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फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

फसल की कटाई के आधुनिक यंत्र

जैसे जैसे किसान की खेती की जोत छोटी होती जा रही है उसी तरह से आजकल नए नए कृषि यन्त्र भी बाजार में आ रहे हैं. अभी रबी की फसल खेतों में शान से लहलहा रही है, किसान अपनी फसल के रंग और आकार को देख कर ही फसल के उत्पादन का अंदाज लगा लेता है. 

अभी किसान की रबी की फसल की कटाई मार्च से शुरू हो जाएगी और जैसा की सभी की फसल की कटाई इसी समय होती है तो जाहिर सी बात है मजदूरों की कमी किसान को होती है. 

कहते हैं न कि "आवश्यकता अविष्कार कि जननी है" तो किसानों कि इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक रात दिन मेहनत कर रहे हैं. 

जब किसान अपने पूरे खेत कि जुताई बुबाई बैलों से नहीं कर पाता था तो ट्रेक्टर आया और जब खेत में फसल की कटाई समय से नहीं हो रही थी तो उसके लिए फसल कटाई के लिए मशीन भी बाजार में आ गई. आज हम इन्हीं मशीनों के बारे में चर्चा करेंगें:

रीपर बाइंडर (Reaper Binder):

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रीपर बाइंडर मशीन इंजन द्वारा चलती है और इसको चलाना भी आसान होता है. इससे किसान कम डीजल खर्चा में ज्यादा काम कर सकता है तथा इससे उसको भूसा भी पूरा मिल जाता है तथा किसान को फसल को इकठ्ठा करने में भी दिक्कत नहीं होती है क्यों की इसको रीपर काटने के साथ साथ उसकी पूरै भी बना देती है. 

ये भी पढ़े: धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी 

इससे किसानों को मजदूरों की समस्या से कुछ हद तक छुटकारा मिल जाता है. आजकल खेती में कुशल मजदूरों की बहुत ही समस्या है. 

कई बार किसान की पाकी हुई फसल मजदूर न मिलने की वजह से काफी नुकसान होता है. इस नुकसान से बचने के लिए ये छोटी कटाई मशीन बहुत ही काम की मशीन है.

हाथ का रीपर:

हाथ से काटने वाला रीपर भी आता है लेकिन वो फसल के पूरै नहीं बनता है वो एक साइड में कटी हुई फसल को डालता जाता है. बाद में उसे मजदूरों की सहायता से पूरै बना दिया जाता है. 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन: यह मशीन बहुत महँगी होती है तथा ये बड़े किसानों के लिए उपयोगी है. छोटे किसान इसको किराये पर लेकर भी अपनी फसल की कटाई करा सकते हैं. 

इससे कम समय में ज्यादा काम किया जा सकता है. ये फसल को ज्यादा ऊपर से काटती है जिससे बाद में इसके तूरे से भूसा बनाया जा सकता है. 

इसमें किसान अपनी फसल को समय से लाकर बाजार में ले जा सकता है. इसमें कम समय में किसान की फसल भूसे से अलग हो जाती है. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन की ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

स्ट्रा-रीपर (Straw Reaper) या भूसा बनाने वाली मशीन:

स्ट्रा-रीपर या आप कह सकते हैं की भूसा बनाने वाली मशीन छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जो किसान कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से खेत को भूसा न बनने की वजह से कटवाने से डरते थे अब वो भी कंबाइन हार्वेस्टर से अपनी फसल कटवाने लगे हैं. 

क्यों की अब स्ट्रा-रीपर से भूसा बनाना आसान हो गया है. चूँकि किसान पशु भी पालते हैं और इसके लिए उन्हें भूसा भी चाहिए. तो भूसा की जरूरत रखने वाले किसानों के लिये तो हाथ से फसल कटवाना मजबूरी भी थी लेकिन जो किसान पशु नहीं पालते हैं,  वो कंबाइन मशीन से फसल कटवाने के इच्छुक भी थे लेकिन वो परेशान भी भी कम नहीं थे. 

क्योंकि कम्बाइन मशीन 30 से 35 सेंटीमीटर ऊपर से ही गेहूं की बालियों को काटती है इसलिए मशीन से कटवाने पर अनाज के नुकसान होने का खतरा रहता है. कम्बाइन मशीन नीचे गिरी हुई बालियों को उठा नहीं पाती है. 

ऐसे में भूसा बनाने वाली मशीन लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है. इससे फसल कटवाने पर किसानों कई प्रकार का फायदा होता है. 

पहली बात तो ये कि उन्हें गेहूं के दानों के साथ साथ भूसा भी मिल जाता है. इससे पशुओं के लिये चारे की समस्या खड़ी नहीं होती. 

दूसरा जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है उसको ये मशीन उठा लेती है. जिसको की किसान अपने पशु के दाने के रूप में प्रयोग कर लेता है क्योंकि इसमें मिटटी आने की सम्भावना रहती है.

कटर थ्रेसर (Cutter Thresher):

अगर हम कटर थ्रेसर की बात करें तो इसने भी किसानों की जिंदगी बहुत आसान कर दी है. जब किसान हाथ से फसल कटवाते थे तो अनाज को अलग करने के लिए फसल की मिडाई करने के लिए बैल या ट्रेक्टर चला के अनाज को अलग किया जाता था. 

उसके बाद थ्रेसर से करने लगे. 40 क्विंटल अनाज निकालने में 15 घंटे का समय लग जाता था जो की एक बड़े किसान के लिए बहुत ही मेहनत का काम था. 

उसके बाद कटर थ्रेसर आया जो की बहुत ही जल्दी अनाज और भूसा अलग कर देता है. आज के समय में कटर थ्रेसर बहुत ही उपयोगी मशीनरी बनी हुई है। 

ये भी पढ़े: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

चारा काटने की मशीन:

पशुपालन और खेती दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. किसान खेती के साथ साथ पशु पालन भी करता है. खेती से उसके पशुओं का चारा भी आ जाता है और उसके लिए पैसे कमाने का दूसरा जरिया भी बन जाता है. 

पुराने समय में चारा काटने के लिए किसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कम से कम 3  आदमी चारा काटने की मशीन को चलाने के लिए चाहिए होते थे. 

लेकिन अब किसान ने भी इसका समाधान ढूंढ लिया और आज एक ही आदमी 10 - 15 पशुओं का चारा काट देता है वो भी 10 से 15 मिनट में.

चारा काटने की मशीन कैसे काम करती है:

चारा काटने की मशीन को दो आदमी उसके चक्र को हत्था के द्वारा घुमाते हैं तथा एक उसमें चारा डालने का काम करता है. यह बहुत ही मेहनत वाला काम है. इसमें किसान को बहुत समय लगता था और मेहनत भी बहुत होती थी.

इंजन से चलाने वाली मशीन:

इस मशीन को इंजन या बिजली से भी चलाया जा सकता है. इससे सिर्फ एक आदमी की आवश्यकता होती है वही आदमी अकेला ४ आदमी के बराबर काम कर लेता है. 

नीचे दिए वीडियो में देखें अंत में  हम कह सकते हैं की "Technology is a great servant, but a bad master." मशीनीकरण को हम अपने भले के लिए प्रयोग करें तो अच्छा है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी हम को ही झेलने पड़ते हैं.

जैसे की खड़ी फसल को कटवाने के अपने फायदे है तो कुछ नुकसान भी हैं. अगर हम फसल के अवशेष का भूसा बनवा लेते हैं तो ये हमारे लिए लाभदायक है और अगर हम इसके अवशेषों को जलाते हैं तो ये प्रक्रिया हमारी बहुत ही उपजाऊ जमीन को भी बंजर बनाने में बहुत ज्यादा समय नहीं लेती है. 

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एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

इस सीजन में किसानों को कटाई के लिए मशीने भी कम कीमतों पर दी जाती हैं. जिनकी मदद से गेहूं कटाई में काफी समय लगता है. गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए किसान भी काफी मेहनत करते हैं. 

हालांकि गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है. जिसके बाद जल्द कटाई का काम भी शुरू हो जाएगा. इसमें समय, मेहनत और लागत कम करने के लिए कृषि मशीनों का उपयोग किये जाने की सलाह दी जाती है. 

लेकिन मशीनों से कटाई और गहाई के के बाद अक्सर पराली की समस्या हो जाती है. कटाई के बाद निकली फूंस को जानवरों के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है. देश के अलग अलग राज्य की सरकारें मशीनों को खरीदने के लिए सब्सिडी देती है. 

 राजस्थान के कोटा में कुछ दिन पहले कृषि मोहत्सव का आयोजन हुआ था. जिसमें ऐसी ही एक मशीनरी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. इस मशीन का नाम रीपर ग्राइंडर था. 

इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि, ये मात्र एक घंटे में एक एकड़ गेहूं की फसल की कटाई कर सकती है. अगर किसान इस मशीन को खरीदता है, तो राज्य सरकार की तरफ से इसमें 50 फीसद तक सब्सिडी मिलती है.

