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उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

आलू की खेती से किसान रबी सीजन में करते हैं, किसानों को इससे काफी मुनाफा अर्जित होता है। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि खरीफ की फसलों की कटाई का समय आ चुका है। यूपी की उपजाऊ मृदा से हो रही पैदावार निरंतर विदेशों में लोकप्रियता अर्जित कर रही है। यहां पर उगने वाले आलू की मांग सात समुंदर पार भी हो रही है। प्रथम बार यूपी के आलू को अमेरिका के गुनाया में निर्यात किया गया है। किसानों को अपनी समझ और सूझबूझकर से खेती करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह की भी जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश के आलू का दबदबा विदेशों तक भी है। दरअसल, यूपी के आलू को पहली बार हजारों किलोमीटर दूर स्थित अमेरिका भेजा गया है। यूपी के आलू का जलवा विदेशों में भी है। मीडिया खबरों के अनुसार, फार्मर ग्रुप (FPO) की सहायता से 29 मीट्रिक टन आलू अमेरिका के गुयाना में भेजा गया। बतादें, कि इसके साथ ही योगी सरकार का किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना भी साकार हो रहा है।

आलू का निर्यात अब सात समुंदर पार भी होगा

वाराणसी के एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) के उप महाप्रबंधक का कहना है, कि आलू को पहली बार व्‍यापारिक रूप से अमेरिका के गुयाना शहर निर्यात किया गया है। उन्‍होंने बताया है, कि निर्यात किए गए आलू को अलीगढ़ के एफपीओ से खरीद कर शीत गृह में पैक किया गया। 29 मीट्रिक टन आलू समुद्र मार्ग के जरिए गुयाना पहुंचेगा।

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अलीगढ़ में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खोलने की मुहिम

बतादें, कि इसी कड़ी में अलीगढ़ के किसान उद्यमी के साथ-साथ निर्यातक भी बन रहे हैं। अलीगढ़ में आलू के उत्पादन को मंदेनजर रखते हुए एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी अलीगढ़ में कृषि निर्यात केंद्र खोलने की तैयारी कर रहा है। बतादें, कि यदि अलीगढ़ जनपद में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खुलता है, तो जनपद के आसपास के हजारों लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा।

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योगी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बिचौलियों को अलग करके किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में एफपीओ के जरिए से किसानों को निर्यातक बनाया जा रहा है। प्रदेश में योगी सरकार एफपीओ एवं किसान समूहों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की तरफ प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। किसानों को विदेशों में निर्यात कर बेहतरीन आमदनी देने वाली फसलों की पैदावार करनी चाहिए। किसान केवल पारंपरिक फसलों पर ही आश्रित ना रहें।
खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

खुशखबरी: २०० करोड़ के निवेश से इस राज्य में बनने जा रहा है अनुसंधान केंद्र

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। यह जम्मू-कश्मीर के कृषकों के लिए हर्ष की बात है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया है, कि जम्मू-कश्मीर में कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का केंद्र बनने के असीमित अवसर हैं। इसी संबंध में उनका यह भी कहना है, कि जम्मू में उत्पादित होने वाले बांसों का प्रयोग अगरबत्ती समेत विभिन्न प्रकार के आवश्यक उत्पादों के निर्माण हेतु हो सकता है। इस वजह से बांस की खेती के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी तो होगी ही साथ में किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्ट्रॉबेरी व सेब एवं ऐसे अन्य फलों की जीवनावधि को कोल्ड-चेन की उत्तम व्यवस्था के जरिये बढ़ाया जाना संभव है।

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उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में गैर-इमारती वन उत्पाद (NTFP) में आने वाले पौधे जिनमें मशरूम, गुच्ची एवं अन्य औषधीय पौधे काफी संख्या में मिल जाते हैं। चिनाब घाटी अथवा पीर पंजाल क्षेत्र (राजौरी, पुंछ) उच्च गुणवत्ता वाले शहद एवं एनटीएफपी का केंद्र है। दरअसल, इनकी उचित तरीके से विपणन नहीं हो पाती है। केंद्रीय मंत्री ने बताया है, कि प्रदेश के जम्मू-कश्मीर औषधीय पादप बोर्ड एवं वन विभाग को साम्मिलित किया, क्योंकि एक सहायक पद्धति के जरिये से उत्पादन, बिक्री और विपणन की आवश्यकता है। 

