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उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

आलू की खेती से किसान रबी सीजन में करते हैं, किसानों को इससे काफी मुनाफा अर्जित होता है। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि खरीफ की फसलों की कटाई का समय आ चुका है। यूपी की उपजाऊ मृदा से हो रही पैदावार निरंतर विदेशों में लोकप्रियता अर्जित कर रही है। यहां पर उगने वाले आलू की मांग सात समुंदर पार भी हो रही है। प्रथम बार यूपी के आलू को अमेरिका के गुनाया में निर्यात किया गया है। किसानों को अपनी समझ और सूझबूझकर से खेती करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह की भी जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश के आलू का दबदबा विदेशों तक भी है। दरअसल, यूपी के आलू को पहली बार हजारों किलोमीटर दूर स्थित अमेरिका भेजा गया है। यूपी के आलू का जलवा विदेशों में भी है। मीडिया खबरों के अनुसार, फार्मर ग्रुप (FPO) की सहायता से 29 मीट्रिक टन आलू अमेरिका के गुयाना में भेजा गया। बतादें, कि इसके साथ ही योगी सरकार का किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना भी साकार हो रहा है।

आलू का निर्यात अब सात समुंदर पार भी होगा

वाराणसी के एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) के उप महाप्रबंधक का कहना है, कि आलू को पहली बार व्‍यापारिक रूप से अमेरिका के गुयाना शहर निर्यात किया गया है। उन्‍होंने बताया है, कि निर्यात किए गए आलू को अलीगढ़ के एफपीओ से खरीद कर शीत गृह में पैक किया गया। 29 मीट्रिक टन आलू समुद्र मार्ग के जरिए गुयाना पहुंचेगा।

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अलीगढ़ में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खोलने की मुहिम

बतादें, कि इसी कड़ी में अलीगढ़ के किसान उद्यमी के साथ-साथ निर्यातक भी बन रहे हैं। अलीगढ़ में आलू के उत्पादन को मंदेनजर रखते हुए एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी अलीगढ़ में कृषि निर्यात केंद्र खोलने की तैयारी कर रहा है। बतादें, कि यदि अलीगढ़ जनपद में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खुलता है, तो जनपद के आसपास के हजारों लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा।

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योगी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बिचौलियों को अलग करके किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में एफपीओ के जरिए से किसानों को निर्यातक बनाया जा रहा है। प्रदेश में योगी सरकार एफपीओ एवं किसान समूहों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की तरफ प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। किसानों को विदेशों में निर्यात कर बेहतरीन आमदनी देने वाली फसलों की पैदावार करनी चाहिए। किसान केवल पारंपरिक फसलों पर ही आश्रित ना रहें।
फल फूल रहा शराब उद्योग, लंदन वाइन मेले में रहा भारत का जलवा

फल फूल रहा शराब उद्योग, लंदन वाइन मेले में रहा भारत का जलवा

भारत का शराब निर्यात बढ़ा, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय की पहल

एपीडा लगातार कर रहा विस्तार का प्रयास, मध्य प्रदेश में महुआ को मिलेगी नई पहचान

भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधारों में से एक, भारत में निर्मित मदिरा के स्वाद की विदेशों तक धूम है।
पीआईबी (PIB) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान भारत ने दुनिया के देशों को बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की सप्लाई की। भारत की ओर से विदेश को 2.47 लाख मीट्रिक टन मादक उत्पादों का एक्सपोर्ट किया गया। इस निर्यात से भारत सरकार को 322.12 मिलियन अमरीकी डॉलर की कमाई होने की जानकारी प्रदान की गई है।

शराब निर्यातकों ने की भागीदारी

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत में निर्मित शराब के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत, विभिन्न मेलों के जरिए भारत में निर्मित शराब के गुणों से लोगों को अवगत कराया जा रहा है।