रीपर ग्राइंडर के बारे में

इस मशीन से गेहूं की फसल काटने के लिए 5 से 10 मजदूरों की जरूरत पड़ सकती है. 10 एचपी के इंजन वाली मशीन की मदद से सिर्फ एक घंटे में एक एकड़ फसल की कटाई हो सकती है. 

रीपर ग्राइंडर की मदद से गेहूं के अलावा जौ, बाजरा, सरसों, धान की फसलों की कटाई कर सकते हैं. रीपर ग्राइंडर ना सिर्फ फसलों की कटाई करती है बल्कि, उपज को साइड में फैला देती है. 5 फीट तक की लंबी फसल की कटाई इस मशीन से की जा सकती है. एक घंटे चलाने के लिए इस मशीन में एक लीटर तेल लग जाता है. 

ये भी देखें: जनवरी के महीने में कुछ सावधानी बरतते हुए किसान अपने गेहूं का उत्पादन कर सकते हैं डबल

सरकार की तरफ से मिलता है अनुदान

अगर किसान इस मशीन को खरीदना चाहते हैं, तो वो इसका कोई भी साइज़ चुन सकते हैं. जिसकी कीमत 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकती है. जिसके लिए सरकार की ओर से 50 फीसद तक सब्सिडी दे रही है. 

रीपर ग्राइंडर को खरीदने के लिए किसान को मशीन के डीलर से कोटेशन लेना पड़ेगा. जो अपने जिले के कृषि विभाग के ऑफिस में जमा करना होगा. इस मशीन को खरीदने के लिये कुछ जरूरी कागजों की जरूरत पड़ती है.

जिसमें आधार कार्ड की कॉपी, जमीन के कागज, बैंक की पासबुक की कॉपी शामिल है. इसके अलावा ई-मित्र सेंटर की मदद से ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं.

धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

हमारे देश के बड़े भूभाग में धान की फसल की जाती है। पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में तो धान की ही मुख्य फसल होती है। धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई में बहुत से श्रमिकों की आवश्यकता होती है। किसान भाइयों आज का समय पैसे कमाने का समय है। प्रत्येक व्यक्ति अपने परिश्रम का अधिक से अधिक मेहनताना लेना चाहता है। इसके लिए आज के श्रमिकों ने खेती किसानी का काम छोड़ करन परदेश जाकर कारखानों में काम करना शुरू कर दिया है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का अभाव हो गया है। इस वजह से खेती किसानी करना बहुत मुश्किल होता जा रह है। जो श्रमिक गांवों में बचे रह गये हैं वे भी अपने अन्य भाइयों के समान औद्योगिक श्रमिकों की तरह मेहनताना मांगते हैं। इससे खेती की लागत उतनी अधिक बढ़ जाती है जितना उत्पादन नहीं हो पाता है। इसलिये किसान भाई वो काम नहीं कर पाते हैं।

धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई

Content

  1. समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान
  2. हंसिया (Sickle)
  3. ब्रश कटर (Brush Cutter)
  4. क्या होता है ब्रश कटर
  5. कम्बाइंट हार्वेस्टर (Combined Harvester Machine)
  6. क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)
  7. क्या होता है कम्बाइंड हार्वेस्टर कटर
  8. रीपर मशीन (Reaper Machine)
  9. क्या होता है रीपर मशीन
  10. हाथ से चलने वाली मशीन (हैंड रीपर)
  11. छोटे वाहन वाली मशीन (सेल्फ प्रॉपलर मशीन)
  12. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन (ट्रैक्टर माउंटेड)

समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान

खेती किसानी का काम समय से होना चाहिये तभी आपको अधिक उत्पादन मिल सकता है। श्रमिकों के अभाव में किसान भाइयों की खेती प्रभावित होती है। कभी लेट बुआई होती है तो कभी निराई गुड़ाई नहीं हो पाती है। कभी सिंचाई देर से हो पाती है अथवा फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई नहीं हो पाती है। कीट व रोग के प्रकोप से नियंत्रण में भी असर पड़ता है। कुल मिलाकर श्रमिकों के बिना खेती पूरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को खेती के आधुनिक तरीके और आधुनिक उपकरणों और मशीनों का इस्तेमाल करना चाहिये। इन मशीनों व उपकरणों से मानव श्रम से अधिक और बहुत ही साफ सुथरा काम हो जाता है। लागत  व समय भी कम लगता है। आइये हम आज धान की फसल को काटने वाली छोटे उपकरण से लेकर बड़ी मशीनों तक की चर्चा करेंगे। जो इस प्रकार है:-
  1. हंसिया या हंसुआ: (Sickle)

यह किसानों का पारंपरिक कटाई का औजार, उपकरण या हथियार है। इससे किसी प्रकार की फसल की कटाई की जा सकती है। धान की फसल की कटाई इसी हथियार से की जाती है। छोटे किसान आज भी अपने परिवार के साथ इसी हथियार से कटाई करते हैं। इससे फसल की कटाई में काफी समय लगता है। जब धान की फसल पक गयी हो और खेत में पानी भरा हो तब यही हथियार फसल की कटाई के काम आता है।
  1. ब्रश कटर (Brush Cutter)

हाथ से कटाई करने में बहुत श्रमिक और बहुत समय लगता है। इससे किसान भाइयों का समय व पैसा बहुत बर्बाद होता है। धान की फसल की समय पर कटाई होनी बहुत जरूरी होती है। यदि समय पर धान की फसल की कटाई नहीं की गई तो बहुुत नुकसान होता है। आज के समय में खेतों में काम करने वाले मजदूर न मिलने के कारण किसानों के समक्ष बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है। ऐसे में समय पर कटाई करना किसान भाइयों के लिए टेढ़ी खीर बन गयी है। इस समस्या को आधुनिक यंत्रों व मशीनों के द्वारा हल किया जा सकता है। पहले तो व्यापारियों ने धान की फसल कटाई के लिए बड़ी बड़ी मशीनें मार्केट में उतारीं, जिन्हें किराये पर लेकर काम कराया जा सकता था। लेकिन इन मशीनों का किराया भी इतना अधिक था कि प्रत्येक किसान उसको वहन नहीं कर सकता था। इसलिये अब बाजार में छोटी मशीनें आ गयी है। इसमें एक ब्रश कटर नाम से एक ऐसी मशीन आ गयी है, जिसको किसान अकेले ही दस मजदूरों के बराबर फसल की कटाई कर सकता है।  पेट्रोल से चलने वाली यह मशीन महीनों का काम घंटों में कर देती है। ये भी पढ़े: आधुनिक तकनीक अपनाकर घाटे से बचेंगे किसान

कितना है मैनुअल व मशीन के काम व दाम में अंतर

जानकार लोगों का दावा है कि एक एकड़ की मजदूरों द्वारा खेती की धान की फसल की कटाई पर लगभग 5 हजार रुपये का खर्च आता है। लेकिन इस मशीन से मात्र 500  रुपये में एक ही व्यक्ति कटाई कर सकता है। यदि किसान भाई यह काम करने में सक्षम हो तो ठीक वरना इस मशीन को चलाने वाले बहुत से लोग आ गये हैं। इस मशीन की खास बात यह है कि इसमें फसल के अनुसार ब्लेड लगाकर अलग-अलग तरह की फसलों की कटाई की जा सकती है। यह मंशीन कंधे पर टांग कर फसल की कटाई की जा सकती है। खेत में पानी भी भरा हो तब भी किसान भाई इस मशीन से कटाई कर सकते हैं। यदि किसान भाई इस मशीन की मेंटीनेंस अच्छी तरह से करे तो यह मशीन अपनी कीमत एक साल में ही निकाल देती है। यह मशीन अधिक महंगी भी नहीं है।

क्या होता है ब्रश कटर (Brush Cutter):-

ये भी पढ़े: भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यन्त्र पावर हैरो छोटे किसानों के लिए यह एक ऐसी आधुनिक मशीन है, जिसके माध्यम से किसान भाई केवल धान फसल की कटाइई ही नहीं कर सकते हैं बल्कि इससे अनेक प्रकार की फसलों च चारे की कटाई आसानी से कर सकते हैं। इस मशीन से खेतों में रुका हुआ थोड़ा बहुत पानी भी निकाल सकते हैं। अब यह मशीन पेट्रोल और मोबिल आयल से चलने वाली 4 स्ट्रोक वाली मोटर से लैस मशीन है। इसमें एक हैंडल दिया गया है। हैंडल के आगे कटर लगाने के लिए स्थान दिया गया है। इसमें आप अपनी जरूरत के ब्लेड लगाकर अपनी मनचाही फसल काट सकते हैं। इसका वजन 7 से 10 किलो तक का होता है।

किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं

इस मशीन को चलाने के लिए कोई खास ट्रेनिंग नहीं लेनी होती है। शुरू के 10 से 15 मिनट में नये व्यक्ति को परेशानी होती है। एक बार इसको चलाने का तरीका जानने के बाद इसे आसानी से चलाया जा सकता है। इतनी ट्रेनिंग मशीन बेचने वाली कंपनी के टेक्नीशियन दे देते हैं। इसके अलावा इस मशीन को किसान भाई तो चला सकते हैं और उनकी अनुपस्थिति में घर की महिलाएं भी आसानी से चला सकतीं हैं।
  1. कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

