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मुआवजा

गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित

गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित

बेमौसम आई बारिश ने पुरे देश में गेहूं की फसल को काफी क्षतिग्रस्त कर दिया है। किसान वैसे ही बहुत सी समस्याओं से पीड़ित रहते हैं। अब प्राकृतिक आपदाएं भी उनके जी का जंजाल बन रही हैं। हालाँकि, राज्य सरकारें भी अपने स्तर से किसानों की क्षति पर ध्यान रखा जा रहा है। पहले भी खरीफ ऋतु की फसलों को प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि बारिश, बाढ़ एवं सूखा के कारण बेहद नुकसान हुआ था। फिलहाल, रबी फसलों में किसान भाइयों को बेहतर आय की आशा थी। वहीं, इस सीजन के अंदर भारत में रिकॉर्ड तोड़ कर गेहूं के उत्पादन हेतु बीजारोपण भी किया गया है। किसान भाइयों का यह प्रयास है, कि खेतों में गेहूं के उत्पादन से मोटी आमदनी हो जाए। परंतु, बीते कुछ दिनों से मौसम परिवर्तन होने की वजह से किसानों की उम्मीद पर पानी फेरना चालू कर दिया है। भारत के बहुत से राज्यों में अत्यधिक मूसलाधार बारिश दर्ज की गई है। तो वहीं, मौसम विभाग ने बताया है, कि फिलहाल एक दो दिन अभी और बारिश होने की आशंका है। बारिश से क्षतिग्रस्त हुई फसल से अब देश को भी अनाज के संकट का सामना करना पड़ सकता है।

इन प्रदेशों की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ ने की खराब

मौसम के जानकारों ने बताया है, कि पश्चिमी विक्षोभ मतलब वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से परिस्थितियां प्रतिकूल हो गई हैं। इसी लिए जल भरे बादलों का रुझान इन प्रदेशों की तरफ हुआ है। आपको बतादें कि बीते दो दिनों में उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, राजस्थान से महाराष्ट्र सहित भारत के विभिन्न राज्यों में जोरदार हवाओं के साथ-साथ बारिश एवं ओलावृष्टि देखने को मिली है।

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बारिश की मार से गेंहू की फसल सबसे ज्यादा बर्बाद

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि गेंहू रबी सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। देश विदेशों तक गेंहू की माँग काफी होती है। वर्तमान में तीव्र बारिश गेहूं की मृत्यु बन सकती है। बीते दो दिनों से बहुत से राज्यों में तेज वर्षा हो रही है। अब ऐसी स्थिति में किसानों को गेहूं की फसल बर्बादी होने का भय सता रहा है। जानकारों का मानना है, कि ज्यादा वर्षा हुई तो गेहूं की पैदावार निश्चित रूप से काफी प्रभावित होगी। तीव्र हवा, बारिश और ओले पड़ने की वजह से खेतों में ही गेहूं की फसल गिर चुकी है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जनपदों में गेहूं की फसल क्षतिग्रस्त होने की भी खबरें सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं इसके चलते आम और लीची की पैदावार भी इन प्रदेशों में प्रभावित हो सकती है।

गेंहू की फसल को रोग एवं कीट संक्रमण की संभावना

किसान को केवल बारिश ही नुकसान नहीं पहुँचा रही है। बारिश की वजह से उत्पन्न कीट संक्रमण भी गेंहू फसल हानि करने में अपनी नकारात्मक भूमिका निभाएगा। इसके अतिरिक्त भी बारिश की वजह से होने वाली सड़न-गलन से भी गेहूं की फसल को काफी हानि होने की संभावना है। इसकी वजह से गेहूं की फसल में रोग और कीट लगने का संकट तो बढ़ा ही है। महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर जनपद के खेतो में कटाई की हुई गेहूं-चना के साथ बाकी फसलों के भीगने और खेतों में जल भराव से किसानों को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। प्रभावित किसानों द्वारा सरकार से फसल बीमा के अनुरूप सहायता धनराशि की मांग जाहिर की गई है। तो उधर, राजस्थान राज्य के बूंदी जनपद में भी फसल को काफी हानि पहुँची है। वहीं, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में 62000 हेक्टयर से ज्यादा कृषि भाग को हानि हुई है। नांदेड़, बीड, लातूर, औरंगाबाद और हिंगोली में कृषकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

पिछले दिनों हुई बारिश से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फसलें बुरी तरह बर्बाद हो गई। एक रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश में 2 लाख 35 हजार किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है जिसके चलते राज्य सरकार ने फैसला किया है कि, इन किसानों की फसलों का नुकसान वह मुआवजे के रूप में अदा करेगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने बारिश से बर्बाद हुई फसलों का आकलन किया जिसके बाद किसानों को लगभग 78 करोड़ 88 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उच्च स्तर पर बैठक की। इसी दौरान बैठक में शामिल हुए अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के मुताबिक, 35 जिलों में 2,35,122 ऐसे किसान पाए गए जिनकी फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई। कहा जा रहा है कि, जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन किसानों को करीब 78 करोड़ 88 लाख रुपए धनराशि दी जाएगी। बता दें, 17, 18 से 19 अक्टूबर के दौरान हुई भारी बारिश के चलते किसानों की फसले बुरी तरह बर्बाद हुई है। ये भी पढ़े: कृषि कानूनों की वापसी, पांच मांगें भी मंजूर, किसान आंदोलन स्थगित इस दौरान किसानों की फसले पूरी तरह से पक गई थी और इसे खेत से काटना भी शुरू कर दिया था लेकिन इसी बीच बारिश किसानों की दुश्मन बन गई और खेत में कटी पड़ी और उगी हुई फसलों को बर्बाद करके चली गई। ऐसे में किसान बुरी तरह परेशान हो रहे थे लेकिन इसी बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का हौसला बनाए रखा और उन्हें मुआवजा देने की बात कही। आइए जानते हैं किन किसनों को मिलेगा ये मुआवजा? मुआवजा

