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भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यंत्र पावर हैरो (Power Harrow)

किसान भाइयों को एक फसल पकने के बाद दूसरी फसल के लिए खेत को तैयार करना होता है। उस समय खेत की मिट्टी सख्त हो जाती है और पूर्व फसल के अंश रह जाते हैं और खरपतवार भी होता है। इन सबको कम्पोस्ट खाद बनाने और मिट्टी पलटने के लिए कृषि यंत्र हैरो(Harrow) का  इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक्टर चालित यंत्र हैरो खेत की मिट्टी को इस तरह से पलटता है कि खेत में मौजूद कूड़ा-कचड़ा व हरियाली जमीन में दब जाती है। जो जैविक खाद में परिवर्तित हो जाती हैं। इससे खेत को उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं कि हैरो किस तरह से खेत को तैयार करने का काम करना है और खेती के लिए कितना उपयोगी है।

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नई फसल के लिए खेत को तैयार करने के लिए पहले बैलों के बीचे गहरी जुताई करने वाले हल का प्रयोग किया जाता था। इससे खेत की कई बार जुताई करनी होती थी। उसकी खरपतवार हटाने के लिए मजदूरों को लगाना होता था और उसके बाद खेत की मिट्टी को महीन करने के लिए यानी ढेले फोड़ने के लिए पाटा चलाना पड़ता था। इसमे किसान भाइयों का समय अधिक लगता था और मेहनत भी अधिक करनी होती थी। खास बात यह है कि फसल कटाई के बाद अप्रैल,मई व जून की भीषण गर्मी की प्रचण्ड धूप में किसान भाइयों को पसीना बहाना पड़ता था। लेकिन अब हैरो नामक कृषि यंत्र ने किसानों की इन सारी समस्याओं का हल निकाल लिया है। कृषि यंत्र हैरो

कहां-कहां काम कर सकता है हैरो(Harrow)

जुताई के अन्य यंत्र जहां सामान्य एवं मुलायम मिट्टी वाले खेतों को तैयार करने के काम में आते हैं, वहीं हैरो सख्त जमीन व पथरीली जमीन, अधिक खरपतवार वाली जमीन में आसानी से काम करता है। इसकी डिस्क यानी वर्टिकल टाइन आसानी से सख्त से सख्त मिट्टी को काट कर पलट देती है। साथ ही जमीन में चाहे ही कितनी भी अधिक खरपतवार हो उसे जमीन में दबा देती है। किसान भाइयों मिट्टी पलटने से जहां जैविक खाद का लाभ मिलता है वहीं इसको खुला छोड़ने से जमीन लगने वाली व्याधियां व कीट भी नष्ट हो जाते हैं। इससे अगली फसल में अच्छा उत्पादन भी मिलता है।

क्यारियां व बाग-बगीचा बनाने के काम आता है हैरो(Harrow)

खेत की जुताई के साथ नर्सरी के लिए क्यारियों या बैड बनाने के काम में हैरो का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा सख्त जमीन की जुताई में सक्षम होने के कारण हैरो का इस्तेमाल बाग-बगीचा लगाने के लिए भी जमीन को तैयार करने में किया जाता है।

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हैरों(Harrow) के खेती से जुड़े मुख्य काम

हैरो विभिन्न धारदार कटिंग पहियों, डिस्क या टाइन के सेट को कहा जाता है। अब पहियों व कांटे जैसे स्पाइक वाले हैरो(Harrow) भी आ गये हैं। इस हैरों से खेत में क्या-क्या काम होते हैं, जानिये
  1. हैरो(Harrow) मिट्टी को पलटने का काम सबसे पहले करता है।
  2. हैरो(Harrow) खेत की पूर्व फसल के अवशेष व खरपतवार को जमीन में दबा देता है, जो खाद बन जाती है
  3. यदि नई फसल को नुकसान देने वाली सामग्री खेत में होती है उसको खेत से बाहर निकालने का भी काम हैरो करता है
  4. हैरो(Harrow) मिट्टी की गहरी जुताई करने के साथ उसके ढेलों को फोड़ने का भी काम करता है।
  5. हैरो(Harrow) जमीन की ऊपरी सतह को चिकनी व उपजाऊ बनाने का काम करता है
कृषि यंत्र हैरो

चार प्रकार के हैरो(Harrow) होते हैं

खेती को कई बार जुताई करने, पाटा चलाने, खरपतवार नियंत्रण करने के अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग प्रकार के हैरों(Harrow) का इस्तेमाल किया जाता है। खेती की आवश्यकता को देखते हुए परम्परागत कार्यों के लिए हैरो को चार भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:-
  1. डिस्क हैरो: हल्की जुताई, मिट्टी के ढेलों को तोड़ने तथा खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  2. स्प्रिंग टूथ हैरो: यह हैरो जुताई के बाद ढेले तोड़ने तथा उनको ऊपर लाने ताकि पाटा से आसानी से टूट सकें जैसे काम के लिए उपयोगी होता है।
  3. चेन डिस्क हैरो: यह हैरो खेतों में खाद फैलाने और खरपतवार को एकत्रित करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
  4. लीवर हैरो या स्पाइक टूथ हैरो: बोये हुए खेत में उचित जमाव या हल्की वर्षा पड़ी हुई पपड़ी को तोड़ने के काम में आता है। इसका प्रयोग लाइन में या छिड़काव कर बोई फसल के छह-सात इंच तक बढ़ने के समय आसानी से किया जा सकता है।
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पहले ये हैरो बैलों से खिंचवा कर खेतों की तैयारी का काम कराया जाता था लेकिन अब ट्रैक्टर के पीछे हैरो को लगाकर काम किया जाता है। जो कम समय में अच्छा खेत तैयार करता है।

