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अनार की खेती ने जेठाराम की तकदीर बदली, बड़े- बड़े बिजनेसमैन को पीछे छोड़ा

अनार की खेती ने जेठाराम की तकदीर बदली, बड़े- बड़े बिजनेसमैन को पीछे छोड़ा

किसान जेठाराम कोडेचा द्वारा उपजाए गए अनार की सप्लाई दिल्ली, अहमदाबाद, कलकत्ता, बेंगलुरु और मुंबई ही नहीं बल्कि बंग्लादेश में भी हो रही है। इससे वे साल में लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है, कि खेती- किसानी में अब लाभ नहीं रहा। लागत की तुलना में आमदनी बहुत कम हो गई है। बहुत बार तो उचित भाव नहीं मिलने पर किसानों को हानि हो जाती है। परंतु, परिश्रम और नवीन तकनीक के माध्यम से खेती की जाए, तो यही धरती सोना उगलने लगती है। बस इसके लिए आपको थोड़ा धीरज रखना होगा। आज हम राजस्थान के एक ऐसे किसान के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने खेती से बड़े- बड़े व्यवसायियों को लोहा मनवा दिया है। वे खेती से ही लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

अनार की खेती ने बदली जेठाराम की किस्मत

बतादें, कि हम बाड़मेर जिला स्थित भीमडा गांव निवासी जेठाराम कोडेचा के विषय में बात कर रहे हैं। पहले वे पांरपरिक फसलों की खेती करते थे, लेकिन इसमें उन्हें उतनी आमदनी नहीं होती थी। इसके उपरांत उन्होंने खेती करने का तरीका बदल दिया एवं बागवानी शुरू कर दी। वह वर्ष 2016 से अनार की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी तकदीर चमक गई। उनके खेत में उगाए गए अनार की आपूर्ति महाराष्ट्र, कलकत्ता बांग्लादेश तक में हो रही है। 

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जेठाराम ने 15 लाख रुपये का लोन लेकर स्टार्टअप के रूप में अनार की खेती शुरू की थी

विशेष बात यह है, कि वर्ष 2016 में जेठाराम ने 15 लाख रुपये का लोन लेकर स्टार्टअप के रूप में अनार की खेती शुरू की थी। इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के नाशिक से अनार की उन्नत किस्म के 4 हजार पौधे मंगवाए थे। इसके उपरांत कोडेचा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

जेठाराम कोडेचा को इतनी आमदनी होती है

मुख्य बात यह है, कि जेठाराम कोडेचा पढ़े- लिखे नहीं है। वे अनपढ़ अंगूठा छाप किसान हैं। इसके होते हुए भी उन्होंने बड़े- बड़े बिजनेसमैन को खुद से पीछे छोड़ दिया है। वह अपने खेत में अनार की भगवा एवं सिंदूरी सरीखी उन्नत किस्मों की पैदावार कर रहे हैं। जेठाराम ने 45 बीघा भूमि में अनार की खेती कर रखी है। एक पौधे से 25 किलो अनार की पैदावार होती है। जेठाराम की मानें तो अनार की खेती चालू करने के एक साल के उपरांत से आमदनी होने लगी। अनार बेचकर दूसरे वर्ष उन्होंने 7 लाख रुपये की आमदनी की थी। इसी प्रकार तीसरे वर्ष 15 लाख, चौथे साल 25 लाख, पांचवें साल अनार से उन्हें 35 लाख रुपये की आमदनी हुई। वह कहते हैं, कि अभी तक अनार बेचकर वह 80 लाख रुपये की आमदनी कर चुके हैं।

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

अब गंगा के पांच किलोमीटर इलाके में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा 2025 तक देश के सभी गांवों को आप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ड्रोन के इस्तेमाल से खेती कराने की पेशकश, किसानों को फायदा होने का दावा कृषि विश्वविद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन टिकैत ने कहा, MSP पर तो कुछ बोला ही नहीं

कृषि विशेषज्ञ मानते हैं, खेती के लिए बेहतरीन बजट

मंगलवार को 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को लेकर कई बातें कीं। वैसे, माना यह जा रहा था कि 13 महीनों तक किसानों के विरोध के बाद सरकार दो कदम आगे बढ़ कर MSP पर कोई फैसला करेगी लेकिन इस पर कुछ हुआ नहीं। माना जा रहा था कि MSP बढ़ाई जाएगी और किसानों का दिल जीतने की कोशिश होगी। इसके पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि पांच राज्यों में चुनाव हैं। सो, वित्त मंत्री किसानों के लिए MSP बढ़ाने की घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा हो न सका। पूरे
बजट में MSP बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई। हां, यह जरूर बताया गया कि किसानों को MSP के मद में 2.37 लाख करोड़ रुपये देने का इरादा है।