धान फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हार्वेस्ट मशीन का उपयोग तेजी से होने लगा है। इस मशीन के माध्यम से खेत में खड़ी फसल की बालियों यानी अनाज की कटाई की जाती है और उसकी मढ़ाई और गहाई की जाती है। यह मशीन जमीन से 30 सेंटीमीटर ऊपर से फसल काटती है और खेत में ठूंठ छोड़ देती है इससे पुआल का नुकसान होता है। दूसरा समय पर खेत को खाली करने के लिए किसान भाइयों को जल्दी होती है और उस समय कोई दूसरा उपाय न सूझने के कारण खेत में पराली को जला दिया जाता है। इससे जानवरों के चारे का नुकसान होता है दूसरा पर्यावरण प्रदूषित होता है।

नुकसान के बावजूद है फायदे का सौदा

हालंकि मजदूरों की अपेक्षा आधी कीमत पर बहुत कम समय में अच्छी तरह से कटाई, मढ़ाई और गहाई हो जाती है। इसलिये किसान भाई इस मशीन का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की मशीन का इस्तेमाल बड़े किसान भाई करते हैं जिनके पास लम्बी चौडी खेती है और समय पर मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो उनके पास इसी तरह की मशीन का ही एकमात्र विकल्प बचता है। लेकिन इस मशीन की इस कमी को देखते हुए अनेक तरह के आकर्षक रीपर मार्केट में आ गये हें। जिनसे जमीन से 5 सेंटी ऊपर की कटाई की जाती है। इससे किसान भाइयों के समक्ष ठूंठ व पराली वाली समस्या नहीं आती है।  चारे व अन्य काम के लिए बची पुआल भी काम में आ जाती है।

क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

यह मशीन वास्तव में बड़े किसानों के इस्तेमाल के लिए होती है। यह मशीन महंगी होती है तथा इसको किराये पर चलाने के उद्देश्य से भी लिया जा सकता है। यह मशीन सूखे खेत में ही चलाई जा सकती है। जो किसान भाई कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल करना चाहें तो प्रॉपलर या ट्रैक्टर में लगाकर इस मशीन को इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह की मशीन बनाने वालों में दशमेशर, हिंद एग्रो, न्यू हिन्द, प्रीत, क्लास आदि ब्रांड के हार्वेस्टर कटर आते हैं। ये चौड़ाई के अनुसार दो फिल्टर्स आते हैं। इनकी चौड़ाई 1 से 10 व 11 से 20 फीट तक होती है। इसके अलावा आप अपनी जरूरत के हिसाब की चौड़ाई वाले फिल्टर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  1. रीपर मशीन (Reaper Machine)

यह भी ब्रश कटर से मिलती जुलती मशीन है। इस मशीन में भी कटर का इस्तेमाल होता है। इस मशीन की खास बात यह है कि यह कई साइजों में आती है। इस मशीन को किसान भाई अपनी क्षमता व जरूरत के हिसाब से लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं अथवा किराये पर लेकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मशीन हाथ ठेले के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है, इसे मिनी ट्रैक्टर या छोटी गाड़ी में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। इसको बड़े ट्रैक्टर में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। यह मशीन धान की फसल की कटाई के लिए तो उपयुक्त है ही। साथ ही गेहूं  सहित अनेक फसलों को भी इससे काटा जा सकता है।

क्या होती है रीपर मशीन (Reaper Machine)

आधुनिक कृषि उपकरणों में इस मशीन की गिनती होती है। यह मशीन ऐसी है जिसे हर तरह का किसान अपनी क्षमता के अनुसार खरीद कर फसल की कटाई आसानी से कर सकता है। जहां पर फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हावेस्टर और ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाता है वहां पर यह मशीन काम आती है। यह मशीन छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी आती है। मुख्यत: तीन प्रकार की ये मशीन होती है।
    1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)
    2. छोटे वाहन वाली मशीन सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)
    3. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन ट्रैक्टर माउंटेड (Tractor Mounted Machine)
  1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)

यह मशीन मूलत: छोटे किसानों के लिए होती है। यह एक पॉवरफुल मशीन होती है जो हाथों से एक व्यक्ति द्वारा चलाई जाती है। इसमें एक 5 हॉर्सपॉवर का इंजन लगा होता है। पेट्रोल व डीजल से चलने वाले इंजन अलग-अलग आते हैं। इसमें आगे की तरफ रीपर में ब्लेड़स लगे रहते हैं जिससे फसल की कटाई की जाती है। इसमें पीछे एक हैंडल लगा होता है और इसमें दो मजबूत रबर के टायर भी लगे होते हैं। हैंडल में दो गियर भी लगे होते हैं। किसान भाई हैंडल को पकड़ कर इस मशीन को खेतों में धकेलते जाते हैं और गियर के इस्तेमाल से फसल की कटाई होती रहती है। यदि इस मशीन को कहीं दूर ले जाना होता है तो इसको मोटर व मशीन को आसानी से अलग-अलग भी किया जा सकता है और इस्तेमाल के समय जोड़ा भी जा सकता है।
  1. छोटे वाहन वाली मशीन यानी सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)

जो किसान मध्यम श्रेणी में आते हैं और जिनकी खेती का रकबा थोड़ा बड़ा होता है, जो थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च कर सकते हैं तो वे छोटे वाहन यानी सेल्फ प्रॉपलरवाली मशीनों को खरीद कर फसल की आसान कटाई कर सकते हैं। इसमें एक सीटर वाहन होता है। उसमें रीपर में ब्लेड लगे होते हैं। इस एक सीटर वाहन में किसान भाई आराम से बैठ कर रीपर के माध्यम से फसलों की कटाई आसानी से कर सकते हैं। समय, पैसा दोनों ही बचा सकते हैं। ये भी पढ़े: कल्टीवेटर से खेती के लाभ और खास बातें

रीपर बाइंडर मशीन (Reaper Binding Machine)

रीपर बाइंडिंग मशीन ऐसी मशीन होती है जो खेत में फसल की कटाई के साथ पौधों का बडल यानी पूला बना देती है। इससे किसान भाइयों को काफी सुविधा होती है।
  1. ट्रैक्टर माउंटेड मशीन (Tractor Mounted Machine)

यह मशीन बड़े किसानों के लिए होती है। यह मशीन ट्रैक्टर में लगायी जाती है। यह मशीन उन किसानों के लिए है, जिनकी बड़ी काश्तकारी है और उनके पास काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कम होती है। ऐसे किसान अपने खेत के काम निपटा कर दूसरों के खेतों पर कटाई का व्यवसाय कर सकते हैं। इस तरह से किसान इसको किराये पर चला कर अपना व्यवसाय भी कर सकते हैं।
फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

वर्तमान की बात करें तो किसानों के खेतों में रबी की फसलें लहला रही हैं और जल्द ही इनकी कटाई की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए हम 4 कृषि यंत्रों (4 Farm Machinery ) की जानकारी देने जा रहे हैं। इनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य सहजता से कर सकते हैं। इन यंत्रों से किसानों की लागत भी कम आएगी। साथ ही, कटाई का कार्य भी शीघ्रता से हो सकेगा।

फसलों की कटाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्र

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन 
  • रीपर बाइंडर मशीन 
  • कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 
  • मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर एक ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेस करती है एवं साफ करती है। स्ट्रॉ रीपर को ट्रैक्टरों के साथ जोडक़र इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत काफी कम होती है। इस यंत्र पर कई राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी का फायदा भी किसानों को प्रदान किया जाता है।

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विशेषताएं और लाभ

स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इस कृषि यंत्र को छोटे और बड़े, दोनों किसान सुगमता से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के उपयोग से फसल काटने पर कई तरह के फायदे किसानों को मिलते हैं, जैसे गेहूं के दानों के साथ-साथ भूसा भी मिल जाता है। यह भूसा पशुओं के चारे के काम में आता है। इसके अतिरिक्त जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उसको ये मशीन सहजता से उठा लेती है। जिसको किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं।

रीपर बाइंडर मशीन 

रीपर बाइंडर मशीन का इस्तेमाल फसल की कटाई के लिए किया जाता है। यह मशीन फसल की कटाई करने के साथ – साथ रस्सियों से उनका बंडल भी बनाती है। रीपर बाइंडर की मदद से 5 – 7 से. मी. ऊँची फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है। इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जेई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बना सकते है।

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विशेषताएं और लाभ 

रीपर बाइंडर के इस्तेमाल से फसल कटाई का काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से धन, समय और मजदूरी सभी की बचत होती है। रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर खड़ी फसल को काट सकती है। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल कटाई के अतिरिक्त उनका बंडल भी निर्मित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी विशेषता है, कि इसका उपयोग बारिश के मौसम में भी किया जा सकता है। फसल के अतिरिक्त खेतों में उगने वाली झाडियों की भी सहजता से कटाई की जा सकती है। रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना आसान होता है। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से एक साथ कटाई तथा सफाई का कार्य किया जा सकता है। इस मशीन की सहायता से सरसों, धान, सोयाबीन, कुसुम आदि की कटाई और सफाई का कार्य कर सकते हैं। इसमें समय और लागत दोनों ही बहुत कम लगती है।