रोटरी पावर हैरो(Rotary Power Harrow) है सबसे अधिक लोकप्रिय

वर्तमान समय में हैरों के काफी संशोधन किये गये हैं और पारम्परिक हैरो की जगह पर रोटरी पॉवर हैरो यानी पॉवर हैरो(Power Harrow) आ गया है। यह पॉवर हैरो कम समय में बहुत अच्छा काम करता है। 50 हॉर्स पॉवर के ट्रैक्टर से चलने वाले इस हैरो से जहां मिट्टी पलटाने से लेकर खेत को बुवाई के लिए बहुत जल्दी तैयार करने में मदद मिलती है।

हैरों(Harrow) की कुछ खास जानकारियां

  1. हैरो की अनेक किस्में होतीं हैं । इन किस्मों में सिंगल टाइन सेट, डबल टाइन सेट या मल्टी टाइन सेट वाले हैरो शामिल हैं। इनके प्रयोग को देखते हुए इनकी टाइन में कटिंग वाले टाइन, सेमी कटिंग वाले टाइन, स्पाइक आदि को लगाया जाता है।
  2. हैरो का वजन 400 किलो से लेकर 2000 किलो तक होता है। ये छह ब्लेड से लेकर 28 ब्लेड वाले होते हैं। इनकी चौड़ाई एक मीटर से लेकर पांच मीटर तक की होती है। इसके अलावा ये 35 हॉर्स पावर से लेकर 100 हार्स पावर तक के होते हैं।

कृषि यंत्र हैरो

हैरो(Harrow)की कीमत

हैरो(Harrow) की कीमत उनकी लम्बाई, चौड़ाई व वजन, ब्लेडों की संख्या, व हॉर्स पॉवर आदि पर निर्भर करती है। वैसे यह अनुमान लगाया जाता है कि हैरो की कीमत उनके काम करने की क्षमता उपयोगिता के अनुसार 50,000 से लेकर 1.5 लाख रुपये तक होती है।
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हैरों(Harrow) की विशेषताएं

जो किसान भाई अपनी खेत की सेहत का ध्यान रखते हैं, अपने मन मुताबिक फसल लेना चाहते हैं, कम समय, कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती करना चाहते हैं, वे कृषि यंत्रों का सहारा लेते हैं। इन कृषि यंत्रों में सबसे पहले हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। पॉवर हैरो एक बार में ही मिट्टी जुताई, ढेले फोड़ने पाटा चलाने का काम करता है। पॉवर हैरो या अन्य हैरो में वर्टिकल टाइन के कई सेट लगे होते हैं।  पॉवर हैरो(Power Harrow) के टाइन का पहला सेट खेत की मिट्टी को पलटने का काम करता है तो दूसरा सेट उस मिट्टी के ढेले को फोड़ने और उसे महीन बनाने का करता है। हैरो(Harrow) का प्रयोग करने से खेत की जमीन समतल ही हो जाती है। गहरी जुताई के कारण खेत में नमी अधिक समय तक रहती है । इससे बीजों का अंकुरन अच्छी तरह से हो सकता है। इस तरह से हैरो(Harrow) से एक या दो बार की जुताई से खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। खेत में नर्सरी लगाने के लिए हैरो की एक ही जुताई काफी होती है। उसके बाद खाद प्रबंधन करके बुवाई शुरू कर दी जाती है।

हैरो(Harrow) की खरीद पर कितनी सब्सिडी(Subsidy) मिलती है

सरकार द्वारा कृषि यंत्रों के उपयोग करके फसल को बढ़ाने तथा किसान भाइयों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं है। इन योजनाओं में कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी(Subsidy) भी दिया जाना शामिल है।
  1. यह सब्सिडी(Subsidy) गरीब व दलित किसानों व छोटे काश्त वो किसानों को अलग-अलग तरह से दी जाती है।
  2. प्रत्येक राज्य ने अपने राज्य के किसानों की सुविधा के लिए सब्सिडी(Subsidy) के अलग-अलग नियम व कानून बना रखे हैं। इन नियमों व कानूनों के बारे में जानकार या सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से पूरी प्रक्रिया को जानकर आवेदन करके उसका लाभ प्राप्त करें।
  3. हैरो(Harrow) की खरीद के बारे में जानकार लोगों का अनुमान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों और महिला किसान को हैरो की खरीद पर 63 हजार रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। इसके अलावा सामान्य किसानों को हैरो(Harrow) की खरीद पर 50,000 रुपये की सब्सिडी(Subsidy) मिलती है। विस्तृत जानकारी विभागीय अधिकारियों से प्राप्त करें।

