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जलवायु परिवर्तन को लेकर दुबई में COP 28 बैठक का आयोजन होने जा रहा है

Published on: 30-Nov-2023

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कृषि क्षेत्र में जलवायु की एक अहम भूमिका होती है। दुबई में COP 28 बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए बहुत सारे तरीकों पर मंथन किया जाएगा। केवल भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व प्रदूषण की वजह से काफी परेशान है। विश्व भर के विभिन्न देश जलवायु परिवर्तन की चपेट में आ गए हैं, जिसको लेकर निरंतर मंथन भी किया जाता है। वर्तमान में एक बार पुनः इस दिक्कत से निजात पाने के लिए विचार-विमर्श और मंथन किया जा रहा है, जिसको लेकर सीओपी का आयोजन दुबई में किया जाएगा। सीओपी का अर्थ पार्टियों का सम्मेलन है। ये बैठकें वार्षिक होती है। अब तक समकुल 27 बैठकें हो चुकी हैं। अब 28 वीं बैठक होने वाली है।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश क्यों आयोजन कर रहे हैं 

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से जूझने में कारगर तरीकों का आकलन करने और यूएनएफसीसीसी के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत जलवायु कार्रवाई की योजना तैयार करने के लिए सीओपी का आयोजन करते हैं। इसका नाम जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन अथवा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दलों का कॉन्फ्रेंस है। पहले COP का आयोजन वर्ष 1995 में बर्लिन में किया गया था। बीते साल इसका आयोजन मिस्र में हुआ था। अभी तक COP की कुल 27 बैठकें हो चुकी हैं।

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दुबई में COP28 की बैठक कितनी तारीख तक चलेगी 

दुबई में COP28 30 नवंबर से शुरू हो जाएगी एवं 12 दिसंबर तक चलेगी। हर एक वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की मेजबानी एक भिन्न देश करता है। मेजबान देश की तरफ से एक अध्यक्ष भी नियुक्त किया जाता है, जिसका कार्य जलवायु वार्ता का नेतृत्व करते हुए समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना होता है। इस बार संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग एवं उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉक्टर सुल्तान अल-जबर COP28 वार्ता की अध्यक्षता करते दिखाई देंगे।

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जानिए किन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रहेगा 

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार की बैठक में वर्ष 2030 से पूर्व ऊर्जा परिवर्तन में तीव्रता लाना एवं उत्सर्जन में कटौती करना। पुराने वादों को पूरा करके एवं एक नए समझौते के लिए रूपरेखा विकसित करना जलवायु क्षेत्र में सुधार, प्रकृति, लोगों, जीवन व आजीविका को जलवायु कार्रवाई के केन्द्र में रखना है। अब तक के सबसे समावेशी कॉप के संगठन पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

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