कृषि संबंधित औघोगिक क्रांति से बेहद मुनाफा हो सकता है

उपरोक्त में जैसा बताया गया है, कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष मंत्रालय बदरवाह में अनुसंधान केंद्र निर्माण हेतु २०० करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं।. इसी दौरान मंत्री का कहना है, कि कृषि, बागवानी एवं ग्रामीण विकास की भाँति अनेकों प्रगतिशील क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी संगठनों हेतु निरंतर सहायता की आवश्यकता है। साथ ही उनका कहना है, कि शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय (SKUAST) कश्मीर, को उद्यमिता विकास संस्थान (EDI) के साथ मिलकर भेड़पालन व पशुपालन विभागों को सहायता प्रदान करनी चाहिए। 

किसानों को (एफपीओ) व सहकारी समितियों के जरिये संस्थागत होना चाहिए

बतादें कि, मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है, कि किसानों को सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से संस्थागत होना महत्वपूर्ण है। कृषि एवं बागवानी क्षेत्रों में स्थानीय मांगो पर ध्यान केंद्रित हो, एवं ऐैसे नौजवानों को तैयार करना होगा जिनकी इस क्षेत्र में कार्य करने की रूचि हो। साथ ही, एनजीओ किसानों को फसल बीमा अर्जन हेतु संवेदनशील बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि इसकी जम्मू और कश्मीर में बेहद जरूरत है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, इस प्रकार के सरकारी संगठनों द्वारा समर्थन हेतु कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में कार्यशील प्रमुख गैर सरकारी संगठनों व अनुसंधान संस्थानों का सम्मिलित होना अति आवश्यक है। बाजार में अच्छी पकड़ हेतु, अधिकारियों द्वारा कोई ऐसी नीति जारी होनी जरूरी है, जो स्थानीय कृषि और बागवानी उत्पादों जैसे अखरोट, सेब व राजमा आदि के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जिम्मेदारी उठा सके।

किसानों की मदद के लिए खुल गए हैं खास खिदमत केंद्र

किसानों की मदद के लिए खुल गए हैं खास खिदमत केंद्र

समय-समय पर किसानों की मदद के लिए भारत में केंद्र और राज्य सरकार काम करती रही है। प्राकृतिक आपदा से फसलें खराब होना और खाद, बीज आदि की सही परख ना होना जैसे समस्या किसानों के सामने आती रहती है। हाल ही में जम्मू कश्मीर में किसानों के लिए खिदमत केंद्र का निर्माण किया गया है। यहां पर किसानों को सभी तरह की सुविधाएं एक ही जगह पर मिल जाएंगी।


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प्राकृतिक आपदाएं हमेशा ही किसानों के लिए एक समस्या बन कर सामने आई है। इस बार की फसल में भी किसानों को बाढ़, बारिश और सूखे के चलते खरीफ की फसल में काफी नुकसान हुआ है। एक ही सीजन में किसानों की लगभग पूरी फसल बर्बाद हो गई है। इस तरह से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों के पास केंद्र या राज्य सरकार से मदद मांगने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है। किसानों ने गुहार लगाई और सरकार ने भी किसानों की मदद करने की पहल की है। केंद्र सरकार द्वारा एफपीओ (FPO) बनाए गए हैं, जो किसानों को आर्थिक मदद देने में काम आएंगे। इसके अलावा किसानों की मदद करने के लिए जम्मू और कश्मीर राज्य में भी कवायद शुरू की गई है। यहां पर किसानों के लिए खिदमत केंद्र बनाएं गए हैं।

