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फसलों पर गर्मी नहीं बरपा पाएगी सितम, गेहूं की नई किस्मों से निकाला हल

फसलों पर गर्मी नहीं बरपा पाएगी सितम, गेहूं की नई किस्मों से निकाला हल

फरवरी के महीने में ही बढ़ते तापमान ने किसानों की टेंशन बढ़ा दी है. अब ऐसे में फसलों के बर्बाद होने के अनुमान के बीच एक राहत भरी खबर किसानों के माथे से चिंता की लकीर हटा देगी. बदलते मौसम और बढ़ते तापमान से ना सिर्फ किसान बल्कि सरकार की भी चिंता का ग्राफ ऊपर है. इस साल की भयानक गर्मी की वजह से कहीं पिछले साल की तरह भी गेंहूं की फसल खराब ना हो जाए, इस बात का डर किसानों बुरी तरह से सता रहा है. ऐसे में सरकार को भी यही लग रहा है कि, अगर तापमान की वजह से गेहूं की क्वालिटी में फर्क पड़ा, तो इससे उत्पादन भी प्रभावित हो जाएगा. जिस वजह से आटे की कीमत जहां कम हो वाली थी, उसकी जगह और भी बढ़ जाएगी. जिससे महंगाई का बेलगाम होना भी लाजमी है. आपको बता दें कि, लगातार बढ़ते तापमान पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था. इन सब के बीच अब सरकार के साथ साथ किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वो कर दिखाया है, जो किसी ने भी सोचा भी नहीं था. दरअसल आईसीएआर ने गेहूं की तीन ऐसी किस्म को बनाया है, जो गर्मियों का सीजन आने से पहले ही पककर तैयार हो जाएंगी. यानि के सर्दी का सीजन खत्म होने तक फसल तैयार हो जाएगी. जिसे होली आने से पहले ही काट लिया जाएगा. इतना ही नहीं आईसीएआर के साइंटिस्टो का कहना है कि, गेहूं की ये सभी किस्में विकसित करने का मुख्य कारण बीट-द हीट समाधान के तहत आगे बढ़ाना है.

पांच से छह महीनों में तैयार होती है फसलें

देखा जाए तो आमतौर पर फसलों के तैयार होने में करीब पांच से छह महीने यानि की 140 से 150 दिनों के बीच का समय लगता है. नवंबर के महीने में सबसे ज्यादा गेहूं की बुवाई उत्तर प्रदेश में की जाती है, इसके अलावा नवंबर के महीने के बीच में धान, कपास और सोयाबीन की कटाई मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, एमपी और राजस्थान में होती है. इन फसलों की कटाई के बाद किसान गेहूं की बुवाई करते हैं. ठीक इसी तरह युपू में दूसरी छमाही और बिहार में धान और गन्ना की फसल की कटाई के बाद ही गेहूं की बुवाई शुरू की जाती है.

महीने के आखिर तक हो सकती है कटाई

साइंटिस्टो के मुताबिक गेहूं की नई तीन किस्मों की बुवाई अगर किसानों ने 20 अक्टूबर से शुरू की तो, गर्मी आने से पहले ही गेहूं की फसल पककर काटने लायक तैयार हो जाएगी. इसका मतलब अगर नई किस्में फसलों को झुलसा देने वाली गर्मी के कांटेक्ट में नहीं आ पाएंगी, जानकारी के मुताबिक मार्च महीने के आखिरी हफ्ते तक इन किस्मों में गेहूं में दाने भरने का काम पूरा कर लिया जाता है. इनकी कटाई की बात करें तो महीने के अंत तक इनकी कटाई आसानी से की जा सकेगी. ये भी पढ़ें: गेहूं पर गर्मी पड़ सकती है भारी, उत्पादन पर पड़ेगा असर

जानिए कितनी मिलती है पैदावार

आईएआरआई के साइंटिस्ट ने ये ख़ास गेहूं की तीन किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों में ऐसे सभी जीन शामिल हैं, जो फसल को समय से पहले फूल आने और जल्दी बढ़ने में मदद करेंगे. इसकी पहली किस्म का नाम एचडीसीएसडब्लू-18 रखा गया है. इस किस्म को सबसे पहले साल 2016  में ऑफिशियली तौर पर अधिसूचित किया गया था. एचडी-2967 और एचडी-3086 की किस्म के मुकाबले यह ज्यादा उपज देने में सक्षम है. एचडीसीएसडब्लू-18 की मदद से किसान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सात टन से ज्यादा गेहूं की उपज पा सकते हैं. वहीं पहले से मौजूद एचडी-2967 और एचडी-3086 किस्म से प्रति हेक्टेयर 6 से 6.5 टन तक पैदावार मिलती है.

नई किस्मों को मिला लाइसेंस

सामान्य तौर पर अच्छी उपज वाले गेंहू की किस्मों की ऊंचाई लगभग 90 से 95 सेंटीमीटर होती है. इस वजह से लंबी होने के कारण उनकी बालियों में अच्छे से अनाज भर जाता है. जिस करण उनके झुकने का खतरा बना रहता है. वहीं एचडी-3410 जिसे साल 2022 में जारी किया गया था, उसकी ऊंचाई करीब 100 से 105 सेंटीमीटर होती है. इस किस्म से प्रति हेल्तेय्र के हिसाब से 7.5 टन की उपज मिलती है. लेकिन बात तीसरी किस्म यानि कि एचडी-3385 की हो तो, इस किस्म से काफी ज्यादा उपज मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं एआरआई ने एचडी-3385 जो किसानों और पौधों की किस्मों के पीपीवीएफआरए के संरक्षण के साथ रजिस्ट्रेशन किया है. साथ ही इसने डीसी एम श्रीरा का किस्म का लाइसेंस भी जारी किया है. ये भी पढ़ें: गेहूं की उन्नत किस्में, जानिए बुआई का समय, पैदावार क्षमता एवं अन्य विवरण