किसानों के लिए बहुत कुछ है इस बजट में

लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि किसानों के खाते में इस बार वित्तमंत्री ने कुछ भी नहीं दिया। किसानों की झोली दूसरे तरीकों से भरने की कोशिश की गई है। इसमें बड़ा तथ्य है 2.37 लाख करोड़ रुपये MSP  में खर्च करने की योजना। यह धनराशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी, फसल के एवज में।

ड्रोन की मदद से खेती

kisan drones गौर से देखें तो खेती-बाड़ी करने वालों के लिए इस बजट में ऐसी बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं जिन पर अमल करके वे काफी आगे बढ़ सकते हैं। जैसे, अब खेती में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। वित्त मंत्री की यह मान्यता रही है कि अगर ड्रोन आधारित खेती हुई तो निश्चित तौर पर किसानों का वक्त बचेगा और खेती की जो एक्यूरेसी है, वह बढ़ेगी। मतलब यह हुआ कि अब ड्रोन की मदद से किसान कम समय में ही यह जान सकेंगे कि उनकी फसलों की स्थिति क्या है और यह भी कि फसलों को दवा कब देनी है, कितनी देनी है, उसकी एक्यूरेसी क्या होनी चाहिए, यह सब ड्रोन की मदद से बेहद आसानी के साथ किया जाएगा।

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कृषि विश्वविद्यालय खोलने को राज्यों को प्रोत्साहन

agricultural university इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले बजट में भी उन्होंने कहा था कि जब तक किसानी को पढ़ाई से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की आय बढ़ नहीं सकती। पिछले साल का संकल्प इस साल पूरा करते हुए उन्होंने कई कृषि विश्वविद्यालय खोलने की बातें अपने बजट भाषण में कही हैं। माना जाता है कि जब ये कृषि विश्वविद्यालय खुल जाएंगे तो किसानों को जमीन की उर्वरकता, खेती के तौर-तरीके आदि को आधुनिक रूप में समझने में बेहद मदद मिलेगी। वित्त मंत्री का कृषि विश्वविद्यालयों पर जोर इस बात का भी संकेतक है कि वह किसानों को खेती-बाड़ी की पढ़ाई करती हुई देखना चाहती हैं। यह जरूरी भी है।

आर्गेनिक खेती (Organic Farming) पर जोर

organic farming इस बजट में एक बड़ी बात आर्गेनिक खेती को लेकर भी हुई है। वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी पहले चरण में गंगा नदी के पांच किलोमीटर के इलाके में आर्गेनिक खेती की जाएगी। इससे आर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा मिलेगा ही, जो पैदावार होगी, वह आम लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी। आर्गेनिक खेती में किसी भी किस्म का रसायन इस्तेमाल नहीं होता। इस किस्म की खेती को जीरो बजट खेती भी कहते हैं जिसे कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे आचार्य वेदव्रत ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ाया। माना जा रहा है कि आर्गेनिक खेती का मूल कांसेप्ट उन्हीं का है जिससे प्रधानमंत्री भी सहमत थे। वही चीज आज के बजट में भी प्रभावी तरीके से सामने आई है।

बेतवा परियोजना

Betwa Project इस बजट में अनेक नदियों के किनारे विभिन्न किस्म की परियोजनाओं को भी शुरू करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश के बेतवा परियोजना के लिए 44650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। मकसद यह है कि देश भर के करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि को खेती योग्य जल उपलब्ध हो। वित्तमंत्री ने किसानों को और राहत देने की पेशकश की है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों की अधिकांश फसल वह खुद खरीद ले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022-23 तक केंद्र सरकार किसानों से 1000 एमएलटी धान की फसल खरीदे।

एग्रो फारेस्ट्री

agro factory इस बजट में एग्रो फारेस्ट्री को लेकर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला वक्त एग्रो फारेस्ट्री का है। जो भी किसान इस क्षेत्र में आना चाहें, सरकार उनकी मदद करेगी। पैसे देगी। उन्हें अन्य तरीकों से भी सहयोग करेगी। सब्सिडी देने की बात चल रही है।