2000 के करीब खिदमत सेंटर तैयार

जिला अधिकारियों को ये आदेश दिए गए हैं, कि जैसे ही किसान किसी समस्या को लेकर खिदमत केंद्र में आते हैं, तो जल्द से जल्द उसका निवारण किया जाना ज़रूरी है। यहां पर इस बात का खास ध्यान रखा गया है, कि किसानों को अपनी समस्या के हल के लिए ज्यादा समय इंतजार ना करना पड़े। ऐसे २००० सेंटर बन चुके हैं, जो किसानों की मदद कर रहे हैं।

किन समस्याओं का किया जाएगा निवारण

यहां किसानों को लोन संबंधी परेशानी, बीज संबंधी दिक्कत, आपदा में फसली नुकसान और अन्य तरह की दिक्कत होने पर लाभ किसानों को मिलेगा। यहां पर सरकार ने कोशिश की है, कि इन सभी समस्याओं का हल एक ही जगह निकाला जा सके। इसी के मकसद से किसान खिदमत केंद्रो की स्थापना की गई है। साथ ही जैसा कि नाम से जाहिर है, ये किसानों के हित में एक सम्मानजनक तरीका है। केंद्र सरकार की तरफ से भी देश में पीएम किसान समृद्धि केंद्र खोले गए हैं, यहां किसानों को अच्छी किस्म के बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि उपकरण और मिट्टी की जांच की सुविधा दी जा रही है। उत्तर प्रदेश में ऐसे 66 केंद्र कार्यरत हैं।
जानिए खेती किसानी से कैसे कमा रहा है यह किसान लाखों में मुनाफा

जानिए खेती किसानी से कैसे कमा रहा है यह किसान लाखों में मुनाफा

हरियाणा राज्य के जनपद करनाल में टखाना निवासी महिपाल जो कि कृषि को ही अपना सब कुछ मानते हैं। प्रत्येक सीजन में तकरीबन ३ लाख रुपए की आय अर्जित कर लेते हैं। नीलोखेड़ी एफपीओ(Nilokheri FPO) के साथ संबंध बनाने के उपरांत उनके लिए कृषि पथ बेहद सुगम हो गया है। भारत में खेती - किसानी प्राचीन काल से ही होती आ रही है। कृषकों के लिए कृषि उनकी आमंदनी का प्रमुख जरिया होने के साथ जीवनचर्या का भी अभिन्न हिस्सा है।


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खेती-किसानी को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा भी अच्छी पहल की जा रही है जिसकी वजह से किसान भी अब एकजुट होकर के कृषि क्षेत्र की तरफ रुख कर रहे हैं। इसमें फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (FPO), किसानों को जुड़ने का अवसर देकर उनकी समस्याओं का निराकरण करने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। इसी क्रम में हम इस लेख के जरिये से एक सफल किसान महिपाल की कहानी को बताने वाले हैं। उन्होंने नीलोखेड़ी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (Nilokheri Farmers Producer Company Limited) से जुड़कर कृषि में सफलता हासिल की है।


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करनाल के टखाना निवासी महिपाल खेती करते हैं, उनका बचपन से ही कृषि जगत की ओर रुख और दिलचस्पी रही है। इसकी मुख्य वजह पीढ़ियों से उनके परिवारीजन खेती करते आ रहे हैं। महिपाल ने कहा है, कि वह बचपन से ही अपने परिवारीजनों को खेती किसानी करते देखते आये हैं, जिसमें वह अपने परिवार की मदद भी करते थे। वह स्वयं की १० एकड़ भूमि में लौकी, गोभी, धान, गेहूं, सरसों, भिंडी, टमाटर,करेला इत्यादि फसलों का उत्पादन करते हैं। महिपाल खाद के तौर पर जैविक खाद का प्रयोग करते हैं, हालांकि वह पूरी तरह से जैविक कृषि तो नहीं अपना रहे हैं, परंतु आवश्यकता होने पर काफी कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं।

सर्वप्रथम कौन-सी फसल से महिपाल ने कमाया ३ गुना फायदा

महिपाल मल्चिंग एवं द्रप्स सिंचाई व टपक सिंचाई विधि की मदद से प्याज का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे वह अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। उनके मुताबिक टपक विधि से फसल उत्पादन करने से ३ गुना अधिक आय अर्जित होती है।