कम किये जा सकते हैं आटे के रेट

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर किसानों ने गेहूं की इन नई किस्मों का इस्तेमाल खेती करने में किया तो, गर्मी और लू लगने का डर इन फसलों को नहीं होगा. साथी ही ना तो इसकी गुणवत्ता बिगड़ेगी और ना ही उपज खराब होगी. जिस वजह से गेहूं और आटे दोनों के बढ़ते हुए दामों को कंट्रोल किया जा सकता है.
इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

आजकल सब्जी, मसाले और अनाजों की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। विगत वर्ष लहसुन का अच्छा-खासा उत्पादन हुआ था। इसकी वजह से होलसेल मार्केट में इसकी काफी कीमत गिर गई। ऐसी स्थिति में किसान फसल पर किया गया खर्चा तक भी नहीं निकाल पाए। भारत में महंगाई बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर की भाँति वर्तमान में भी लहसुन का भाव 170 रुपये किलो के पार ही है। बहुत सारे शहरों में तो इसकी कीमत 180 रुपये किलो के आसपास पहुंच चुकी है। पटना में अभी एक किलो लहसुन का भाव 172 रुपये है। साथ ही, कोलकता में यह 178 रुपये किलो बिक्रय किया रहा है। जबकि, तीन से चार महीने पहले यह बेहद सस्ता था। मार्च महीने तक रिटेल बाजार में यह 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा था। परंतु, मानसून के दस्तक देने के साथ ही इसके दाम भी महंगे हो गए।

उत्तर प्रदेश इतने प्रतिशत लहसुन की पैदावार करता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश के पश्चात राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती होती है। ये तीनों राज्य मिलकर 85 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करते हैं। राजस्थान 16.81 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करता है, जबकि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 6.57 फीसद है।

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मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है

लहसुन के व्यापारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है। यहां का मौसम एवं मिट्टी लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल उत्पादित लहसुन में मध्य प्रदेश की भागीदारी 62.85 प्रतिशत है। परंतु, पिछले साल समुचित भाव न मिलने की वजह से लहसुन उत्पादक किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा। बहुत सारे किसान कर्ज में डूब गए है। ऐसी स्थिति में किसानों ने इस वर्ष लहसुन की खेती करना कम किया, जिससे तकरीबन 50 प्रतिशत लहसुन का रकबा कम हो गया। ऐसी स्थिति में मांग के हिसाब से बाजार में लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह से अचानक कीमतें बढ़ गईं।

मध्य प्रदेश अन्य राज्यों में भी लहसुन की आपूर्ति करता है

बतादें कि संपूर्ण भारत में मध्य प्रदेश से लहसुन की सप्लाई होती है। यहां से दक्षिण भारत, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में लहसुन की सप्लाई की जाती है। नतीजतन, मध्य प्रदेश की मंडियों में लहुसन महंगे होने की वजह से दूसरे राज्यों में भी इसकी कीमतें बढ़ गईं। साथ ही, रतलाम जनपद के लहसुन उत्पादकों का कहना है, कि किसानों ने विगत वर्ष हुई हानि की वजह से लहसुन की खेती आधी कर दी थी। परंतु, इस बार की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पुनः रकबे में इजाफा करेंगे। ऐसे में आशा है, कि लहसुन की नवीन फसल आने के बाद कीमतों गिरावट शुरू हो जाएगी।
पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में असमान अंतराल होने से कीमतें सातवें आसमान पर पहुँची

प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में असमान अंतराल होने से कीमतें सातवें आसमान पर पहुँची

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, कि डिमांड और सप्लाई में अंतराल आने से प्याज की कीमतों में ये इजाफा होगा। हालांकि, इसके बावजूद भी प्याज का भाव 2020 के अपने उच्चतम स्तर से नीचे रहेगा। टमाटर के पश्चात अब प्याज आम जनता की आखों से आंसू निकालेगा। कहा जा रहा है, कि प्याज के भाव में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हो सकती है। एक किलो प्याज का भाव 60 रुपये के पार पहुंच सकता है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, कि टमाटर के उपरांत वर्तमान में प्याज की कीमतें आम जनता का बजट खराब कर सकती हैं। अगले महीने से खुदरा बाजारों में प्याज महंगा हो जाएगा।

प्याज और टमाटर की मांग व आपूर्ति में काफी अंतर

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर माह में प्याज की कीमतों के बढ़ने की संभावना है। टमाटर की भाँति प्याज की आवक भी काफी प्रभावित हो सकती है। ऐसी स्थिति में मांग के अनुसार, आपूर्ति न होने की वजह से कीमतें अपने-आप बढ़ जाऐंगी। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है, कि अगस्त के अंतिम हफ्ते तक रिटेल मार्केट में प्याज की बढ़ती कीमतों का प्रभाव दिखना शुरू हो जाएगा। साथ ही, सितंबर के आते-आते एक किलो प्याज का भाव 60 से 70 रुपये हो जाएगा।

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प्याज की आपूर्ति प्रभावित होने से बढ़ जाएगी कीमत

साथ ही, क्रिसिल की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है, कि डिमांड और सप्लाई में अंतराल आने से प्याज की कीमतों में यह इजाफा होगा। हालांकि, इसके बावजूद भी प्याज का भाव 2020 के अपने उच्चतम स्तर से नीचे रहेगा। क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है, कि अक्टूबर में खरीफ की आवक आरंभ होने से प्याज की आपूर्ति पर काफी प्रभाव पड़ेगा। इससे मंडियों में प्याज की आपूर्ति कम हो जाएगी। इसकी वजह से भावों में स्थिरता नहीं रहेगी।