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हर गांव में 2025 तक आप्टिकल फाइबर का जाल

village Technology कृषि से ही जुड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी इस बजट में काफी बातें कही गई हैं। उनमें अहम है, देश भर के सभी गांवों में 2025 तक आप्टिकल फाइबर बिछा देना। वित्त मंत्री ने कहाः यह बेहद उम्दा योजना है। हम चाहते हैं कि देश के जितने भी गांव हैं, उन सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाया जाए ताकि हर गांव इंटरनेट से कनेक्टेड हो। उनका कहना था कि अभी इंटरनेट की कमी के कारण देश के गांवों का एक बड़ा हिस्सा तकनीकी ज्ञान और कृषि संबंधी जानकारियों सहित अनेक फायदों और सुविधाओं से अनभिज्ञ रह जाता है। केंद्र सरकार चाहती है कि कृष् और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में काम हो और तेजी से हो। हमें पूरा विश्वास है कि देश के सभी गांव 2025 तक इंटरनेट की सुविधा से युक्त हो जाएंगे। एक बार जब वह इंटरनेट की सुविधा से जुड़ जाएंगे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।

केसीसी पर कोई चर्चा नहीं

वैसे, इस बजट से किसान यह उम्मीद लगा रहे थे कि केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की क्रेडिट क्षमता बढ़ा दी जाएगी लेकिन फिलहाल इस पर बजट में कोई चर्चा नहीं हुई। इससे किसानों में थोड़ी मायूसी देखी गई।

प्रतिक्रियाएं

सरकार जब तक MSP  गारंटी कानून नहीं बताती, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस बजट में MSP  गारंटी कानून की कोई बात ही नहीं कही गई। -राकेश टिकैत, किसान नेता यह बजट भविष्य का बजट है। यह एग्रीकल्चर सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इस बजट की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र में पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। यह अच्छी बात है। आप जब पढ़-लिख कर खेती करेंगे तो निश्चित तौर पर आप बढ़िया से खेती करेंगे, बढ़िया आमदनी होगी आपकी। आप सोचिए कि सरकार 2025 तक किसानों को हर गांव में आप्टिकल फाइबर तकनीक देने जा रही है। इसका सीधा असर किसानों, उन्के बच्चों या यूं कहें कि पूरे परिवार, पूरे इलाके में होगा। यह किसानों के लिए अब तक का बेहतरीन बजट है। -प्रोफेसर सीएन बी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री
ICAR ने विकसित की नींबू की नई किस्म, तीसरे ही साल लग जाते हैं फल

ICAR ने विकसित की नींबू की नई किस्म, तीसरे ही साल लग जाते हैं फल

बागवानी खेती करने वाले किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च यानि ICAR) एक अच्छी खबर लेकर आया है। पिछले कई सालों से ICAR नींबू (Lemon) की नई किस्में विकसित करने की कोशिश कर रहा था, जिसमें इस संस्थान को अंततः सफलता मिल गई है। ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने नींबू के फल में एसिड और रस की मात्रा को ध्यान में रखते हुए नींबू की एक नई किस्म विकसित है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस नई किस्म को 'थार वैभव' (Thar Vaibhav) नाम दिया है। थार वैभव नींबू की किस्म को सेंट्रल हॉर्टिकल्चरल एक्सपेरिमेंट स्टेशन (Central Horticultural Experiment Station (ICAR-CIAH)), वेजलपुर, गोधरा, गुजरात में विकसित किया गया है।

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कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस थार वैभव नींबू की किस्म की कई विशेषताएं हैं-

सिर्फ 3 साल बाद ही आने लगते हैं पेड़ में फल

नींबू की यह किस्म एक तरह की एसिड लाइम किस्म है, इसके पौधे को लगाने के बाद मात्र 3 साल में ही फल लगने शुरू हो जाते हैं। नींबू के इस पेड़ में बेहद पास-पास फल लगते हैं, जिससे उत्पादन ज्यादा होता है। इसके फल गोलाकार होते हैं, साथ ही आकर्षक पीले और चिकने छिलके वाले होते हैं, एक फल में 6 से 8 बीज होते हैं।

एक पौधे में होगा इतना उत्पादन

यह पेड़ अन्य नींबू के पेड़ों के मुकाबले जल्द ही फल देने लगता है, इसके एक गुच्छे में 3 से 9 नींबू तक लगते हैं। 'थार वैभव' किस्म के नींबू के फल में रस की मात्रा 49 प्रतिशत तक हो सकती है, साथ ही अम्लता 6.84 प्रतिशत तक होती है। नींबू की इस किस्म का एक पेड़ एक मौसम में कम से कम 60 किलो नींबू का उत्पादन कर सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस फल के बारे में बताया है कि ये फल गर्मियों में तैयार हो जाते हैं। इन दिनों भारत में एसिड लाइम के उत्पादक ऐसे फलों की मांग करते हैं, उनकी मांग को देखते हुए बाजार में ऐसे फलों की डिमांड बढ़ सकती है।