एपीडा के प्रयास

इस प्रयास के अंतर्गत एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority/APEDA/एपीईडीए/एपीडा) अर्थात कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने लंदन शराब मेले, 2022 में सहभागिता हेतु भारत के शराब निर्यातकों के लिए राह आसान बनाई। एपीडा के सहयोग से भारत के दस शराब निर्यातकों ने लंदन शराब मेले में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बीते दिनों जून में आयोजित लंदन शराब मेले में दुनिया भर के शराब निर्यातकों ने लंदन वाइन फेयर (London Wine Fair) में शिरकत की। आपको बता दें, लंदन शराब मेले को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शराब व्यापार आयोजनों के बीच अहम स्थान प्राप्त है।

इन इंडियन एक्सपोर्टर्स ने किया प्रतिनिधित्व

लंदन वाइन फेयर (London Wine Fair) में सोमा वाइन विलेज, एएसएवी वाइनयार्ड, रेसवेरा वाइन, सुला वाइनयार्ड, गुड ड्रॉप वाइन सेलर, हिल जिल वाइन, केएलसी वाइन, ग्रोवर जम्पा वाइनयार्ड, प्लेटॉक्स विंटर्स और फ्रेटेली वाइनयार्ड जैसे प्रमुख भारतीय शराब निर्यातकों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

तीसरा बड़ा बाजार

मादक पेय पदार्थों के मामले में भारत वर्तमान में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में अनाज आधारित मादक पेय पदार्थों के उत्पादन के लिए 33,919 किलो लीटर प्रति वर्ष की लाइसेंस क्षमता वाली 12 संयुक्त उद्यम कंपनियां कार्यरत हैं। इसी तरह भारत सरकार से लाइसेंस प्राप्त तकरीबन 56 इकाइयां बीयर का उत्पादन कर रही हैं।

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भारत का निर्यात रिकॉर्ड

साल 2020-21 के दौरान भारत ने दुनिया को 2.47 लाख मीट्रिक टन मादक उत्पादों का निर्यात किया है। इस निर्यात से भारत सरकार को 322.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई।

इन देशों में डिमांड

वर्ष 2020-21 में भारत से संयुक्त अरब अमीरात, घाना, सिंगापुर, कांगो और कैमरून आदि देशों को मादक उत्पादों का निर्यात किया गया।

महाराष्ट्र की अंगूरी

भारत में शराब उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र राज्य दूसरे प्रदेशों के मामले में आगे है। शराब उत्पादन के लिए महाराष्ट्र वर्तमान में भारत का अहम राज्य है। महाराष्ट्र में मौजूदा समय में 35 से अधिक फैक्ट्री में शराब का उत्पादन किया जाता है। महाराष्ट्र राज्य में तकरीबन 1,500 एकड़ जमीन पर की जा जाने वाली अंगूर की खेती शराब उत्पादन में प्रमुख योगदान प्रदान करती है। प्रदेश में शराब निर्माण को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने शराब उत्पादन व्यवसाय को लघु उद्योग का दर्जा प्रदान किया है। प्रदेश में शराब उत्पादकों को उत्पाद शुल्क में भी रियायत प्रदान की जाती है।

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महुआ, बीयर, ब्रांडी की डिमांड

भारत में निर्मित महुआ की शराब की सिप के विदेशी भी दीवाने हो रहे हैं। इसके अलावा माल्ट से बनी बीयर, वाइन, व्हाइट वाइन, ब्रांडी, व्हिस्की, रम, जिन आदि भारत में निर्मित मादक पेय उत्पादों की भी इंटरनेशनल मार्केट में खासी डिमांड है। भारत के ह्रदय राज्य मध्य प्रदेश में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में, सरकार ने आदिवासियों को आय प्रदान करने के लिए महुआ शराब को नई पहचान देने रणनीति बनाई है। बीते दिनों जनजाति गौरव सप्ताह कार्यक्रम में एमपी के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों के हित संवर्धन के लिए आबकारी नीति की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश में सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में महुआ से बनने वाली शराब को हेरिटेज शराब का दर्जा देने की योजना बनाई है। इसके पहले तक राजस्थान में हेरिटेज शराब के अलावा, गोवा की परंपरागत फेनी के उत्पादन को सरकारी स्तर पर सहयोग मिलता रहा है। आपको बता दें भारतीय शराब की विविध किस्मों के साथ ही उसकी खासियतों के बारे में लोगोें को जागरूक करने के लिए एपीडा कई तरह के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों का आयोजन करता आया है।