प्याज व की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई आम जनता की परेशानी

बतादें, कि इस वर्ष मानसून की दस्तक के साथ खान-पान की समस्त चीजें महंगी हो गई हैं। विशेष कर टमाटर के भाव काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। 30 से 40 रुपये किलो मिलने वाला टमाटर जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही 150 से 200 रुपये किलो हो गया। इसके अतिरिक्त हरी सब्जियां भी काफी महंगी हो गईं। वर्तमान में खुदरा बाजार में परवल, करेला, शिमला मिर्च, लौकी और भिंडी सहित विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों की कीमत सातवें आसमान पर पहुँच गई हैं। ये समस्त सब्जियां 50 से 80 रुपये किलो बिक रही हैं। परंतु, इस महंगाई के बावजूद भी अब तक प्याज सस्ता था। बाजार में अच्छी क्वालिटी का प्याज 25 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। परंतु, आगामी माह सितंबर से इसकी कीमतों में आने वाले इजाफे ने आम जनता की परेशानी काफी बढ़ा दी है।
खुशखबरी: देश की राजधानी दिल्ली में अब प्याज की महंगाई नहीं निकालेगी आंशू

खुशखबरी: देश की राजधानी दिल्ली में अब प्याज की महंगाई नहीं निकालेगी आंशू

देश की राजधानी दिल्ली में टमाटर की बढ़ती कीमतों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए थे। इसके उपरांत एक के बाद एक सब्जियों की बढ़ती कीमतों से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परंतु, वहीं जनता के लिए खुशखबरी की यह बात है कि NCCF बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। बतादें, कि विगत दिनों धनिया, प्याज, अदरक और टमाटर आदि सभी सब्जियों की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी से जनता की जेब पर बेहद प्रभाव पड़ा है। ग्रहणियों का कहना है, कि मंहगाई के कारण से रसोई का बजट डगमगा गया था, इससे सही सलामत देशवासियों का जीना दुश्वार हो गया। साथ ही, आज से दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ सस्ती दरों पर प्याज बेचना शुरु करेगा। प्याज की कीमतों में निरंतर वृद्धि के मध्य सरकारी बफर स्टॉक से खुदरा प्याज की बिक्री 25 रुपये प्रति किलो के भाव पर शुरू होगी। जहां एक ओर टमाटर की महंगाई से जनता दीर्घकाल से परेशान थी। वहीं, फिलहाल टमाटर के भावों में गिरावट देखने को मिली है। परंतु, प्याज की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। इस वजह से जनता को महंगाई से थोड़ी सहूलियत प्रदान करने के लिए सरकार आज मतलब 21 अगस्त से सस्ती कीमतों पर प्याज बेचने की कवायद आरंभ कर रही है। ये भी देखें: सब्जियों के साथ-साथ मसालों के बढ़ते दामों से लोगों की रसोई का बिगड़ा बजट उपभोक्ता विभाग के मुताबिक, दिल्ली में हाल ही में एक किलो प्याज 37 रुपये में बिक्रय किया गया। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) पहले से ही केंद्र सरकार की तरफ से कम भाव पर टमाटर बेच रहा है। साथ ही, अब उसे खुदरा बफर प्याज का कार्यभार भी सौंपा गया है। NCCF के प्रबंध निदेशक एनीस जोसेफ चंद्रा का कहना है, कि "शुरुआत में, हम दिल्ली में बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। हम अपने मोबाइल वैन और दो खुदरा दुकानों के जरिए से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचेंगे।" दिल्ली में 21 अगस्त को तकरीबन 10 मोबाइल वैन भेजी जाएंगी। साथ ही, आहिस्ते-आहिस्ते इसका दायरा और अधिक बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त NCCF दिल्ली में नेहरू प्लेस एवं ओखला में मौजूद अपने दो खुदरा दुकानों के माध्यम से भी प्याज बेचेगा। NCCF ने ONDC प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन प्याज बेचने की भी योजना तैयार की है। परंतु, फिलहाल इसको जारी नहीं किया गया है। सरकार ने असम, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश को वर्तमान में प्राथमिकता दी है। दरअसल, इन पांच प्रदेशों में थोक एवं खुदरा दोनों बाजारों में बफर प्याज का निपटान करके उपलब्धता को बढ़ाया जा रहा है। दिल्ली में यह बिक्री 21 अगस्त से चालू हो जाएगी, जबकि बाकी 4 राज्यों में 2 दिन पश्चात बिक्री शुरू होगी। ये भी देखें: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है NCCF विगत एक माह से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रियायती भाव पर टमाटर विक्रय कर रहा है। आरंभ में जब खुदरा बाजार में भाव ₹250 प्रति किलो तक पहुंच गया तो इसकी बिक्री ₹90 प्रति किलो पर चालू हुई। अब आवक में काफी सकारात्मक सुधार आया है, तो अनुदानित दर घटाकर 40 रुपये प्रति किलो निर्धारित कर दी गई है।
केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर कहा है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की बिक्री चालू हो गई है। मानसून की दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में जो इजाफा चालू हुआ था। वह कम होने का नाम भी नहीं ले रही है बल्कि इसकी कीमतों में और बढ़ोत्तरी भी होती जा रही है। महंगाई का मामला यह है, कि सोमवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के सभी प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर के बढ़ते दाम पर रोक लगाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। अब लोग कम भाव पर टमाटर खरीद पाएंगे।

सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों को रोकने की बनाई योजना

मानसून के दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में इजाफा शुरू हुआ था, जो कि कम होने का नाम भी नहीं ले रहा है। इसकी कीमत में और बढ़ोत्तरी ही होती जा रही है। महंगाई का आलम यह है, कि शनिवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के समस्त प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण बनाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। फिलहाल, लोग कम कीमत पर टमाटर खरीद सकेंगे। ये भी पढ़े: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने आम जनता को महंगाई से निजात दिलाने हेतु स्वयं टमाटर बेचने का निर्णय किया है। केंद्र सरकार दिल्ली-एनसीआर, पटना और लखनऊ समेत भारत के प्रमुख शहरों में 90 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बेचेगी। हालांकि, अभी दिल्ली- एनसीआर में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ मोबाइल वैन माध्यम से टमाटर बेच रहे हैं। नोएडा, दिल्ली और ग्रेटर नोएडा में विभिन्न स्थानों पर महासंघ के द्वारा टमाटर बेचे जा रहे हैं।

मदर डेयरी से संपर्क चल रहा है

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर बताया है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की विक्री चालू हो चुकी है। उन्होंने बताया है, कि एनसीसीएफ कल से दिल्ली में तकरीबन 100 स्थानों पर अपने आउटलेट के जरिए टमाटर बेचना चालू कर देगा। विशेष बात यह है, कि एनसीसीएफ आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत 400 स्थानों पर मदर डेयरी के साथ मिलकर टमाटर बेचेगा। इसके लिए मदर डेयरी के साथ बातचीत चल रही है। ये भी पढ़े: टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

महाराष्ट्र में टमाटर 150 रुपए किलोग्राम बिका

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर आज टमाटर का औसत भाव 117 रुपये प्रति किलो रहा है। वहीं, अधिकतम भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम भाव 25 रुपये प्रति किलोग्राम था। साथ ही, टमाटर का मॉडल प्राइस 100 रुपये प्रति किलोग्राम है। अगर बात भारत के प्रमुख महानगरों की करें तो आज दिल्ली में टमाटर का भाव 178 रुपये किलो, मुंबई में 150 रुपये किलो और चेन्नई में 132 रुपये किलो था। लेकिन, सबसे अधिक महंगा टमाटर उत्तर प्रदेश के हापुड़ में बिका था। यहां पर लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 250 रुपये खर्च करने पड़े। वैसे भी मानसून आने के पश्चात टमाटर की कीमत में बढ़ोत्तरी हो जाती है। जुलाई से नवंबर माह के दौरान इसका भाव काफी अधिक ही रहता है।
सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

भारत की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर का भाव 200 रुपये से 250 रुपये किलो तक पहुँच गया है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। भारत में महंगाई के चलते आम से लेकर खास लोगों तक की रसोई का बजट बिगड़ गया है। बतादें कि करैला, धनिया, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी और लौकी समेत समस्त प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं। परंतु, सबसे अधिक टमाटर की कीमत में आग लगी हुई है। महंगाई का कहर इतना है, कि टमाटर का भाव 250 रुपये किलो से भी ऊपर चला गया है। दिल्ली- एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों में टमाटर की कीमत 200 रुपये से 250 रुपये किलो पर पहुँच चुकी है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा रुपये का खर्चा करना पड़ रहा है। यहां पर टमाटर 350 रुपये किलो तक बिक रहा है।

अब से 70 रूपए किलो बिकेगा टमाटर

हालांकि, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार के समेत राज्य सरकारें भी पूरा प्रयास कर रही हैं। लेकिन कीमतों में गिरावट आने की कोई आशा नजर नहीं दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने खुद ही दिल्ली, नोएडा और लखनऊ समेत भारत की बहुत सारे शहरों में 80 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू कर दिया है। परंतु, वर्तमान में लोग 80 रुपये किलो से भी कम भाव पर सरकारी स्टॉल से टमाटर खरीद सकेंगे। नाफेड ने घोषणा की है, कि वह 20 जुलाई से 70 रुपये किलो के रेट से टमाटर बेचेगा। जिससे कि महंगाई पर रोकथाम लगाई जा सके। ये भी पढ़े: केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

टमाटर के बढ़ते भाव पर लगेगी रोक

जानकारों का कहना है, कि केंद्र सरकार ने यह ऐलान टमाटर के भाव में आ रही कमी के ट्रेंड को देखते हुए किया है। गुरुवार से भारत के विभिन्न शहरों में नाफेड 70 रुपये किलो तक टमाटर बेचेगा। मुख्य बात यह है, कि सस्ती दर पर टमाटर बिक्री के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से टमाटर की खरीदारी करेगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से उत्तर भारत के राज्यों में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगेगा।

नाफेड अब 70 रुपये किलो बेचेगा टमाटर

बता दें कि केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने पहले दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से 90 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू किया था। इसके पश्चात 16 जुलाई को नाफेड ने 10 रुपये किलो टमाटर सस्ता कर दिया और 80 रुपये किलो बेकना शुरू कर दिया। फिलहाल, नाफेड लखनऊ और पटना में विभिन्न स्थानों पर 80 रुपये किलो टमाटर बेक रहा है। नाफेड कल से 70 रुपये किलो टमाटर बेचेगा।
मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के समापन तक 100 रुपये को पार कर गईं।