क्या सहायता कर रही है नीलोखेड़ी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड

महिपाल के अनुसार नीलोखेड़ी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (FPO) के जरिये उनको काफी सहयोग मिला है। साथ ही वह सरकार के माध्यम से जारी की गयी अनुदान राशि को भी सुगमता से प्राप्त कर लेते हैं। इसके अतिरिक्त किसान महिपाल को एफपीओ से हर साल १००० रुपए की जैविक खाद, दवाएं व बीज मिल जाते हैं। ट्रैक्टर, सुपर सीडर, कंबाइन हार्वेस्टर मशीन इत्यादि काफी कम मूल्य पर कृषिकार्य हेतु प्राप्त हो जाती है। नीलोखेड़ी एफपीओ के सहयोग से एक्सपोजर शिविर के जरिये विभिन्न विश्वविद्यालय, कृषि महाविद्यालय एवं खेती-किसानी से जुड़े संस्थानों में प्रशिक्षण देने हेतु कृषकों को बुलाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक तकनीक और फसलों से संबंधित सूचना प्रदान करना है। महिपाल ने बताया कि आने वाले समय में कृषि हेतु वह सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने की तैयारी कर रहे हैं। ताकि उनको कृषि कार्यों में सुगमता हो साथ ही उनका यह भी कहना है, कि वह एफपीओ के साथ जुड़ने से पूर्व उनको एक सीजन में लगभग ४० से लेकर ५० हजार रुपए की आय होती थी। हालाँकि अब वह एक सीजन में करीब २ से ३ लाख रुपए की आमंदनी प्राप्त कर लेते हैं।
किसानों के लिए वरदान है किसान उत्पादक संगठन, मिलती है मदद

किसानों के लिए वरदान है किसान उत्पादक संगठन, मिलती है मदद

अगर आप भी किसान हैं तो आपके लिए किसान उत्पादक संगठन एक वरदान की तरह साबित हो सकता है. कई तरह की मदद के साथ बढेगा मनोबल भी. किसानों की एक जुटता बड़े से बड़े तूफान से लड़ने का दम रखती है. 

इसके अलावा किसानों को कृषि कार्यों में बखूबी प्रदर्शन करने की भी प्रेरणा मिलती है. एक किसान एक जुट हो जाएं, तो खेती किसानी से जुड़ी मुश्किलों का हल आसानी से निकाला जा सकता है. इतना ही नहीं किसानों की यही एक जुटता सामाजिक और आर्थिक मदद की मिसाल बन कर खड़ी हो जाती है. 

इसी तर्ज पर किसानों की एक जुटता के लिए किसान उत्पादक संगठन बनाने पर जुट गया है. अगर आज के समय में कृषि उत्पादकों सफलता का श्रेय में कहीं ना कहीं किसान उत्पादक संगठनों को दिया जा सकता है. जिस संगठन से जुड़कर किसान अपना आने वाला कल संवार सकते हैं.

जानिए किसान उत्पादक संगठन के बारे में

किसान उत्पादक संगठन किसानों द्वारा बनाया गया स्वयं सहायता समूह है. जहां किसान ही दूसरे किसान की मदद करते हैं. अगर कोई किसान इस संगठन से जुड़ता है तो, उसे ना सिर्फ सस्ते दामों में बीज मिल सकते हैं बल्कि, कीटनाशक, उर्वरक, नेटवर्किंग, तकनीकी मदद, कृषि तकनीक, मार्केट लिंकेज के साथ साथ आर्थिक मदद भी मिलती है. इस मदद का ख़ास उद्देश्य यही है कि, इससे किसानों का मनोबल बढ़े और खेती में अच्छा प्रदर्शन कर सकें. 

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महामारी के दौरान किसान उत्पादक संगठन ने लाखों किसानों की मदद की. जिसके बाद केंद्र सरकार ने भी इस संगठन को परखा और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित किया.

संगठन कैसे करते हैं काम?

