Published on: 13-Dec-2022
आजकल लोग कृषि करने की उन्नत तकनीक अपनाने लगे हैं और साथ ही किसान इस बात को भी जान गए हैं, कि एकीकृत कृषि करना उनके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है। इस तरह की कृषि में फसल उगाने के साथ-साथ कुछ ऐसी चीजें देखी जाती हैं, जो खेती के लिए भी लाभदायक होती हैं और साथ ही किसानों को उससे अलग से आमंदनी भी मिल जाती है।
ऐसा ही कुछ केरल के कोच्चि में भी किया जा रहा है, केरल में कोच्चि के नजदीक स्थित स्टेट सीड फार्म अलुवा, देश का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म बनकर उभरा है। यहां पर कार्बन न्यूट्रल होने का मतलब है, कि कृषि से मिलने वाले सभी तरह के अवशेष बायो-डिग्रेडेबल हैं और इनसे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
सामान्य तौर पर खेती के साथ-साथ पशुपालन को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है। लेकिन पशुपालन एक ऐसा व्यापार है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन बहुत ज्यादा होता है। अगर वैज्ञानिकों की मानें तो पशुओं से जो कार्बन उत्सर्जन हो रहा है। वह ग्रीन हाउस गैस का 14 फीसदी है, इतना ही नहीं कृषि कार्यों में बिजली के इस्तेमाल से तो कार्बन उत्सर्जन 22 फीसदी तक बढ़ जाता है। लेकिन केरल के कोच्चि शहर के इस सीड फार्म में इस तरह से खेती और पशुपालन हो रहा है, कि पर्यावरण और किसानों को सिर्फ फायदा ही फायदा है।
103 साल पुराना है देश का पहला कार्बन नेगेटिव सीड फार्म
13.5 एकड़ जमीन में फैला हुआ देश का पहला कार्बन नेगेटिव सीड फार्म लगभग 103 साल पुराना है।
केरल कृषि विश्वविद्यालय के जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण विज्ञान विभाग ने पूरी तरह से रिसर्च के बाद ही इसे कार्बन नेगेटिव सीड फार्म घोषित किया है।
क्या है अलुवा फार्म में खेती का तरीका
कोच्चि के इस स्टेट सीड फार्म में खेती कुछ अलग तरह से हो रही है। इस स्टेट सीड फार्म के कृषि निदेशक जे वडकट्टी बताते हैं, कि साल 2012 से ही यहां
जैविक इकाई चलाई जा रही है, जिसकी मदद से कार्बन उत्सर्जन को घटाने में मदद मिलती है। यहां देसी प्रजाती के पशुओं को पालकर मिश्रित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यहां पर धान को मुख्य फसल रखा गया है और साथ में गाय, बकरी, मुर्गी, बतख के साथ-साथ
मछली पालन किया जाता है। यहां लगभग 7 एकड़ में धान की खेती की जाती है। इसके अलावा यहां किसानों को रक्तशाली, नजवारा, जापान वायलेट और पोक्कली जैसे किस्मों के बीज भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वैसे यहां पर मल्टीटास्किंग काम करते हुए उत्पादन किया जा रहा है।
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फार्म में कचरा है ना के बराबर
इस सीड फार्म में उत्पादन और उससे निकलने वाले कचरे की एक साइकिल बना दी गई है, जैसे कि यहां जितना भी कृषि का कचरा होता है। उससे कंपोस्ट बना ली जाती है, जिसे बाद में खाद के तौर पर खेती में ही इस्तेमाल किया जाता है। धान में कीटों के नियंत्रण के लिए भी किसी तरह की दवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और बत्तख और
मुर्गी या ही उन्हें खत्म कर देती हैं।
इसके अलावा खेत में पाले जाने वाले जानवरों के लिए चारा, घास और पशु आहार भी खेतों से ही निकल रहा है। पशुओं से निकलने वाले अवशेष को भी वर्मी कंपोस्ट यूनिट में डाल दिया जाता है, जो बाद में खाद की तरह इस्तेमाल की जा सकती है। इस तरह ये फार्म एक जीरो वेस्ट फार्म यानी कार्बन नेगेटिव फार्म बन गया है।