मुंबई में टमाटर की कीमतें

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंज्यूमर अफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में टमाटर के मैक्सीमम प्राइस 200 रुपये से नीचे आ गए थे। साथ ही, बात यदि मुंबई की करें तो विभाग के मुताबिक टमाटर का खुदरा भाव 160 रुपये प्रति किलोग्राम था। परंतु, वीकेंड पर टमाटर के रिटेल भावों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। जी हां, मुंबई में टमाटर का भाव 200 रुपये प्रति को पार करते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खरीदारों की संख्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है, जिससे ग्राहकों की कमी की वजह से कुछ इलाकों में टमाटर की दुकानें बंद करनी पड़ीं।

टमाटर की कीमत विगत सात हफ्ते में 7 गुना तक बढ़ी है

मूसलाधार बारिश की वजह से कुल फसल की कमी एवं बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने की वजह से बहुत सारी जरूरी सब्जियों के अतिरिक्त टमाटर की कीमतें जून से लगातार बढ़ रही हैं। जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के आखिर तक 100 रुपये को पार कर गईं। 3 जुलाई को इसने 160 रुपये का एक नया रिकॉर्ड बनाया, सब्जी विक्रेताओं ने भविष्यवाणी की कि रसोई का प्रमुख उत्पाद अंतिम जुलाई तक 200 रुपये की बाधा को तोड़ देगा, जो उसने किया है। ये भी पढ़े: सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर

किस वजह से टमाटर के भाव में आया उछाल

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपीएमसी वाशी के डायरेक्टर शंकर पिंगले के मुताबिक टमाटर का थोक भाव 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मध्य है। हालांकि, लोनावाला लैंडस्लाइड की घटना, उसके पश्चात ट्रैफिक जाम और डायवर्जन की वजह से वाशी मार्केट में प्रॉपर सप्लाई की बाधा खड़ी हो गई, जिसकी वजह से कीमतों में अस्थायी तौर पर इजाफा देखने को मिला। डायरेक्टर ने बताया है, कि कुछ दिनों के भीतर सप्लाई पुनः आरंभ हो जाएगी।

जानें भारत में कहाँ कहाँ टमाटर 200 से ऊपर है

बतादें, कि वाशी के एक और व्यापारी सचिन शितोले ने यह खुलासा किया है, कि टमाटर 110 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम पर विक्रय किया जा रहा है। दादर बाजार में रोहित केसरवानी नाम के एक सब्जी विक्रेता ने कहा है, कि वहां थोक भाव 160 से 180 रुपये प्रति किलो है। अचंभित करने वाली बात यह है, कि उस मुख्य दिन पर वाशी बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर मौजूद नहीं थे। माटुंगा, फोर बंगलोज, अंधेरी, मलाड, परेल, घाटकोपर, भायखला, खार मार्केट, पाली मार्केट, बांद्रा और दादर मार्केट में विभिन्न विक्रेताओं ने टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक बताईं। लेकिन, कुछ लोग 180 रुपये किलो बेच रहे थे।

बहुत सारे विक्रेताओं ने बंद की अपनी दुकान

रविवार को ग्राहकों की कमी के चलते फोर बंगलों और अंधेरी स्टेशन इलाके में टमाटर की दोनों दुकानें बिल्कुल बंद रहीं। टमाटर विक्रेताओं का कहना है, कि जब टमाटर की कीमतें गिरेंगी तब ही वो दुकान खोलेंगे। वैसे कुछ विक्रेताओं ने यह कहा है, कि त्योहारी सीजन जैसे कि रक्षाबंधन अथवा फिर जन्माष्टमी के दौरान दुकान खोलेंगे। बाकी और भी बहुत सारे दूसरे सब्जी दुकानदारों ने अपने भंडार को कम करने अथवा इसे प्रति दिन मात्र 3 किलोग्राम तक सीमित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। विक्रेताओं में से एक ने हताशा व्यक्त की क्योंकि ज्यादातर ग्राहक सिर्फ और सिर्फ कीमतों के बारे में पूछ रहे हैं और बिना कुछ खरीदे वापिस लौट रहे हैं।

बारिश की वजह से इस राज्य में बढ़े सब्जियों के भाव

बारिश की वजह से इस राज्य में बढ़े सब्जियों के भाव

ज्यादा बारिश की वजह से फसलों को काफी क्षति हुई है। इसके चलते परवल, मूली, फूलगोभी और बैंगन समेत कई प्रकार की सब्जियों की पैदावार में गिरावट आई है। बतादें, कि बारिश से मंडियों में सब्जियों की आवक बेहद प्रभावित होने के चलते सब्जियों का भाव एक बार पुनः बढ़ गया है। बिहार में विगत बहुत दिनों से रूक-रूक कर हो रही बरसात ने एक बार पुनः महंगाई बढ़ा दी है। विशेष कर सब्जियों के भाव में आग लग चुकी है। महंगाई का मामला यह है, कि गुरुवार शाम को बहुत सारी सब्जियों का भाव 100 रुपये किलो के लगभग हो चुका है। ऐसी स्थिति में आम आदनी की थाली से हरी सब्जियां विलुप्त हो गई हैं। साथ ही, व्यापारियों का कहना है, कि बारिश के साथ-साथ जितिया पर्व की वजह से भी सब्जियों की कीमत में इतनी ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है।

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परंपरागत खेती छोड़ हरी सब्जी की खेती से किसान कर रहा अच्छी कमाई दरअसल, राजधानी पटना सहित संपूर्ण बिहार राज्य में विगत चार- पांच दिन से थम-थम कर बारिश हो रही है। इसकी वजह से हरी सब्जियों की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है, कि खराब मौसम के कारण मंडियों में सब्जियों की आवक भी काफी प्रभावित हुई है। इससे इनकी कीमत में 10 से 20 रुपये प्रति किलो की वृद्धि दाखिल की गई है।

