जरबेरा बहुवर्षीय कर्तित पुष्प वर्ग का पौधा है। जरबेरा एक खूबसूरत और आकर्षक फूल है, इसकी उत्पत्ति स्थल अफ्रीका को माना जाता है। इसकी खेती अलंकृत बागवानी में सजावट एवं गुलदस्ता बनाने के लिए की जाती है।
छोटी किस्म की प्रजातियों को गमलों में शोभाकारी किनारी के रूप में भी उगाया जाता है। इसके कर्तित पुष्प लगभग एक सप्ताह तक तरोताज़ा बने रहते हैं।
इसकी लगभग 70 प्रजातियाँ हैं जिसमें 7 का उत्पत्ति स्थल भारत या आस पास का माना गया है। इस लेख में हम आपको जरबेरा फूल की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी देंगे।
जरबेरा की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी है। इसे 18-24°C का तापमान चाहिए। जरबेरा को ठंड और उच्च तापमान दोनों हानिकारक हैं।
सूर्य से प्रत्यक्ष प्रकाश की जरूरत है, लेकिन अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए हल्की छाया भी प्राप्त की जा सकती है। जरबेरा की खेती हवादार जगहों पर की जानी चाहिए ताकि पौधों को उचित वायु संचालन मिल सके।
जरबेरा में बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। मिट्टी का pH 5.5 से 6.5 तक होना चाहिए। इसके लिए जमीन को अच्छी तरह से जोता जाता है और जैविक खाद, जैसे वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद, उसमें मिलाया जाता है।
मिट्टी की अच्छी नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई और जल निकासी का उचित नियंत्रण भी आवश्यक है। खेत की अंतिम जुताई करने के बाद पाटा लगाकर जमीन को समतल करना चाहिए।
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जरबेरा दोनों बीज और वानस्पतिक भागों से उगाया जाता है। बीज नवजातियों को जन्म देता है। वानस्पतिक प्रवर्धन से पौधे पुराने पौधों की तरह उत्पादित होते हैं। कलम्प विभाजन इस प्रक्रिया से जरबेरा को बढ़ावा देता है।
कलम्प विभाजन प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर पौधों को कम समय में नहीं बनाया जा सकता है। रोगमुक्त पौधा उत्तक संवर्धन विधि से बनाया जाता है।
बालू क्यारी बनाने से पहले, जीवांश पदार्थ (पत्तियों की सड़ी खाद या गोबर की खाद) को अधिक मात्रा में मिलाकर मिलाया जाता है। क्यारी बनाने से पहले मिट्टी की 30 से 40 सेंमी. गहरी खुदाई करके भुरभुरा और खरपतवार को बाहर निकाल दें।
पौध रोपण से 15 से 20 दिन पहले, मृदा परीक्षण के परिणामों के आधार पर आवश्यक रासायनिक उर्वरक और जीवांश मिट्टी में 15 से 20 सेंमी. गहराई तक अच्छी तरह मिला देते हैं।
मिट्टी को सक्रांमक रूप से शुद्ध करने के लिए फार्मेल्डिहाइड की 2.0 प्रतिशत सान्द्रता का घोल बनाकर ड्रेसिंग करके दो से तीन दिनों के लिए पॉलीथीन से मिट्टी को ढक दें। पॉलीथीन को मिट्टी की सतह से निकालने के बाद छह से सात दिनों तक मिट्टी को खुला छोड़ दें।
वातावरण अनुकूल होने पर जरबेरा का पौध पूरे वर्ष रोपण किया जा सकता है। यह जून से सितंबर और फरवरी से मार्च तक लगाया जाता है। पंक्ति और पौध का फासला 33 या 40 सेंमी होना चाहिए।
जरबेरा पौधों को लगातार पोषक तत्व देना चाहिए, लेकिन उसे कभी भी बहुत सारे पोषक तत्व नहीं देना चाहिए। पौध रोपण चार
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तब तक उर्वरक देना नहीं शुरू करते जब तक पौधों में नई वृद्धि नहीं हो जाती। नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश के लिए घुलनशील ग्रेडेड विभिन्न प्रतिशत वाले रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया जाता है, जैसे 13:13:13, 19:19:19 और 0:0:51, नाइट्रोजन में कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल है।
ज़रुरत पड़ने पर पौधों पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। वर्तमान में पौधों की वृद्धि एवं विकास पर इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा काफी प्रभावी है। तक निर्भर है।
गुणवत्तापूर्ण पुष्प उत्पादन पौध रोपण के पांच से छह महीने बाद होता है। जर्बेरा फूल जब पूरी तरह से खिलते ही उन पुष्पों को उसी दिन काट देना चाहिए।
फूलों को सही समय से पहले काटने से उनका रंग और आकार खराब हो जाएगा। कटाई सुबह के समय की जानी चाहिए ताकि फूल ताजगी बनाए रखें। कटाई के बाद फूलों को साफ पानी में रखा जाता है ताकि वे अधिक समय तक ताजगी बनाए रखें।
एक एकड़ क्षेत्र से 1-1.5 लाख फूल प्रति वर्ष प्राप्त किए जा सकते हैं, जो किसानों के लिए अच्छा लाभ प्रदान करते हैं।