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विशेषताएं और लाभ 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का प्रयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। इससे फसल की कटाई से लेकर फसल के दानों की सफाई तक का काम किया जाता है। इसके उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। इस मशीन के इस्तेमाल से किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि से बच सकते हैं और वक्त रहते फसलों की कटाई कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से किसान खेत में आड़ी-तिरछी पड़ी फसल को भी काट सकते हैं।

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

यह मशीन किसानों के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगी मशीन मानी जाती है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन से बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर, मूंगफली, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल के दाने और भूसे को भिन्न-भिन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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विशेषताएं और लाभ

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन की मुख्य विशेषता है, कि इसके उपयोग से फसल की कटाई कर अनाज और भूसे को अलग किया जाता है। यह मशीन फसलों के दाने को साफ-सुथरे ढ़ंग से अलग करता है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  खेतों में जहाँ मशीन नहीं पहुँच सकती है, वहाँ हाथ का रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

गेहूं फसल की कटाई करने वाली तीन बेहद सस्ती कटाई मशीन

गेहूं फसल की कटाई करने वाली तीन बेहद सस्ती कटाई मशीन

रबी की फसल कटाई का समय अब चरम सीमा पर चल रहा है। किसान भाइयों को अपने गेहूं की कटाई करवाने के लिए मजदूरों की उचित मूल्य और समय पर उपलब्धता में कमी आ रही है। 

ऐसे में गेहूं की फसल की कटाई के लिए किसानों के लिए हम कुछ ऐसी गेहूं कटाई करने वाली मशीनों की जानकारी लेकर आए हैं, जिससे कृषकों की यह समस्या आसानी से समाप्त हो सकती है। 

जी हाँ, किसान भाई इन मशीनों के उपयोग से गेहूं कटाई की लागत में कमी आने के साथ साथ फसल कटाई का कार्य समय से पूरा हो जाएगा। 

स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर

स्वचालित वरटिकल कनवेयर रीपर फसल कटाई के लिए उपयोग में लायी जाने वाली एक इंजन संचालित मशीन है। इस मशीन को संचालित करने के लिए चालक को पीछे पैदल चलना पड़ता है। इस मशीन द्वारा अनाज एवं तिलहनी फसलों को काटकर एक कतार में व्यवस्थित रखा जा सकता है। 

इस स्वचालित वरटिकल कनवेयर रीपर मशीन में इंजन, शक्ति संचरण बॉक्स, कटाई पट्टी, फसल पंक्ति विभाजक, लग सहित कनवेयर पट्टी, स्टार पहिया और संचालन प्रणाली एक मजबूत फ्रेम पर लगे होते हैं। 

इसमें पट्टा व घिरनी के द्वारा इंजन की शक्ति; कटाई पट्टी और कनवेयर पट्टी को प्रेषित की जाती है।

रीपर को आगे चलाने के समय फसल पंक्ति विभाजक फसल को विभाजित करते हैं। साथ ही, फसल के तने कटाई पट्टी के संपर्क में आने पर कट जाती है। 

फसल को हाथों-हाथ गट्ठर बनाकर गहाई स्थान पर ले जाया जाता है। मशीन द्वारा काटी फसल का वहन खड़ी दिशा मे होने के कारण फसल के बिखेरने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। 

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इस मशीन की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई तकरीबन 2450, 1200 और 1000 मिमी, क्रमशः होती है। इस मशीन का वजन तकरीबन 145 किग्रा तथा कटाई पट्टी की लंबाई एवं पिच 1000 एवं 75 मिमी क्रमशः होती है। 

इस मशीन का इस्तेमाल मुख्यतः गेहूं, धान, सोयाबीन तथा अन्य अनाज एवं तिलहन फसलों की कटाई के लिए अच्छा है। 

इस मशीन की कार्य क्षमता तकरीबन 0.15 हेक्ट./घंटा होती है। इस मशीन की ईधन खपत करीब 1 लीटर प्रति घंटा होती है। इस मशीन का अनुमानित मूल्य लगभग रुपये 85,000/- है।

बैठकर चलाने वाला स्वचालित रीपर

बतादें, कि बैठकर चलाने वाला स्वचालित रीपर एक स्वचालित मशीन है, जिस पर चालक के लिए सीट मुहैय्या कराई जाती है। इस मशीन में दो बड़े हवा युक्त पहिये लगे होते हैं। 

इसका संचालन पिछले धुरे से किया जाता है। इस मशीन को संचालित करने के लिए करीब 6 एचपी का डीजल इंजन लगा होता है। 

इस मशीन मे सुविधा के अनुरूप ब्रेक, क्लच और स्टेयरिंग द्रव्यचलित प्रणाली और शक्ति संप्रेषण प्रणाली लगी हुयी है। जो कि मशीन को सुगमता से चलाने मे सहयोग करती है। 

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इसमें फसल पंक्ति विभाजक, स्टार पहिया, कटाई पट्टी, कनवेयर पट्टी और वायर स्प्रिंग इत्यादि लगे हुए होते हैं। इस रीपर में दो आगे और एक पीछे चाल का प्रावधान है। 

इस मशीन द्वारा फसल काटने के पश्चात कनवेयर पट्टी द्वारा खींचकर मशीन के एक ओर पंक्ति मे डाल दी जाती है।

इस मशीन की लंबाई, चौड़ाई और उंचाई तकरीबन 3185, 1900 और 1450 मिमी क्रमशः होती है। मशीन का वजन करीब 1530 किग्रा होता है। 

वहीं, प्रचालन गति करीब 3.0 से 3.5 किमी/घंटा होती है। इस मशीन की क्षेत्र क्षमता 0.25 से 0.30 हेक्ट/घंटा तथा क्षेत्र कार्य कुशलता 60-70% तक होती है। 

इसमें इंधन की खपत 0.90 – 1.15 लीटर/घण्टा तथा फसल हानि 5.0 – 5.9 प्रतिशत होती है। इस मशीन का इस्तेमाल धान, गेहूं, सोयाबीन और अन्य अनाज एवं तिलहन फसलों की कटाई के लिए उपयुक्त है। इस मशीन की अनुमानित लागत तकरीबन 1,50,000/- रुपए है।

ट्रैक्टर चलित वरटिकल कनवेयर रीपर

यह एक ट्रेक्टर चलित कटाई उपकरण है। इस यंत्र को ट्रैक्टर के आगे लगाया जाता है और इसे ट्रैक्टर के पी.टी.ओ. द्वारा कपलिंग शाफ्ट एवं मध्यवर्ती शाफ्ट के जरिए से संचालित किया जाता है। 

जमीन के ऊपर मशीन की ऊंचाई घिरनी एवं स्टील रस्सी की मदद से ट्रैक्टर के हाइड्रोलिक द्वारा संचालित की जाती है। 

कत्तई पट्टी द्वारा फसल की कटाई के बाद फसल को लग्ड़ कनवेयर पट्टी की मदद से ऊर्ध्वाधर स्थिति में मशीन के एक तरफ ले जाया जाता है और कटी फसल मशीन की चलने की दिशा से अधोलंब दिशा मे एक कतार मे खेत पर गिर जाती है। 

बतादें, कि इस मशीन में 75 मि.मी. पिच का कटाई पट्टी असेम्बली, 7 फसल पंक्ति विभाजक, लग सहित 2 कनवेयर पट्टी, दबाव स्प्रिंग, घिरनी और पावर संचरण गियर बक्सा लगे होते हैं। 

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फसल पंक्ति विभाजक कटाई पट्टी असेम्बली के सामने फिट किए जाते हैं तथा स्टार पहिया फसल पंक्ति विभाजक के ऊपर लगे होते है। 

इस मशीन में 7 स्टार पहिया, जिनका व्यास 270 – 282 मि. मी. तथा 2000 – 2210 मि. मी. प्रभावी चौड़ाई की कटाई पट्टी होती है। 

इसमें 55 - 60 मि. मी. चौड़ाई की कनवेयर पट्टी, 118 -140 मि. मी. व्यास की घिरनी तथा 1600 – 2010 मि. मी. लंबाई का कटर बार लगा होता है। 

ट्रैक्टर चलित वरटिकल कनवेयर रीपर का इस्तेमाल गेहूं और धान की फसल को काटकर एक कतार मे भूमि पर रखने के लिए किया जाता है। इस मशीन का अनुमानित मूल्य करीब 55,000/- रुपए है।

M&M LTD के डिवीजन स्वराज ट्रैक्टर ने कृषकों के लिए स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर लांच किया

M&M LTD के डिवीजन स्वराज ट्रैक्टर ने कृषकों के लिए स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर लांच किया

महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के डिवीजन स्वराज ट्रैक्टर्स ने कृषकों के लिए वर्तमान में स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर का अनावरण किया है। कंपनी ने इसे खरीफ सीजन में प्रस्तुत किया है, जिससे धान एवं सोयाबीन जैसी फसलों की कटाई में उत्कृष्ट नतीजे देखने को मिले है। कंपनी अपने इस स्मार्ट हार्वेस्टर के उत्पादन को बढ़ाने जा रही है। Swaraj Harvester 8200: महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रस्तुत कृषि मशीनरी प्लांट पीथमपुर (मध्य प्रदेश) में स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर की उपज को बढ़ाया जा रहा है। 