कितनी कीमत पर बिक रही सब्जियां

पटना के स्थानीय सब्जी दुकानदारों का कहना है, कि विगत चार से पांच दिनों में सब्जियों की कीमत में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिली है। चार दिन पूर्व जो फूलगोभी 40 रुपये किलो थी, अब वह 60 से 80 रूपये किलो रुपए किलो बिक रही है। इसी प्रकार टमाटर एवं नेनुआ भी काफी महंगे हो गए हैं। ये दोनों ही सब्जियां 30 रुपये किलो तक बिक रही हैं।

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नवरात्री के दिनों में कीमतें बढ़ेंगी

विशेष बात यह है, कि सरपुतिया (तुरई) सबसे अधिक लोगों को रूला रही है। गुरुवार शाम को यह 200 रुपये किलो हो गई थी, जब कि ऐसी स्थिति में यह 10 से 20 रुपये किलो बिकती थी। साथ ही, बहुत सारे लोग 10 रुपये पीस भी सरपुतिया (तुरई) खरीद रहे थे। साथ ही, किसानों का कहना है कि अक्टूबर माह में हुई मूसलाधार बारिश की वजह से सब्जियों के फूल झड़ गए हैं। वहीं, बैंगन, गोभी और मूली समेत बाकी सब्जियों की फसल खेत में ही खराब हो गई। ऐसे में सब्जियों की पैदावार में गिरावट देखने को मिली है। पटना बाजार समिति के फल सब्जी संघ के उपाध्यक्ष जय प्रकाश वर्मा ने बताया है, कि फलों की कीमत फिलहाल स्थिर है। परंतु, नवरात्र के दौरान इनकी कीमतों में भी उछाल देखने को मिल सकता है।
अत्यधिक गर्मी होने से बाजार में फलों की उपलब्धता में आएगी कमी

अत्यधिक गर्मी होने से बाजार में फलों की उपलब्धता में आएगी कमी

आजकल गर्मी बढ़ने की वजह से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में 10 से 30% फीसद तक की कमी देखने को मिलेगी। जैसे-जैसे गर्मी पास आ रही है। भारत में सब्जियों और फलों के उत्पादन का संकट बढ़ता दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी दिनों में फल एवं सब्जियों के भाव सातवें आसमान पर हैं। इसका यह कारण है, कि वक्त से पूर्व गर्मी में बढ़ोत्तरी होने से फलों और सब्जियों के उत्पादन में करीब 30% प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। नतीजतन इसका प्रभाव फलों के राजा आम पर वर्तमान से ही पड़ना शुरू हो गया है। किसानों के अनुसार, इस बार आम की बौर एवं फलों में काफी गिरावट देखने को मिली है। साथ ही, तापमान में अधिक वृद्धि होने की वजह से नींबू, तरबूज, केले, काजू और लीची की फसल भी प्रभावित हुई है।

(IIHR) के डायरेक्टर एसके सिंह ने इस विषय पर क्या कहा है

बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (IIHR) के डायरेक्टर एसके सिंह के अनुसार, गर्मी में अचानक वृद्धि की वजह से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में 10 से 30% तक की कमी हो सकती है। इसकी वजह समय से पहले गर्मी का होना है। इसकी वजह से आम, लीची, केले, अवाकाडो, कीनू, और संतरे की फसल प्रभावित हुई है। फरवरी माह का औसत तापमान भारत में 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा था जो कि एक रिकॉर्ड है।

आपूर्ति में गिरावट आने की संभावना है

मौसम विभाग के जरिए मार्च से मई माह के मध्य भारत के नार्थ वेस्ट क्षेत्रों में गर्म हवा चलने की संभावना जताई गई है। वहीं, गर्मी में वृद्धि होने की वजह से सब्जियां वक्त से पूर्व पक रही हैं। इसी कारण से सब्जियों की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो सकती है। लेकिन, कुछ समयोपरांत इसमें गिरावट भी हो सकती है। साथ ही, इसकी आपूर्ति में कमी आने से सब्जियों के भाव में वृद्धि देखने को मिलेगी।

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भारत में अधिक आबादी होने से फलों व सब्जियों की होगी किल्लत

जैसा सा कि हम सब भली भाँति जानते हैं, कि भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। इसलिए यहां खाद्यान आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें काफी सजग और जागरूक रहती हैं। इसके साथ ही भारत एक कृषि प्रधान देश भी है। उपरोक्त में सब्जिओं और फलों के विषय में जैसा वर्णन किया गया है। उसका एक कारण यहां की घनी आबादी भी है। यदि अनाज और बागवानी फसलों में कमी आती है, तो इसका प्रत्यक्ष रूप से इसका असर आम जनता पर पड़ता है।
नींबू की बढ़ती कीमत बढ़ा देगी आम लोगों की परेशानियां

नींबू की बढ़ती कीमत बढ़ा देगी आम लोगों की परेशानियां

आपको बतादें कि गाजीपुर सब्जी मंडी के चेयरमैन सत्यदेव प्रसाद का कहना है, कि सब्जियों के भाव में बीते 15 दिनों से निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही है। आकस्मिक जलवायु परिवर्तन एवं तापमान में वृद्धि होने से केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा गर्मी से फसलों की पैदावार पर पड़ने वाले प्रभाव से बचने के लिए समस्त राज्य सरकारों को तैयारी करने को कहा है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अनुसार, गर्मी की सर्वाधिक मार हरी सब्जियों पर देखने को मिल रही है। यदि इसी प्रकार से तापमान में वृद्धि होती रही तो गेहूं के साथ- साथ हरी सब्जियों की भी पैदावार गिर सकती है। इसकी वजह से महंगाई में एक बार पुनः वृद्धि हो जाएगी एवं खाने- पीने की चीजें भी महंगी हो जाएंगी।