इन जिलों में हुआ भारी नुकसान

रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में करीब 37,848 किसानों की फसलें बर्बाद हुई है। वहीं यदि सबसे कम नुकसान के बारे में बात करें तो श्रावस्ती जिले में सबसे कम फसलों का नुकसान हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम का कहना है कि वह किसान को जल्द से जल्द इस मुआवजे की राशि प्रदान करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो मुख्यमंत्री ने करीब राज्य के 35 जनपदों के किसानों को मुआवजा देने की बात कही है।

इन जिलों के किसानों को मिलेगा मुआवजा

35 जनपदों में महाराजगंज, गोरखपुर, संत कबीर नगर, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बहराइच, झांसी, बाराबंकी, वाराणसी, गाजीपुर, खीरी, ललितपुर, जालौन, लखीमपुर ,कौशांबी, चंदौली, बस्ती, बिजनौर, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, चित्रकूट, बलरामपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, भदोही, श्रावस्ती, आगरा और सुल्तानपुर जैसी जनपद का नाम शामिल है।

33% से ज्यादा खराब फसलों को ही मिलेगा मुआवजा

बता दें, यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्राप्त होगी जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को यह मुआवजा देने का प्रावधान भी है। इसके अलावा किसानों को यह मुआवजा तब मिलता है जब उनकी फसलें ओलावृष्टि, पाला बाढ़ या फिर शीतलहर के चलते बर्बाद हो गई हो। किसानों को 2 हेक्टेयर तक ही मुआवजा मिलता है। बता दें जिन किसानों की सिंचित भूमि होती है उन्हें 4500 रुपए बल्कि असंचित भूमि पर 9 हजार रुपए दिए जाते हैं।

 बीमा कराई  गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा

बता दें कि, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्ही किसानों को प्रदान की जाती है जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी।

जिन लोगों ने नहीं करवाया होता है फसल का बीमा

बता दें जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया होता है ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के रामपुर में उड़द की फसलें भी बुरी तरह से चौपट हो गई है। दरअसल 17, 18 और 19 अक्टूबर को बारिश के दौरान उड़द की फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ। क्योंकि बारिश रुक-रुक कर हो रही थी ऐसे में उड़द पर इसका बुरा प्रभाव हुआ। इतना ही नहीं बल्कि उन किसानों को उड़द का अधिक नुकसान हुआ जिनकी फसलें पहले से ही पक गई थी और उन्होंने इस फसल को काटकर अपने खेत में ही छोड़ दी थी। ऐसे में उड़द खेत में ही बुरी तरह सड़ गया और रुक-रुक कर बारिश होने के चलते इसे धूप भी नहीं मिली जिसके चलते उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। रिपोर्ट की माने तो रामपुर में करीब 15% से अधिक उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं बल्कि इसमें कुछ ऐसे भी किसान शामिल है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया था। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि इन किसानों की फसल की भरपाई कैसे होगी? हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश हुई, वहीं रामगंगा जैसी नदी में बाढ़ आने के कारण उड़द की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। ये भी पढ़े: हरियाणा में फसल बीमा 31 जुलाई तक कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल के मुताबिक, रामपुर जिले में करीब 35 हेक्टेयर पर उड़द की खेती की जाती है। इसी बीच नरेंद्र पाल ने किसानों से मुलाकात की और उनकी फसलों का आकलन भी किया। जिन किसानों की उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई उन्हें नरेंद्र पाल ने आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही इसका मुआवजा दिलाने में मदद करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया है उन्हें बीमा कंपनी द्वारा जल्दी ही मुआवजा प्रदान हो जाएगा लेकिन जिन लोगों ने अपनी फसल कम बीमा नहीं करवाया है, इसके लिए पहले तहसीलदार उनकी फसलों का आकलन करेंगे, इसके बाद ही उन्हें किसी प्रकार की मदद मिल पाएगी।

फसल बीमा के नियम में बदलाव

बता दें, जिन फसलों का बीमा हो चुका है उनके लिए नियमों में भी कुछ बदलाव किया गया है। नए नियम के अनुसार यदि किसी किसान की फसल का नुकसान प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो तो उसे बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा प्रदान होगा। यदि किसी किसान का गेहूं काटने से पहले ही आग लग जाती है फिर बारिश हो जाती है जिसके चलते फसल बर्बाद हो जाती है। इस स्थिति में न सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे इसका मुआवजा मिलता बल्कि आसपास के किसान भी इस योजना का लाभ उठा लेते हैं। दरअसल जिन लोगों की फसलें बर्बाद नहीं होती है उन किसानों को भी इस योजना में पैसे मिल जाते थे, यही वजह है कि फसल बीमा में नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियम के मुताबिक, सिर्फ वही किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है जिसका नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि जिस किसान का नुकसान हुआ है उसे अपने कुछ जरूरी जमीन से जुड़े कागजात भी दिखाने होते हैं। इसके बाद उसे बैंक से भी संपर्क करना होता है तभी कहीं जाकर उसे यह राशि प्राप्त होती है। ये भी पढ़े: फसल बीमा योजना का लाभ लें किसान आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, जिन किसानों के पास क्रेडिट कार्ड है उन्हें फसल बीमा योजना की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे टोल फ्री नंबर 18001030061 पर अपनी फसल की सूचना देनी होती है। इसके अलावा किसान को कृषि विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी देनी होती है, जिसके बाद ही वह फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।
फसल खराब होने पर किसानों को मिली क्षतिपूर्ति, सरकार ने जारी की 3 हजार 500 करोड़ की मुआवजा राशि

फसल खराब होने पर किसानों को मिली क्षतिपूर्ति, सरकार ने जारी की 3 हजार 500 करोड़ की मुआवजा राशि