किराये पर भी चलाकर उठा सकते हैं लाभ

कृषि यंत्र काफी महंगे होते हैं और हमारे देश में छोटी काश्त वाले किसानों की संख्या अधिक है, जो इन महंगे कृषि यंत्रों को आसानी से नहीं खरीद सकते हैं। इनकी खरीद के लिए सरकार द्वारा लाभ दिये जाने के लिए शर्तें  भी ऐसी होती हैं जो अधिकांश किसान पूरी नहीं कर पाते हैं। इसके बावजूद उन्हें इन कृषि यंत्रों की सेवाओं की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार ने भी सेवा केन्द्र खोल रखे हैं जहां किराये पर कृषि यंत्रों की सेवाएं ली जा सकतीं हैं। इसके साथ ही कुछ हमारे किसान भाई भी अपनी क्षमता के अनुसार कृषि यंत्रों को खरीद कर उन्हें किराये पर चला कर लाभ कमाते हैं। जहां हैरो के मालिक को किराया मिलता है वहीं सेवाएं लेने वाले किसानों को जल्दी व बिना मेहनत के खेत तैयार करने का लाभ मिलता है।
फरवरी में उगाई जाने वाली सब्जियां: मुनाफा कमाने के लिए अभी बोएं खीरा और करेला

फरवरी में उगाई जाने वाली सब्जियां: मुनाफा कमाने के लिए अभी बोएं खीरा और करेला

फरवरी का महीना खेती के लिहाज से बेहद शानदार होता है। वातावरण में कई फसलों के मानक के अनुसार नमी-ठंडी-गर्मी होती है। असल में, फरवरी एक ऐसा माह है जब ठंड की विदाई होती है और गर्मी धीरे-धीरे आती है। सच पूछें तो प्रारंभिक श्रेणी की गर्मी का आगमन फरवरी के आखिरी दिनों में शुरू हो ही जाता है। 

ऐसे में, किसान भाई क्या करें। किसान भाईयों के लिए यह माह बेहद मुफीद है। इस माह अगर वह ध्यान दे दें तो अनेक नकदी फसलों का अपने खेत में लगाकर बढ़िया पूंजी कमा सकते हैं।

फरवरी में बोएं क्या

पहला सवाल बड़ा मार्के का है। फरवरी में आखिर बोएं क्या। फरवरी में बोने के लिए नकद फसलों की लंबी फेहरिस्त है। आप फरवरी में सब्जियां बो सकते हैं। कई किस्म की सब्जियां हैं जो इस मौसम में ही बोई जाएं तो बढ़िया मुनाफ होता है।

कौन सी सब्जियां

फरवरी में आप करेला, खीरा, ककड़ी, अरबी, गाजर, चुकंदर, प्याज, मटर, मूली, पालक, गोभी, फूलगोभी, बैंगन, लौकी, करेला, लौकी, मिर्च, टमाटर आदि बो सकते हैं। इनमें बहुत सारी सब्जियां ऐसी हैं जो 90 दिनों का वक्त लेती हैं लेकिन कुछेक सब्जियां ऐसी भी हैं जो मात्र 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

खेत की तैयारी

मान लें कि आप अपने खेत में खीरा बोना चाहते हैं। खीरा बोने के पहले आपके खेत की कंडीशन कायदे की होनी चाहिए। पहली शर्त यह है कि जो खेत की मिट्टी होनी चाहिए, वह रेतीली दोमट होनी चाहिए। दोमट मिट्टी में भी शर्त यह है कि उसमें जैविक तत्वों की प्रचुर मात्रा हो और पानी की निकासी उम्दा स्तर की हो। 

ऐसे, किसी भी जमीन पर आप अगर खीरा उगाना चाहेंगे तो फेल कर जाएंगे। यह बहुत जरूरी है कि दोमट मिट्टी हो और पानी ठहरे नहीं, निकास होता रहे। वैज्ञानिक भाषा में बात करें तो मिट्टी की गुणवत्ता पीएच 6 या पीएच 7 होनी चाहिए।

जमीन कैसे बनाएं

यह बेहद जरूरी है कि खेत में कोई घास-पतवार नहीं हो। यह बिल्कुल साफ-सुथरा होना चाहिए। दोमट मिट्टी को भुभुरा बनाने के लिए पूरे खेत को तीन से चार बार जोत लेना जरूरी होता है। हल-बैल से जोत रहे हैं तो पांच बार। ट्रैक्टर से जोत रहे हैं तो कम से कम 3 या अधिकतम चार बार जोतें। 

खेत जोतने के बाद मिट्टी में गाय के गोबर को मिलाएं। गाय का गोबर मिलाने के बाद खेत की उर्वरा शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। आप अन्य खाद का इस्तेमाल न करें तो बेहतर। जब गोबर मिला दिया गया तो अब आप 2.5 मीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर की लंबाई का फासला रख कर नर्सरी तैयार कर लें।

बिजाई

बिजाई फरवरी माह में करना उचित होता है। बीजों की बिजाई के वक्त 2.5 मीटर चौड़े नर्सरी बेड पर दो-दो बीज बोयें और दोनों बीजों के बीच में कम से कम 60 सेंटीमीटर का फैसला जरूर रखें। 

