बढ़ती प्रचंड गर्मी से पशुओं को ऐसे बचाएं, गर्मी से दुग्ध उत्पादन में 15% प्रतिशत गिरावट

By: MeriKheti
Published on: 30-May-2023

गर्मी में बढ़ोत्तरी होने की स्थिति में मवेशी चारा तक खाना कम कर देते हैं। इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादक क्षमता में गिरावट आ जाती है। साथ ही, तेज धूप की तपिश की वजह से पशु तनाव में आ जाते हैं। इसकी वजह से उनके शरीर में सुस्ती बढ़ने लग जाती है। आजकल देशभर में अत्यधिक गर्मी पड़ रही है। इससे आम जनमानस के साथ- साथ मवेशियों का भी हाल-बेहाल हो चुका है। सुबह के 9 बजते ही शरीर को तपा देने वाली गर्म हवाएं चलने लगती हैं। ऊपर से चिलचिलाती प्रचंड धूप ने लोगों को परेशान कर दिया है। विभिन्न राज्यों में तापमान 40 डिग्री के भी लांघ चुका है। इसकी वजह से मुख्यतः मवेशी बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। गर्मी की वजह से दुधारू मवेशियों ने दूध देना कम कर दिया है। ऐसी स्थिति में पशुपालकों की आमदनी कम हो गई है।

दुग्ध उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट

मीडिया खबरों के अनुसार, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में तापमान 43 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है। तापमान में बढ़ोत्तरी होने से मवेशियों ने दूध देना तक कम कर दिया है। बतादें, कि बढ़ती गर्मी की वजह से दूध की पैदावार में 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। वह दूध बेच कर पशु चारे पर आने वाली लागत जैसे-तैसे निकाल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों का कहना है, कि यदि इसी प्रकार तापमान में वृद्धि जारी रही, तो दूध उत्पादन में और भी कमी आ सकती है। इससे उनको पशुपालन में घाटा उठाना पड़ सकता है। ये भी देखें: बढ़ते तापमान और गर्मी से पशुओं को बचाने की काफी आवश्यकता है

मवेशियों को सुबह-शाम तालाब में स्नान कराऐं

पशु चिकित्सकों के अनुसार, गर्मी बढ़ने पर मवेशी चारा खाना काफी कम कर देते हैं। इससे उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता में गिरावट आ जाती है। साथ ही, चिलचिलाती धूप की तपिश की वजह से पशु तनाव में आ जाते हैं। इससे उनके शरीर में सुस्ती बढ़ने लगती है, जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से दूध देने की क्षमता पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में दूध की मात्रा में कमी आने लगती है। ऐसी स्थिति में पशुओं को गर्मी और लू से संरक्षण देने के लिए सुबह- शाम उसे नहर अथवा तालाब में नहलाना चाहिए। इससे उनके शरीर का तापमान काफी कम रहता है, जिससे वह सेहतमंद रहते हैं।

मवेशियों को प्रतिदिन 4 से 5 बार शीतल जल पिलाएं

साथ ही, मवेशियों को गर्मी से बचाव के लिए 4 से 5 बार शीतल जल पिलाएं। साथ ही, पशुओं को छायादार और हवादार स्थान पर ही बांधे। यदि दोपहर में काफी ज्यादा तापमान बढ़ गया है, तब मवेशी के बाड़े में कूलर या पंखा भी चला सकते हैं। इससे मवेशियों को गर्मी से काफी सहूलियत मिलती है। यदि मवेशी सूखा चारा नहीं खा पा रहे हैं, तो उन्हें हरी- हरी घास खाने को दें। इससे दूध की पैदावार कम नहीं होगी। अगर संभव हो तो किसान भाई अपनी गाय- भैंस को लोबिया घास खाने के लिए उपलब्ध कराऐं। इसके अंदर काफी ज्यादा मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व विघमान रहते हैं। इससे गाय- भैंस पूर्व की तुलना में अधिक दूध देने लगती हैं।

यह घास दुग्ध उत्पादन को बढ़ा सकती है

यदि किसान भाई चाहते हैं, तो दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए मवेशियों को अजोला घास भी खिला सकते हैं। यह घास पानी में उत्पादित की जाती है और पोषण से भूरपूर होती है। गर्मी के मौसम में इसे मवेशियों के लिए संजीवनी कहा गया है। साथ ही, प्रतिदिन 200 ग्राम सरसों के तेल में 250 ग्राम गेहूं का आटा मिलाकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को प्रतिदिन सुबह- शाम चारे के साथ मिश्रित करके मवेशियों को खिलाएं। सिर्फ एक हफ्ते तक ऐसा करें, इससे पशुओं में दूध देनी की क्षमता बढ़ सकती है।

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