By:
MeriKheti
Published on: 12-Jul-2022
मानसून का आगमन हो गया है. इस मौसम में फसलों और पशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत होती है, पर किसानों को इसकी पूरी जानकारी नहीं होती. इसी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग चंडीगढ़ ने पंजाब के किसानों को सलाह दी है, जिसके आधार पर किसान अपने फसलों और जानवरों को मानसून में होने वाली क्षति से बचा सकेंगे. किसानों को बताया गया है कि वह इस मौसम में कैसे अपनी फसल और पशुधन का ध्यान रखें.
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धान के लिये आवश्यक सलाह
- धान के खेत में केवल दो सप्ताह तक ही पानी लगाने दें और पानी को रोक कर रखें.
- धान के रोपनी के ३ सप्ताह और ६ सप्ताह के बाद ३० किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से दूसरी और तीसरी बार पौधों को पोषक तत्व दें.
- शाकनाशी (हर्बीसाइड, Herbicides) के छिड़काव के बाद हीं पटवन करें. खेत में पानी जमा हो तो छिड़काव नहीं करें.
- अगर बरसात की आशंका हो तो छिड़काव को रोक दें, बाद में छिड़काव करें.
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मक्का की फसल के लिए जरूरी सलाह
- बारिश की संभावना के कारण, ध्यान देना चाहिये कि मक्का की फसल में बारिश का पानी को जमा नहीं हो, क्योंकि यह फसल जमा पानी में ख़राब हो सकता है, यह पानी के प्रति बहुत संवेदनशील होता है और बैक्टीरिया से बर्बाद हो सकती है.
- अगर किसान के सभी प्रयासों के बाद भी मक्का का फसल बरसात के कारण ख़राब हो जाता है, तो वैसी स्थिति में बाढ़ समाप्त होने के बाद ७-८ दिनों के अंतराल पर ३% यूरिया को २०० लीटर पानी में ६ किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से फसल पर दो बार छिड़काव करें.
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कपास की खेती के लिए आवश्यक सलाह
- कपास में 33 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से और पतले होने के बाद बीटी और गैर बीटी संकरों में 45 किलो यूरिया परती एकड़ की दर से खाद डालें.
- बीटी कपास में आवश्यकता के अनुसार पीएयू-एलसीसी का उपयोग एन लागू करने के लिए किया जा सकता है.
- स्टॉम्प 30 ईसी को 1 लीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी डालकर पहली सिंचाई या बारिश की बौछार के साथ डालें.
- कोबाल्ट क्लोराइड का 10 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी का छिडकाव पैराविल्ट प्रभावित पौधों पर मुरझाने के शुरुआत में छिड़काव किया जा सकता है. इससे कपास के पौधों में पैराविल्ट की रोकथाम की जा सकती है.
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जानवरों का ऐसे रखें ध्यान
गाय
- बरसात के मौसम में जानवरों खासकर गाय पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है.
- गाय के छोटे बछड़ों के लिए साफ, सूखा और मुलायम बिस्तर की व्यवस्था करें.
- बछड़ों को जन्म के आधे घंटे के भीतर कोलोस्ट्रम जरूर खिलाएं.
- प्रति दिन सुबह शाम नियमित रूप से पशुओं के गर्मी में होने वाली बिमारियों के लक्षण की जांच करें. जैसे श्लेष्म स्राव, पेट फूलना आदि लक्षणों पर ध्यान दें.
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- जानवरों को नियमित आधार पर खनिज मिश्रण खिलाएं और ताजा पानी पिलायें.
- गंदे जमा पानी से जानवरों को दूर रखें..
- पशुओं का शेड हवादार होना जरूरी है ताकि गर्मी से पशुओं का बचाव हो सके.
- दुधारू जानवरों का गर्मी के कारण दुग्ध क्षमता कम नहीं हो इसके लिये आवश्यकता के अनुसार कूलर और पंखा लगाया जा सकता है.
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