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यूपी के ज्यादातर जिले सूखे की चपेट में लेकिन सूखाग्रस्त नहीं घोषित हुआ प्रदेश

Published on: 29-Aug-2022

भले ही पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश भारी बारिश की चपेट में आकर बाढ़ झेल रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य में इस साल बारिश की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। अगस्त का महीना विदा लेने को है और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अभी सामान्य से बेहद कम बारिश दर्ज की गई, जिसकी वजह से किसान बेहाल हैं और परिस्थितियां सूखे जैसी हो गई हैं। जब कोई क्षेत्र सूखा घोषित होता है तो उसे सरकार मुआवजा देती है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि सूखे के आंकलन को लेकर सरकारी कागजों में अलग ही खेल चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर विश्लेषण सही से किया जाए, तो पता चलेगा कि राज्य के 38 ज़िलों में सामान्य से कम बारिश हुई है जिसकी वजह से वहां के ज्यादातर इलाकों में खरीफ की फसलें नहीं बोई गईं। लेकिन जब बात सरकारी अमले की आती है, तो उन्होंने जिलेवार आंकड़े तो तैयार किए हैं लेकिन ये आंकड़े कहानी कुछ और ही बयां कर रहे हैं।

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यूपी कृषि विभाग का कहना है कि इस बार खरीफ की फसल किसानों ने जमकर बोई और रोपी है। आंकड़ों में ये भी कहा गया है कि 98 प्रतिशत भूमि पर बुवाई और रोपाई का काम पूरा हो चुका है। अब इसी बात के चलते उत्तर प्रदेश में सूखे की घोषणा नहीं की गई है जबकि प्रदेश में सूखे जैसे हालात तो हैं ही। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदेश के 38 जिलों में खरीफ की फसलें बहुत कम बोई या रोपी गई हैं और किसान बदहाल हैं। ऐसे में उन्हें इलाका सूखाग्रस्त घोषित होने से सरकार से कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन अब ये उम्मीदें भी खत्म नजर आ रही हैं। यूपी का इटावा जिला कम बारिश होने से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

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आलम यह है कि यहां किसान बेहद परेशान हैं। लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इटावा जिलें में 50 हजार हेक्टेयर में बुवाई और रोपाई की जानी थी, जिसमें से 43 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। इसके अलावा रोपाई और बुवाई जिन जिलों में नहीं हुई है उनके नाम गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, मुरादाबाद, सोनभद्र, मऊ, सुल्तानपुर, अमेठी और लखनऊ हैं। बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं, जिसकी वजह से सूख चुके धान के खेतों पर कई किसानों ने ट्रैक्टर से जुताई कर दी है। देवरिया के एक किसान ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में धान बोई थी, लेकिन जब बारिश नहीं हुई तो मजबूरी में उन्हें धान लगे खेत को ट्रैक्टर से जोतना पड़ा। वैसे तो ज्यादातर जगहों पर किसानों ने बुवाई या रोपाई की ही नहीं थी, लेकिन जहां की गई वहां की फसलें खराब हो गई हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा इस साल यूपी के अधिकतर इलाकों में 65 प्रतिशत से कम बारिश दर्ज की गई है, जिसकी वजह से धान की फसल पीली होकर सूख गई है। जाहिर है कि किसान इस वजह से बेहद परेशान हैं। ऐसे में अगर प्रदेश सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाता है, तो उन्हें कुछ अनुदान मिल जाएगा और उनकी जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ जाएगी।

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