इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।

Published on: 17-Dec-2022

मिर्च को राजा चिली के नाम से भी जाना जाता है। नागालैंड में उत्पादित हो रही यह मिर्च ६०० रुपये प्रति किलो तक के मूल्य पर विक्रय होती है। इसका उपयोग खाने में होने के साथ-साथ कंपनियां इसका प्रयोग कर सुरक्षा उत्पाद भी निर्मित कर रही हैं। भारत में किसी भी फसल को उगाया जा सकता है, क्योंकि यहाँ हर प्रकार की मृदा उपलब्ध है। साथ ही, भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु भी होती हैं एवं प्रत्येक मृदा-जलवायु के माध्यम से भिन्न-भिन्न फसल का उत्पादन मिलता है। हालाँकि, भारत विभिन्न फसलों का एकमात्र सर्वाधिक उत्पादक देश है, परंतु वर्तमान में देखें तो विश्व की सर्वाधिक तीखी मिर्च भूत झोलकिया की जिसे नागा मिर्चा, गोस्ट पेपर, किंग मिर्चा, राजा मिर्चा के नाम से भी जाना जाता है। सर्वाधिक तीखेपन हेतु भूत झोलकिया का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अंकित किया गया है। देश के उत्तर पूर्वी राज्य नागालैंड में उत्पादित होने वाली इस भूत झोलकिया का विभिन्न देशों में निर्यात हो रहा है। बतादें कि, भारत भूत झोलकिया का सर्वाधिक उत्पादक देश है, परंतु यह मिर्च इतनी तीखी होती है, कि इसको खाने से ज्यादा उपयोग सुरक्षा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों में इस मिर्च से भोजन तो निर्मित होते ही हैं, परंतु बेहद कम लोगों को पता होगा कि, भूत झोलकिया मिर्च से सुरक्षा में प्रयोग होने वाली चिली पेपर स्प्रे एवं हैंड ग्रेनेड निर्मित किये जाते हैं। आज कई देशों में पाउडर एवं कच्चे रूप में भूत झोलकिया विक्रय हो रहा है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=66YIwYYDIys&t=32s[/embed]

भूत झोलकिया को क्यों सुरक्षा बलों का कवच माना जाता है

खबरों के मुताबिक बताया गया है, कि भूत झोलकिया मिर्च के तीखेपन की वजह से कुछ लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसी कारण से नॉर्थ-ईस्ट के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर इसका उपयोग खाने हेतु नहीं होता परंतु अपनी इसी विशेषता के कारण से इस मिर्च को वर्तमान में भारतीय सुरक्षा बलों का सुरक्षा कवच माना जाता है। उपद्रवियों के विरुद्ध देश सुरक्षा बल फिलहाल इस मिर्च का प्रयोग कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की ग्वालियर, टेकनपुर स्थित टियर स्मोक यूनिट में भूत झोलकिया मिर्च का प्रयोग कर आंसू गैस के गोले निर्मित किये जा रहे हैं। हालाँकि इन गोलों के प्रयोग से कोई शारीरिक हानि नहीं होती, परंतु आंतकवादी व उपद्रवियों की आँखों को धुएं से बंद करने और दम घोटने की दिक्क्त देने में बेहद सहायक होते हैं।


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वर्तमान में भारत की सर्वोच्च रक्षा संस्थान डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा भूत झोलकिया के अत्यधिक तीखेपन को देखते हुए इसको सुरक्षा उपकरणों में शम्मिलित किया गया है। महिलाओं की आत्मरक्षा हेतु भी भूत झोलकिया से चिली स्प्रे की तरह विभिन्न उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं, हालांकि इस मिर्च स्प्रे के कारण कोई घातक हानि नहीं होती है। परंतु कुछ वक्त तक उपद्रवियों को रोकने एवं गुमराह करने हेतु यह बेहद सहायक साबित होता है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिर्ची के तीखेपन में प्रथम स्थान पर प्योर कैप्साइसिन द्वितीय पर स्टैंडर्ड पेपर स्प्रे, तृतीय पर कैरोलिना रीपर एवं चतुर्थ पर ट्रिनिडाड मोरुगा स्कोर्पियन का नाम शामिल है। टॉप 5 तीखी मिर्चों में भूत झोलकिया का नाम भी शम्मिलित है।

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