किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी प्रयासों के अत्यंत सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
इस संबंध में सरकार ने ‘किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई)’ से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए अप्रैल, 2016 में एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया था जिसने इसे हासिल करने के लिए अनेक रणनीतियों की सिफारिश की थी।
इस समिति ने सरकार को 14 खंडों में अपनी अंतिम रिपोर्ट सितंबर, 2018 में सौंपी थी जिसमें विभिन्न नीतियों, सुधारों और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति शामिल थी।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समिति ने आय बढ़ाने के निम्नलिखित सात स्रोतों की पहचान की।
किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति की धारणा निम्नलिखित मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है:
इस रणनीति के अनुसार सरकार ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की ज्यादा आय सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों, सुधारों, विकासात्मक कार्यक्रमों एवं योजनाओं को अपनाया और लागू किया है। इनमें निम्नलिखित शामिल है:
वर्ष 2015-16 में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग सहित) के लिए बजट आवंटन केवल 25460.51 करोड़ रुपये था।
यह 5.44 गुना से अधिक बढ़कर 2022-23 में 1,38,550.93 करोड़ रुपये हो गया है।
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2019 में पीएम किसान योजना का शुभारंभ किया गया। यह 6000 रुपये प्रतिवर्ष तीन समान किस्तों में प्रदान करने वाली आय सहायता योजना है।
इसके माध्यम से अब तक लगभग 11.3 करोड़ पात्र किसान परिवारों को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जारी की जा चुकी है।
छह साल के लिए पीएमएफबीवाई 2016 में किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और कैपिंग के कारण बीमा राशि में कमी की समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
कार्यान्वयन के पिछले 6 वर्षों में 38 करोड़ किसानों के आवेदनों का पंजीकरण किया गया है और 11.73 करोड़ (अनंतिम) से अधिक आवेदक किसानों के दावे प्राप्त हुए हैं।
इस अवधि के दौरान, किसानों द्वारा प्रीमियम के अपने हिस्से के रूप में 25,185 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके लिए उन्हें 1,24,223 करोड़ रुपये (अनंतिम) से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
इस प्रकार किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावों के रूप में लगभग 493 रुपये का भुगतान किया गया है।
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प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना वर्ष 2015-16 के में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और उत्पादकता में वृद्धि करना है।
अब तक वर्ष 2015-16 से पीडीएमसी योजना के माध्यम से 69.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।
नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये की आरंभिक निधि से एक सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है।
वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में, निधि की राशि को बढ़ाकर 10000 करोड़ रुपये किया जाना है। 17.09 लाख हेक्टेयर के लिए 4710.96 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूर किया गया है।
कृषि कार्यों में अधिकतम निवेश के उद्देश्य से 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ नए 10,000 एफपीओ के गठन और प्रोत्साहन के लिए लिए माननीय प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी, 2020 को एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की थी। 31.10.2022 तक, 3855 एफपीओ को नई एफपीओ योजना के तहत पंजीकृत किया गया है।
परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया है।
मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 2020-2021 से 2022-2023 तक की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
2020-21 और 2021-22 के दौरान आज तक 139.23 करोड़ रुपये की 114 परियोजनाओं को एनबीएचएम के तहत वित्त पोषण के लिए स्वीकृति/मंजूरी दी गई है।
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मशीनीकरण कृषि के आधुनिकीकरण और खेती के कार्यों के कठिन परिश्रम को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
सब्सिडी के आधार पर किसानों को 13,88,314 मशीन और उपकरण प्रदान किए गए हैं।
किसानों को कृषि यंत्र एवं उपकरण किराये पर उपलब्ध कराने के लिये 18,824 कस्टम हायरिंग केन्द्र, 403 हाई-टेक केन्द्र एवं 16,791 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं।
वर्ष 2022-23 में अनुदान पर लगभग 65302 मशीनों के वितरण, 2804 सीएचसी, 12 हाई-टेक केन्द्र और 1260 ग्राम स्तरीय फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए अब तक 504.43 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।