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कोरोना काल में बढ़ी थी ऐसे नींबू की मांग

देश में जब कोरोना चरम पर था तब डॉक्टरों ने लोगों को ज्यादा से ज्यादा Vitamin C के सेवन की सलाह दी थी, क्योंकि Vitamin C लोगों के भीतर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में कारगर होता है, और इसलिए लोगों ने इस दौरान Vitamin C का भरपूर सेवन किया, चाहे वह गोली के रूप में हो या नींबू और संतरे जैसे फलों के रूप में। कोरोना के बाद से लोगों के बीच Vitamin C को लेकर जागरूकता आई है और बाजार में नींबू की खपत बढ़ गई है। ऐसे में यदि किसान इस नई किस्म की खेती करते हैं तो वो 3 साल में ही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और 'थार वैभव' नींबू को बेचकर अपनी आमदनी तेजी से बढ़ा सकते हैं। 'थार वैभव' के साथ ही ICAR के वैज्ञानिक नींबू की और भी नई किस्में विकसित करने पर काम कर रहे हैं, जिनमें नींबू का उत्पादन भी ज्यादा मात्रा में हो और नींबू में रस की मात्रा भी ज्यादा हो, ताकि इस प्रकार की नई किस्म से मार्केट में बढ़ी हुई डिमांड को पूरा किया जा सके। फिलहाल कृषि वैज्ञानिक 'थार वैभव' को लेकर भी विश्लेषण करेंगे कि यह किस्म किसानों के बीच लोकप्रिय हो पाती है या नहीं।
पत्थर ही नहीं, किसानों की दुर्दशा भी चाट जाएगी इसकी खेती

पत्थर ही नहीं, किसानों की दुर्दशा भी चाट जाएगी इसकी खेती

पथरचटा या पथरचट्टा

आज हम आपको एक ऐसी औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती अगर किसान करें तो उनके जीवन की भी बहुत सारी समस्याओं, ख़ास कर उनकी बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति को चाट चाट कर ख़त्म कर देगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं पत्थरचट्टा की।
पत्थरचट्टा (पथरचटा या पथरचट्टा (वानस्पतिक नाम - Kalanchoe pinnata या Bryophyllum calycinum या Bryophyllum pinnatum; Pattharchatta)) एक ऐसी औषधि है, जो न सिर्फ मानव स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है, यह इतना मुनाफ़ा दे कर जाती है जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है। इस औषधि की खेती से किसान साल का लाखों रूपये कमा सकते हैं। पत्थरचट्टा को हम किसी भी मौसम में इस्तेमाल कर सकते हैं, कोरोना काल में जैसे-जैसे आयुर्वेद के महत्व से लोग परिचित हुए, वैसे वैसे पत्थरचट्टा की मांग भी बढ़ने लगी है। ऐसे में किसान इसकी खेती कर के बेहतर मुनाफ़ा कमा सकते हैं। पत्थरचट्टा की सबसे ख़ास बात यह है, कि इसकी खेती के लिए किसानों को बीज खरीदने की भी आवश्यकता नहीं है। इसकी खेती के लिए बस इसके पत्ते का इस्तेमाल कर के उगाया जा सकता है। यही कारण है कि इसकी खेती बहुत महँगा सौदा भी नहीं रह जाती, इस औषधि पौधे में उगने वाले फूल औषधीय गुण से भरपूर होते हैं।

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पत्थरचट्टा की खेती के लिए नम मिट्टी चाहिए, किसान 60 प्रतिशत दोमट मिट्टी, 20 प्रतिशत कोको पीट और 20 प्रतिशत रेत के साथ मिट्टी तैयार कर लें। फिर इस मिट्टी में पत्थरचट्टा लगा सकते हैं। इसकी एक ख़ास बात यह है कि एक पूरी तरह से विकसित पत्थरचट्टा के पत्ते खुद ही खेत में गिरा दिये जाते हैं, जिससे कि आगे वही पत्ते फिर से एक नया पौधा बन जाते हैं, यानी आम के आम, गुठलियों के दाम। पत्थरचट्टा को रोज सूर्य प्रकाश की जरूरत होती है। हालांकि, 5 घंटे की धुप भी इसके लिए काफी है। हां, इन्हें अत्याधिक ठण्ड से बचाने की जरूरत होती है, एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पत्थरचट्टा को अगर फिल्टर पानी मिले तो इसका और अधिक फ़ायदा पौधे के विकास में मिलता है। एक्सपर्ट्स पत्थरचट्टा के लिए हर दो महीने के बाद आधा चम्मच बोन मील देने की भी बात कहते हैं। पत्थरचट्टा में अगर फफूंद लग जाए तो पोटेशियम बाइकार्बोनेट का छिड़काव करना चाहिए।