किसान उत्पादक संगठन के नाम से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि, यह संगठन पूरी तरह से किसानों का संगठन है. इसमें शामिल सदस्य एक दूसरे की मदद करते हैं. हर संगठन में कम से कम 11 किसान होने जरूरी हैं. जिसमें हर तरह के किसान होते हैं. 

अगर कोई किसान आर्थिक रूप से कमजोर है तो वो भी इस संगठन का हिस्सा बन सकते हैं. इतना ही नहीं किसानों को जरूरत पड़ने आदानों और सेवाओं को रियारती खर्च दिया जाता है. जिसकी मदद से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकता है.

सरकार दे रही सहायता राशि

केंद्र सरकार की तरफ से किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है. जिसके लिए एक योजना भी चलाई जा रही है. 

जिसमें आवेदन करके कम से कम तीन सल तक किसानों के लिए काम करने वाले संगठन को 15 लाख रुपयों की सरकार की तरफ से मदद दी जाती है.

इस तरह से करें आवेदन

अगर कोई किसान भाई किसान उत्पादक संगठन से जुड़ना चाहता है तो वो, आवेदन करने के लिए अपना आधार कार्ड, स्थाई निवास प्रमाण पत्र बैंक कि पूरी डिटेल, जमीन के कागज और पासपोर्ट साइज की फोटो देना जरूरी होगा. 

इसके अलावा इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर भी जा सकते हैं.

अब भारतीय किसानों की आजीविका सुधारने के लिए काम करेगा वॉलमार्ट Walmart, 10 लाख किसानों को होगा फायदा

अब भारतीय किसानों की आजीविका सुधारने के लिए काम करेगा वॉलमार्ट Walmart, 10 लाख किसानों को होगा फायदा

भारत में वॉलमार्ट (Walmart) अब छोटे किसानों की आजीविका को सुधारने का काम करने जा रहा है। इसके लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने बुधवार को अपनी नई पंचवर्षीय रणनीति की घोषणा की। इसके साथ ही फाउंडेशन ने 2 अन्य अनुदानों की भी घोषणा की है। वॉलमार्ट फाउंडेशन का कहना है कि इस रणनीति के जरिए वह देश के 10 लाख छोटे किसानों तक पहुंच सुनिश्चित करना चाह रहा है। इसमें 50 फीसदी महिला किसानों को भी शामिल किया जाएगा। इस रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा सहित कई राज्यों के छोटे किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन अनुदान भी प्रदान करेगा। वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) अपनी इस पहल से महिला किसानों को सशक्त करना चाह रहा है, साथ ही खेती में आधुनिक उपकरणों को बढ़ावा देना उसका अगला लक्ष्य है। बकौल वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation), छोटे किसानों के बीच पर्यावरण के अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करना उनका मुख्य लक्ष्य है।

इन किसानों को मिलेगा अनुदान

वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) ने कहा है कि महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में छोटे किसानों के लिए 30 लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया जाएगा। इसका फायदा 30 हजार छोटे किसानों को होगा, जिनमें आधी महिला किसान भी शामिल होंगी। साथ ही ओडिशा में 1 हजार महिला किसानों को 5 लाख 33 हजार 876 डॉलर का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही महिला किसानों को 2 उत्पादक संगठनों से जोड़ा जाएगा। इससे महिला किसानों की आय में इजाफा हो सकता है। ये भी पढ़े:
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वॉलमार्ट (Walmart) की रणनीति से इन राज्यों के किसानों को होगा फायदा

वॉलमार्ट फाउंडेशन (Walmart Foundation) ने बताया है कि उनकी रणनीति मुख्य तौर पर आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, उड़ीसा, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों पर केंद्रित रहेगी। इसके साथ ही इन राज्य के छोटे किसानों को अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। इस दौरान वॉलमार्ट (Walmart) के घोषणा कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। उन्होंने वॉलमार्ट के द्वारा छोटे किसानों और खास तौर पर महिला किसानों के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी लगातार देश के किसानों के उत्थान के लिए काम कर रही है, इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं जिनसे देश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस घोषणा कार्यक्रम के दौरान वॉलमार्ट के कर्मचारियों ने बताया कि उनका फाउंडेशन आगामी साल 2028 तक 10 लाख किसानों की मदद करने जा रहा है।

