जिरेनियम की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 16-May-2025
Updated on: 16-May-2025
Close-up of blooming purple wildflowers with green foliage
फसल बागवानी फसल

जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है, जिससे निकलने वाला तेल इत्र, साबुन और कॉस्मेटिक उद्योगों में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। इसकी खुशबू गुलाब जैसी होती है, और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काफी लोकप्रिय है। 

भारत में जिरेनियम तेल की कीमत लगभग ₹20,000 प्रति लीटर तक है, लेकिन घरेलू उत्पादन बेहद कम है—सिर्फ 2 टन। वहीं, देश को 20 टन तेल आयात करना पड़ता है। ऐसे में जिरेनियम की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है।

कम निवेश, ज़्यादा मुनाफा

जिरेनियम की खेती में लागत कम होती है, क्योंकि इसे बहुत ज़्यादा सिंचाई या रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होती। यह सूखा सहन कर सकने वाली फसल है, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी इससे अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

यदि आधुनिक खेती तकनीकों और समय पर प्रबंधन का पालन किया जाए, तो यह फसल ₹3 लाख तक का शुद्ध मुनाफा दे सकती है।

नर्सरी और रोपण का समय

सीमैप (लखनऊ) के अनुसार, अक्टूबर में नर्सरी तैयार की जाती है और पौधों की रोपाई नवंबर से फरवरी तक की जाती है। एक एकड़ ज़मीन पर लगभग 20,000–22,000 पौधे लगाए जाते हैं, जिनके बीच की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर होती है।

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खेती की विधि और देखभाल

खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है। पानी की निकासी का समुचित प्रबंध बेहद आवश्यक है। रोपाई के बाद कटिंग्स को नियमित देखभाल की जरूरत होती है।

खाद और सिंचाई प्रबंधन

प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल गोबर की खाद का उपयोग लाभदायक होता है। इसके साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित अनुपात में प्रयोग आवश्यक है। विशेष ध्यान देना चाहिए कि जिरेनियम को अत्यधिक पानी की जरूरत नहीं होती—अधिक सिंचाई से जड़ें सड़ सकती हैं।

फसल कटाई और तेल उत्पादन

फसल की कटाई 3–4 महीनों में तब की जाती है जब पत्तियां पूरी तरह परिपक्व हो जाएं। पत्तियों का रंग न ज्यादा पीला होना चाहिए और न ही अधिक नमी से भरा हुआ। एक एकड़ से लगभग 50–60 लीटर तेल निकाला जा सकता है, जिससे लाखों की कमाई संभव है।

जिरेनियम की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। अगर भारत में इसके उत्पादन को बढ़ाया जाए, तो यह न केवल किसानों की आमदनी में वृद्धि कर सकता है बल्कि आयात पर भी निर्भरता घटा सकता है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है, जिरेनियम की खेती आदर्श विकल्प बन सकती है।