रामबाण पत्थरचट्टा

पत्थरचट्टा के पत्तों का स्वाद खाने में खट्टा होता है। यह इंसान के मूत्र विकार, सर दर्द, उच्च रक्तचाप आदि जैसी बीमारियों में कारगर माना जाता है। माना जाता है कि पत्थरचट्टा के इस्तेमाल से (डॉक्टर की देखरेख में) किडनी स्टोन को भी बाहर निकालने में सहायता मिलती है।
सरकार ने जारी किया बजट, आइए जानते हैं इस बजट में क्या है खास

सरकार ने जारी किया बजट, आइए जानते हैं इस बजट में क्या है खास

यूनियन बजट 2023 में कृषि क्षेत्र एवं किसानों हेतु बेहद खास रहा है। एग्री क्रेडिट, डिजिटल तकनीक से खेती, ग्रीन एग्रीकल्चर, मिलेट, पशुपालन, मछली पालन, सहकार से समृद्धि, आदि पर सरकार का विशेष ध्यान रहा है। भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी द्वारा आम बजट-2023 प्रतुस्त किया गया है। वित्त मंत्री द्वारा साल 2023 के बजट में किसानों का विशेष तौर पर ख्याल किया गया है। किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। किसान समृद्धि योजना के उपरांत इस वर्ष सरकार ने विभिन्न अन्य योजनाएं चालू करने की घोषणा की है। सरकार द्वारा पशुपालकों एवं मछली पालन करने वाले किसानों के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आम बजट को प्रस्तुत करते हुए भाषण के समय वित्त मंत्री द्वारा घोषणा की गई है, कि किसानों हेतु सहकार से समृद्धि आयोजन चलाया जाएगा।
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इसके माध्यम से 63000 एग्री सोसायटी को कंप्यूटर आधारित बनाया जाना है। इसकी सहायता से किसानों को समृद्ध बनाने में सहायता प्राप्त होगी। इसके साथ ही घोषणा की गई है, कि मछली पालन एवं पशुपालन के क्षेत्र में कर्ज देना तीव्रता से किया जाएगा। मल्टीपर्पज कोरपोरेट सोसायटी को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना को जारी करने का निर्णय भी लिया गया है। साथ ही, सरकार द्वारा डिजिटल तकनीक के जरिए खेती को प्रोत्साहन देने का निर्णय किया गया है।
  • साल 2023 के कृषि बजट में कृषि क्षेत्र एवं किसानों हेतु बेहद अच्छा है।
  • सरकार ने कृषि स्टार्टअप हेतु 'डिजिटल एक्सीलेटर फंड' बनाएगी, जिसका कृषि निधि नाम रखा जाएगा।
  • मछली पालन हेतु सब-स्कीम के निर्धारित 6,000 करोड़ की धनराशि आंबटित की गई है।
  • कृषि क्रेडिट में वृद्धि कर 20 लाख करोड़ तक किया जाएगा।
  • निर्मला सीतारमण का कहना है, कि सरकार मोटे अनाज को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए श्री अन्न योजना भी जारी की जा रही है।
  • बागवानी पैदावार की वृद्धि हेतु 2,200 करोड़ रुपए की धनराशि को आंबटित किया गया है।
  • खेती में डिजिटल बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहित किया जाएगा। खेती-किसानी में आधुनिक तकनीकों के उपयोग को प्राथमिकता मिलेगी।
  • भारत बनेगा ग्लोबल हब फॉर मिलेट
  • पोषक तत्व, खाद्यान सुरक्षा एवं किसानों की योजना हेतु मिलेट्स आयोजन किये जा रहे हैं।
  • कुंगनी, कुट्टू, श्रीअन्ना राड़ी, श्रीअन्ना बाजरा, श्रीअन्ना रामदाना समस्त किस्में स्वास्थ्य में लाभकारी हैं।
  • मिलेट्स में किसानों को बेहद सहायता प्रदान की जाएगी।
  • श्रीअन्ना का हब निर्मित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • श्रीअन्ना की पैदावार हेतु हैदराबाद के शोध संस्थानों से बेहद सहायता प्राप्त हो रही है।