वॉलमार्ट (Walmart) की इस पहल से छोटे किसानों को होगा फायदा

वॉलमार्ट (Walmart) की इस पहल से छोटे किसानों और मुख्य तौर पर महिला किसानों को फायदा होने वाला है। यह एक प्रकार से वॉलमार्ट की ओर से महिला सशक्तिकरण में एक नया कदम होगा। वॉलमार्ट से जुड़ने के बाद महिला किसान मुख्य धारा में आ जायेंगी और आधुनिक कृषि यंत्रों की सहायता से उन्नत खेती कर सकेंगी। इससे महिला किसानों की आय के साथ ही उनके जीवन जीने के तरीके में भी सुधार होगा।
इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को देगी 18 लाख रुपये, ऐसे करें आवेदन

इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को देगी 18 लाख रुपये, ऐसे करें आवेदन

सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार ने विभिन्न स्तरों पर ढेरों योजनाएं चला रखी हैं। जिनसे देश के किसान लगातार लाभान्वित हो रहे हैं। इसी क्रम में सरकार ने एक और योजना शुरू की है। जिसे 'पीएम किसान एफपीओ योजना' नाम दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत सरकार किसान को एग्रीकल्चर बिजनेस शुरू करने के लिए 18 लाख रुपये तक की सहायता देती है। योजना का लाभ लेने के लिए कम से कम 11 किसानों को मिलकर एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाना जरूरी है।

क्या है पीएम किसान एफपीओ योजना

किसान एफपीओ योजना को केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए चलाई है। जिसमें खेती बाड़ी से जुड़े बिजनेस शुरू करने के लिए 18 लाख रुपये तक की राशि मुहैया कवाई जाती है। यह राशि आवेदन करने के बाद आगामी 3 साल में सरकार की तरफ से प्रदान की जाएगी। इस योजना से जुडने पर और भी कई तरह के फायदे होते हैं। जैसे:- किसान सस्ती दरों पर बैंकों से लोन हासिल कर सकते हैं। इसके साथ ही इस योजना के अंतर्गत उपज को बेंचने के लिए किसानों के लिए आसानी से बाजार उपलब्ध हो जाता है। साथ ही किसान भाई बेहद रियायती दरों पर फर्टिलाइजर, सीड, केमिकल और कृषि यंत्र जैसे जरूरी सामान भी खरीद सकते हैं। ये भी पढ़े: इन कृषि यंत्रों पर सरकार दे रही है भारी सब्सिडी, आज ही करें आवेदन

ये लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं

आवेदक का कृषि का व्यवसाय होना जरूरी है। इसके साथ ही उसके पास कृषि योग्य भूमि होना चाहिए। आवेदक किसान उत्पादक संगठन का हिस्सा होना चाहिए। मैदानी क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठन में कम से कम 300 सदस्य होने चाहिए, इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठन में 100 सदस्य होने चाहिए।

आवेदनकर्ता के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

आवेदनकर्ता के पास आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, राशन कार्ड, आय प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, बैंक खाता विवरण और मोबाइल नंबर होना अनिवार्य है। इन सभी दस्तावेजों की जानकारी आवेदन करते समय देनी होगी।

ऐसे करें पीएम किसान एफपीओ योजना में आवेदन

जो  भी किसान इस योजना के अंतर्गत लाभ उठाना चाह रहे हैं उन्हे सर्वप्रथम किसान उत्पादक संघ (एफपीओ) में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। यह प्रक्रिया ई-नाम पोर्टल के माध्यम से बेहद आसानी से पूरी की जा सकती है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए ई-नाम की आधिकारिक वेबसाइट https://www.enam.gov.in पर जाएं। वहां पर ई-नाम का पेज होगा। इस पेज में अपनी जानकारी भरने के बाद सबमिट कर दें। इसके अलावा किसान भाई ई-नाम मोबाइल ऐप और नजदीकी ई-नाम मंडी जाकर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है?

