मॉनसून के आगमन के साथ ही भारत में खरीफ सीजन शुरू हो जाता है, जो गर्म और नम वातावरण वाली फसलों के लिए आदर्श समय होता है। इस मौसम में कई प्रकार की फसलें अच्छी पैदावार देती हैं।
इनमें प्रमुख रूप से चावल, मक्का, कपास, दालें (जैसे अरहर, उड़द, हरा चना), तिलहन (मूंगफली, सोयाबीन) और गन्ना शामिल हैं। नीचे हम कुछ मुख्य खरीफ फसलों और उनके लाभों पर प्रकाश डाल रहे हैं।
चावल भारत के अधिकांश हिस्सों में मुख्य खाद्यान्न फसल है, जिसे खासकर खरीफ सीजन में बोया जाता है। धान की खेती बरसाती मौसम में नमी और जलभराव वाली मिट्टी में अच्छी होती है। यह किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी एक बेहतरीन जरिया है।
मक्का का उपयोग भोजन और पशु चारे दोनों के रूप में किया जाता है। यह फसल न सिर्फ फीड उद्योग में बल्कि इथेनॉल उत्पादन के लिए भी काफी लाभकारी बन चुकी है, जिससे किसानों को अधिक आमदनी का मौका मिलता है।
ये भी पढ़ें: मक्के की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण एवं विस्तृत जानकारी
कपास एक प्रमुख नकदी फसल है जिसकी खेती विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में होती है। किसान कपास को बाजार में बेचकर या संग्रहित करके उचित मूल्य मिलने पर बाद में बेचते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
ये दालें न सिर्फ प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी सहायक होती हैं। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर इनकी खरीद से दालों की खेती को बढ़ावा मिला है।
ये फसलें खाद्य तेल उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। चूंकि भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेल आयात करता है, इसलिए तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी जैसी योजनाएं दी जा रही हैं।
यह एक उच्च उपज देने वाली फसल है जो खरीफ की नमी वाली मिट्टी में अच्छी होती है। गन्ना एक नकदी फसल भी है जिसे किसान चीनी मिलों में बेचते हैं। एक बार गन्ना लगाने पर उसे दो-तीन बार तक काटा जा सकता है।
ये भी पढ़ें: गन्ने की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी
ये फसलें भी खरीफ सीजन में उगाई जाती हैं और कम समय में अच्छी आमदनी देती हैं। विशेष रूप से सब्जी की फसलें बाजार में जल्दी बिकती हैं और किसानों को त्वरित लाभ मिलता है।
भारी बारिश में खेतों में जलभराव से फसलें खराब हो सकती हैं। इससे बचाव के लिए खेतों में क्यारियों और नालियों का निर्माण करना चाहिए ताकि पानी का बहाव बना रहे। मेड़ बनाकर खेती करने से फसलों की जड़ें अधिक पानी से सुरक्षित रहती हैं।
फसल को अत्यधिक नमी से बचाने के लिए खेत में सूखी पत्तियां, भूसा या लकड़ी का बुरादा बिछाया जा सकता है। ये चीजें अतिरिक्त पानी को सोख लेती हैं और मिट्टी में नमी का संतुलन बनाए रखती हैं।
हालांकि, बारिश शुरू होने से पहले ही मल्चिंग करना चाहिए, वरना ये सामग्री अधिक नमी खींचकर नुकसान भी पहुंचा सकती है।