देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था

By: MeriKheti
Published on: 11-Jun-2022

भारत में किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती (प्राकृतिक कृषि पद्धति) से धीरे धीरे हटते जा रहा है। सरकार किसानों का ध्यान जैविक खेती की ओर बढ़ा रही है। जैविक खेती करने के लिए सरकार नई नई योजनाएं लागू कर रही है। 

और सरकार के इन प्रयासों का असर भी किसानों पर हुआ है। किसानों का ध्यान धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर जा रहा है। 

ऐसे में सरकार खेती को नुकसान पहुंचाए बिना, भारत में 2030 तक जैविक खेती का रकबा 30 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है। जो कि फिलहाल में केवल 15% ही है। लेकिन 2020 तक 30 फीसदी जमीन पर जैविक खेती करने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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भारत सरकार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए किसानों को जैविक खेती की ओर ले जा रही है। हमारे देश में जैविक खेती का रकबा 15% है जिसे 30% करने की तैयारी की जा रही है। 

इसके साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि जैविक खेती करने से उत्पादन में कमी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। और अगर किसी कारणवश ऐसा हो जाता है तो इसकी भरपाई उर्वरक सब्सिडी में कमी से की जाएगी। 

ऐसे में भारत में खाद्य समस्या को लेकर धीरे-धीरे जैविक खेती का विस्तार किया जाएगा। भारत के मध्य प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में कोल खेती का जैविक खेती के रूप में 6 फ़ीसदी तक बढ़ाया जा सकता है।

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भारत में खाद्य उत्पादन बढ़ रहा है :

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यह कार्य श्रीलंका से सबक लेते हुए किया जाएगा क्योंकि श्रीलंका में उर्वरक के इस्तेमाल को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था जिसके कारण श्रीलंका में खाद्य संकट पैदा हो गया। 

क्योंकि देश का खाद्य उत्पादन पिछले कई वर्षों में 3% से अधिक की दर से बढ़ रहा है इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि दर 1.5% से भी कम है ऐसे में खाद्य की घरेलू मांग में भी कमी आ रही है।

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कुल उत्पादन का कितना निर्यात :

अगर रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना बंद हो जाएगा तो हमारे देश में खाद्य संकट पैदा हो सकता है जिससे खाद उत्पादन में कमी आती है। लेकिन भारत उत्पादन कम होने पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने की स्थिति में है। 

जानकारी के मुताबिक भारत में खेती के कुल उत्पादन का 6 से 7 फ़ीसदी तक निर्यात किया जाता है। खाद्यान्नों की वापस शॉपिंग करने की नीति के कारण देश खाद्य संकट और कीमतों के झटके से बच सकता है। 

क्योंकि गंगा नदी के किनारे स्थित खेतों में पूरे देश में रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। लेकिन हमारा देश अभी उस स्थिति तक नहीं पहुंच पाया है जहां वह बफर स्टॉकिंग और खरीद व्यवस्था को छोड़ सके।

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