बतादें, कि भारत में स्वदेशी रुप से तैयार हुआ यह प्रथम स्मार्ट हार्वेस्टर है। महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के डिवीजन स्वराज ट्रैक्टर्स ने कृषकों के लिए इस स्मार्ट हार्वेस्टर का अनावरण किया है। कंपनी ने इसको खरीफ सीजन में प्रस्तुत किया है, जिससे धान सोयाबीन जैसी फसलों की कटाई में उत्कृष्ट नतीजा देखने को मिले है। कंपनी को अपने इस नवीन स्मार्ट हार्वेस्टर के सफल प्रारंभ के साथ आशा है, कि आगामी रबी फसल के सीजन में इस उत्पाद की शानदार मांग रहने वाली है। सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एंड बिजनेस हेड, फार्म मशीनरी, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड कैरास वखारिया ने कहा है, कि स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर के साथ किसान कटाई के कार्यों को सहजता और कम खर्चे के साथ पूर्ण कर सकते हैं। 

24x7 निगरानी रखने की सुविधा उपलब्ध की गई है  

कैरास वखारिया ने बताया है, कि 'स्वराज भारत में कटाई प्रौद्योगिकी में काफी अग्रणी रहा है और यह नया 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस विरासत को काफी आगे बढ़ा रहा है। इंटेलिजेंट हार्वेस्टिंग प्रणाली के साथ कंपनी सर्विस एवं प्रोडक्ट सपोर्ट टीम के साथ हार्वेस्टर की परफॉर्मेंस और हेल्थ पर 24x7 निगरानी रखने की सुविधा देती है। उन्होंने बताया, आप कहीं भी रहकर अपने फोन पर इस स्मार्ट हार्वेस्टर के विषय में जान सकते हैं, जैसे फ्यूल, इसकी लोकेशन एवं बाकी जानकारी। 

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स्मार्ट हार्वेस्टर सूखी अथवा गीली फसल में भी सुगमता से चलेगा 

कैरास वखारिया ने कहा है, कि स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर में काफी फ्यूल एफिशीएंट इंजन प्रदान किया गया है, जो न्यू टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसकी सहायता से तकरीबन वर्ष की 90 हजार रुपये तक की बचत की जा सकती है। उन्होंने बताया, इस स्मार्ट हार्वेस्टर की स्पीड बाकी स्मार्ट हार्वेस्टर से ज्यादा है। बतादें, कि इसके मेंटेनेंस पर ज्यादा खर्च नहीं आने वाला है। वखारिया ने जानकारी देते हुए बताया है, कि किसान इस स्मार्ट हार्वेस्टर को गीली फसल में भी सुगमता से चला सकते हैं। इस स्मार्ट हार्वेस्टर का उपयोग आप रबी-खरीफ की फसलों में कर सकते हैं। मतलब, कि गेहूं, धान, सोयाबिन और मक्का समेत बहुत सारी फसलों की कटाई कर सकते हैं।

ऑन-फार्म सर्विस की सुविधा भी उपलब्ध है 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंपनी अपने इस स्मार्ट हार्वेस्टर के साथ रिलेशनशिप मैनेजर और ऐप-आधारित वीडियो कॉलिंग के जरिए हेल्थ अलर्ट और व्यक्तिगत मदद के साथ त्वरित ऑन-फार्म सर्विस की सुविधा भी प्रदान कर रही है। भारत के पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, कैरास और वखारिया समेत बहुत से राज्यों में स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वराज के संपूर्ण देश में फैले डीलर नेटवर्क के जरिए से इस नए स्वराज 8200 स्मार्ट हार्वेस्टर को बिक्री के लिए उपलब्ध कर दिया गया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत में स्वराज के तकरीबन 100 से भी अधिक डीलर उपस्थित हैं।

फसल कटाई के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर

फसल कटाई के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर

खेती के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। बुवाई से लगाकर कटाई तक इन यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। खेती के लिए जिन कृषि उपकरणों या यंत्रों की आवश्यकता होती है। 

इसकी जानकारी होनी विशेष आवश्यक है। ताकि कृषक सही कृषि यंत्र का चयन कर सकें और खेती के समस्त कार्यों को सुगम बना सकें।

सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर

सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर इंजन द्वारा संचालित किया जाता है। इसे वॉक-बिहाइंड टाइप हार्वेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। यह हार्वेस्टर धान, गेहूं और दूसरी तिलहन और दलहन जैसी फसलों की कटाई एवं बिजाई के लिए उपयोग में लिया जाता है। 

इससे कृषक मजदूरी और कटाई के दौरान आने वाले खर्च की बचत कर सकता है। भारत में सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर की कीमत तकरीबन 80 हजार रुपये है।

राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर

राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर एक मशीन है, जिसको चालक सीट पर बैठकर संचालित किया जाता है। इसमें 6 हॉर्स पावर/4.5 किलो वॉट का डीजल इंजन आता है। 

बतादें, कि इस मशीन में आपको क्लच, ब्रेक, स्टेयरिंग और हाइड्रोलिक सिस्टम सहित बहुत सारी सुविधाऐं मिल जाती हैं। इसमें फसल बार, कनवेयर बेल्ट, डिवाइडर, स्टार व्हील और वायर स्प्रिंग लगे हुए आते हैं। 

इस मशीन का इस्तेमाल गेहूं, सोयाबीन, धान और अन्य अनाज एवं तिलहन जैसी फसलों की कटाई के लिए किया जाता है। भारत में राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर की कीमत तकरीबन 1.20 लाख रुपये हैं। 

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मक्का हार्वेस्टिंग के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड कंबाइन हार्वेस्टर

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को मक्के की फसल कटाई के लिए डिजाइन किया गया है। इस मशीन का हेडर और भी कंबाइन हार्वेस्टर पर लगाया जा सकता है। 

बतादें, कि फसल कटाई के पश्चात इसे फीडर कनवेयर के माध्यम से सिलेंडर और कनकेव असेम्बली मे ले जाया जाता है। यहां पर फसल की थ्रेशिंग की जाती है। दाने एवं भूसे को भिन्न भिन्न हिस्सों मे एक दूसरे से अलग किया जाता है।

बतादें, कि इस कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल मक्का फसल की कटाई और उसकी सफाई के लिए किया जाता है। इसका हेडर परिवर्तित कर अनाज और अन्य फसल की कटाई भी की जा सकती है। 

भारत में मक्का हारवेस्टिंग कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत लगभग 12 से 14 लाख रुपये के बीच होती है। 


इस कंबाइन हार्वेस्टर से हर फसल की होगी कटाई, जानें इसकी खूबियां और कीमत

इस कंबाइन हार्वेस्टर से हर फसल की होगी कटाई, जानें इसकी खूबियां और कीमत

भारत में कृषि कार्यों के लिए कृषि यंत्र या उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो किसानों के लिए खेती को सहज और सुगम बनाते हैं। इन्हीं में से एक हार्वेस्टर भी महत्वपूर्ण मशीन है, जो फसलों की कटाई और बुनाई करने का कार्य करती है। किसान हार्वेस्टर के साथ खेतीबाड़ी के विभिन्न बड़े कार्यों को सरल और संपन्न बना सकते हैं। 

हार्वेस्टर विभिन्न तरह की फसलों के लिए अनुकूलित होते हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति को सुद्रण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। 

अगर आप भी अपने खेतों के लिए शक्तिशाली हार्वेस्टर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। कंपनी के इस मिनी कंबाइन हार्वेस्टर में 101 हॉर्स पावर उत्पन्न करने वाला शक्तिशाली इंजन आता है। 

दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर की क्या-क्या विशेषताएं हैं ?

दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर में आपको 4 सिलेंडर वाला Ashok Leyland, ALU W04d, Water Cooled इंजन देखने को मिल जाता है, जो 101 HP पावर उत्पन्न करता है। कंपनी के इस मिनी कंबाइन हार्वेस्टर के इंजन से 2200 आरपीएम उत्पन्न होता है। इस दशमेश मिनी हार्वेस्टर के कटर बार की चौड़ाई 10Feet (3048 mm) तय की गई है।

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साथ ही, इसके काटने की ऊंचाई 30 से 1290 mm है। कंपनी के इस मिनी कंबाइन हार्वेस्टर का कुल वजन 5400 से 5968 किलोग्राम है। दशमेश कंपनी ने अपने इस मिनी कंबाइन हार्वेस्टर को 6960 mm लंबाई और 3400 mm चौड़ाई के साथ 3170 mm ऊंचाई में निर्मित किया है। 

दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर के फीचर्स क्या-क्या हैं?

दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर में आपको काफी शानदार गुणवत्ता वाला स्टीयरिंग देखने को मिल जाता है, जो बेहद आसान और आरामदायक ड्राइव प्रदान करता है। कंपनी के इस मिनी हार्वेस्टर में 3 Forward + 1 Reverse (Double Lever) गियर वाला गियरबॉक्स देखने को मिल जाता है। इस छोटे हार्वेस्टर की थ्रेशर की चौड़ाई 887 MM निर्धारित की गई है।

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दशमेश कंपनी के इस मिनी हार्वेस्टर में 200 लीटर क्षमता वाला डीजल टैंक प्रदान किया गया है। इसमें आपको 1100 किलोग्राम का गेहूं के लिए और 1000 किलोग्राम धान के लिए क्षमता वाला टैंक देखने को मिल जाता है। कंपनी के इस हार्वेस्टर में 14.9x28.12PR फ्रंट टायर और 7.50x16.8PR रियर टायर प्रदान किए गए हैं।

दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर की कितनी कीमत है?

भारत में दशमेश 3100 मिनी कंबाइन हार्वेस्टर की एक्स शोरूम कीमत 14.50 लाख से 16.00 लाख रुपये निर्धारित की गई है। इस दशमेश मिनी हार्वेस्टर की ऑन रोड कीमत समस्त राज्यों में आरटीओ रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स के चलते भिन्न हो सकती है।

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Combine Harvester Machine) की संपूर्ण जानकारी

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Combine Harvester Machine) की संपूर्ण जानकारी

आजकल खेती भी पूरी तरह से मशीन(machine) पर निर्भर हो गई है. जैसे हम देख रहे हैं की पहले समय में लोग जो काम अपने शरीर की मेहनत से करते थे वो सभी काम आज मशीन(machine) से होने लगे हैं। 

फिर चाहे खेत की तैयारी हो, माझा हो, खेत को लेवल करना हो, बुबाई करनी हो या फिर फसल की कटाई करनी हो. आप कह सकते हैं कि फसल की बुवाई से लेकर फसल को घर तक लाने के सभी काम मशीन से होने लगे है। 

आज हम कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की बात करते हैं कि कैसे इसने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काम कर दी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) न होती तो हम अपने खेतों की फसल को समय से घर न ला पाते और न ही इसको समय से बाजार में पंहुचा पाते। 

इस कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) ने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम कर दी है. आइये जानते हैं इसकी उपलब्धता के बारे में और कौन-कौन सी कंपनी इसका निर्माण करती हैं। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के प्रकार:

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) दो तरह की होती हैं. 

  1. ट्रेक्टर(Tractor) चालित मशीन(Machine)
  2. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine)

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1- ट्रैक्टर(Tractor) निर्मित या चालित मशीन(Machine):

जो बड़े किसान होते हैं उनके पास सामान्यतः बड़े ट्रेक्टर(Tractor) होते हैं जो की उनके बड़े काम आसानी से कर सकें इन्हीं ट्रैक्टर्स को वो कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने में करते है। 

जब तक फसल को तैयार करने के लिए जो काम ट्रेक्टर से करने होते हैं उसे करने के बाद उसी ट्रेक्टर(Tractor) को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। 

जब आपकी फसल कट जाये उसके बाद आप ट्रेक्टर(Tractor) को नीचे उतार कर ट्रेक्टर(Tractor) की तरह प्रयोग में ला सकते हैं.नीचे दिए चित्र में देखें: 

2. स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine):

ये मशीन(Machine) आती ही इसी काम के लिए हैं इनमे ट्रेक्टर(Tractor) नहीं लगा होता है इसका इंजन सिर्फ कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के लिए ही बनाये जाते हैं तथा इनका फसल कटने के बाद अगली फसल आने तक कोई भी काम नहीं होता। इसका प्रयोग सामान्यतः ऐसे किसान करते हैं जो कि किराये पर अपनी मशीन(Machine) चलाते हैं। 

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आजकल सभी बड़ी कंपनियां(Company) कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) बनाते हैं जिनमे, 

  1. हिन्द एग्रो हार्वेस्टर(Hind Agro Harvester)
  2. प्रीत हार्वेस्टर(Preet Harvester)
  3. क्लास हार्वेस्टर(Class Harvester)
  4. केएस ग्रुप हार्वेस्टर(KS Group Harvester)
  5. एग्रीस्टार हार्वेस्टर(Agristar Harvester)
  6. न्यू हिन्द हार्वेस्टर(New Hind Harvester)
  7. स्वराज(Swaraj)
  8. इंडो फार्म हार्वेस्टर(Indo Farm Harvester)
  9. मलकीत एग्रो इंडस(Malkit Agro Indus)
  10. शक्तिमान हार्वेस्टर(Shaktiman Harvester)
  11. ऐस हार्वेस्टर(S Harvester)
  12. न्यूहॉलैंड(New Holland)
  13. करतार(Kartar)
  14. गोमसेलमष(Gomselmash)
  15. दसमेश(Dasmesh)

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) का कार्य:

इस मशीन(Machine) की सहायता से किसान गेंहूं, सरसों, धान, सोयाबीन आदि फसलों को काट कर दाने अलग करता है. इसके अंदर स्टोरेज क्षमता भी होती है जो कि भर जाने पर चालक को टंकी भर जाने का अपडेट देती है जिससे कि उसको खाली करके दुबारा से काम स्टार्ट किया जा सके। 

कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) की रील खड़ी फसल को काटने वाली यूनिट तक पहुंचाती है। कटर बार के अंदर बड़े-बड़े चाकू जैसे बहुत ही तेज धारदार ब्लैड होते हैं जिनसे वो खड़ी फसल को काटता है। इसके बाद फसल कन्वेयर बेल्ट के जरिए रेसिंग यूनिट में जाती है। 

यहां पर फसल के दाने ड्रेसिंग ड्रम और कंक्रीट क्लीयरेंस से रगड़ने पर अलग हो जाते हैं। इसके साथ ही बड़े-बड़े छटना के द्वारा अनाज साफ हो जाता है और ब्लोवर से भूसा या तूरा अलग हो जाता है. इस मशीन में एक स्टोन ट्रैप यूनिट लगी होती है, जो कि फसल के साथ आने वाले कंकड़, मिट्टी आदि को अलग कर देता है।  

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की उपयोगिता:

यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इसकी मदद से किसान को मजदूर न मिलने पर मशीन से काम किया जाता है और कम से कम 10 से 15 दिन पहले ही किसान अपनी फसल को बाजार, मंडी में ले जाकर बेच सकता है।

इससे अनाज को अलग करके तूरा और भूसा को खेत में खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिससे कि खेत की उर्बरकता बानी रहती है. इससे खेत में गिरी हुई फसल को भी काटा जा सकता है।  

प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी है स्ट्रा रीपर वाली मशीन(Straw Reaper Machine):

सरकार ने इससे होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए इसके साथ स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) लगाना जरूरी कर दिया है बिना स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) की मशीन(Machine) को सीज कर दिया जायेगा।

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क्या काम करता है स्ट्रा रीपर(Straw Reaper):

स्ट्रा रीपर एक कृषि यंत्र है, यह हार्वेस्टिंग मशीन(Harvesting Machine) में लगाया जाता है. इससे धान, गेंहूं, सरसों आदि फसलों की कटाई के बाद बचने वाले अवशेष छोटे-छोटे टुकड़ों में कट जाते हैं, जो कि जलाने में मुश्किल होते हैं और खेत की जुताई के समय मिट्टी में ही मिल जाते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या नहीं होती और किसान के खेत में खाद का काम भी यही अवशेष करते हैं.

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के नुकसान:

प्रौद्योगिकी एक महान नौकर है, लेकिन एक बुरा स्वामी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के कुछ नुकसान भी हैं अगर हम उसका सही से उपयोग न करें तो इससे खेत को फसलों के अवशेष ज्यादा होने की वजह से किसान समय से अगली फसल की तैयारी समय से नहीं कर पाता है। 

उसको नष्ट करने के लिए किसान को ज्यादा जोत लगानी पड़ती हैं जिससे की किसान का खर्चा ज्यादा आता है, दूसरा अगर इसमें आग लगा दी जाये तो इससे पर्यावरण को नुकसान होता है तथा सरकार पराली जलाने को लेकर बहुत सख्त है।

कैसे खरीदें कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester):

कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) को खरीदने के दो तरीके हैं पहला आप किसी भी कंपनी से सीधे इसे खरीद सकते हैं या सरकार द्वारा दी गई अनुदान की स्कीम से भी इसे ले सकते हैं. अनुदान से मिलना आसान नहीं है क्यों कि यह बहुत ही मॅहगा यन्त्र है तो हर कोई इसको खरीद नहीं पता है. 

ज्यादातर किसान किराये पर लेकर ही अपनी फसल इससे कटवाते हैं. इस वजह से कई बार किसानों को अपना नंबर आने के लिए कई कई दिन तक इन्तजार करना पड़ता है और कई बार इससे फसल ज्यादा पक जाने कि वजह से खेत में ही झड़ जाती है| 

अनुदान देने के लिए सरकार अपनी तरफ से कोशिश कराती है कि सही पात्र को इसका फायदा मिले लेकिन इसमें भी कुछ लोग खेल कर जाते हैं और जो सरकार का रजिस्ट्रेशन पोर्टल(Registration Portal) है वो समय पर खुल ही नहीं पता है. 