बीज की गहराई कम से कम 3 सेंटीमीटर होनी चाहिए। 3 सेंटीमीटर गहराई में आप जब बीज डालते हैं तो उसे पक्षी निकाल नहीं सकेंगे। फिर उन्हें मुकम्मल रौशनी और हवा भी मिल सकेगी।

कैसे करें बिजाई

खीरे की खेती के लिए छोटी सुरंगी विधि का भारत में बहुत प्रयोग किया जाता है। इस विधि के तहत 2.5 मीटर चौड़े नर्सरी के बेड पर बिजाई होती है। बीजों को बेड के दोनों तरफ 45 सेंटीमीटर के फा.ले पर बोया जाता है। बिजाई के पहले 60 सेंटीमीटर लंबे डंडों को मिट्टी में गाड़ देना चाहिए। 

फिर पूरे खेत को प्लास्टिक शीट से कवर कर देना चाहिए। जब मौसम सही हो जाए तो प्लास्टिक को हटा देना चाहिए। माना जाता है कि खीरे के बीज को गड्ढे में ही बोना चाहिए। आप चाहें तो गोलाकार गड्ढे बना कर भी बीज डाल सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, एक एकड़ खेत में खीरे का एक किलोग्राम बीज काफी है। प्रति एकड़ एक किलोग्राम बीज इसका आदर्श फार्मूला है।

उपचार

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बिजाई से पहले ही खीरे की फसल को कीड़ों और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए अनुकूल रासायनिक का छिड़काव करना चाहिए। बेहतर यह हो कि आप बीजों का 2 ग्राम कप्तान के साथ उपचार कर लें, फिर बिजाई करें।

खीरे की किस्में

  • पंजाब खीरा

यह 2018 में जारी की गई किस्म है। इसके फल हरे गहरे रंग के होते हैं। इनका टेस्ट कड़वा नहीं होता। औसतन इनका वजन 125 ग्राम का होता है। इसकी तुड़ाई आप फसल बोने के 60 दिनों के भीतर कर सकते हैं। फरवरी में अगर आप यह फसल बोते हैं तो माना जा सकता है कि प्रति एकड़ 370 क्विंटल खीरा आपको मिलेगा।

  • पंजाब नवीन खीरा

यह आज से 14 साल पुरानी किस्म है। इसका आकार बेलनाकार होता है। इस फसल में न तो कड़वापन होता है, न ही बीज होते हैं। यह 68 जिनों में पक जाने वाली फसल है। इसकी पैदावार 70 क्विंटल प्रति एकड़ ही होती है।

करेले की बुआई

करेले की बुआई दो तरीके से होती हैः बीज से और पौधे से। आपकी जिससे इच्छा हो, उस तरीके से बुआई कर लें। बाजार में बीज और पौधे, दोनों मौजूद हैं। 

करेले के दो से तीन बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोएं। बोने के पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में जरूर भिगोना चाहिए ताकि अंकुरण जल्द हो। जो नदियों के किनारे का इलाका है, वहां करेले की बढ़िया खेती होती है। खेती के पहले जमीन को जोतना बेहद जरूरी है। 

इसके बाद दो से तीन बार जमीन पर कल्टीवेटर चलवा देना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, अंकुरण में भी तेजी आती है। उम्मीद है, हमारी दी हुई यह जानकारी आपकी आमदनी बढ़ाने में फायदेमंद साबित होगी।

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) को वैसे तो साधारण कृषि यंत्र बताया जाता है लेकिन यदि हम पारंपरिक खेती के तौर-तरीकों को याद करें तो किसान भाइयों को इस बात का अहसास हो जायेगा कि यह कल्टीवेटर खेती-किसानी के लिए बहुत ही लाभकारी यंत्र है। 

किसान भाई जो काम हफ्तों में अपना पसीना बहाकर कर पाते थे वो काम कल्टीवेटर चंद घंटों में ही कर देता है। कल्टीवेटर से किसानों की जहां अनेक परेशानियां कम हुई हैं, वहीं खेती के उत्पादन में लाभ हुआ है और खेतों को बुवाई के लिए तैयार करना आसान हो गया है।

कल्टीवेटर(Cultivator) क्या है

खेती के आधुनिक तरीके आने के बाद खेती करने का स्वरूप ही बदल गया है और खेती करना अब बहुत आसान हो गया है। जब से बैलों की जगह ट्रैक्टर आ गये हैं तब से प्राचीन कृषि यंत्रों की जगह नये कृषि यंत्रों ने जगह ले ली है, इसमें कल्टीवेटर सबसे प्रमुख है। 

जो खेतों की जुताई बैलों व हल से की जाती थी, वो काम इस कल्टीवेटर से किये जाते हैं । साथ ही अनेक अन्य ऐसे काम भी किये जाते हैं जो पैदावार को बढ़ाने में सहायक हैं। 

कल्टीवेटर बैल को जोत कर भी चलाये जा सकते हैं और ट्रैक्टर के पीछे लगाकर खेत की जुताई की जा सकती है। यह कल्टीवेटर 6HP से लेकर 15HP तक आता है।

पशू चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

पशु चालित कल्टीवेटर भी होता है। इस कल्टीवेटर को पशु बैल के पीछे जोत कर चलाया जा सकता है। किन्तु वर्तमान समय में ट्रैक्टर की लोकप्रियता के कारण पशुओं वाले कल्टीवेटर का चलन नहीं देखा जाता है।

