सफेद चंदन की खेती किसी भी तरह की मृदा में की जा सकती है। सफेद चंदन बंजर, धूस, पथरीली और ऊसर मृदा में भी तीव्रता के साथ उन्नति करता है। समय के चलते पढ़े-लिखे लोगों की रुचि भी खेती के प्रति बढ़ती जा रही है।
वर्तमान में अच्छे- खासे वेतन वाली नौकरी को छोड़कर इंजीनियर और एमबीए पास युवक कृषि के अंदर अपने हाथ आजमा रहे हैं।
विशेष बात यह है, कि इस प्रकार के प्रोफेशनल युवा वैज्ञानिक ढ़ंग से कृषि कर रहे हैं, जिससे उनको ज्यादा मुनाफा हो रहा है। कोई उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रदेशों में सेब की खेती कर रहा है, तो कोई अखरोट और आंवले की बागवानी कर रहा है।
परंतु, इन युवाओं को यह पता होना जरूरी है, कि सफेद चंदन की खेती में इन फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा होता है। यदि युवा सफेद चंदन की पैदावार करते हैं, तो लाखों नहीं करोड़ों में मुनाफा कमाऐंगे।
सफेद चंदन की लकड़ी काफी ज्यादा महँगी होती है। बाजार में इसकी कीमत 8 से 10 हजार रुपये प्रतिकिलो है। विदेशों में एक किलो सफेद चंदन का भाव 25 हजार रुपये है।
मतलब कि चंदन के एक पेड़ से लाखों रुपये की आमदनी की जा सकती है। एक एकड़ में सफेद चंदन की खेती चालू करने पर एक लाख रुपये का खर्चा आता है। परंतु, 14 से 15 वर्ष के उपरांत इससे आप करोड़ों रुपये की आमदनी कर सकते हैं।
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चंदन से निर्मित किए गए साबुन और परफ्यूम काफी ज्यादा महंगे बिकते हैं। यदि किसान भाई सफेद चंदन की खेती करते हैं। तब उनकी कुछ वर्षों के बाद जिंदगी ही बदल जाएगी।
हालाँकि, इस सब के बावजूद भी दोमट मृदा सफेद चंदन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसका उत्पादन शुरू करने से पूर्व भूमि को सही ढंग से तैयार कर लें। दो पौधों के मध्य कम से कम 10 फीट की दूरी अवश्य रखें।
एक एकड़ में चंदन के 400 से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं। साथ ही, समय- समय पर इसकी सिंचाई भी करते रहें।
मुख्य बात यह है, कि जिस खेत में आपने सफेद चंदन के पौधे लगाए हैं, उसके अंदर जल निकासी की भी बेहतरीन सुविधा होनी चाहिए। खेत में जलभराव होने की स्थिति में पौधों को काफी हानि भी हो सकती है।