सरकार "सहकार से समृद्धि" कार्यक्रम चलाएगी

सरकार द्वारा किसानों के लिए सहकार से समृद्धि कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। इसके माध्यम से 63000 एग्री सोसायटी को कंप्यूटर आधारित किया जाना है। इसकी सहायता से किसानों को समृद्ध बनाने में सहायता प्राप्त होगी। मछलीपालन, पशुपालन की दिशा में कर्ज उपलब्ध कराने की गति तीव्र की जाएगी। मल्टीपर्पज कोरपोरेट सोसायटी को प्रोत्साहन दिया जाना है। मत्स्य पालन हेतु कोरपोरेट सोसायटी की संख्या में वृद्धि की जाएंगी।

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा

आगामी तीन वर्ष में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती हेतु बढ़ावा दिया जाना है। 10 हजार बायो इनपुट शोध केंद्र बनाए जाएंगे। इसके लिए सूक्ष्म उर्वरकों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मिस्ट्री (मैन ग्रीन प्लांटेशन) पर अधिक बल दिया जाना है।
बजट देख किसानों का फूटा गुस्सा, किसानों ने कहा सरकार की कथनी और करनी अलग हैं

बजट देख किसानों का फूटा गुस्सा, किसानों ने कहा सरकार की कथनी और करनी अलग हैं

भारत सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री माननीय निर्मला सीतारमण जी ने वित्त वर्ष 23 का बजट पेश कर दिया है। किसानों के लिए इस बजट में विभिन्न योजनाएं जारी करने का ऐलान किया गया है। किसान भाइयों को सरकार से बेहद उम्मीद थी, कि उनके लिए इस बजट में बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन केंद्र इस वजट में लघु एवं सीमांत किसानों के लिए कोई खास प्रावधान देखने को नहीं मिल रहा है। कुछ किसानों का कहना है, कि उनकी किसान सम्मान निधि की सहायता राशि में वृद्धि होने की आशा थी। परंतु, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अगर हम बजट को देखें तो इसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान भाइयों का कहना है, यदि किसान प्राकृतिक खेती की तरफ रुझान करें तो उनको कम उत्पादन मिलेगा। जिससे उनकी आमदनी भी कम होगी। किसान भाई इस वजट से नाखुश दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने बजट में मछली पालन और पशुपालन के लिए प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। इस संबंध में किसानों का कहना है, कि उनको पशुपालन में प्रोत्साहन मिलने से काफी राहत मिलेगी। लेकिन मछली पालन से लघु एवं सीमांत किसान इस योजना का लाभ लेने में असमर्थ हैं। छोटे किसानों के लिए सरकार ने उर्वरक एवं खाद बीज पर कोई रिहायत नहीं दी है।
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पिछले एक साल से किसानों को सूखा, बाढ़ और बरसात जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने काफी प्रभावित किया है। अब यदि ऐसे में किसान प्राकृतिक खेती करते हैं, तो उनको अच्छा उत्पादन मिलने की बेहद कम संभावना होगी। इस वजट में किसान भाईयों की फसल पर कोई भी न्यूनतम समर्थन MSP मूल्य की बात नहीं की गई है। भारत सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की निरंतर बात करती रहती है। लेकिन सरकार के बजट को बारीकी से देखा जाए तो छोटे और सीमांत किसानों के लिए बजट में कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है। merikheti.com ने बजट के बारे में किसानों की राय ली है जो कि उपरोक्त में आप देख चुके हैं। सरकार द्वारा जारी बजट में किसानों के लिए जो भी योजनाएं हैं। उन सबके बारे में Merikheti ने इस लेख में स्पष्ट कर दिया है। बजट आने के बाद किसानों से हुई वार्ता में किसान भाईयों ने अपनी जो प्रतिक्रिया दी हैं। वह काफी चौंकाने वाली हैं। किसानों ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का केवल नाटक करती है। बाकी धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता है।
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सरकार इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस मनाने जा रही है, जिसके अंतर्गत बाजरा की पैदावार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार की इस पहल से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। इससे बाजरे की फसल का रकबा और माँग दोनों बढ़ेंगी। इसके अतिरिक्त बजट में किसानों के लिए क्या फायदा है। इस बात को देखने के लिए सालभर प्रयास जारी रहेगा।
किसान भाई बेल की इन प्रजातियों को उगाकर सूखे में भी मुनाफा कमा सकते हैं