किसान उत्पादक संगठन एक प्रकार का उत्पादक संगठन होता है, जिसमें किसान इस संगठन के सदस्य होते हैं। किसान उत्पादक संगठन का कार्य छोटे और सीमान्त किसानों की आय में सुधार लाना है। यह संगठन किसानों के आर्थिक सुधार के लिए बाजार संपर्क बढ़ाने में मदद  करते है। किसान उत्पादक संगठन, उत्पादकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा संगठन है जिसमें गैर कृषि उत्पाद, कारीगर उत्पाद और कृषि से सम्बन्धित सभी उत्पादों को सम्मिलित किया गया है। यह संगठन छोटे किसानों को विपणन, प्रसंस्करण और तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।   

छोटे और सीमान्त किसानों की समस्या की पहचान कर सरकार द्वारा भी किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization)को सक्रीय रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि छोटे और मध्य किसानों के बाजार से लिंक को बढ़ाया जा सके और किसानों की आय में वृद्धि की जा सके। 

किसान उत्पादक संगठन कब लागू हुआ ?

किसान उत्पादक संगठन की शुरुआत 29 -02 -2020 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा यू पी के चित्रकूट में की गई थी। सरकार द्वारा इस योजना में 10000 किसान उत्पादक संगठनों का गठन तैयार किया गया। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य, खुद के संगठन के माध्यम से उत्पादकों के लिए आय बढ़ाना है। इस संगठन द्वारा कृषि विपणन में से बिचौलियों की शृंखला को खत्म कर दिया गया है। क्योंकि बिचौलिए कृषि विपणन कार्य में गैर कानूनी रूप से कार्य करते है। जिसकी वजह से छोटे और माध्यम किसानों को सिर्फ मूल्य का एक छोटा हिस्सा ही मिल पाता है। 

किसान उत्पादक संगठन (FPO) की विशेषताएँ

1. किसान उत्पादक संगठन, किसानों द्वारा नियंत्रित किया गया एक स्वैच्छिक संगठन है। इस संगठन के लिए बनाये जानें वाली नीतियों के निर्माण में इस संगठन के सदस्य सक्रीय रूप से भाग लेते है। किसान उत्पादक संगठन की सदस्यता बिना किसी धर्म, लिंग, जाती, सामाजिक भेदभाव के प्राप्त की जा सकती है। लेकिन जो व्यक्ति इस संगठन का सदस्य बनना चाहता है वो इस संगठन से सम्बंधित सभी जिम्मेदारियों को लेने के लिए तैयार होना चाहिए।

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2. किसान उत्पादक संगठन के संचालक, इस संगठन के सभी किसान सदस्यों को शिक्षा और प्रशिक्षण देते है, ताकि वो भी किसान उत्पादक संगठन के विकास में अपना योगदान कर सके। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में इस संगठन के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले है। 

3. किसान उत्पादक संगठनों को सीबीबीओ यानी कलस्टर आधारित व्यवसायिक संगठनों के आधार पर गठित किया जाता है। इसमें एजेंसियों को लागू करके राज्य स्तर पर लगाया जाता है। सीबीबीओ द्वारा प्रारंभिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जबकि किसान उत्पादक संगठनों द्वारा हैंड होल्डिंग प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।   

किसान उत्पादक संगठन के लाभ    

1 कॉर्पोरेट्स के साथ वार्तालाप      

किसान उत्पादक संगठन किसानों को बड़ी बड़ी कॉर्पोरेट्स के साथ प्रतिस्पर्धा का अवसर प्रदान करता है। यह सभी किसानों को एक समूह में बात करने के लिए भी प्रेरित करता है। यह आउटपुट एवं इनपुट दोनों बाजारों में छोटे किसानों की सहायता करने के लिए अनुमति प्रदान करता है। 