फलफूल रहा शराब उद्योग

भारत के शराब उद्योग ने वर्ष 2010 से 2017 के दौरान काफी प्रगति की है। इस कालखंड में इंडियन वाइन इंडस्ट्री ने 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से ग्रोथ हासिल की है।
असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड

असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड

भले ही भारत के पूर्वोत्तर राज्य विकास की मुख्यधारा में अन्य राज्यों की तरह न जुड़ पाए हों, लेकिन इन राज्यों ने अब वो कर दिखाया है जो खेती-किसानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। दरअसल, अब असम राज्य की मुख्य फसल विदेशों में नाम कमाने लगी है जो राज्य के निवासियों के लिए कमाल की खबर है। गौर करने वाली बात है कि उत्तर भारतीय राज्यों के इतर असम में किसान मुख्यतौर पर गेहूं की बजाय धान उगाते हैं।


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यहां के चावल की खूशबू और स्वाद कमाल का होता है जिसके चलते देशभर में, यहां से आए चावलों को लोग बड़े चाव से खाते हैं और खपत भी काफी है। चूंकि, लोगों के बीच असम से आने वाले चावल खासे पसंद किए जाते हैं, यही वजह है कि पिछले सालों के दौरान यहां कि कुछ किस्मों को जीआई टैग दिया गया था। अब हाल ही में असम के चावल की कुछ किस्में दुबई भेजी गईं। इन चावलों को APEDA के सहयोग से भेजा गया। दुबई भेजी जाने वाली किस्मों का नाम जोहा और एजुंग (Izong rice) हैं। गौर करने वाली बात है कि असम का जोहा चावल (Joha Rice) बासमती से कम नहीं है। इसकी विशेषता के कारण ही इसे जीआई टैग दिया गया है। वैसे इसकी सुगंध बासमती जैसी नहीं है बल्कि थोड़ी अलग है। लेकिन जोहा अपने स्वाद, खुशबू और खास तरह के आनाज को लेकर जाना जाता है। इसकी विदेशों में मांग बासमती से कम नहीं है। यह खबर असम के किसानों को उत्साहित करने वाली है।


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APEDA के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा है कि जिस तरह का मौसम असम का रहता है, उसे देखते हुए यहां सभी तरह की बागवानी फसलें उगाई जा सकती हैं। साथ ही यहां से निर्यात भी आसानी से किया जा सकता है क्योंकि बगल से भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और चीन जैसे देश हैं जो राज्य से अपनी सीमा साझा करते हैं। वैसे चावल ही असम की एकमात्र फसल नहीं है जिसकी विदेशों में मांग है। बल्कि यहां के नींबुओं की मांग मिडिल ईस्ट और ब्रिटेन में बहुत है। यही वजह है कि यहां से अब तक 50 मीट्रिक टन नींबू का एक्सपोर्ट पहले ही किया जा चुका है। यही नहीं, यहां के कद्दू और लीची भी बाहर भेजे जा रहे हैं और लोग इनके स्वाद को खासा पसंद भी कर रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों ने पिछले छह सालों में खेती में अपना नया मुकाम स्थापित किया है, जो इन राज्यों की सफलता की कहानी कहता है। एक आंकड़े के मुताबिक, पिछले छह सालों में यहां उगने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात में करीब 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। जाहिर है कि आने वाले सालों में इन राज्यों का कृषि में योगदान और बढ़ेगा और जिसका असर देश की जीडीपी में होगा, जो सुखद बात है।
भारतीय अनानास की दुनियाभर में बढ़ी मांग, खूब हो रहा है एक्सपोर्ट

