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फसल

मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

मूंग की उन्नत किस्मों के बीज अब किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध

फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को उन्नत तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय लगातार नई-नई उन्नत किस्मों का विकास कर रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने मूंग की दो उन्नत किस्मों MH 1762और MH 1772 को बढ़ावा देने हेतु राजस्थान की स्टार एग्रो सीड्स कंपनी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस करार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन उन्नत किस्मों का बीज अधिक से अधिक किसानों तक विश्वसनीय रूप से पहुंचे, जिससे उनकी पैदावार में सुधार हो और उन्हें आर्थिक लाभ मिल...
चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का फूल, पौधा, इसका उत्पादन और इसके लाभ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

चंपा का पौधा, जिसे अंग्रेज़ी में Plumeria कहा जाता है, एक सुंदर और सुगंधित पुष्प वाला वृक्ष है, जो अपनी मनमोहक महक और बहुपयोगी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। चंपा न केवल अपनी सुंदरता से लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि इसका धार्मिक, औषधीय और सजावटी महत्व भी अत्यधिक है। यह फूल विशेष रूप से बरसात के मौसम में अधिक खिलते हैं और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाए जा सकते हैं।चंपा का पौधाचंपा एक छोटा या मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ आमतौर पर चमकदार हरे रंग की होती हैं और आकार में 8 से...
 मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

मूली की नई और उन्नत किस्मों की सूची

लेखक: डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान 1. पूसा मृदुला:विवरण: IARI द्वारा विकसित। सफेद, मुलायम जड़ें (25-30 सेमी), कम तीखी। गर्मी और आर्द्रता सहनशील। 35-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-35 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: मार्च से सितंबर।2. पूसा गुलाबी:विवरण: IARI की नई किस्म। गुलाबी जड़ें (20-25 सेमी), हल्की मीठी। सलाद के लिए लोकप्रिय। 40-50 दिन में परिपक्व। पैदावार: 25-30 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: सितंबर से फरवरी।3. अर्का निशांत:विवरण: IIHR की किस्म। लंबी, सफेद जड़ें (30-35 सेमी), फफूंदी-प्रतिरोधी। गर्मी और सर्दी दोनों के लिए। 40-45 दिन में तैयार। पैदावार: 30-40 टन/हेक्टेयर।बुवाई का समय: अगस्त से जनवरी।यह भी पढ़ें: मूली की फसल को प्रभावित...
मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ

मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ

लेखक: डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलानउच्च मक्का उपज प्राप्त करने के लिए, किसानों को फसल की वृद्धि अवस्थाओं को समझना और उचित देखभाल प्रदान करना आवश्यक है, जिसमें सटीक पोषक तत्व प्रबंधन शामिल है। यह बुलेटिन मक्का की प्रमुख वृद्धि अवस्थाओं, उनकी प्रबंधन आवश्यकताओं, और इष्टतम वृद्धि के लिए मानक प्रथाओं के आधार पर अनुशंसित उर्वरक अनुप्रयोग (किग्रा प्रति हेक्टेयर) को रेखांकित करता है।मक्का की विभिन्न वृद्धि अवस्थाओं में प्रबंधन प्रथाएँ और पोषक तत्व प्रबंधन   1. उद्भव अवस्था     विवरण:मक्का का बीज अंकुरित होता है और पौधा मिट्टी से बाहर निकलता है।इसके लिए गर्म...
 उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

उन्नत कृषि प्रणाली के लिए ज्ञान, यंत्र, प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला

लेखक - डॉ वीरेन्द्र सिंह गहलान,कृषि मात्र एक साधारण उत्पादन प्रक्रिया नहीं है; यह एक सुव्यवस्थित असेम्बली लाइन है जिसमें मंत्र (ज्ञान), यंत्र (संसाधन), और तंत्र (प्रबंधन एवं आपूर्ति श्रृंखला) का प्रभावी समन्वय आवश्यक होता है। उन्नत कृषि के लिए, किसान को वैज्ञानिक समझ, तकनीकी दक्षता, और एक व्यापक आपूर्ति प्रणाली विकसित करनी होती है। यह एक सुव्यवस्थित कृषि उद्योग की आधारशिला है।Extreme Farm Soil Engineering: उन्नत कृषि की नींवकिसी भी फसल उत्पादन की मूलभूत इकाई मृदा होती है। परंपरागत दृष्टिकोण से आगे बढ़कर, Extreme Farm Soil Engineering का उद्देश्य मिट्टी को एक उर्वर, संरचित और पर्यावरण-अनुकूल प्रणाली में बदलना...
कृषि असेम्बली लाइन: तकनीकी एवं वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