इस साल भारी बरसात के कारण महाराष्ट्र की फसलों को कई प्रकार का नुकसान हुआ है, जिससे किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि बरसात के साथ-साथ कीटों के भीषण प्रकोप से किसानों की फसलें पूरी तरह से चौपट हो गईं हैं। इसको देखते हुए पिछले कई दिनों से राज्य के किसान, सरकार से फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे थे। अंततः किसानों की यह मांग सरकार तक पहुंच गई है। राज्य के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा है कि मुश्किल की इस घड़ी में सरकार किसानों के साथ खड़ी है। किसानों की परेशानियों को देखते हुए सरकार ने मुआवजा के तौर पर 3 हजार 500 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जो प्रभावी किसानों के बैंक खाते में भेजी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस राशि का वितरण 15 सितम्बर से प्रारम्भ हो चुका है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में इस प्रकार की मुआवजा राशि के वितरण में काफी धांधली हुई थी। लेकिन इस बार राज्य की शिंदे सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है, इसलिए किसानों को हुई क्षति की भरपाई की जा रही है। राज्य सरकार किसानों के लिए मुआवजा राशि जारी करने में पूरी तरह से सक्षम है। इस बीच कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि भीषण बरसात और कीटों के प्रकोप से राज्य में लगभग 27 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में कीटों के हमले से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाली फसल सोयाबीन रही, जिसे कीट खाकर चट कर गए। ऐसे किसान जिनकी फसलों को कीटों ने नुकसान पहुंचाया है, उनके लिए सरकार ने 97 करोड़ रूपये की राशि जारी की है। ये भी पढ़े: किसानों में मचा हड़कंप, केवड़ा रोग के प्रकोप से सोयाबीन की फसल चौपट इस राशि को सहायता राशि के तौर पर किसानों के बीच वितरित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, सभी जिला अधिकारियों ने किसानों का पैसा उनके बैंक खातों में ऑनलाइन माध्यम से ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है, जो जल्द ही किसानों को मिल जाएगा। उनकी सरकार किसानों के खातिर केंद्र सरकार से ऑनलाइन ई-पीक निरीक्षण में बदलाव करने की मांग भी करेगी। सत्तार ने एकनाथ शिंदे सरकार को किसानों का हितैषी बताया, साथ ही कहा कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस किसानों की सभी प्रकार की समस्याएं सुलझाने में सक्षम हैं। इस बार की खरीफ फसल के दौरान हुई बरसात ने किसानों की फसलों में भारी नुकसान पहुंचाया है, रही सही कसर घोंघों ने पूरी कर दी है। घोंघों ने भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसके कारण राज्य में फसलें चौपट हो गईं हैं। अगर हम हम फसलों के नुकसान का जिलेवार आंकलन करें तो सबसे ज्यादा नुकसान लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिलों में उगाई गई फसलों को हुआ है। इन जिलों में फसलों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है। एक तो पहले ज्यादा बरसात की वजह से यहां की फसलें चौपट हो गईं हैं, बाकी रही सही कसर घोंघों ने पूरी कर दी है। इन जिलों में किसानों की स्थित को देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इन 3 जिलों के लिए 98 करोड़ 58 लाख रुपये की मुआवजा राशि जारी की है, जिसे यहां के प्रभावित किसानों के बीच वितरित किया जा रहा है ताकि नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई की जा सके। इसके साथ ही कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार राज्य में प्रगति लाने के लिए आधुनिक कृषि पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि राज्य के किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्रों से अवगत करवाया जा सके। इससे फायदा यह होगा कि किसान कम समय में, कम लागत के साथ ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर पाएंगे, जिससे किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होगी। ये भी पढ़े: खेती-किसानी के हर क्षेत्र में कृषि उपकरण उपलब्ध करा रही परफुरा टेक्नोलॉजीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड मुख्यमंत्री का प्रयास है कि जो भी किसान आधुनिक कृषि को अपनाएं वो अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती के महत्व को समझाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस प्रकार खेती करके लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा, सरकार इस बात का पूरा प्रयास कर रही है कि आधुनिक कृषि यंत्रों की जानकारी गांव के अंतिम किसान तक पहुंचे, ताकि हर किसान इस तरह के कृषि यंत्रों और तकनीक से लाभान्वित हो सके, जिससे किसानों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ ही उनकी आय में भी वृद्धि हो और राज्य का किसान खुश रहे।
महाराष्ट्र में भारी बरसात की वजह से फसलें हुईं नष्ट, किसानों की बढ़ी परेशानी