भारतीय अनानास की दुनियाभर में बढ़ी मांग, खूब हो रहा है एक्सपोर्ट

भारतीय फल बाजार हमेशा से चर्चा में रहा है, भारत में उपजने वाले फल अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। आश्चर्य की बात तो ये है कि भारत में उपजने वाले फल सिर्फ भारतीय लोगो की पसंद ही बनकर नही रह गए हैं, बल्कि अब व्यापक पैमाने पर विश्व के अनेक बाजारों में भी अब इनकी मांग बढ़ रही है। यूं कहे तो ये अब विदेशी लोगों के खाने की आदतों पर अपना अधिकार जमाने लगें हैं और दृढ़ता से अपनी छाप छोड़ रहें हैं। आम, लीची, केला और अनार जैसे फलों का विश्व के बाजारों में पहले से मांग है, लेकिन अब अनानास या अनन्नास (अंग्रेज़ी:पाइनऍप्पल (Pineapple), वैज्ञा:Ananas comosus ) की भी खूब मांग होने लगी है। उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मणिपुर सरकार ने पहली बार अनानास को दुबई निर्यात किया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव हुआ है और मणिपुर के किसान ख़ुश दिखाई दे रहे हैं। पिछले दिनों ख्वाजावल जिले के सियालहॉक गांव के किसानों द्वारा उगाए गए 230 किलोग्राम अनानास की खेप को उपमुख्यमंत्री तवंलुइया नेहरी ने झंडी दिखाकर दुबई भेजा।

दोहा-बहरीन के साथ-साथ इन देशों में भी बढ़ी मांग

भारतीय अनानास लगभग दस देशों में पहले से ही भेजा जाता रहा है, जिसमें यूएई, नेपाल, कतर, मालदीव, अमेरिका, भूटान, बेल्जियम, ईरान, बहरीन और ओमान जैसे देश हैं। यहाँ अनानास की खूब मांग है। लगभग 4.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 7665.42 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात सन 2021-22 में किया गया था, उसके बाद से विश्व बाजारों में भारतीय फल अनानास की खूब चर्चा हो रही है।अब कतर की राजधानी दोहा और बहरीन को भी अनानास भेजने को लेकर तैयारी चल रही है।

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केरल, आंध्र प्रदेश और इन राज्यों में होती हैं अनानास की खेती

अनानास की बढती मांग को देखते हुए अब इसकी खेती मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में भी होने लगी हैं. लेकिन मुख्य तौर पर त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, असम, और मिजोरम में इसकी खेती होती है। साल के 12 महीने इसकी खेती की जाती है और इससे किसानों को खूब फायदा होता है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि मणिपुर जैसा राज्य अनानास के उत्पादन के कारण चर्चा में है। पिछले साल यानी 2020-2021 में 134.82 मीट्रिक टन (एमटी) अनानास का उत्पादन करके भारत में अनानास उत्पादन में मणिपुर ने खुद को छठे स्थान पर स्थापित किया था। मणिपुर का भारत में अनानास के कुल उत्पादन में 7.46 की हिस्सेदारी है। जिससे साफ़ जाहिर होता है की मणिपुर की सरकार किसानों के साथ मिलकर अनानास की उपज को लगतार बढ़ावा दे रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में एपीडा के सहयोग से पिछले कुछ वर्षों में कृषि उपज के निर्यात में एक शानदार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।आधिकारिक सूत्रों से जानकारी मिली कि हाल ही में दुबई में आयोजित इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो में मणिपुर के अनानास का प्रदर्शन और प्रचार किया गया, जिससे दुबई में भी अब अनानास की मांग बढ़ रही है। इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो में, उपभोक्ताओं के बीच अनानास फल की मिठास का स्वाद लेने और इस फल के महत्व को बताने के लिए मणिपुर अनानास की पेशकश की गई थी। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा (APEDA - Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority) ने मणिपुर से अन्य अनूठे उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने का फैसला लिया है, मणिपुर के अन्य अनूठे उत्पाद तामेंगलोंग संतरा, कचाई नींबू, काले चावल आदि हैं।