ट्रैक्टर चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

टैक्टर के पीछे हाइड्रोलिक के माध्यम से कल्टीवेटर चलाया जाता है। ये कल्टीवेटर जमीन की जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किये जाते हैं। कंकरीली जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और सामान्य जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। इसके साथ गहरी जुताई करने के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और उथली जुताई के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। 

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इनमें से प्रमुख कल्टीवेटर(Cultivator) इस प्रकार हैं:-

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर(Cultivator): पथरीली मिट्टी व या फसलों की ठूंठ वाले खेतों उपयोग किया जाता है। ट्रैक्टर से चलने वाले इस कल्टीवेटर में कई स्प्रिंग लगी होती है। स्प्रिंग की वजह से जुताई करते समय फार पर पड़ने वाले दबाव को कल्टीवेटर सहन कर लेता है और टाइन नहीं टूटने से बच जाता है। इस कारण यह कल्टीवेटर बिना किसी नुकसान के आसानी से मनचाही जुताई कर देता है।
  2. स्प्रिंग रहित कल्टीवेटर (रिजिड लाइन कल्टीवेटर): बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर का इस्तेमाल कंकरीली या पथरीली भूमि में नहीं किया जाता है। इसका प्रयोग साधारण भूमि में किया जाता है। इसमें टाइन मजबूती के साथ फ्रेंम से इस प्रकार से लगाये जाते हैं कि जुताई करते समय दबाव पड़ने पर ये टाइन अपने स्थान से हटे नहीं। इस कल्टीवेटर की एक और खास बात यह है कि टाइन की दूरी को अपने  हिसाब से दूर या पास किया जा सकता है। यह कल्टीवेटर खेत में खरपतवार को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है।
  3. डक फुट कल्टीवेटर(Cultivator): इन दोनों कल्टीवेटरों की अपेक्षा डक फुट कल्टीवेटर हल्का होता है। इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल उथली जुताई करने और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसकी बनावट बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर की तरह होती है। इसमें फारों की संख्या जरूरत और आवश्यकता के अनुसार कम या ज्यादा की जा सकती है। इसमें टाइन का आकार बत्तख के पैर जैसा होता है इसलिये इस कल्टीवेटर को डक फूट कल्टीवेटर कहा जाता है।

कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई के फायदे

कल्टीवेटर से अनेक तरह की जुताई की जा सकती है। सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि जुताई कितने प्रकार की होती है और कल्टीवेटर(Cultivator) किस जुताई में कितना मददगार साबित हो सकता है। 

खेत को तैयार करने के लिए हमें वि•िान्न प्रकार की जुताई करनी होती है । इसमें ग्रीष्म ऋतु की जुताई, गहरी जुताई, छिछली जुताई, अधिक समय तक जुताई, हराई या हलाई की जुताई की जाती है।

  1. कठोर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए गहरी जुताई की जाती है। इस काम में कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। इस तरह से खेत की तैयारी गहरी जड़ों वाली फसलों के लिए की जाती है।
  2. इसी तरह जिन फसलों की जड़े अधिक गहराई में नहीं जातीं हैं उनके लिए छिछली जुताई की जाती है। उसमें भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम में आता है।
  3. ग्रीष्म ऋतु में अधिक जुताई इसलिये की जाती है ताकि उस मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक रोग भी दूर हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अधिक समयतक जुताई करने में कल्टीवेटर बहुत लाभकारी साबित होता है।
  4. एक फसल लिये जाने के बाद नई फसल की तैयारी के लिए कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। पहले तो वह खेत की मिट्टी को ढीला करता है और फसल के अवशेष को खेत से बाहर करता है। उसे बुवाई के लिए तैयार करता है।
  5. बुवाई से पहले खेत में यदि नर्सरी लगाने की क्यारियां बनानी होतीं हैं तो कल्टीवेटर(Cultivator) उसमें कभी काम आता है।
  6. हैरों, पॉवर टिलर, रोटावेटर की अपेक्षा कल्टीवेटर सस्ता व हल्का होता है, जिससे कम एचपी वाले ट्रैक्टरों में लगाकर जुताई की जा सकती है।
  7. पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसानों को कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई करने वा करवाने से पैसा और समय तो बचता ही है । साथ मजदूरों की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
  8. छिटकवां विधि से बोई गई बीजों की मिट्टी में एक समान रूप से मिलाने तथा ढकने के लिए इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  9. पंक्तियों में बोई फसलों में निराई-गुड़ाई का कार्य भी कल्टीवेटर(Cultivator) से किया जाता है।
  10. इसकी सहायता से फसल की जड़ो पर मिट्टी चढ़ाने का काय किया जा सकता ह।
  11. बुआई से पहले खेत में खाद को मिट्टी में मिलाने में भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम करता है।

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कल्टीवेटर

कल्टीवेटर(Cultivator) से मिलने वाले खेती के अन्य लाभ

1.बुआई से पहले कल्टीवेटर के माध्यम से खरपतवार हटाने और गुड़ाई का काम किया जा सकता है। जो काम पहले मजदूर काफी समय में करते थे वो काम कल्टीवेटर अकेला ही चंद घंटों में कर देता है। इससे कृषि लागत में कमी आती है और किसान भाइयों को लाभ मिलता है। 