कृषि असेम्बली लाइन: तकनीकी एवं वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

लेखक : डॉ वीरेन्द्र सिंहकृषि क्षेत्र में असेम्बली लाइन की अवधारणा को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह संपूर्ण कृषि आपूर्ति श्रृंखला की कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार हेनरी फोर्ड ने कार उत्पादन में असेम्बली लाइन की दक्षता को बढ़ाया, उसी प्रकार कृषि उत्पादन में भी व्यवस्थित, चरणबद्ध, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर दक्षता में वृद्धि की जा सकती है।कृषि असेम्बली लाइन की अवधारणाकृषि उत्पादन केवल खेत में बीज बोने और फसल काटने तक सीमित नहीं है। यह एक बहु-स्तरीय प्रणाली है जिसमें भूमि सुधार, पौध पोषण, फसल सुरक्षा, कटाई उपरांत प्रक्रियाएँ,...
बायोबीऑन गोल्ड और Udder-H गोल्ड लिक्विड अपने पशुओं को खिलाए और दूध का बंपर उत्पादन पाए

बायोबीऑन गोल्ड और Udder-H गोल्ड लिक्विड अपने पशुओं को खिलाए और दूध का बंपर उत्पादन पाए

एनीमैक्स फार्मा पशु स्वास्थ्य देखभाल उद्योग में तेजी से विकसित होने वाली कंपनी है। वर्ष 2007 में, कंपनी ने अपने संचालन की शुरुआत देश के उत्तरी क्षेत्रों में की, जिनमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं।  पशु चिकित्सा क्षेत्र के पशुपालकों और किसानों ने कंपनी के कई उत्पादों को स्वीकार किया है, जिससे इसे तेजी से पहचान और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। वास्तव में, पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, कंपनी विभिन्न चिकित्सीय क्षेत्रों में पोषण और वृद्धि को बढ़ावा देने वाले उत्पाद लगातार प्रदान कर रही है। इस लेख में...
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत इस राज्य के पशुपालकों को मिलेगा 50% से 90% तक अनुदान

मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत इस राज्य के पशुपालकों को मिलेगा 50% से 90% तक अनुदान

झारखंड सरकार किसानों के साथ-साथ पशुपालकों की भी आर्थिक सहायता कर रही है। इस उद्देश्य से सरकार कई योजनाओं को लागू कर रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और पशुपालन को बढ़ावा दिया जा सके।इसी दिशा में सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री पशुधन योजना की शुरुआत की है। यह योजना किसानों और पशुपालकों के लिए आर्थिक रूप से एक बड़ा अवसर लेकर आई है। इसके तहत राज्य सरकार द्वारा 50% से 90% तक का अनुदान प्रदान किया जा रहा है, जिससे पशुपालन को व्यवसायिक रूप से बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आमदनी बढ़ेगी।  मुख्यमंत्री...
अनानास की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार के लिए सही तकनीक

अनानास की आधुनिक खेती: अधिक पैदावार के लिए सही तकनीक

अनानास भारत की एक महत्वपूर्ण फल फसल है और मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, त्रिपुरा, बिहार, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड में उगाई जाती है। उत्तर-पूर्वी राज्य देश में कुल अनानास उत्पादन का लगभग 45% योगदान देते हैं। इसे एकल फसल के रूप में बड़े पैमाने पर, बागानी फसलों के साथ अंतर्वर्ती फसल के रूप में या विभिन्न पेड़ों के साथ एक कृषि-वनीकरण फसल के रूप में उगाया जा सकता है। त्रिपुरा और असम के बराक घाटी के कई हिस्सों में, अनानास को कटहल के पेड़ों के साथ उगाया जाता है। मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में इसे पहाड़ी ढलानों...