लंपी स्किन बीमारी को लेकर राजस्थान सरकार ने कसी कमर, भर्ती होंगे अस्थाई डॉक्टर

Published on: 30-Aug-2022

लंपी स्किन बीमारी जिस तरह से पूरे देश में कहर बरपा रही है, उसे देखते हुए राज्य सरकारें तुरफ फुरत में फैसले ले रही हैं ताकि इस जानलेवा बीमारी से पशुओं को बचाया जा सके। पिछले दिनों राजस्थान और हरियाणा सरकार ने अपने-अपने राज्यों में वैक्सिनेशन की प्रक्रिया तेज कर दी थी। लेकिन जिस तरह से मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, उन्हें और बेहतर तरीके से नियंत्रण करने के लिए राजस्थान सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। दरअसल, इस काम को मिशन मोड में खत्म करने के लिए राजस्थान सरकार ने 200 डॉक्टरों की अस्थायी तौर पर भर्ती करने का फैसला लिया है। ये डॉक्टर मवेशियों के टीकाकरण में तेजी लाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

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लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये इस बात की जानकारी राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने दी है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार पशुओं को इस रोग से निजात दिलाने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है। यही वजह है कि जिस क्षेत्र में ज्यादा रोगों की जानकारी मालूम पड़ रही है, वहां के लिए अस्थायी डॉक्टर नियुक्त किए गए हैं ताकि रोगों के मामलों में रोकथाम लाई जा सके। साथ उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को और मुस्तैदी से काम करने की जरूरत है ताकि पशुपालकों का किसी तरह कोई नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान में जब भी इस तरह की आपदा आती है, तो स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर समाज के लोगों का खूब सहयोग मिलता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक राज्य में करीब ढाई लाख पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं। डॉक्टर भर्ती के बारे में विस्तार से बताते हुए पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राज्य में पशुओं की बेहतरी को देखते हुए 1 हजार 436 पशुध सहायकों की भर्ती की जाएगी। इसके अलावा तत्काल अस्थायी आधार पर 300 पशुधन सहायक होंगे। साथ ही 200 वेटरनरी डॉक्टर अस्थायी तौर पर भर्ती किए जाएंगे।

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लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) मौजूदा हालातों को देखते हुए सभी पशु विभाग के दफ्तरों को छुट्टी के दिनों में भी खुले रहने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, ताकि छुट्टी के दिन भी किस तरह की दिक्कत होने पर पशुओं के मालिक डॉक्टरों से संपर्क कर सकें। साथ ही कहा गया है कि इस बीमारी के बारे में हर गांव को जागरूक किया जाए। साथ ही अधिकारियों को कहा गया है कि हर रोज प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें, ताकि हर तरह की समस्या को हल किया जा सके।

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खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम की कवायद तेज साथ ही अधिकारियों को कहा गया है कि वे गौशाला वालों को बोलें कि पशुओं के आस-पास जितनी हो सके सफाई रखें, क्योंकि वातावरण अशुद्ध होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा फैलती है। प्रदेश में अब तक सबसे ज्यादा संक्रमित पशु जोधपुर से सामने आए हैं, जहां इसकी संख्या 1 लाख के करीब है और करीब 2800 पशुओं की मौत हो चुकी है। ऐसे में ज्यादा प्रभावित जिलों पर प्रशासन ज्यादा ध्यान दे रहा है।

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