 2.फसल के बीच में निराई-गुड़ाई कल्टीवेटर(Cultivator) से किये जाने के लिए फसलों को कतार में बोया जाता है। इससे किसान भाइयों को यह लाभ होता है कि कतार में बीज बोने से बीज की बर्बादी नहीं होती है और फसल भी अधिक होती है।

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 3.कल्टीवेटर का प्रयोग मिट्टी की जुताई के लिये किया जाता है। इसके प्रयोग से खेत के खरपतवार व घास जड़ सहित उखड़ कर नष्ट हो जाती है या मिट्टी से अलग होकर जमीन के ऊपर आ जाती है जो बाद में सूर्य की गर्मी से सूख कर नष्ट हो जाती है।

कौन सी फसल के लिए कौन सा कल्टीवेटर(Cultivator) है उपयोगी

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर मुख्यत: दलहनी व जड़वाली सब्जियों की फसलों के लिए उपयोगी होता है। क्योंकि इससे गहरी जुताई की जा सकती है। स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर से गहरी जुताई से मूंग, मोठ, बरसीम, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, आलू, मूली, गाजर, शकरकद, चना आदि मे अधिक लाभ मिलता है।
  2. डक फुट कल्टीवेटर से उथली जुताई से गेहूं, जौ, ज्वार, जई, सरसों, आदि फसलों में अधिक लाभ मिलता है।

मेरी खेती से डबल शाफ्ट रोटावेटर खरीदने पर आपको मिलेगी भारी छूट, जानिए ऑफर के बारे में

मेरी खेती से डबल शाफ्ट रोटावेटर खरीदने पर आपको मिलेगी भारी छूट, जानिए ऑफर के बारे में

किसान भाइयों रोटावेटर आज के दिन हर किसान की जरूरत बन गया है। रोटावेटर के इस्तेमाल से आसानी से खेत की जुताई की जा सकती है। ये खेत को एक बार में ही अच्छी तरह से भुरभुरा कर देता है, जिससे कि किसान का समय और पूँजी दोनों बचते हैं। 

इसके इस्तेमाल के बाद आपको खेत में कल्टीवेटर अथवा हैरो से जुताई करने की आवश्यकता नहीं होती है। डबल शाफ्ट रोटावेटर से जुताई करने के बाद मिट्टी एकदम भुरभुरी हो जाती है और बिल्कुल समतल भी हो जाती है। इसके इस्तेमाल से खेत की मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ती है। 

आज के इस लेख में हम आपको इस डबल शाफ्ट रोटावेटर के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे जेसे कि ये कैसे काम करता है। हमारे इस लेख में आप ये भी जानेंगे कि मेरी खेती से अगर आप ये रोटावेटर खरीदते हैं, तो आपको कितनी छूट मिलेगी।

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डबल शाफ्ट रोटावेटर की विशेषताएँ

डबल शाफ्ट रोटावेटर एक ही बार में मिट्टी को भुरभुरा कर देता है। इस रोटावेटर को (न्यूनतम 35 - 40 एचपी) के ट्रैक्टर से आसानी से चलाया जा सकता है। डबल शाफ्ट रोटावेटर में दोनों धुरी एक ही दिशा में, एक ही गति से घूमती हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक ही बार में मिट्टी बेहतर भुरभुरी हो जाती है। 

यह 7 फीट से 12 फीट तक के आकार में मौजूद है और मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए एल, जे और सी प्रकार जैसे विभिन्न आकार के ब्लेड को रोटर से जोड़ा जा सकता है। 

कार्य की चौड़ाई: 203 -205 मिमी, संचालन की गति (किमी प्रति घंटा): 3.63-3.91, क्षेत्र क्षमता: 0.629-0.734 हेक्टेयर/घंटा; क्षेत्र दक्षता: 82.9-94.1%, कट की गहराई: 6.0-6.3 मिमी, ईंधन खपत: 5.90-6.29 मील प्रति घंटे। ये रोटावेटर आज कल किसानों की पहले पसंद बन गए हैं। 

किसान भाइयों आप इसको खरीद कर आसानी से एक ही बार में जुताई कर सकते हैं। डबल शाफ्ट रोटावेटर के इस्तेमाल के बाद आपको हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करने की आवश्यकता नहीं होती है ,डबल शाफ्ट रोटावेटर से एक बार जुताई के बाद खेत में सीधा फसल के बीजों की बुवाई कर सकते है।

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नींबू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

नींबू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

किसान भाइयों नींबू का इस्तेमाल दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों व टूथपेस्ट, साबुन आदि के निर्माण में किया जाता है। इसलिये इसकी व्यावसायिक खेती करके कमाई की जा सकती है। दूसरी बात यह है कि नीबू कम उपजाऊ वाली मिट्टी में कहीं भी उगाया जा सकता है। नीबू की खेती में शुरुआत में जो लागत लगती है, वही लगती है, उसके बाद तो इसकी फसल 10-15 साल तक साल में दो या तीन बार तक होती है। इसलिये इसकी खेती फायदेमंद होती है। आइये जानते हैं नींबू की खेती के बारे में |

