जानें ग्राफ्टिंग विधि से खेती करने से कितने फायदे होते हैं

Published on: 05-Oct-2023

सामान्य तौर पर सबका मानना है, कि एक पेड़ पर एक ही किस्म का फल प्राप्त होता है। परंतु, क्या आपको मालूम है कि एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से हम एक पेड़ से बहुत सारे फल अर्जित कर सकते हैं। 

आइए इस लेख में आगे हम इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कुछ लोगों को घरों में अथवा गार्डेन में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाने का शौक होता है। 

गार्डेनिंग का शौक रखने वाले नर्सरी से विभिन्न किस्मों के पौधे लाकर अपने बगीचे में रोपते हैं। ऐसे शौकीन लोगों के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक बेहद ही फायेदमंद साबित होती है। हालांकि, यह तकनीक कृषि क्षेत्र में भी काफी कारगर होती है।

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा तैयार किया जाता है, जो मूल पौधे की तुलना में अधिक पैदावार प्रदान करता है। 

ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किये गए पौधे की खासियत यह है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं रहती हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि, ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के पौधों को तैयार करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल आम, जामुन, गुलाब, सेब एवं संतरे जैसे बहुत सारे बारहमासी पौधो पर किया जाता है।

ग्राफ्टिंग कितने प्रकार की होती है

  • एप्रोच ग्राफ्टिंग – Approach grafting
  • साइड ग्राफ्टिंग – Side grafting
  • स्प्लिस ग्राफ्टिंग – Splice grafting
  • सैडल ग्राफ्टिंग – Saddle grafting
  • फ्लैट ग्राफ्टिंग – Flat grafting
  • क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग – Cleft grafting
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ग्राफ्टिंग किस प्रकार की जाती है

घर के गार्डेन में पौधों की ग्राफ्टिंग करना बेहद ही सुगम है। इसके साथ ही ग्राफ्टेड पौधे शीघ्रता से तैयार हो जाते हैं। गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग करने के लिए जड़ वाले पौधे यानी कि रूट स्टॉक एवं सायन और कलम वाले पौधे को लिया जाता है। 

अब रूट स्टॉक और सायन को एक दूसरे से जोड़ने के लिए दोनों के सिरों को 1-5 इंच तक चाकू के माध्यम से तिरछा काटें। इसके उपरांत सायन के तिरछे कटे भाग को रूट भंडार के कटे हिस्से के ऊपर लगाते हैं। 

उसके पश्चात दोनों कटे हुए भागों को आपस में जोड़कर एक टेप की सहायता से बाँध देते हैं। इसके उपरांत रूट स्टॉक और सायन ऊतक आपस में जुड़ने लग जाते हैं। इस विधि के माध्यम से पौधों की उन्नति होनी चालू हो जाती है। इस तरह इस विधि द्वारा पौधों को विकसित कर सकते हैं।

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ग्राफ्टिंग तकनीक से खेती करने के लाभ

  • ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पौधों का आकार बेशक छोटा हो परंतु, इनमें फल-फूल शीघ्र लगने लगते हैं।
  • ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है, इससे पौधों में रोग भी कम लग पाता है।
  • ग्राफ्टिंग से तैयार पौधों को अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • ग्राफ्टेड पौधों की गुणवत्ता एवं विशेषता बीजों द्वारा रोपे गए पौधों से बेहतर होती है।
  • ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग करके हम फल तथा फूलों के पौधों को सहजता से तैयार कर सकते हैं।
  • ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे से लगभग वर्षभर फूल अथवा फल अर्जित होते हैं।
  • ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधों को घर पर गमले की मृदा में भी रोपा जा सकता है।

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