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 खाद्य और आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मौस्मिक परिवर्तन का प्रभाव फल के साथ- साथ टमाटर एवं गोभी समेत बहुत सी हरी सब्जियों पर हो सकता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है, कि नींबू का भाव बीते साल की भांति इस बार भी 400 रुपये किलो तक पहुंच सकता है। साथ ही, विभाग के अधिकारियों का यह भी मानना है, कि आने वाले दिनों में फल एवं सब्जियों की पैदावार में 30 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिल सकती है।


 

जानें नीबू की कितनी कीमत हो गई है

साथ ही, गाजीपुर सब्जी मंडी के चेयरमैन सत्यदेव प्रसाद ने भी बताया है, कि सब्जियों के भाव में बीते 15 दिनों से निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही है। नींबू का भाव थोक में जो पहले केवल 30 रुपये किलो थी। वह फिलहाल 60 से 80 रुपये किलो पर पहुँच गई है। इसी प्रकार खुदरा में अब 250 ग्राम नींबू का भाव 25 से 30 रुपये हो गया है। सत्यदेव प्रसाद का कहना है, कि बीते वर्ष नींबू की कीमत खुदरा बाजार में 400 प्रति किलो हो गया था। अगर गर्मी में इज़ाफा इसी प्रकार से चलता रहा तो इस बार भी नींबू 400 रुपये किलो के पार पहुंच सकता है। साथ ही, अन्य सब्जियों के भाव में भी वृद्धि होगी। वर्तमान में खुदरा बाजार में टमाटर 20 से 30 रुपये किलो के भाव से बेचा जा रहा है। इसी प्रकार एक किलो गोभी का मूल्य 40 रुपये हो गया है। वहीं, होली से पूर्व एक किलो गोभी का भाव 20 रुपये था।


 

प्याज की हुई बेहतरीन पैदावार

जानकारी के लिए बतादें कि देश में इस बार आलू एवं प्याज का बेहतरीन उत्पादन हुआ है। इसकी वजह से इनके भावों में कमी देखने को मिली है एवं किसान खर्चा भी नहीं हांसिल कर पा रहे हैं। साथ ही, कृषि मंत्रालय के अधिकारियों की टीम दूसरे मंत्रालयों के विभागों के साथ समन्वय बनाए हुए हैं। इसके लिए समयानुसार प्रदेश सरकार को एडवाइजरी जारी की जा रही है, जिससे कि तापमान वृद्धि से राहत दी जा सके।

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खाद्य पदार्थों की पैदावार प्रभावित होगी

बतादें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ- साथ पूरे देश में गर्मी तीव्रता से बढ़ती जा रही है। दिल्ली में विगत दिनों पारा 34 डिग्री पर पहुंच गया था। साथ ही, मुंबई में तापमान 39 डिग्री के पार पहुंच गया है। विशेष बात यह है, कि मुंबई शहर में तापमान सामान्य से 6 डिग्री अधिक है। अब ऐसी स्थिति में आशंका जताई जा रही है, कि आगामी दिनों में गर्मी और तीव्रता से बढ़ेगी, जिससे खाद्य पदार्थों की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा।

रूस यूक्रेन युद्ध, अनाज का हथियार के तौर पर इस्तेमाल

रूस यूक्रेन युद्ध, अनाज का हथियार के तौर पर इस्तेमाल

आपको बतादें कि रूस ने अपने हाथों गेहूं निर्यात का नियंत्रण ले लिया है। इससे खाद्यान्न युद्ध शुरू होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी कड़ी में दो बड़े इंटरनैशनल ट्रेडर्स ने रूस से गेहूं निर्यात के कारोबार से पीछे हटने की घोषणा की है। इसका मतलब यह है, कि विश्व का सर्वोच्च गेहूं निर्यातक रूस की खाद्य निर्यात पर दखल और अधिक होगी। अनुमानुसार, रूस गेहूं निर्यात को रणनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग कर सकता है। जरुरी नहीं कि दुश्मन को मजा चखाने के लिए अपना शारीरिक और आर्थिक बल ही उपयोग किया जाए। ना ही किसी अस्त्र शस्त्र की आवश्यकता जैसे कि आजकल बंदूक, मिसाइल, तोप, पनडुब्बी आदि आधुनिक हथियारों का उपयोग होता है। खाद्यान पदार्थों में अनाज भी एक बड़े हथियार की भूमिका अदा करता है। क्योंकि आज के समय खाद्यान्न जियोपॉलिटिक्स का बड़ा हथियार है। बीते दिनों रूस-यूक्रेन के भीषण युद्ध के बीच मॉस्को फिलहाल गेहूं को हथियार के रूप में उपयोग करने जा रहा है, जिसकी चिंगारी पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। रूस विश्व का सर्वोच्च गेहूं निर्यातक देश है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूर्व से ही वैश्विक खाद्यान आपूर्ति डगमगाई हुई है। रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से विगत वर्ष खाद्यान्न के भावों में वृद्धि बड़ी तीव्रता से हुई थी। फिलहाल, रूस जिस प्रकार से गेहूं निर्यात पर सरकारी नियंत्रण को अधिक तवज्जो दे रहा है, उससे हालात और अधिक गंभीर होंगे। रूस का यह प्रयास है, कि गेहूं निर्यात में केवल सरकारी कंपनियां अथवा उसकी घरेलू कंपनियां ही रहें। जिससे कि वह निर्यात को हथियार के रूप में और अधिक कारगर तरीके से उपयोग कर सके। इसी मध्य दो बड़े इंटरनैशनल ट्रेडर्स निर्यात हेतु रूस में गेहूं खरीद को प्रतिबंधित करने जा रहे हैं। नतीजतन, वैश्विक खाद्यान आपूर्ति पर रूस का नियंत्रण और अधिक हो जाएगा।