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वही त्रिपुरा की बात करे तो सन 2018 में दुबई और दोहा को अपनी ख़ास किस्म के अनानास 'रानी' (Tripura's Queen Pineapple) का निर्यात करने वाला पहला उत्तर पूर्वी राज्य था। त्रिपुरा के अनानास को 2020 में बांग्लादेश को भी भेजा गया था। असम ने भी 2019 में दुबई में अनानास निर्यात की शुरुआत की थी, पिछले तीन वर्षों में एपीडा निर्यात जागरूकता पर 136 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। एपीडा का मुख्य उद्देश्य मणिपुर में निर्यातकों के लिए एक मंच को तैयार करना है जिससे राज्य के लोगों के बीच रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादकों को अतिरिक्त मूल्य मिल सके. साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले अनानास को संरक्षित करने पर भी प्रयास किया जाए।
अब बिहार के किसान घर बैठे पाएं ऑर्गनिक खेती का सर्टिफिकेशन

अब बिहार के किसान घर बैठे पाएं ऑर्गनिक खेती का सर्टिफिकेशन

बिहार में जैविक प्रमाणीकरण यानी ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन (Organic certification) का काम बसोका एजेंसी कर रही है। इसके पीछे कारण यह है, कि यहां पर किसानों को उनकी ऑर्गेनिक खेती के लिए उचित दाम दिलवाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। ऑर्गेनिक या जैविक खेती कृषि का प्राचीन तरीका ही है, इसमें बिना किसी केमिकल आदि के प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है। आजकल लोगों का रुझान इसकी तरफ काफी बढ़ा है, इसमें कम लागत में ज्यादा फसल उगाई जा सकती है और ये आजकल काफी डिमांड में भी है। लोग अपनी हेल्थ पर खास ध्यान दे रहे हैं और ऐसे में ऑर्गेनिक खेती ही उनका पहला विकल्प होता है, साथ ही यह खेती पर्यावरण के लिए भी अच्छी है। क्योंकि इससे वातावरण में किसी भी तरह के जहरीले पदार्थ नहीं छोड़े जाते हैं। किसान अगर ऑर्गेनिक खेती से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं, तो वो अपनी फसल के लिए जैविक सर्टिफिकेशन बनवा सकते हैं। बिहार सरकार ने इसके लिए आवेदन मांगे हैं और इसकी प्रक्रिया भी आसान होती है।


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अब बिहार में ही प्राप्त करें सर्टिफिकेशन

पहले बिहार के किसानों को यह ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट सिक्कम से लेना पड़ता था। लेकिन अब बसोका एजेंसी खुद ही ये सर्टिफिकेट जारी कर रही है, किसान चाहें तो बसोका की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भी दे सकते हैं। साथ ही आप ऑफलाइन भी आवेदन दे सकते हैं।

बसोका क्या है?

रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के संस्थान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) की ओर से ही बिहार राज्य बीज और जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी (BASOKA) को मूल्यांकन कर राष्ट्रीय मान्यता बोर्ड को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन (Organic Certification) के लिए मान्यता दी गई है। यह GMO टेस्टिंग करती है और साथ ही ये बीज की क्वालिटी का मूल्यांकन भी करती है। इसके अलावा सिर्फ बिहार ही नहीं, दूसरे राज्य के किसान भी बसोका की वेबसाइट पर आधार संख्या और बाकी की जानकारी देकर आवेदन कर सकते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो पटना के मीठापुर स्थित कृषि निदेशालय परिसर में प्रमाणन एजेंसी का कार्यक्षेत्र बिहार के साथ बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम और राजस्थान है। इस प्रकार से किसान अपना जैविक सर्टिफिकेशन कुछ आसान स्टेप्स में ले सकते हैं और उन्हें फिर अपनी फसल में दाम को लेकर किसी तरह की टेंशन लेने की जरुरत नहीं है। इसके तहत ऑर्गेनिक खेती का बहुत अच्छा दाम किसानों को दिया जाता है।
एपीडा (APEDA) की योजना से भारतीय देसी सब्जी, फल और अनाज का बढ़ेगा निर्यात