मिट्टी एवं जलवायु

नींबू के पौधे के लिए बलुई, दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गयी है। इसके अलावा लाल लेटराईट मिट्टी में भी नीबू उगाया जा सकता है। नीबू की खेती अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में भी की जा सकती है। इसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। नीबू के पौधे को सर्दी और पाला से बचाने की जरूरत होती है।  4 से 9 पीएच मान वाली मृदा में नीबू की खेती की जा सकती है। नींबू के पौधे के लिए अर्ध शुष्क जलवायु सबसे अच्छी होती है। जहां पर सर्दियां अधिक पड़तीं हैं या पाला पड़ता है, वहां पर नीबू की खेती में पैदावार कम होती है, क्यों अधिक सर्दी पड़ने से नीबू के पौधे का विकास रुक जाता है।  इसलिये भारत में नीबू की सबसे अधिक खेती उष्ण जलवायु वाले दक्षिण भारत के प्रदेशों में होती है। उत्तर भारत के पंजाब,हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार,राजस्थान में नीबू की खेती की जाती है लेकिन जिस वर्ष सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है, उस सीजन में नीबू की पैदावार बहुत कम होती है। नींबू की उन्नत किस्में

नींबू की उन्नत किस्में

नींबू की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों में कुछ इस प्रकार हैं:-
  1. कागजी नींबू : इस नीबू में 52 प्रतिशत रस होता है।
  2. प्रमालिनी : इस किस्म के नींबू के फलों में 57 प्रतिशत रस होता है।
  3. विक्रम या पंजाबी बारहमासी : इस किस्म की खास बात है कि इसके फल गुच्छे के रूप में आते हैं और प्रत्येक गुच्छे में 10-10 नींबू तक आते हैं।
  4. चक्रधर: बीज रहित नींबू में रस की मात्रा सबसे अधिक 60 से 66 प्रतिशत तक होती है।
  5. पी के एम-1: इस किस्म के नींबू में रस की मात्रा तो 52 प्रतिशत ही होती है लेकिन फल का आकार बहुत बड़ा होता है।
  6. साई सरबती : पतले छिल्के और बीज रहित किस्म के नींबू की फसल पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह नींबू असम के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक होता है। इसका उत्पादन अन्य किस्मों की फसलों से दो गुना होता है।

खेत की तैयारी कैसे करें

मैदानी इलाकों में खेतों की अच्छी तरह से जुताई करनी होती है। खेत को समतल बनाना चाहिये ताकि खेत में कहीं भी जल जमाव न हो। पर्वतीय इलाकों में खेतों को तैयार करने के बाद उनमें मेड़ बनाकर नींबू के पौधे लगाने चाहिये। जमीन की जुताई करने के बाद खेत में गोबर की खाद डाल दें, उसके बाद फिर जुताई करके खेत को रोपाई के लिए छोड़ दें। एक सप्ताह तक खेत को अच्छी धूप लगने के बाद उसमें नीबू के पौधे की रोपाई के लिए गड्ढे बनाने चाहिये। प्रति हेक्टेयर 500 पौधे लगाने के लिए चार गुणा चार मीटर के अंतर से गड्ढे बनाने चाहिये। अधिक उपजाऊ मिट्टी में पौधों की दूरी 5 गुणा 5 मीटर रखना चाहिये। पौध लगाने के लिए दो फिट गहरा, दो फिट वर्गाकार का गड्ढा होना चाहिये।

बिजाई, रोपाई और उचित समय

किसान भाइयों नींबू की बिजाई यानी बीज की बुआई भी की जा सकती है। नींबू के पौधों की रोपाई भी की जा सकती है। दोनों विधियों से बुआई की जा सकती है। पौधों रोप कर नींबू की खेती जल्दी और अच्छी होती है तथा इसमें मेहनत भी कम लगती है जबकि बीज बोकर बुआई करने से समय और मेहनत दोनों अधिक लगते हैं। खेत में उन्नत किस्म की फसल लेनी हो और उसकी पौध न मिल रही हो तब आपको बीज बोकर ही खेती करनी चाहिये। ये भी पढ़े: बिजाई से वंचित किसानों को राहत, 61 करोड़ जारी नींबू का पौधा जून से अगस्त के बीच लगाया जाना चाहिये। यह मौसम ऐसा होता है जिसमें नींबू का पौधा सबसे तेजी से बढ़ता है। इस दौरान बारिश का पानी भी पौधे को मिलता है। दूसरा पौधे की बढ़वार के लिए सबसे उपयुक्त तापमान इस समय होता है। नींबू की खेती कैसे करें?