किसानों को पता ही नहीं चलता और इसका अनुदान किसी ख़ास आदमी को मिल जाता है। सब्सिडी(Subsidy) पाने के लिए अपने जिले के कृषि अधिकारी से संपर्क में रहें जिससे की जब भी किसी यन्त्र पर सब्सिडी(Subsidy) आती है तो आपको पता चल सके।

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की कीमत:

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की रेट 15 लाख से लेकर 40 - 45 लाख तक जाते हैं. इसकी कीमत इसके फीचर(Feature) पर निर्भर करता है. जिस मशीन(Machine) की ब्लेड ज्यादा बड़ा होगा वो काम समय में ज्यादा फसल की कटाई कर सकता है. 

इससे भी कीमत बढ़ जाती है. आप हमारे एक्सपर्ट्स से भी इसकी कीमत और फीचर्स(Features) के बारे में पूछ सकते है. मेरीखेती वेबसाइट का उद्देश्य अपने किसान भाइयों को ज्यादा से ज्यादा और सटीक जानकारी देना है।

कृषि यत्रों के लिए लोन कैसे लें:

भारतीय स्टेट बैंक(State bank Of India) कृषि यत्रों के लिए लोन भी देती है. क्यों की ये सरकारी बैंक है तो आपको किसी भी तरह की छुपी हुई शर्तों से नहीं डरना है. 

प्राइवेट बैंकों की तरह इनकी कोई छुपी हुई शर्तें नहीं होती हैं. आपको नीचे स्टेट बैंक का लोन की अप्लाई(Apply) के लिए लिंक भी दिया जा रहा है. जिससे आप ऑनलाइन भी लोन(Loan) की प्रक्रिया देख सकते हैं। SBI Loan Link:http://bit.ly/3osRjgX

खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

भारत में इन दिनों खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है, खरीफ की फसल की कटाई का समय बेहद तेजी से पास आता जा रहा है। सितम्बर के आखिरी सप्ताह से खरीफ की फसल की कटाई शुरू हो जाएगी। फसल की कटाई में भारत में मजदूरों की सहायता ली जाती है तथा थ्रेसिंग के लिए अलग से प्रबंध किया जाता है। कटाई का काम हाथों से करने से ज्यादा समय लगता है, इसके बाद थ्रेसिंग करने के लिए आपको अतिरिक्त समय देना होता है। इस प्रक्रिया में समय के साथ-साथ लागत की भी बढ़ोत्तरी होती है, जो किसान के हिसाब से बिलकुल फायदेमंद नहीं है। इसलिए अब बाजार में बहुत तरह की हार्वेस्टर मशीनें आ गईं हैं जो मानवीय श्रम को कम करने के साथ-साथ खेती की लागत में भी कमी करती हैं। दिनोदिन बाजार में उन्नत मशीनों के उपयोग से किसानों की सहूलियतें बढ़ती जा रही हैं। हाल फिलहाल में किसान अब पुराने हार्वेस्टरों की जगह नए और उन्नत हार्वेस्टर खरीद रहे हैं, जिससे कटाई या रीपिंग (reaping) के साथ-साथ थ्रेसिंग (threshing) यानी मड़ाई और विनोइंग (Winnowing) यानी ओसौनी का काम भी बेहद आसान हो जाए।

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खेत में ट्रैक्टर हार्वेस्टर मशीन किस प्रकार से काम करती हैं ?

एक कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर मशीन (Combine Harvester Machine) पुराने हार्वेस्टर की अपेक्षा ज्यादा उन्नत और आधुनिक होती है। यह मशीन एक ही बार में एक साथ थ्रेसिंग, विनोनिंग और रीपिंग कर सकती है, इसके अलावा यह मशीन बेहद तेजी से काम करती है, जिससे समय की बचत होती है और इसकी मदद से कम समय में कृषि उत्पादकता को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। यह मशीन मनुष्य द्वारा की जाने वाली कटाई की तुलना में फसल को ज्यादा सफाई से काटती है। इसके साथ ही यदि इसकी तुलना खेती की कटाई में आने वाली लागत से की जाए, तो मानव कटाई की तुलना में कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की कटाई बेहद सस्ती पड़ती है, जिससे समय के साथ-साथ पैसे की बचत होती है।

भारतीय बाजार में कितने प्रकार के कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर मौजूद हैं ?

भारतीय बाजार में इन दिनों कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की एक बहुत बड़ी रेंज मौजूद है, जिसे किसान भाई अपने कटाई के काम को आसान बनाने के लिए खरीद सकते हैं। ये कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर बाजार में आवश्यक कटिंग चौड़ाई के हिसाब से दो फिल्टर्स के साथ उपलब्ध हैं, इसके बाद भी अगर किसान फ़िल्टर को बदलना चाहें तो उसमें बदलाव संभव है। किसान भाई अपनी जरुरत के हिसाब से पावर सोर्स सेल्फ प्रोपेल्ड (Power source self-propelled) या ट्रैक्टर माउंटेड (tractor mounted) के अनुसार भी फिल्टर उपयोग कर सकते हैं। भारत में इस प्रकार के कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर हिंद एग्रो, दशमेश, क्लास, न्यू हिंद, प्रीत जैसी प्रतिष्ठित कंपनियां बाजार में उपलब्ध करवाती है, जिन्हें किसान भाई इन कंपनियों के अधिकृत डीलरों से खरीद सकते हैं।

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(Combine Harvester Machine) की संपूर्ण जानकारी

भारतीय बाजार में एक कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की कीमत क्या है ?

भारत में कंपनियां कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर को किसानों की जरुरत के हिसाब से बनाती हैं और उसकी कीमत भी उसी अनुसार तय करती हैं। फिलहाल भारत में एक कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की कीमत 5.35 लाख रुपये से शुरू होकर 26.70 लाख रुपये के बीच है। जो भी टॉप ब्रांड निर्माता कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर को बनाते हैं, वो समय-समय पर इनमें भारी छूट भी प्रदान करते हैं जिसके लिए किसानों को अधिकृत डीलरों से संपर्क करना होगा। किसान मोलभाव करके कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की खरीद में ज्यादा से ज्यादा रूपये बचा सकते हैं। इसके साथ ही कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की कीमत राज्य दर राज्य अलग हो सकती है, क्योंकि राज्यों में लगने वाले टैक्स में अंतर होता है। इसके अलावा कई राज्य सरकारें कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर की खरीद पर किसानों को भारी सब्सिडी प्रदान करती हैं। कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश की सरकार 'वाईएसआर यंत्र सेवा' (YSR yantra Seva Pathakam scheme) स्कीम के तहत किसानों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करती है। इसके अलावा किसान कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर को खरीदने के लिए हार्वेस्टर की कीमत का 50 प्रतिशत लोन बैंक से ले सकते हैं। इस प्रकार किसानों को इस स्कीम के माध्यम से कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर खरीदने के समय हार्वेस्टर की कुल कीमत के मात्र 10 प्रतिशत पैसे ही चुकाने होंगे। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगमोहन रेड्डी ने घोषणा की थी कि राज्य में 10,750 वाईएसआर यंत्र सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहां पर किसानों को कृषि से सम्बंधित सभी प्रकार के यन्त्र उपलब्ध करवाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जिन क्षेत्रों में धान की खेती ज्यादा होती है वहां पर क्लस्टर स्तर पर 1,615 हार्वेस्टर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके साथ ही किसानों को कृषि यन्त्र खरीदने के लिए 175 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

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सही कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर मशीन का चुनाव करना किसानों के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि बाजार में कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टरों की एक लम्बी रेंज उपलब्ध है। लेकिन किसान हार्वेस्टरों की रेटिंग देखकर भारत के टॉप ब्रांड के हार्वेस्टरों पर भरोसा कर सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय कंबाइन ट्रैक्टर हार्वेस्टर प्रीत 987, महिंद्रा अर्जुन 605, करतार 4000, दशमेश 9100 सेल्फ कॉम्बिनेशन हार्वेस्टर, न्यू हॉलैंड टीसी 5.30, कुबोटा हार्वेस्टिंग डीसी -68 जी-एचके इत्यादि हैं, जिनमें से किसान अपनी जरुरत के हिसाब से किसी भी हार्वेस्टर का चुनाव कर सकते हैं।
रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रबी का सीजन प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में खेतों की जुताई की जा रही है ताकि खेतों को बुवाई के लिए तैयार किया जा सके। बहुत सारे खेतों में अब भी पराली की समस्या बनी हुई है, जिसके कारण खेतों को पुनः तैयार करने में परेशानी आ रही है। खेतों से फसल अवशेषों को निपटाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम है, इसमें बहुत ज्यादा समय की बर्बादी होती है। अगर किसान एक बार पराली का प्रबंधन कर भी ले, तो इसके बाद भी खेत से बची-कुची ठूंठ को निकालने में भी किसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन यदि आज की आधुनिक खेती की बात करें तो बाजार में ऐसी कई मशीनें मौजूद है जो इस समस्या का समाधान चुटकियों में कर देंगी। इन मशीनों के प्रयोग से अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसी ही एक मशीन आजकल बाजार में आ रही है जिसे रोटरी हार्वेस्टर मशीन कहा जाता है। यह मशीन फसल के अवशेषों को नष्ट करके खेत में ही फैला देती है। यह मशीन किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। इस मशीन के फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने मशीन की खरीद पर किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए कहा है।

