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कृषकों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए 10 अहम कदम

Published on: 20-Dec-2024
Updated on: 20-Dec-2024

किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी प्रयासों के अत्‍यंत सकारात्मक परिणाम मिले हैं।

इस संबंध में सरकार ने ‘किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई)’ से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए अप्रैल, 2016 में एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया था जिसने इसे हासिल करने के लिए अनेक रणनीतियों की सिफारिश की थी।

इस समिति ने सरकार को 14 खंडों में अपनी अंतिम रिपोर्ट सितंबर, 2018 में सौंपी थी जिसमें विभिन्न नीतियों, सुधारों और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति शामिल थी।

इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समिति ने आय बढ़ाने के निम्नलिखित सात स्रोतों की पहचान की। 

  • फसलों की उत्पादकता में वृद्धि
  • पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि
  • संसाधन के उपयोग में दक्षता - उत्पादन लागत में कमी
  • फसल की सघनता में वृद्धि
  • उच्च मूल्य वाली खेती की ओर विविधीकरण
  • किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना 
  • अधिशेष श्रमबल को कृषि से हटाकर गैर-कृषि पेशों में लगाना

किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति की धारणा निम्नलिखित मुख्‍य सिद्धांतों पर आधारित है:

  • उच्च उत्पादकता हासिल करके कृषि के समस्‍त उप-क्षेत्रों में कुल उत्पादन बढ़ाना
  • उत्पादन लागत को युक्तिसंगत बनाना/घटाना
  • कृषि उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना
  • प्रभावकारी जोखिम प्रबंधन
  • टिकाऊ प्रौद्योगिकियों को अपनाना

इस रणनीति के अनुसार सरकार ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की ज्‍यादा आय सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों, सुधारों, विकासात्मक कार्यक्रमों एवं योजनाओं को अपनाया और लागू किया है। इनमें निम्‍नलिखित शामिल है:

1. बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि

वर्ष 2015-16 में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग सहित) के लिए बजट आवंटन केवल 25460.51 करोड़ रुपये था।

यह 5.44 गुना से अधिक बढ़कर 2022-23 में 1,38,550.93 करोड़ रुपये हो गया है।

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2.  किसानों को पीएम किसान योजना के माध्यम से आर्थिक मदद

2019 में पीएम किसान योजना का शुभारंभ किया गया। यह 6000 रुपये प्रतिवर्ष तीन समान किस्तों में प्रदान करने वाली आय सहायता योजना है।

इसके माध्यम से अब तक लगभग 11.3 करोड़ पात्र किसान परिवारों को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जारी की जा चुकी है।

3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)

छह साल के लिए पीएमएफबीवाई 2016 में किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और कैपिंग के कारण बीमा राशि में कमी की समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

कार्यान्वयन के पिछले 6 वर्षों में 38 करोड़ किसानों के आवेदनों का पंजीकरण किया गया है और 11.73 करोड़ (अनंतिम) से अधिक आवेदक किसानों के दावे प्राप्त हुए हैं।

इस अवधि के दौरान, किसानों द्वारा प्रीमियम के अपने हिस्से के रूप में 25,185 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके लिए उन्हें 1,24,223 करोड़ रुपये (अनंतिम) से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।

इस प्रकार किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावों के रूप में लगभग 493 रुपये का भुगतान किया गया है।

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4. कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण

  • 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 18.5 लाख करोड़ तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को कवर करने पर ध्यान देने के साथ रियायती संस्थागत ऋण प्रदान करने के लिए फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान चलाया गया है। 11.11.2022 तक, इस अभियान के हिस्से के रूप में 376.97 लाख नए केसीसी आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी स्वीकृत क्रेडिट सीमा 4,33,426 करोड़ रुपये है।

5. उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना

  • सरकार ने 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत की वापसी के साथ सभी आवश्यक खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है।
  • धान (सामान्य) के लिए एमएसपी 2013-14 के 1310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2022-23 में 2040 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।
  • गेहूं के लिए एमएसपी 2013-14 में 1400 रुपये प्रति क्विंटल से से बढ़ाकर 2022-23 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।

6. देश में जैविक खेती को बढावा देना

  • देश में जैविक खेती को बढावा देने के लिए वर्ष 2015-16 में परम्‍परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई थी। 32384 क्लस्टर गठित किए गए हैं और 6.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जिससे 16.19 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इसके अतिरिक्‍त नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 123620 हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया और प्राकृतिक खेती के अंतर्गत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया। उत्तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, बिहार और झारखंड के किसानों ने नदी जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ अतिरिक्‍त आय प्राप्त करने के लिए जैविक खेती शुरू की है।
  • सरकार का भारतीय सांस्‍कृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) योजना के माध्यम से सतत प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को बढावा देने का भी प्रस्‍ताव है। प्रस्‍तावित योजना का उद्देश्‍य खेती की लागत में कटौती करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और संसाधन संरक्षण और सुरक्षित एवं स्वस्थ मृदा, पर्यावरण तथा भोजन सुनिश्चित करना है।
  • पूर्वोत्‍तर क्षेत्र जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) शुरू किया गया है। इसके तहत 379 किसान उत्पादक कंपनियों का गठन किया गया है, जिसमें 189039 किसान शामिल हैं और 172966 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।

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7. प्रति बूंद अधिक फसल

प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना वर्ष 2015-16 के में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और उत्पादकता में वृद्धि करना है।

अब तक वर्ष 2015-16 से पीडीएमसी योजना के माध्यम से 69.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।

8. सूक्ष्म सिंचाई कोष

नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये की आरंभिक निधि से एक सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है।

वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में, निधि की राशि को बढ़ाकर 10000 करोड़ रुपये किया जाना है। 17.09 लाख हेक्टेयर के लिए 4710.96 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूर किया गया है।

9. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोत्‍साहन

कृषि कार्यों में अधिकतम निवेश के उद्देश्‍य से 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ नए 10,000 एफपीओ के गठन और प्रोत्‍साहन के लिए लिए माननीय प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी, 2020 को एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की थी। 31.10.2022 तक, 3855 एफपीओ को नई एफपीओ योजना के तहत पंजीकृत किया गया है।

परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया है।

मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 2020-2021 से 2022-2023 तक की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

2020-21 और 2021-22 के दौरान आज तक 139.23 करोड़ रुपये की 114 परियोजनाओं को एनबीएचएम के तहत वित्त पोषण के लिए स्वीकृति/मंजूरी दी गई है।

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10. कृषि यंत्रीकरण

मशीनीकरण कृषि के आधुनिकीकरण और खेती के कार्यों के कठिन परिश्रम को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।

सब्सिडी के आधार पर किसानों को 13,88,314 मशीन और उपकरण प्रदान किए गए हैं।

किसानों को कृषि यंत्र एवं उपकरण किराये पर उपलब्ध कराने के लिये 18,824 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 403 हाई-टेक केन्‍द्र एवं 16,791 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं।

वर्ष 2022-23 में अनुदान पर लगभग 65302 मशीनों के वितरण, 2804 सीएचसी, 12 हाई-टेक केन्‍द्र और 1260 ग्राम स्तरीय फार्म मशीनरी बैंक स्‍थापित करने के लिए अब तक 504.43 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।