किसान भाई बेल की इन प्रजातियों को उगाकर सूखे में भी मुनाफा कमा सकते हैं

अगर आप सूखे वाले स्थान पर रहते हैं और साथ ही आप अपनी फसल से अच्छा उत्पादन नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, तो आपके लिए बेल की बागवानी सबसे अच्छा विकल्प मानी जाती है। इसके लिए आज हम आपको नीचे दी गई किस्मों को अपने बगीचे में लगा सकते हैं। यह सभी किस्म वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई बेहतरीन किस्म हैं।

बेल की बागवानी कृषकों के लिए सबसे अच्छी है

बागवानी करने वाले किसान भाइयों के लिए
बेल की बागवानी (Wood Apple Gardening) सबसे बेहतर होती है। दरअसल यह हर एक तरह की परिस्थिति में अपना विकास करने में सक्षम हैं. इसके लिए किसान को अधिक मेहनत करने की कोई खास जरूरत नहीं होती है। अगर आप कम पानी वाले स्थान पर रहे रहे हैं, तो आपने यहां के ज्यादातर किसानों को बेल की खेती करते हुए देखा होगा। क्योंकि यह कम जल में भी अच्छा उत्पादन देती है। तो आइए आज हम अपने इस लेख में सूखे वाले स्थान पर बेल की बागवानी कैसे करें इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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इस राज्य में बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान दिया जा रहा है

बेल की लगभग सभी प्रजातियों को एक ही जगह पर आसानी से उगा सकते हैं

वैसे देखा जाए तो बेल की तकरीबन सभी किस्मों को किसान एक एक क्षेत्र में सहजता से उगा सकते हैं। परंतु, अगर आप सूखे वाली जगह पर रहते हैं और बेल की बागवानी से अच्छा खासा उत्पादन अर्जित करना चाहते हैं, तो आपको अपने खेत और बगीचे में इन किस्मों का चयन करना चाहिए। जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं। थार नीलकंठ, गोमायशी और थार दिव्य जैसी बेहतरीन किस्मों को अपने घर लगा सकते हैं। यह सभी किस्म केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र वेजलपुर गुजरात में तैयार की गई हैं।

बेल की फसल के रोपण के दौरान आवश्यक काम

बेल की फसल से अच्छा फल प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी रोपण से लगाकर बाकी बहुत सारी जानकारियों पर ध्यान रखना होता है। बतादें, कि 2 माह पूर्व ही 1 घन मी. आकार के गड्ढेखोद कर खुला छोड़ दें। इसमें आपको न्यूनतम 3-4 टोकरी सड़ी हुई गोबर खाद और मिथाइल पैराथियान इत्यादि को डालना चाहिए। उसके बाद आपको खेत की बेहतर ढ़ंग से सिंचाई करनी है। ऐसा करने के 1 माह पश्चात आपको पौधा का रोपण करना है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बेल की रोपाई जुलाई-अगस्त माह में की जाती है और वहीं सिंचाई सुविधा होने पर फरवरी-मार्च के महीने में भी किसान रोपण कर सकते हैं।
खुशखबरी: वित्त मंत्री ने लांच किया किसान ऋण पोर्टल, अब आसानी से मिलेगा अनुदानित ऋण

खुशखबरी: वित्त मंत्री ने लांच किया किसान ऋण पोर्टल, अब आसानी से मिलेगा अनुदानित ऋण

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान सहूलियत ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया है। किसानों को वर्तमान में अनुदानित लोन बड़ी सुगमता से मिलेगा। मंगलवार 19 सितंबर 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान ऋण पोर्टल को लॉच किया है। किसान भाई इस पोर्टल के माध्यम से अपने घर बैठे किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत सब्सिडी वाला ऋण यानी लोन प्राप्त कर सकते हैं। पूसा परिसर में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान डोर-टू-डोर केसीसी अभियान एवं मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (विन्ड्स) पोर्टल का एक मैनुअल भी प्रस्तुत किया गया।

भारत में फिलहाल 7.35 करोड़ KCC अकाउंट मौजूद हैं

कृषि मंत्रालय के अनुसार, किसान ऋण डिजिटल प्लेटफॉर्म-किसान डेटा, ऋण वितरण विशिष्टताओं, ब्याज छूट के दावों एवं योजना उपयोग की प्रगति पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। यह वेबसाइट कृषि ऋण के लिए बैंकों के साथ सहज एकीकरण को प्रोत्साहन देगा। भारत में फिलहाल 7.35 करोड़ KCC अकाउंट है। इनको 8.85 लाख करोड़ बांटा जा चुका है। एक बयान में यह बताया गया है, कि 30 मार्च तक तकरीबन 7.35 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते हैं, जिनकी समकुल स्वीकृत धन सीमा 8.85 लाख करोड़ रुपये है।