महाराष्ट्र में भारी बरसात की वजह से फसलें हुईं नष्ट, किसानों की बढ़ी परेशानी

इस साल महाराष्ट्र में बहुत ज्यादा बरसात हुई है, जिससे राज्य के किसानों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार बरस रहे पानी की वजह से इन दिनों नदी नाले उफान पर हैं, जिससे किसान अपने खेतों में समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं और फसलों में समय पर खाद देने का काम नहीं हो पा रहा। इसके साथ ही फसलों की निराई गुड़ाई में भी लगातार हो रही वर्षा की वजह से देरी हो रही है, जिससे खेतों खरपतवार की समस्या बढ़ती जा रही है। खेतों में पानी जमा होने के कारण फसलों के सड़ने का ख़तरा बढ़ गया है। इस समस्या से निजात पाने के लिए राज्य के राज्य के कृषक लगातार मेहनत कर रहे हैं ताकि अपनी खेती को इस आपदा से बचा पाएं। लेकिन इसके बावजूद कृषकों की चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही है। राज्य के धुले जिले में हुई बेहिसाब वर्षा के कारण कई फसलें अब भी पानी में डूबी हुई हैं, जिससे जिले के किसानों को फसलों के सड़ने की चिंता सता रही है। साथ ही बहुत सारे किसानों की कपास, मक्का, बजरी, मूंग, उड़द और मिर्च की फसलें पूरी तरह से नष्ट भी हो गईं हैं। निश्चित तौर पर इसका असर उत्पादन पर पडेगा। अगर इस तरह से चलता रहा तो इस साल खरीफ के उत्पादन में भारी कमी आ सकती है। ये भी पढ़े: किसानों के लिए खुशी की खबर, अब अरहर, मूंग व उड़द के बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी फसल सड़ने के अलावा खेती करने वाले लोग एक अन्य समस्या से जूझ रहे हैं। दरअसल खेत में जल जमाव के कारण फसल में पीलापन आ जाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। ज्यादा वर्षा के कारण धुले जिले में मिर्च की फसल पूरी तरह से सड़ चुकी है। एक के बाद एक फसल के सड़ने के बाद खेती करने वालों के लिए एक मुसीबत ख़ड़ी हो गई है, क्योंकि फसल सड़ने के बाद किसानों को लम्बा घाटा झेलना पड़ता है। कई बार उनके द्वारा खेत में डाला गया बीज भी वापस नहीं हो पाता। जुताई, बुवाई, खाद और मजदूरी का पैसा अतिरिक्त है, जो फसल सड़ने के कारण किसान को बिना किसी फायदे के वहन करना होता है। राज्य में अगर बरसात की बात करें तो कुछ फसलों को इससे फायदा भी हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बहुत सारी फसलों को इससे घाटा हो रहा है। जिन फसलों में पानी की ज्यादा जरुरत होती है वो फसलें इस बरसात का जमकर लाभ उठा रही हैं और ऐसी फसलें अब भी खेतों में लहलहा रही हैं। ऐसी फसलों में बढ़िया उत्पादन होने की संभावना है, जिससे खेती करने वाले लोगों का घाटा कुछ हद तक बैलेंस हो सकता है। वहीं दूसरी ओर जिन कृषकों ने पानी वाली फ़सलों की बुवाई नहीं की है, उनके लिए इस तरह की बारिश एक बड़ा घाटा देकर जाएगी, जिससे किसान बेहद चिंतित हैं। ये भी पढ़े: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें राज्य में फिर से तेज बारिश का अंदेशा जताया जा रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस माह भी महाराष्ट्र में जमकर बरसात होने की संभावना है, जिससे किसानों की बची खुची फसल भी चौपट हो सकती है। लगातार हो रही बरसात के कारण खेती करने वाले लोग संकट महसूस कर रहे हैं। इसलिए किसानों ने सरकार से भीषण वर्षा के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। इसको लेकर कई किसान समूह सरकार के सामने अपनी मांग रख रहे हैं ताकि कृषकों की खराब हुई फसल का मुआवजा मिल सके। फिलहाल राज्य में मुंबई के साथ ठाणे, पुणे, नासिक जिले में भारी बरसात हो रही है, जिससे चारों तरफ पानी ही पानी नज़र आ रहा है। इसके अतिरिक्त पालघर, नासिक, रायगढ़, रत्नागिरी जिलों में भी जमकर बरसात हुई है। भारी बरसात की संभावना को देखते हुए किसानों से सतर्क रहने की अपील की गई है। राज्य के किसान पानी से होने वाले नुकसान से बचने के लिए अपने खेतों में पानी को जमा होने से रोकें। इसके लिए वो खेत की मेड़ काटकर नाली बना सकते हैं, जिससे वर्षा का पानी खेत निकल जाए। इससे कड़ी फसल को सड़ने से रोका जा सकता है।
बिहार सरकार छठ पूजा से पहले देगी सूखा से प्रभावित किसान परिवार को ३५०० रुपये की आर्थिक सहायता

बिहार सरकार छठ पूजा से पहले देगी सूखा से प्रभावित किसान परिवार को ३५०० रुपये की आर्थिक सहायता

छठ पूजा से पूर्व बिहार सरकार ने सूखाग्रस्त परिवारों की 500 करोड़ रुपये धनराशि देकर सहायता करने का बिगुल बजा दिया है। सूखाग्रस्त प्रत्येक किसान परिवारों को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता मुहैय्या कराई जाएगी। देश व प्रदेश अत्यधिक बारिश, सूखा एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बहुत प्रभावित हुआ है, जिसकी वजह से किसानों की आजीविका को खतरा और बहुत नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की करोड़ों रुपये की फसल चौपट हो चुकी है। मूसलाधार बारिश के कारण किसानों को हुए बेहद नुकसान से राहत दिलाने के लिए बिहार सरकार आर्थिक सहायता कर रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, सहित समस्त राज्य सरकारें फसल मुआवजा एवं केंद्र की योजनाओं के चलते किसानों को बीमा की धनराशि प्रदान करने में सहायता कर रही हैं। इसी क्रम में बिहार सरकार भी किसानों की सहायता के लिए कदम उठा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री ने सूखाग्रस्त किसानों की मदद करने का एलान किया है। बिहार राज्य के मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर एवं भूमिगत स्तर पर घूमकर फसल में हुई हानि का मुआयना किया था। बिहार के समस्त जनपदों की जमीनी सच्चाई को देखा है, जिसके अंतर्गत 11 जनपद ऐसे हैं , जो कि काफी हद तक सूखाग्रस्त हो चुके हैं। सभी जनपदों का मुआयना करने के उपरांत जनपदों की 937 पंचायतों को गंभीर रूप से सूखाग्रस्त माना गया है।


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बिहार सरकार देगी हर सूखाग्रस्त किसान परिवार को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता

बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक सूखाग्रस्त परिवार को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता मुहैय्या कराई जायेगी। इसी के चलते राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये की धनराशि डाल दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने समस्त जनपदों के डीएम एवं सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि छठ पूजा से पूर्व किसी भी हालत में सूखाग्रस्त किसान परिवारों के खाते में आर्थिक सहायता की धनराशि शीघ्रता से पहुँच जानी चाहिए, जिसके लिए सम्बंधित अधिकारी एवं कर्मचारी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। बिहार राज्य के मुख्यमत्री नीतीश कुमार जी का सख्त आदेश है कि कोई भी पीड़ित किसान आर्थिक सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए। किसान द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत होने के उपरांत सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

