मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम के बाद अब कांगड़ा चाय को मिला GI टैग

By: MeriKheti
Published on: 04-Apr-2023

चाय की मांग देश के साथ साथ विदेशों तक हो रही है। भारत के हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय विदेशों तक प्रसिद्ध हो गई है। कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ के जरिए जीआई (GI) टैग हांसिल हुआ है। अब इसकी वजह से यूरोपीय संघ देशों में कांगड़ा चाय को अच्छी खासी प्रसिद्धि मिली है। आजकल केवल राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पाद अपना परचम लहरा रहे हैं। देश के संतरा, चावल, आम, सेब और गेंहू के अतिरिक्त बहुत सी अन्य फल सब्जियों को विदेशी पटल पर पसंद किया जाता है। दार्जिलिंग की चाय भी बेहद मशहूर होती है। फिलहाल, हिमाचल प्रदेश की चाय ने विदेशों में भी अपनी अदा दिखा रही है। कांगड़ा की चाय अपनी एक पहचान बना रही है। बतादें कि हिमाचल की कांगड़ा चाय को विदेश से जीआई (GI) टैग मिला है। इससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि हिमाचल की कौन सी चाय को जीआई टैग मिला है.

मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम के बाद अब कांगड़ा चाय को मिला जीआई टैग

हाल ही में मुरैना की गजक एवं रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल गया है। फिलहाल, विदेश से हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिला है। यूरोपीय संघ के स्तर से कांगड़ा चाय को जीआई टैग दिया गया है। इसका यह लाभ हुआ है, कि कांगड़ा की चाय को भारत के अतिरिक्त विदेश मेें भी अच्छी पहचान स्थापित करने मेें सहायता मिलेगी। विदेशों तक इसकी मांग बढ़ने से इसकी खपत भी ज्यादा होगी। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो जाएगी।

हिमाचल की कांगड़ा चाय को किस वर्ष में मिला इंडियन जीआई टैग

आपको बतादें कि असम और दार्जलिंग में बहुत बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में भी बड़े इलाके में चाय की खेती की जाती है। हिमाचल में चाय की खेती ने वर्ष 1999 में काफी तेजी से रफ्तार पकड़ी थी। बढ़ते उत्पादन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2005 में इसको भारतीय जीआई टैग प्राप्त हुआ है। बतादें, कि चाय की खेती समुद्री तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है।

इसमें भरपूर मात्रा पोषक तत्व पाए जाते हैं

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय में पोषक तत्वों की प्रचूर मात्रा पाई जाती है। बतादें, कि इसकी पत्तियों में लगभग 3 प्रतिशत कैफीन, अमीनो एसिड और 13 फीसद कैटेचिन मौजूद रहती है। जो कि मस्तिष्क को आराम पहुँचाने का कार्य करती है। खबरों के अनुसार, कांगड़ा घाटी में ऊलोंग, काली और सफेद चाय का उत्पादन किया जाता है। धौलाधार पर्वत श्रृंखला में बहुत से जगहों पर भी कांगड़ा चाय उगाई जाती है। ये भी पढ़े: किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग

जीआई टैग का क्या मतलब होता है

किसी भी राज्य में यदि कोई उत्पाद अपनी अनूठी विशेषता की वजह से देश और दुनिया में अपना परचम लहराने लगे तब भारत सरकार अथवा विदेशी सरकारों द्वारा उसको प्रमाणित किया जाता है। बतादें कि इसको प्रमाणित करने के कार्य को जीआई टैग मतलब कि जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर के नाम से बुलाया जाता है।

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