भारत में अब किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ अमेरिकन ब्लूबेरी (Blueberry Farming) जैसी हाई-वैल्यू फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं। ब्लूबेरी एक ऐसा फल है जिसे दुनिया भर में सुपरफूड कहा जाता है। इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर हेल्थ-कॉन्शियस और फिटनेस पसंद लोगों के बीच।
महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पंचगनी इलाके में एक किसान ने ग्रीनहाउस में ब्लूबेरी की खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि ब्लूबेरी उगाना उतना मुश्किल नहीं है जितना लोग समझते हैं। पौधे लगाने के बाद यह 10 साल तक फल देता है और प्रति पौधा औसतन 2–5 किलो तक उत्पादन मिलता है।
ब्लूबेरी एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल से भरपूर होती है। यह हार्ट हेल्थ, मेमोरी पॉवर, डायबिटीज कंट्रोल और इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद मानी जाती है। इसी कारण भारत में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है और यह आयात पर निर्भर फल है।
एक एकड़ में करीब 3000 पौधे लगाए जा सकते हैं। चौथे साल तक प्रति पौधा लगभग 2 किलो उपज मिलती है। यानी कुल उत्पादन 6000 किलो होता है। यदि बाजार भाव ₹1000 प्रति किलो रहा तो सालाना कमाई करीब ₹60 लाख रुपए तक हो सकती है। पाँचवें साल से उपज और बढ़कर प्रति पौधा 5 किलो तक पहुँच सकती है।
ब्लूबेरी का बाजार प्रीमियम है। बड़े शहरों के मॉल, सुपरमार्केट, होटल, रेस्टोरेंट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इसकी भारी मांग है। किसान यदि सही सप्लाई चैन से जुड़ जाएं तो उन्हें एक्सपोर्ट का भी अवसर मिल सकता है।
कुल मिलाकर, ब्लूबेरी की खेती उन किसानों के लिए सुनहरा विकल्प है जो नई तकनीक अपनाकर कम क्षेत्र में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। उचित प्रबंधन, सिंचाई और मार्केटिंग के साथ यह खेती सालाना लाखों की आय सुनिश्चित कर सकती है।