गेंहू निर्यात हेतु रूस से दो इंटरनेशनल ट्रेडर्स ने कदम पीछे हटाया

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कारगिल इंकॉर्पोरेटेड और विटेरा ने रूस से गेहूं का निर्यात प्रतिबंधित करने की घोषणा की है। इन दोनों की विगत सीजन में रूस के कुल खाद्यान्न निर्यात में 14 फीसद की भागीदारी थी। इनके जाने से विश्व के सर्वोच्च गेहूं निर्यातक रूस का ग्लोबल फूड सप्लाई पर नियंत्रण और पकड़ ज्यादा होगी। इनके अतिरिक्त आर्कर-डेनिएल्स मिडलैंड कंपनी भी व रूस भी अपने व्यवसाय को संकीर्ण करने के विषय में विचार-विमर्श कर रही है। लुइस ड्रेयफस भी रूस में अपनी गतिविधियों को कम करने की सोच रही है। जैसा कि हम जानते हैं, गेहूं का नया सीजन चालू हो गया है। रूस गेहूं के नए उत्पादन का निर्यात चालू कर देगा। फिलहाल, इंटरनैशनल ट्रेडर्स के पीछे हटने से रूसी गेहूं निर्यात पर सरकारी और घरेलू कंपनियों का ही वर्चश्व रहेगा। रूस द्वारा और बेहतरीन तरीके से इसका उपयोग जियोपॉलिटिक्स हेतु कर पायेगा। वह मूल्यों को भी प्रभावित करने की हालात में रहेगा। मध्य पूर्व और अफ्रीकी देश रूसी गेहूं की अच्छी खासी मात्रा में खरीदारी करते हैं।

रूस करेगा गेंहू निर्यात को एक औजार के रूप में इस्तेमाल

रूस द्वारा वर्तमान में गेहूं निर्यात करने हेतु सरकार से सरकार व्यापार पर ध्यान दे रहा है। बतादें, कि सरकारी कंपनी OZK पहले ही तुर्की सहित गेहूं बेचने के संदर्भ में बहुत सारे समझौते कर चुकी है। उसने विगत वर्ष यह कहा था, कि वह इंटरनैशनल ट्रेडर्स के हस्तक्षेप से निजात चाहती है और प्रत्यक्ष रूप से देशों को निर्यात करने की दिशा में कार्य कर रही है। रूस गेहूं का शस्त्र स्वरुप उपयोग करते हुए स्वयं की इच्छानुसार चयनित देशों को ही गेंहू निर्यात करेगा। इससे फूड सप्लाई चेन तो प्रभावित होगी ही, विगत वर्ष की भाँति अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के मूल्यों में बेइंतिहान वृद्धि भी हो सकती है। ये भी पढ़े: बंदरगाहों पर अटका विदेश जाने वाला 17 लाख टन गेहूं, बारिश में नुकसान की आशंका

रूस ने खाद्य युद्ध को यदि हथियार बनाया तो क्या होगा

रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से विगत वर्ष विश्वभर में गेहूं एवं आटे के भावों में तीव्रता से बढ़ोत्तरी हुई थी। बहुत सारे देश खाद्य संकट की सीमा पर पहुँच चुके हैं। तो बहुत से स्थानों पर खाद्य पदार्थ काफी महंगे हो चुके हैं। विगत वर्ष भारत में भी गेहूं एवं आटे के मूल्यों में तेजी से इजाफा हुआ था। जिसके उपरांत सरकार द्वारा गेहूं निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। हालाँकि, भारत अपने आप में एक बड़ा खाद्यान्न उत्पादक देश है। परंतु, जो देश खाद्यान्न की आवश्यकताओं के लिए काफी हद तक आयात हेतु आश्रित हैं। उनको काफी खाद्यान संकट से जूझना पड़ेगा। विश्व में एक बार पुनः गेहूं एवं आटे के मूल्यों में तेजी से इजाफा होने की संभावना भी बढ़ गई है।

पुरे विश्व को प्रभावित कर सकता है फूड वॉर

अगर हम सकारात्मक तौर पर इस बात का विश्लेषण करें तो खाद्यान्न को एक हथियार के रूप में उपयोग करना कही तक उचित तो कतई नहीं है। इससे काफी लोग भुखमरी तक के शिकार होने की संभावना होती है। वर्ष 2007 में सर्वप्रथम फूड वॉर की भयावय स्थिति देखने को मिली थी। उस वक्त सूखा, प्राकृतिक आपदा की भांति अन्य कारणों से भी पूरे विश्व में खाद्यान्न की पैदावार कम हुई थी। उस समय रूस, अर्जेंटिना जैसे प्रमुख खाद्यान्न निर्यातक देशों ने घरेलू मांग की आपूर्ति करने हेतु 2008 में कई महीनों तक खाद्यान्न के निर्यात को एक प्रकार से बिल्कुल प्रतिबंधित कर दिया था। जिसके परिणामस्वरूप, विश्व के विभिन्न स्थानों पर राजनीतिक अस्थिरता एवं आर्थिक संकट उत्पन्न हो गए थे। संयोगवश उस समय वैश्विक मंदी ने भी दस्तक दे दी थी। फूड वॉर को भी इसके कारणों में शम्मिलित किया जा सकता है।