इम्युनिटी को बढ़ाने में उत्तम है. सांगरी से पंचकुटा की सबसे फेमस सब्जी तैयार की जाती है.

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