2 सामाजिक प्रभाव 

किसान उत्पादक संगठन द्वारा सामाजिक पूंजी का विकास होगा। यह संगठन सामाजिक संघर्षो को कम करने के साथ साथ, समुदाय में पोषण मूल्यों को भी कम करेगा। किसान उत्पादक संगठन द्वारा महिला किसानों को भी निर्णय लेने में आसानी होगी, उनकी निर्णय क्षमता में भी वृद्धि होगी। यह संगठन लिंग भेदभाव को भी कम करने में सहायता प्रदान करेगा।  

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3 औसत जोत आकार की चुनौती का समाधान 

इसमें किसानों को सामूहिक खेती के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है। इससे उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार सर्जन में भी सहायता मिलेगी। कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमान्त किसानों की हिस्सेदारी 1980 -1981 में 70% से बढ़कर वर्ष 2016 -17 में 86% हो गई है। और इतना ही नहीं बल्कि 1970 -71 में जोत का आकर 2.3 हेक्टेयर से घटकर 2016 -17 में 1.08 हेक्टेयर रह गया है।            

4 एकत्रीकरण 

किसान उत्पादक संगठन द्वारा किसानों को अच्छे गुणवत्ता वाले उपकरण बहुत ही कम लागत पर उपलब्ध कराये जाते है। कम लागत वाले उपकरणों में जैसे मशीनरी की खरीद, फसल के लिए ऋण एवं कीटनाशक और उर्वरक। इन् सभी की खरीद के बाद प्रत्यक्ष विपणन करना। किसान उत्पादक संगठन किसानों को समय बचाने, परिवहन में सक्षम बनाने, लेन-देन लागत और गुणवत्ता रखरखाव में सक्षम बनने के लिए कार्य करता है। 

किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होता है। इसकी सहायता से वह अपनी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का मिनटों में समाधान कर लेते हैं। 

यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी और जानकारी पूर्ण साबित होगा।

किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त और सुदृण बनाने के लिए FPO सबसे अच्छा साधन माना जाता है। एफपीओ की फुल फॉर्म किसान उत्पादक संगठन है। दरअसल, एफपीओ के जरिए से किसान भाइयों को कृषि यंत्रों से लेकर खाद-बीज और अन्य बहुत सारी चीजें सस्ती दरों पर मिलती हैं। 

आज के वक्त में छोटे और सीमांत श्रेणी के किसान संगठन से जुड़कर कार्य करना पड़ता है। यदि आप भी FPO से जुड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आप अपने जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क साध सकते हैं।

साथ ही, यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा परिश्रम या भाग दौड़ की आवश्यकता नहीं होती है। केवल कुछ ही अहम बातों का ध्यान रखना होता है। 

FPO क्या होता है ?

किसान उत्पादक संगठन यानी FPO किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह होता है। एफपीओ लघु एवं सीमांत किसानों का एक समूह है इससे जुड़े किसानों को अपनी उपज के लिये बाजार मिलने के साथ-साथ खेत में लगने वाले खाद, बीज, दवाइयां और कृषि यंत्र भी सस्ती दरों पर मिलते हैं। 

FPO के माध्यम से किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलता है। इसमें कोई बिचौलिया नहीं होते हैं। यदि देखा जाए तो FPO का मुख्य उद्देश्य किसानों का हर संभव सहयोग करना होता है।

FPO बनाने के लिए आवश्यक कागजात

FPO बनाने के लिए किसान के पास नीचे दिए गए आवश्यक कागजात अवश्य होने चाहिए। जैसे कि- आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी आदि। 

किसान भाई इस तरह बनाएं FPO 

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने के लिए सर्व प्रथम कृषकों का एक समूह बनाना होगा। इस समूह में कम से कम 11 सदस्य होने चाहिए। इसके बाद आपको एक नाम सोचकर कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण करना होगा। 

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ध्यान रहे कि किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्यों का किसान होना और भारत की नागरिकता का होना अनिवार्य है। आप चाहें तो एफपीओ बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) एवं राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) से भी संपर्क साध सकते हैं।