एपीडा (APEDA) की योजना से भारतीय देसी सब्जी, फल और अनाज का बढ़ेगा निर्यात

घाटियों एवं नदियों में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों को चिन्हित किया जा रहा है। ताकि नदी के नाम से ब्रांड वैल्यू (Brand Value) निर्मित की जाए। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कृषि उत्पादों को पहचान दिलाने में खास मदद मिलेगी। विगत कुछ वर्षों के अंतर्गत भारत के कृषि उत्पादों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हांसिल की है। भारत के अनाजों, फल, सब्जी इत्यादि खाद्य उत्पादों की विदेशों में काफी मांग है। इनकी ब्रांड वैल्यू (Brand Value) विकसित करने के लिए एपीडा (APEDA) ने भी एक प्रमुख भूमिका निभाई है। दरअसल, यह एपीडा (APEDA) की ही एक सफल कोशिश है, कि वर्तमान भारत के कृषि उत्पादों का विश्वभर में एक सम्मान और विश्वास बढ़ गया है। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में एपीडा (APEDA) का योगदान काफी सराहनीय है। वर्तमान में भारतीय कृषि उत्पादों की ब्रांड वैल्यू विकसित करने हेतु कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और निर्यात विकास प्राधिकरण मतलब कि एपीडा (APEDA) द्वारा एक नई योजना निर्मित की गई है। जिसके अंतर्गत भारतीय नदियों की घाटियों में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों की नदियों के नाम से ही ब्रांडिंग (Branding) की जानी है।

भारतीय कृषि उत्पादों को नदियों के नाम पर बेचा जाएगा

व्यावसायिक पथ की रिपोर्ट के अनुसार, गोदावरी, गंगा, ब्रह्मपुत्र और कावेरी सहित भारत की प्रमुख नदियों के घाटी में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों का चयन किया जा रहा है। एपीडा के अध्यक्ष एम अंगमुथु का कहना है, कि हमारे समीप एक से बढ़के एक कृषि एवं खाद्य उत्पादों की श्रंखला है। इनमें से कई सारे कृषि उत्पादों द्वारा स्थानीय एवं राज्य स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। कुछ कृषि उत्पादों को जीआई टैग (GI tag) भी मिला है। इस रणनीति को आगे बढ़ाते हुए एपीडा एक शानदार एग्री प्रोडक्ट्स का बाजार विकसित करने जा रहा है, जिनकी ब्रांडिंग नदियों के नाम पर की जाएगी। इस प्लान के तहत भारतीय नदियों का नाम या टैग लाइन इस्तेमाल करके इन कृषि उत्पादों को बेचने की योजना है।
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भारतीय रेस्टोरेंट बनेंगे एपीडा (APEDA) का सहारा

मीडिया खबरों के अनुसार, भारतीय कृषि उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इनकी उपलब्धता एवं उपभोग में भी वृद्धि हेतु एपीडा वर्तमान में विदेश में उपलब्ध भारतीय रेस्टोरेंट पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसी सन्दर्भ में एपीडा के अध्यक्ष एम अंगमुथु का कहना है, कि भारत के जीआई टैग उत्पादों को विदेशी भूमि पर अधिक तबज्जो मिल रही है। दुनियाभर के बाजार में ऐसे उत्पादों को बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है। इसी कड़ी में विगत वर्ष हमने 101 से अधिक जीआई टैग उत्पादों को विदेशों में निर्यात किया है। कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हेतु फिलहाल एपीडा विदेश में उपस्थित भारतीय रेस्त्रां के समन्वय से योजना तैयार कर रहा है। इसके पीछे की वजह भारत के कृषि उत्पादों की मांग की वृद्धि में इनकी अहम भूमिका होती है। आपको बतादें, कि दूसरे देशों में लगभग 1.5 से अधिक भारतीय रेंस्त्रा हैं।
ओडिशा से काजू की पहली खेप बांग्लादेश को APEDA के सहयोग से निर्यात की गई

