अमलतास के बारे में जानकारी

Published on: 05-Mar-2025

अमलतास के फल को वैज्ञानिक रूप से Cassia fistula के नाम से जाना जाता है, जबकि इसे गोल्डन शॉवर ट्री, इंडियन लबर्नम, और लैंटर्न ट्री भी कहा जाता है। 

यह फैबासी (फलासी) परिवार से संबंधित है और इसका मूल स्थान भारत और मलेशिया है, हालांकि यह पूरे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। 

यह एक सदाबहार वृक्ष है, जिसकी ऊंचाई लगभग 12 से 14 मीटर होती है। इसकी सामान्य वृद्धि दर होती है और इसके पत्ते 35 से 40 सेंटीमीटर लंबे होते हैं।

अमलतास के फूल

अमलतास के फूल चमकीले पीले रंग के होते हैं और गुच्छों में लटकते हैं, जो 30 से 50 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इन फूलों में छोटे और चमकीले पत्तों का समूह होता है, जबकि इसके फल गहरे भूरे रंग के और बेलनाकार होते हैं, जिनकी लंबाई 70 सेंटीमीटर तक होती है।

जलवायु और स्थान

अमलतास की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है, जिसमें गर्म और नम वातावरण हो।  

यह वृक्ष 10 से 38 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है, लेकिन ठंड और पाले से इसका नुकसान हो सकता है।

अमलतास की खेती के लिए 600 से 1300 मिमी तक की वार्षिक वर्षा उपयुक्त मानी जाती है, साथ ही अच्छी जल निकासी वाली भूमि भी जरूरी है।

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मिट्टी का चयन

अमलतास के लिए विभिन्न प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है। यह क्षारीय, दोमट और बलुई मिट्टी में भी अच्छे से विकसित हो सकता है। भूमि में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए ताकि जलभराव से बचा जा सके।

प्रचारण विधि

  • बीज द्वारा प्रचारण: अमलतास का प्रचारण बीज द्वारा किया जाता है। इसके बीजों का बाहरी आवरण कठोर होता है, जिससे अंकुरण कठिन हो सकता है। इसलिए बीज बोने से पहले इन्हें स्कारिफिकेशन (बाहरी आवरण को पतला करने की प्रक्रिया) किया जाता है।  
  • बीज बोने का समय: नर्सरी में बीजों को अप्रैल और मई में बोया जाता है, और ये पौधे सितम्बर तक रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

सूखे के प्रति सहनशीलता

प्रबंधन तकनीकों के अनुसार, इस वृक्ष के नाजुक भागों को पाले से बचाना जरूरी है। यह वृक्ष सूखे के प्रति सहनशील है, लेकिन तापमान में गिरावट होने पर इसके पत्ते पूरी तरह से झड़ जाते हैं। गर्मियों में इसे हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है, और इसके टहनियों का सिरा मरने की संभावना होती है।

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फसल कटाई और उत्पादन

अमलतास की परागण मधुमक्खियों द्वारा की जाती है, और यह वृक्ष हर वर्ष 2 मीटर तक बढ़ता है। इसके बीजों की अंकुरण क्षमता एक वर्ष से अधिक समय तक बनी रहती है, जब इन्हें कमरे के तापमान पर रखा जाता है।  

अमलतास का वृक्ष सातवें वर्ष के बाद परिपक्व होता है।  

फली नवम्बर-दिसम्बर में परिपक्व होती हैं। एक परिपक्व पेड़ से 300 से 500 फलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। उचित देखभाल और प्रबंधन से एक स्वस्थ वृक्ष से अच्छी उपज प्राप्त होती है।