क्या है रोटरी हार्वेस्टर मशीन

इस मशीन को रोटरी मल्चर भी कहा जाता है, यह मशीन बेहद आसानी से खेत में बचे हुए अनावश्यक अवशेषों को नष्ट करके खेत में फैला देती है, जिसके कारण खेत में पर्याप्त नमी बरकरार रहती है। इसके साथ ही खेत में फैले हुए अवशेष डीकंपोज होकर खाद में तब्दील हो जाते हैं। अवशेषों के प्रबंधन की बात करें तो यह मशीन खेत में उम्दा प्रदर्शन करती है।

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रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर बिहार सरकार कितनी देती है सब्सिडी

अगर रोटरी हार्वेस्टर मशीन की बात करें तो उस मशीन पर बिहार सरकार किसानों को 75 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी बिहार का कृषि विभाग 'कृषि यंत्रीकरण योजना' के अंतर्गत किसानों को उपलब्ध करवाता है। बिहार सरकार के द्वारा जारी आदेश के अनुसार यदि बिहार का सामन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन लेने के लिए आवेदन करता है, तो उसे बिहार सरकार मशीन की खरीद पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी या अधिकतम 1,10,000 रुपये प्रदान करेगी। इसके साथ ही यदि बिहार का एससी-एसटी, ओबीसी और अन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन खरीदना चाहता है, तो आवेदन करने के बाद सरकार उसे रोटरी मल्चर पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी और रूपये में अधिकतम 1,20,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी।

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रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऐसे करें आवेदन

बिहार सरकार के आदेश के अनुसार रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान को बिहार का निवासी होना जरूरी है। साथ ही उसके पास कृषि योग्य भूमि भी होनी चाहिए। ऐसे किसान जो रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त चाहते हैं, वो बिहार कृषि विभाग के पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर अपना ऑनलाइन आवेदन भर सकते हैं। किसानों को ऑनलाइन आवेदन भरते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के कागजात, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता संख्या और मोबाइल नंबर अपने साथ रखना चाहिए। इनकी डीटेल आवेदन भरते समय किसान से मांगी जाएगी। इसके अलावा यदि किसान कृषि यंत्रों से संबंधित किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वो कृषि विभाग के हेल्पलाइन नंबर 18003456214 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

फसल कटाई करने वाले कंबाइन हार्वेस्टर की संपूर्ण जानकारी

फसल कटाई करने वाले कंबाइन हार्वेस्टर की संपूर्ण जानकारी

कंबाइन हार्वेस्टर एक बेहद ही कुशल कृषि मशीन है, जिसे फसलों की कटाई से संबंधित कई कार्यों को एक साथ करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मुख्य रूप से अनाज फसलों जैसे मक्का, सोयाबीन, गेहूं और जौ जैसी फसलों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

विशेष रूप से कंबाइन हार्वेस्टर मशीन में एक कटिंग मैकेनिज्म, थ्रेशिंग सिस्टम, सेपरेशन सिस्टम, क्लीनिंग सिस्टम, और भंडारण सिस्टम होता है। 

आजकल के आधुनिक कंबाइन हार्वेस्टर सामान्यतः उन्नत तकनीकों से युक्त होते हैं, जैसे जीपीएस नेविगेशन, उपज निगरानी प्रणाली और स्वचालित नियंत्रण। 

कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल ने कटाई के लिए जरूरी श्रम और वक्त को काफी कम करके कृषि में क्रांति कर डाली है। किसान बड़े खेतों को जल्दी और कुशलता से जोत सकते हैं।  

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन कैसे काम करता है ?

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन में एक रील खड़ी होती है, जिस पर किसान फसलों को रखतें है। इसका कार्य फसल को काटने वाली इकाई तक पहुँचाना है। जिसके अंदर बड़े-बड़े चाकू जैसे कई सारे तेज धारदार ब्लैड होते हैं। 

इन ब्लेड्स की सहायता से कटर फसल को काटता है। कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से कटी हुई फसल रेसिंग यूनिट में जाती है। रेसिंग यूनिट में फसल के दाने ड्रेसिंग ड्रम और कंक्रीट क्लीयरेंस की सहायता से अलग हो जाते हैं। 

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कंबाइन हार्वेस्टर में बड़े-बड़े क्लीनिंग सिस्टम्स और ब्लोवर होते हैं, जिनकी सहायता से फसलों से भूसे को अलग किया जाता है। साफ हुआ अनाज स्टोरेज सिस्टम में इकट्ठा हो जाता है।  

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के क्या-क्या फायदे हैं ? 

कंबाइन हार्वेस्टर एक ऐसी मशीन है, जो एक साथ कईं दिशाओं से कृषि कार्यो को आसान बनाती है। इसका इस्तेमाल करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं।

बढ़ी हुई दक्षता: कंबाइन हार्वेस्टर एक ही मशीन में कई ऑपरेशनों को जोड़कर कटाई की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हैं। यह कटाई, छटाई, भण्डारण और भी कईं कार्यों को एक साथ कर सकतें है।  

समय की बचत: पारंपरिक मैनुअल या अलग मशीनरी-आधारित कटाई विधियों की तुलना में कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई बहुत तेजी से होती है। किसान फसलों की कुशलता से कटाई कर सकते हैं।  

कम कृषि लागत: एक हार्वेस्टर कईं मशीनो का काम करता है। इसलिए, किसानो को अलग-अलग मशीन खरीदने की ज़रूरत नहीं है।  

गुणवत्ता संरक्षण: कंबाइन हार्वेस्टर को कम से कम नुकसान के साथ फसलों को संभालने और अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

कंबाइन हार्वेस्टर कितने प्रकार के होते हैं?

कंबाइन हार्वेस्टर मुख्यत दो प्रकार के होते हैं।

  • स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर

स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर में पूरी मशीनरी फिट रहती है। मशीनरी अपनी ताकत से इंजन व बाकी हिस्सों को संचालित करती है, जिससे फसल की कटाई, कुटाई (दौनी) व दानों की सफाई का कार्य सहजता से होता है।

  • ट्रैक्टर चालित कंबाइन हार्वेस्टर 

ट्रैक्टर चालित कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को ट्रैक्टर के साथ जोडकर चलाया जाता है। यह मशीन ट्रैक्टर के पीटीओ से चलती है। ट्रैक्टर से कंबाइन को चलाकर फसल की कटाई की जाती है।

कंबाइन हार्वेस्टर किस आधार पर खरीदना चाहिए 

यदि आप एक लघु या सीमान्त किसान हैं या केवल अपने घर की खेती के लिए हार्वेस्टर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए मिनी कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester)अथवा ट्रैक्टर द्वारा संचालित कंबाइन हार्वेस्टर अधिक उपयोगी रहेगा। साथ ही, आपके लिए छोटे हार्वेस्टर की कीमत भी सही रहेगी।

वहीं, यदि आप अपने घर घरेलू इस्तेमाल के अतिरिक्त कंबाइन हार्वेस्टर से धन भी कमाना चाहते हैं, तो फिर आपको इसके लिए हैवी कंबाइन हार्वेस्टर खरीदना पड़ेगा। 

अब या तो आप स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर खरीदें या फिर ट्रैक्टर चलित कंबाइन हार्वेस्टर में मजबूत और ताकतवर कंबाइन हार्वेस्टर खरीदें।

भारतीय बाजार में कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत क्या है ?

कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत कटर बार पर निर्भर होती है। इस वक्त भारत में लगभग 20 से ज्यादा प्रसिद्ध कंपनियां कंबाइन हार्वेस्टर का निर्माण कर रही हैं। 

कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत अपने फीचर्स और विशेषताओं के मुताबिक 10 लाख* रुपए से लेकर 50 लाख* रुपए के मध्य बाजार में है।

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वही, अगर आप छोटे किसान हैं और सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए ही कंबाइन हार्वेस्टर खरीदना चाहते हैं, तो आपके लिए मिनी कंबाइन हार्वेस्टर/ छोटा हार्वेस्टर की कीमत का भी विकल्प खुला है। मिनी कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत 5 लाख* रुपए से चालू होती है।

कंबाइन हार्वेस्टर खरीदते वक्त इस बात का जरूर ध्यान रखें !

अलग-अलग राज्यों में समय-समय पर कंबाइन हार्वेस्टर पर अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अनुदान की दर राज्यों में लगने वाले RTO के चलते अलग-अलग होती है। 

सामान्यत: लघु, सीमांत व महिला किसानों को 50 प्रतिशत व बड़े किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। अब चाहे वह कंबाइन हार्वेस्टर हो या और कोई कृषि उपकरण हमें उसे खरीदने से पहले यह जरूर जान लेना चाहिए कि उस पर अनुदान मिल रहा है या नहीं।