ओडिशा से काजू की पहली खेप बांग्लादेश को APEDA के सहयोग से निर्यात की गई

भारत से बांग्लादेश निर्यात की गई काजू की प्रथम खेप इसलिए भी काफी अहम है, क्योंकि यह राज्य की महिला शक्ति को दर्शाती है। क्योंकि निर्यात करने हेतु जो काजू ली गई है, वह पैशन गॉरमेट से प्राप्त गुणवत्ता काजू है, जिसका संचालन एक प्रगतिशील महिला उद्यमी करती है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की मदद से ओडिशा ने काजू निर्यात के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। राज्य ने पहली बार काजू की खेप को बांग्लादेश भेजा है। ओडिशा से काजू का निर्यात करने में एपीडा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ओडिशा की ओर से बांग्लादेश भेजे गए काजू की प्रथम खेप में प्रीमियम गुणवत्ता वाले काजू हैं, जो कि 2 मीट्रिक टन की मात्रा तक हैं। इसको पश्चिम बंगाल स्थित एक्सपोर्टर पाफ ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड ने निर्यात किया है। ऐसा माना जा रहा है, कि यह महत्वपूर्ण कदम सिर्फ दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों को सशक्त करता है बल्कि ओडिशा में कृषि क्षेत्र के लिए नवीन रास्ते भी खोलने के लिए सहायक साबित होगा।

काजू की पहली खेप महिला शक्ति को दर्शाती है 

बांग्लादेश को भेजी गई काजू की पहली खेप इसलिए भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह राज्य की महिला शक्ति को दिखाती है। निर्यात के लिए जो काजू ली गई है वह पैशन गॉरमेट से प्राप्त क्वालिटी काजू है, जिसका संचालन एक प्रगतिशील महिला उद्यमी करती है। बतादें कि इस पहल से राज्य में महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा और उनके आर्थिक स्थिति को सुधारेगी। इससे प्रदेश के महिलाओं की उन्नति होगी। इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए राष्ट्रीय काजू दिवस मनाने हेतु एपीडा ने ओडिशा सरकार के सहयोग से, एक निर्यात-उन्मुख क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन किया है।

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भारत से बेहतरीन निर्यात कड़ी बनाने की कवायद 

बतादें, कि इस कार्यक्रम को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है, कि किसान उत्पादक संगठनों एवं किसान उत्पादक कंपनियों को कृषि निर्यात के क्षेत्र में उद्यम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्हें एक बेहतरीन एक्सपोर्टर बनाया जा सके और एक चेन से बिचौलियों को समाप्त करना इसका उद्देश्य है। ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके। बांग्लादेश भेजे गए शिपमेंट को एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव सहित बाकी अधिकारियों ने कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग, सरकार की मौजूदगी में हरी झंडी दिखाई गई।  

काजू की पहली खेप ओडिशा से निर्यात होने पर शुभकामनाएं 

ओडिशा की स्थानीय वेबसाइट के अनुसार, एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने अपने संबोधन में काजू दिवस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संपूर्ण भारत से काजू के निर्यात में वृद्धि हो रही एवं इसकी सराहना भी की है। साथ ही, उन्होंने ओडिशा से हो रहे काजू निर्यात के लिए बधाई दी। कृषि विभाग के प्रधान सचिव अरबिंद पाधी ने प्रदेश की विभिन्न संभावनाओं एवं उत्पादन शक्ति के विषय में विस्तार से चर्चा की है। एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव सास्वत मिश्रा ने ओडिशा से निर्यात की गति के लिए उपलब्ध विशाल अवसर और संभावनाओं के विषय में चर्चा की है। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सामान्य सुविधा केंद्रों के जरिए से उद्यमियों को मुहैय्या कराई गई विभिन्न सुविधाओं के विषय में चर्चा की है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए एपीडा एवं बाकी सुविधा एजेंसियों द्वारा की जा रही कोशिशों की सराहना की है। 

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अत्यधिक गर्मी होने से बाजार में फलों की उपलब्धता में आएगी कमी

काजू अन्य देशों में भी भेजने की तैयारी  

पाफ ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुब्रत घोष ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि के विषय में उत्साह जाहिर करते हुए कहा, "यह सफल शिपमेंट सिर्फ ओडिशा में काजू उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाती है, बल्कि भारत एवं बांग्लादेश के मध्य कृषि क्षेत्र में विकास और सहयोग की क्षमता को भी दर्शाती है। साथ ही, कहा कि अब ओडिशा से काजू की खेप बहरीन एवं कतर समेत कुछ बाकी देशों में भेजने की योजना तैयार की जा रही है।