तमिलनाडू राज्य सरकार द्वारा 481 करोड़ की किसानों को दी गयी आर्थिक सहायता

तमिलनाडू राज्य सरकार द्वारा 4.43 लाख किसानों को 481 करोड़ रुपये की किसानों को आर्थिक सहायता दी गयी है। पत्रकारों के माध्यम से बताया गया है कि तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा साल 2021-22 के लिए तमिलनाडु के 4.43 लाख पीड़ित किसानों की फसल सुरक्षा के लिए 481 करोड़ रुपये धनराशि का फसल बीमा क्लेम पारित हो चुका है। साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा प्रारंभिक वित्त वर्ष के लिए फसल बीमा योजना को राज्य अनुदान के तहत 2,057 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की है। राज्य सरकार साल 2021- 22 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की भरपूर सहायता करने का कार्य कर रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक सहायता करने से किसानों को काफी हद तक राहत मिलेगी एवं राज्य की अर्थव्यवस्था भी अच्छी होगी।
महाराष्ट्र में रबी की फसलों की बुवाई को लेकर चिंतित किसान, नहीं मिल पाया अब तक मुआवजा

महाराष्ट्र में रबी की फसलों की बुवाई को लेकर चिंतित किसान, नहीं मिल पाया अब तक मुआवजा

महाराष्ट्र के नांदेड़ जनपद में मूसलाधार बारिश के कहर से करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि में सोयाबीन की फसल नष्ट हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा मुआवजे के रूप में मिलने वाली आर्थिक सहायता में विलंब होने के चलते किसानों को रबी सीजन की फसलों की बुवाई करने हेतु आर्थिक संकटों से जूझना पड़ रहा है। किसान इधर उधर से कर्ज लेकर रबी सीजन की बुवाई हेतु खाद एवं बीज की व्यवस्था कर रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ जनपद में पुनः अत्यधिक बरसात से किसान गंभीर रूप से प्रभावित हो चुके हैं। किसानों की पकी पकायी फसल बर्बाद चुकी है। किसानों द्वारा बताया गया है कि महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है। साथ ही, रबी सीजन का समय भी आरम्भ हो चुका है। इस वजह से उनको बेहद आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में रबी फसलों की बुवाई करना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण है। राज्य के कुछ जनपदों में अब तक फसलों में हुई बर्बादी का पंचनामा भी नहीं हो पाया है। महाराष्ट्र के भंडारा जनपद में तो मजबूरी में किसान धान को बेहद न्यूनतम भाव में बेच रबी सीजन की फसलों की बुवाई हेतु बीज खरीद रहे हैं। बतादें कि मराठवाड़ा में सर्वाधिक सोयाबीन का उत्पादन किया जाता है। मराठवाड़ा के किसान पूर्णतया सोयाबीन की फसल पर निर्भर रहते हैं।

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लातूर निवासी किसान अंकित थोराट ने क्या कहा है ?

महाराष्ट्र राज्य के लातूर जनपद निवासी अंकित थोराट का कहना है, कि उनके द्वारा स्वयं की दो एकड़ भूमि में सोयाबीन की फसल की गयी। लेकिन पैदावार लेने से पूर्व ही आपदा के रूप में आयी प्रचंड बारिश ने उनकी फसल को बुरी तरह चौपट कर दिया। फसल बर्बाद होने के बाद भी अब तक उनको कोई आर्थिक सहायता नहीं प्राप्त हो पायी है। इस वजह से उनको रबी फसल की तैयारी करने में बहुत परेशानी हो रही है, क्योंकि वह पूर्णतया कृषि पर ही निर्भर रहते थे। हालाँकि महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार जी ने कहा यदि आवश्यकता हुई तो केंद्र सरकार से भी सहायता लेंगे। साथ ही, किसानों की अतिशीघ्र सहायता करने का पूरा प्रयास करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालकों को दिया मुआवजा, लगभग 98% हुआ टीकाकरण

महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालकों को दिया मुआवजा, लगभग 98% हुआ टीकाकरण

कोरोना महामारी से अभी पूर्ण रुप से निजात मिला ही नहीं था तब तक एक नया महामारी जो पशुओं के लिए काफी घातक साबित हो रहा है, वह है लंपी स्किन रोग (‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी ; LSD - Lumpy Skin Disease), विगत कुछ महीने के यह रोग भारत के कई राज्यों में फैल चुका है। आपको यह जान कर हैरानी होगी की इन्ही राज्यों में है महाराष्ट्र, जहाँ के 33 के करीब जिलों में इस रोग से संक्रमित पशु देखे गए हैं। आपको बता दें की इस रोग के कारण यहां के पशुपालक भी काफी चिंतित थे। लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार ने इन पशुओं के लिए काफी व्यवस्था की जिससे कुल 1 लाख 73 हजार 528 पशु में से 1 लाख 12 हजार पशु ठीक हो चुके हैं। गौरतलब हो की महाराष्ट्र सरकार ने टीकाकरण का रफ्तार बढ़ा दिया है और आपको जान कर हैरानी होगी की अब तक महाराष्ट्र में 97% टीकाकरण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इस टीकाकरण को सफल बनाने के लिए बहुत सारे निजी संगठन, दुग्ध संघ और पशुपालकों ने भी अपना अहम योगदान दिया है। पशुपालन विभाग के द्वारा बचे हुए पशुओं का भी टीकाकरण जल्द ही पूरा कर लेने की बात की है।

राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन

महाराष्ट्र सरकार ने लंपी स्किन रोग से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसका कमान पशुपालन आयुक्त, पुणे को सौंप दिया है। इस टास्क फोर्स के अंदर राज्य के 12 लोग को शामिल किए हैं, जिनको पशुपालन विभाग के अधिकारियों और इन रोग के टिका उत्पादकों के साथ बातचीत के लिए अधिकृत किया है।


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महाराष्ट्र सरकार का पशुपालकों के लिए अनोखा पहल

महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालकों के लिए एक राहत का ऐलान किया है, जिसमें उनके द्वारा कहा गया है जान गँवाने वाले प्रति गाय के लिए 30 हजार रुपए और बैल के लिए 25 हजार रुपए दिया जायेगा। इसके अलावा मरने वाले प्रति बछड़े के लिए 16 हजार रुपए दिया गया है। आपको बता दें की इस मुवाजा का पशुपालकों को काफी लंबे समय से इंतजार था, जिससे पशुपालक को काफी सहयोग एवम सहूलियत मिला है। जानकारी के मुताबिक अब तक इस रोग से मरने वाले पशुओं के लगभग 3100 पशुपालकों के लिए उनके खाते में लगभग 8 करोड़ रुपए सीधे जमा किए गए हैं। गौरतलब हो की इस लंपी स्किन रोग का मामला इतना बढ़ गया है की सभी अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है । पशुपालन विभाग ने सभी प्रजनकों को भी पशुओं का टीकाकरण कराने की अपील की है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र के बहुत सारे राज्यों को लगभग 141 लाख टीके दिए गए हैं। आपको बता दें कि महाराष्ट्र के लगभग 13 जिलों में टीकाकरण का काम पूरा कर लिया गया है, जिसमे अहमदनगर, धुले, अकोला, बीड, कोल्हापुर, सोलापुर आदि अन्य जिले भी शामिल हैं। अब तक लगभग 98% प्रतिशत गोजातीय पशुओं का टीकाकरण हो जाएगा. जानकारी के लिए लंपी स्किन रोग का पहला मामला जलगांव में अगस्त के महीने में 4 तारीख को आया था।
ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

भारत की विभिन्न जगहों पर ठंड एवं पाला वर्तमान स्थिति में भी फसलों को काफी प्रभावित कर रहा है। हरियाणा राज्य के विभिन्न जनपदों में टमाटर, बैंगन, मटर जैसी बाकी फसलों को भी हानि पहुंचा रहा है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा खेती किसानी करने वालों को सतर्कता एवं सावधानी बरतने की सलाह देदी है। भारत के विभिन्न स्थानों में फिलहाल भी प्रचंड कड़ाके की सर्दी पड़ी हुई है। हालांकि, कुछ प्रदेशों में विगत थोड़े समय से मौसम में नरमी अवश्य आई है। लेकिन विशेषज्ञों ने बताया है, कि फिलहाल जनवरी का माह चल रहा है। किसान इस धोखे में कतई ना रहें कि ठंड निकल गई हैं। किसानों को फसलों के संरक्षण हेतु सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ ही, पाले से संरक्षण हेतु आवश्यक इंतजाम करते रहें। वहीं, जिन राज्यों में पाले का असर फिलहाल भी देखने को मिल रहा है। पाले के आक्रमण से फसलों की जान खतरे में आनी आरंभ हो गई है।

हरियाणा राज्य में बागवानी फसलों को काफी हानि

हरियाणा के रोहतक में निरंतर पड़ रहे पाले का असर फसलों पर देखने को मिल रहा है। एकमात्र कनीना में ही लगभग 52 एकड़ में उत्पादित की जाने वाली टमाटर की फसल को 60 से 90 फीसद तक हानि होने की आशंका व्यक्त की है। यहां 15 से 18 जनवरी माह तक भयंकर पाला पड़ा है। इसका प्रभाव फिलहाल टमाटर, बैंगन, आलू, मटर एवं बेल वाली सब्जियों पर दिखाई दे रहा है। यह सब्जियां आहिस्ते-आहिस्ते सूखती जा रही हैं। इसके अतिरिक्त हिसार में मटर, आलू, टमाटर की लगभग 300 एकड़ फसल पाले से प्रभावित हुई है। किसानों ने राज्य सरकार से आर्थिक सहायता की मांग व्यक्त की है। किसानों ने बताया है, कि सर्दी और पाले की वजह से मटर व टमाटर की फसल की उन्नति एवं प्रगति थम गई। इससे टमाटर की फसल उत्पादन में भारी कमी आएगी।
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केवल इस फसल के लिए ठंड़ लाभकारी साबित होती है

विशेषज्ञों के बताने के अनुसार, ज्यादा सर्दी का फायदा सामान्यतः गेहूं की फसल पर अधिक देखने को मिलता है। गेहूं की फसल इस मौसम में तीव्रता से विकास करती है। वहीं, सर्दी अगर साधारण है, तब यह टमाटर, आलू, सरसों, मटर सहित समस्त फसलों हेतु लाभकारी भूमिका निभाती है। इस मौसम के अंदर बेहतरीन उत्पादन भी हो जाता है। परंतु, पाला अत्यधिक पड़ने की स्थिति में सब्जी, बागवानी फसलों को ज्यादा हानि होती है।

किसान अपनी फसल की सुरक्षा हेतु सतर्क और सावधान रहें

पाले से फसलों को बाचव के लिए लो टनल, शेड नेट, सरकंडे का उपयोग कर सकते हैं। फसलों व सब्जियों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। खेत के उत्तर-पश्चिम छोर पर रात के समय थोड़ा धुआं कर देना चाहिए। सांद्र गंधक का अम्ल 0.1 फीसद मतलब 1 मिलीलीटर 1 लीटर जल के अंदर इसके अतिरिक्त घुलन-शील गंधक 0.2 फीसद 2 ग्राम प्रति लीटर जल में अथवा थायो यूरिया (Urea) 500 पीपीएम 0.5 ग्राम प्रति लीटर जल में का घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए। अगर ठंड़ और पाला ज्यादा समय तक बना रहे, तो छिड़काव प्रत्येक 15 दिन के अंदर करना काफी जरूरी है।

फसलों में हुए नुकसान को लेकर हरियाणा के किसान सड़कों पर

फसल को सर्दी और पाले से हुए भारी नुकसान से परेशान किसानों ने हरियाणा सरकार से फसल का मुआवजा देने के लिए धरना प्रदर्शन किया है। भारत के किसान विगत साल से कई सारी प्राकृतिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अब अत्यधिक ठंड़ और पाले की वजह से किसानों की विभिन्न फसलें प्रभावित हो चुकी हैं। इसलिए किसान निराशा की स्थिति में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