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अप्रैल से लेकर अगस्त तक 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया गया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान रियायती ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया है। केसीसी के फायदे को बढ़ाने के लिए घर-घर अभियान, केंद्रीय योजना ‘पीएम-किसान' के गैर-केसीसी धारकों तक पहुंचेगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक चिन्हित लाभार्थी किसान के बैंक खाते में प्रतिवर्ष 6,000 रुपये दिए जाते हैं।
एक फरवरी  2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

एक फरवरी 2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

संसद में 1 फरवरी  2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम  बजट पेश किया जायेगा , माना जा रहा है किसानों को इस बजट से बड़ी सौगात मिल सकती है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की वजह से पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद पेश किया जायेगा। इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अंतरिम बजट 2019 में पेश किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के  स्वास्थ्य खराब होने पर उनका अतिरिक्त कामकाज संभाले हुए पियूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था ,साथ ही 2019 के बजट में संसद द्वारा कई बड़े ऐलान भी किये गए। 

पीएम किसान योजना की बढ़ सकती है राशि 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में की गयी थी। इस योजना के अंदर 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की राशि  तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी। इस योजना में 12 करोड़ से ज्यादा छोटे और सीमान्त किसानों को सम्मिलित किया गया था। फरवरी  2024 में पेश होने वाले बजट में इस राशि को 9000 प्रति वर्ष कर दिया जायेगा। आने वाले बजट में यह उम्मीद जताई जा रही है , पी एम किसान सम्मान निधि की किस्ते बढ़ाई जा सकती है , जो किसानों के लिए किसी बड़ी खुशबरी से कम नहीं है। 

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इसी के चलते सरकार द्वारा महिला सम्मान निधि की राशि भी दुगुनी हो सकती है। साथ ही महिलाओं को लोन भी अन्य की तुलना में 1% की कम दर से प्रदान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि महिला किसान की सम्मान निधि की राशि बढ़कर 12000 की जा सकती है। साथ ही महिलाओं किसानों को लोन प्रदान करने के लिए सरकार क्रेडिट कार्ड की भी सुविधाएं प्रदान करा सकती है। 

किसानों के लिए हेल्थ और लाइफ इंस्युरेन्स की भी कर सकते है घोषणा 

लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने किसानों के लिए बनाई गयी किसान सम्मान निधि योजना में 50 फीसदी राशि बढ़ाने के लिए तो कहा है ,साथ ही संसद में पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए स्वास्थ्य और लाइफ इंस्युरेन्स की भी घोषणा की जा सकती है। 

स्टीडफास्ट न्यूट्रिशन के संस्थापक अमन पूरी ने कहा भारत केवल जीडीपी का 21 स्वास्थ्य देखवाल के लिए उपयोग करता है, जो की विश्व औसत 6% से काफी कम है। हाल ही में बहुत सी नए बीमारियों की खोज की गयी है , जो बहुत ही घातक साबित हुई है , जिनके लिए धन की भी आवश्यकता है। 

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इन बीमारियों को रोकने के लिए नए ढाँचे की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है।

10 लाख से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारियों को मिलेगी छूट 

एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में बताया जा रहा है , जिन कर्मचारियों की आय 10 लाख से ऊपर है उन्हें कर भुगतान में राहत मिल सकती है। साथ ही इससे बहुत से बिज़नेस और स्टार्टअप को भी कर भुगतान पर  छूट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इनकम टैक्स के मामले में सरकार बड़ी खुशबरी प्रदान कर सकती है। फिलहाल चर्चा में यही है कि 10 लाख से अधिक आय वाले कर्मचारियों को टैक्स भुगतान में राहत मिल सकती है। 

कृषि  क्षेत्र के लिए सरकार कर सकती है ये फैसला 

गुरुवार को पेश किये जाने वाले बजट से लोगो को बहुत उम्मीद है। कृषि सेक्टर के लोगो को इस बजट से बहुत सी आशाएँ है। उनका मानना है 20 लाख रुपए के कृषि लोन से , उच्च लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाना चाहिए । इसमें किसानों को नयी मशीनरी और प्रौधोगिकी को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाए। उत्पादन बढ़ेगा तो किसान का तो विकास होगा ही साथ ही अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।