सरकार किसानों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चल रही है, जिनका फायदा उठाकर किसानों का आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है। अब मध्यम एवं छोटे किसान भी सरकार से मिलने वाली सहायता के कारण बिना किसी चिंता और परेशानी के खेती कर पा रहे हैं। ऐसी ही हम आपको एक योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अभी तक लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। इस योजना को 'किसान क्रेडिट कार्ड योजना' के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले साल 1998 में की गई थी। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बेहद आसानी से कृषि कार्यों के लिए लोन मिल जाता है, जिससे किसानों को खाद बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं होती। इसके साथ ही अगर किसान ने KCC लिया हुआ है तो प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने की स्थिति में भी किसानों को बड़ी राहत प्रदान की जाती है।

ऐसे लें KCC लोन

इस योजना में किसानों को नकद पैसे न देकर क्रेडिट कार्ड पर लोन दिया जाता है। जिससे किसान खेती के लिए कृषि यंत्रों सहित अन्य जरूरी समान की खरीदी समय पर कर पाएं। नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले बैंक इस योजना के तहत किसानों को लोन मुहैया करवाते हैं। जो बेहद रियायती दरों पर होता है। इससे किसान साहूकारों और महाजनों के कर्ज के जाल में फंसने से बच जाते हैं। ये भी पढ़े: सरकार ने बढ़ाई KCC की लिमिट, अब 1 लाख नहीं बल्कि इतना मिलेगा लोन इस कार्ड के अंतर्गत लोन लेने के बाद किसान को एक साल के भीतर लोन चुकता करना होता है। लोन चुकता करने के लिए किसानों के साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है।

इतने रुपये का मिलता है लोन

KCC के अंतर्गत बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक का लोन मुहैया करवाया जाता है। इसके लिए किसान को बैंक में किसी भी प्रकार की जमानत नहीं रखनी होती है। इसके अलावा बैंक 5 साल के लिए 3 लाख रुपये का अल्पकालिक लोन भी देते हैं। इसके लिए किसान को बैंक में कुछ न कुछ जमानत रखनी होती है। क्रेडिट कार्ड जारी करने के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा लोन जारी कर दिया जाता है।

फसल बर्बाद होने पर किसानों को ऐसे मिलता है प्रोटेक्शन

जब बैंक किसानों को लोन जारी करता है तब सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किसान की फसलों को इश्योरेंस कवरेज भी दिया जाता है। अगर किसान की फसल कीटों से प्रभावित होती है या किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होती है तो किसान अपना इश्योरेंस क्लेम कर सकता है। इन दिनों देश में प्राकृतिक आपदा के कारण बड़े स्तर पर फसलें प्रभावित हुई हैं। ऐसे में जिन भी किसानों ने KCC के माध्यम से लोन लिया होगा, वो बेहद आसानी से अपनी नष्ट हुई फसल के लिए इश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं।
बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल पर किसानों को मिलेगा 15,000 रुपये का मुआवजा

बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल पर किसानों को मिलेगा 15,000 रुपये का मुआवजा

इस साल देश में मार्च के महीने में जमकर बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि हुई है। जिसके कारण किसानों का जमकर नुकसान हुआ है। फसलें खेतों में बिछ गई थीं और बहुत सारी फसलें सड़कर खराब हो गई थीं। इसको देखते हुए अब हरियाणा की सरकार किसानों को मुआवजा देने जा रही है। हरियाणा की सरकार ने दोबारा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया है ताकि जिन भी किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है वो फिर से मुआवजे की मांग कर सकें। इसके साथ ही राज्य सरकार ने राज्य के अलग-अलग इलाकों में फसल नुकसान के आंकलन के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश जारी किए हैं। साथ ही सरकार ने किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा है। हरियाणा के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली तैयार की गई है। जिसके आधार पर नुकसान के आकलन और सत्यापन के बाद किसानों राहत प्रदान की जाएगी। गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद मई के महीने के अंत तक किसानों को हुए नुकसान की भरपाई कर दी जाएगी। ये भी पढ़े: तेज बारिश और ओलों ने गेहूं की पूरी फसल को यहां कर दिया है बर्बाद, किसान कर रहे हैं मुआवजे की मांग अधिकारियों ने बताया है कि जिन किसानों की फसलों का बीमा नहीं था, उन किसानों की फसलों का 75 फीसदी नुकसान होने पर प्रति एकड़ 15 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही जिन फसलों को 50 से 75 फीसदी तक नुकसान हुआ है उनको 12 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही जिन किसानों की फसलों का बीमा है उनके नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी। इसके लिए किसान को नुकसान की जानकारी बीमा कंपनी को मुहैया करवानी होगी। फसल कटाई एक बाद खेत में सुखाने के लिए रखी हुई फसल का भी नुकसान होता है तो उसकी भरपाई भी बीमा कंपनी करेगी।
इस राज्य में केंद्र से आई टीम ने गुणवत्ता प्रभावित गेंहू का निरीक्षण किया

इस राज्य में केंद्र से आई टीम ने गुणवत्ता प्रभावित गेंहू का निरीक्षण किया

जैसा कि हम जानते हैं, कि मार्च माह में देश के उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत बहुत सारे राज्यों में ओलावृष्टि सहित वर्षा हुई थी। इसकी वजह से लाखों हेक्टेयर के रकबे में खड़ी रबी फसल को काफी क्षति पहुंची है। अब उत्तर प्रदेश के कृषकों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उनको भी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों के समरूप ही गेहूं खरीद में ढिलाई दी जा सकती है। दरअसल, इसके लिए यूपी के किसान भाइयों को थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। दरअसल, फसल क्षतिग्रस्त का अंदाजा लगाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से यूपी में कुछ टीमें भेजकर खेतों में हुई फसल हानि का आकलन कराया जा रहा है। उसके बाद यह टीमें सरकार के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी, जिसके उपरांत एमएसपी की घोषणा की करदी जाएगी। इसके साथ ही गेहूं खरीद में भी राहत प्रदान करने हेतु मानक निर्धारित किए जाएंगे। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से सोमवार को ही अपनी कई टीमों को उत्तर प्रदेश के कुछ जनपद में भेजी गई हैं। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, इन टीमों के अंतर्गत डिप्टी सेक्रेटरी के समेत बहुत सारे अधिकारी शम्मिलित हैं। यह टीमें खेतों में पहुँच कर गेहूं की फसल में हुई क्षति का आकलन करके अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रदान करेगी। इसके आधार पर मंत्रालय किसानों से गेहूं की खरीदारी करने के लिए मानक निर्धारित करेगा।

सर्वेक्षण के लिए उत्तर प्रदेश भेजी गई टीमें

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, विगत शनिवार को ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एमएसपी पर गेहूं की खरीद चालू करने की मांग केंद्र से की थी। इसके चलते उसने केंद्र द्वारा गेहूं खरीद में एमएसपी को लेकर मानक भी निर्धारित करने को कहा था। यही कारण है, कि केंद्र सरकार को अतिशीघ्र फसल हानि का आकलन करने हेतु उत्तर प्रदेश में अपनी टीमें भेजनी पड़ी हैं। यह भी पढ़ें: गेहूं की फसल बारिश और ओले के अलावा इस वजह से भी होगी प्रभावित दरअसल, मार्च के माह में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में ओलावृष्टि के साथ-साथ बारिश हुई थी। इससे लाखों हेक्टेयर भूमि के रकबे में खड़ी रबी फसल को काफी हानि हुई है। विशेष रूप से गेहूं की फसल को सर्वाधिक हानि पहुँची है। राजस्थान राज्य में 3 लाख हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल को बेमौसम बारिश से काफी हानि पहुंची है। इसकी वजह से गेहूं की गुणवत्ता भी काफी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहू खरीद के नियमों में ढील प्रदान की गई है।

एमएसपी में कितने रुपए की कटौती की जाएगी

मतलब कि इन राज्यों में बारिश से गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को भी एमएसपी पर खरीदा जाएगा। यदि इन तीनों प्रदेशों में गेहूं के दाने 6 फीसद से कम टूटे हुए मिलते हैं, उस स्थिति में एमएसपी में किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं की जाएगी। यदि गेहूं के दाने 16 से 18 प्रतिशत के मध्य बेकार मिलते हैं, तब एमएसपी में 31.87 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कटौती की जाएगी।

गुणवत्ता प्रभावित गेंहू के लिए मानक भी निर्धारित किए गए

इन सब बातों का सीधा सा मतलब है, कि रिपोर्ट पेश होने के उपरांत उत्तर प्रदेश के लिए भी केंद्र सरकार गेहूं खरीद के नियमों में ढ़िलाई प्रदान कर सकती है। इसके उपरांत यहां के किसान भाई भी पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को तय मानक के अनुरूप बेच सकते हैं। जानकारी के लिए आपको बतादें, कि केंद्र सरकार की तरफ से किसानों की दिक्कतों को कम करने हेतु खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की भी खरीद करने हेतु सरकारी एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, इसके लिए मानक भी निर्धारित कर दिए गए हैं।
इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बिहार सरकार की तरफ से निरंतर कृषकों के फायदे में कदम उठा रही है। हाल ही में राज्य के किसानों को 810 करोड़ रुपये फसल बीमा हेतु जारी किए जाएंगे। इससे कृषकों को आर्थिक तौर पर सहायता मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार किसानों को सहूलियत देने का कार्य कर रही हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और बाढ़ में फसल तबाह होेने पर किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाता है। किसान भाइयों को अनुदान पर बीज मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, बहुत सारी मशीनों पर भी भारी छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त भी कृषकों को यंत्रों की खरीद करने पर भी भारी राहत मुहैय्या कराई जाती है। हाल ही में बिहार सरकार की तरफ से किसानों के हित में कदम उठाए गए हैं। किसानों को हुए फसलीय नुकसान के बदले में किसानों को राहत देनी चालू कर दी गई है। राज्य सरकार के सहयोग से बीमा कंपनियां कृषकों को फसल बीमा प्रदान कर रही हैं।

कितने लाख कृषकों को जारी किए जाएंगे 810 करोड़ रुपये

कृषि मंत्री की ओर से सूखा प्रभावित क्षेत्र के कृषकों के लिए बड़ी सहूलियत प्रदान की गई है। झारखंड में 683922 किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा प्रदान किया जाएगा। जिसके लिए पूरा खाका राज्य सरकार की तरफ से खींच लिया गया है। लगभग 810 करोड़ रुपये की बीमित धनराशि कृषकों को मुहैय्या कराई जाएगी। साल 2018-19 में किसानों द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन की फसलों हेतु बीमा करवाया था। किसानों को बेहद फसलीय हानि हुई थी। अब इन कृषकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जानी है। यह भी पढ़ें : जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

राज्य सरकार द्वारा 362 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

किसानों को बकाया भुगतान करने के मामले में राज्य सरकार काफी सजग है। वर्तमान में राज्य सरकार के अधिकारियों एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों के मध्य किसानों को बीमा भुगतान करने के लिए बैठक हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से कंपनियों को 362.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसके उपरांत से ही कंपनियों द्वारा कृषकों को भुगतान करने की कवायद जारी कर दी है।

किसानों को समय से ही धनराशि प्रदान की जा रही है

राज्य सरकार द्वारा कृषकों का समयानुसार भुगतान किया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है, कि अब तक सरकार की तरफ से बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान हो जाता था। लेकिन किसान भाईयों को धनराशि प्राप्त नहीं हो पाती थी। इसमें बहुत सारी तकनीकी समस्याएं देखने को मिलीं। अब राज्य सरकार की तरफ से राज्यांश की धनराशि प्रदान करनी समाप्त कर दी है। साथ ही, बीमा कंपनियों के समक्ष यह शर्त रखी गई है, कि जब तक बीमा कंपनियां यह लिखित में नहीं देंगी कि किसानों को बीमा भुगतान किया जाएगा, तबतक राज्यांश नहीं दिया जाएगा।