सिंचाई प्रबंधन

नींबू के पौधे को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। किसान भाइयों इसका मतलब यह नहीं कि नींबू के पौधे की सिंचाई ही नहीं करनी है। वर्षाकाल में बारिश न हो तो 15 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिये लेकिन यह सिंचाई हल्की होनी चाहिये जिससे भूमि में 6-8 प्रतिशत तक नमी बनी रहे। सर्दियों में पाला व सर्दी से बचाने के लिए एक सप्ताह मे एक बार पानी अवश्य देना चाहिये। इसके अलावा पौधे में कलियां आती दिखाई दें तब पानी देने की जरूरत है। उसे बाद पानी को रोक देना चाहिये। जड़ों में अधिक पानी होने के कारण फूल हल्के किस्म के आते हैं और वे झड़ जाते हैं। जिससे पैदावार पर सीधा असर पड़ता है।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

नींबू के पौधों कों खेत में लगाने के बाद गोबर की खाद देनी होती है। पहले साल गोबर की खाद प्रति पौधे के हिसाब से 5 किलो देनी चाहिये। दूसरे साल 10 किलो पौधा गोबर की खाद देना चाहिये। इसी अनुपात में गोबर की खाद को तब तक बढ़ाते रहना चाहिये जब तक उसमें फल न आने लगें। इसी तरह खेत में यूरिया भी पहले साल 300 ग्राम देनी चाहिये। दूसरे साल 600 ग्राम देनी चाहिये। इसी अनुपात में इसको भी बढाते रहना चाहिये। यूरिया की खाद को सर्दी के महीने में देना चाहिये तथा पूरी मात्रा को दो या तीन बार में पौधें में डालें।

पौधों की देखभाल

नींबू के पौधों की देखभाल भी करनी होती है। कोई पौधा एक ही शाखा से सीधा बढ़ रहा है तो उसका प्रबंधन करना चाहिये। तीन चार महीने में पौधों की जड़ों के पास निराई गुड़ाई करते रहना चाहिये। एक साल में एक बार पौधों के आसपास की मिट्टी निकाल कर उसमें गोबर की खाद भरना चाहिये। जब पौधों पर फल-फूल न हों तब सूखी टहनियों को हटा देना चाहिये।

कीट-रोग नियंत्रण

नींबू कीट-रोग नियंत्रण किसान भाइयों नींबू के पौधों में कई प्रकार के कीट व रोग लगते हैं। जिससे फसल का बहुत नुकसान होता है। आइये देखते हैं कि इसका प्रबंधन किस प्रकार से करना होता है।
  1. कैंकर रोग: इस रोग के संकेत मिलने पर किसान भाइयों को पौघों पर स्ट्रेप्टोमाइसिल सल्फेट का छिड़काव 15 दिन में दो बार करना चाहिये। इससे काफी फायदा मिलता है।
  2. कीट रोग नियंत्रण: कीटों से होने वाले रोगों पर नियंत्रण के लिए एन्थ्रेकनोज के मिश्रण का छिड़काव करने से नियंत्रण होता है। इसके छिड़काव से मुख्य रोगों के अलावा अन्य कई तरह के कीट रोग पर भी काबू पाया जा सकता है।
  3. गोंद रिसाव रोग: गोंद रिसाव का रोग खेत में पानी भर जाने के कारण होता है। जड़ें गलने लगतीं हैं और पौधा पीला पड़ने लगता है। सबसे पहले तो खेत से पानी को निकाला जाना चाहिये। उसके बाद मिट्टी में 0.2 प्रतिशत मैटालैक्सिल, एमजेड-72 और 0.5 प्रतिशत ट्राइकोडरमा विराइड मिलाकर पौधों में डालने से लाभ मिलता है।
  4. काले धब्बे का रोग: यह रोग फल को लगता है। धब्बे नजर आते ही पेड़ को पानी से साफ कर देना चाहिये। सफेद तेल और कॉपर कोमिक्स करके पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिये।
  5. धफडी रोग्: इस रोग से नींबू पर सिलेटी रंग की परत जम जाती है। इससे नीबू खराब हो जाता है। इससे फसल को बचाने के लिए भी सफेद तेल व कॉपर छिड़काव करना चाहिये। इससे काफी लाभ होता है।
  6. रस चूसने वाले कीट: नींबू के पेड़ की शाखाओं और पत्तियों का रस चूस कर खत्म करने वाले कीट सिटरस सिल्ला, सुरंगी, चेपा को नियंत्रण के लए मोनोक्राटोफॉस का छिड़काव पौधों पर करना चाहिये। पौधों की शाखाएं रोग से सूख गर्इं हों तो उन्हें तत्काल काट कर जला दें ताकि यह रोग और न बढ़ सके।
  7. सफेद धब्बे का रोग : इस रोग में पौधों के ऊपरी भाग में रुई जैसी जमी दिखाई देती है। इससे पत्तियां मुड़कर टेढ़ी-मेढ़ी होने लगतीं हैं। बाद में इसका सीधा असर फल पर पड़ता है। इसलिये जैसे ही इस रोग का पता चले तभी प्रभावित पत्तियों को हटा कर जला दें। रोग बढ़ने पर कार्बेनडाजिम का छिड़काव महीने में तीन या चार बार करें। काफी लाभ होगा।
  8. आयरन व जिंक की कमी को नियंत्रण करें: कभी कभी मिट्टी में जिंक व आयरन की कमी के कारण पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीलीं पड़कर गिरने लगतीं हैं। इस रोग के लगने पर गोबर की खाद दें तथा दो चम्मच जिंक 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे फायदा होगा।

फसल की कटाई कैसे करें

किसान भाइयों नींबू की फसल तीन या चार साल बाद तैयार होती है। नींबू का फल गुच्छे में आता है। गुच्छे का कोई नींबू पहले पक कर पीला हो जाता है और कुछ हरे रह जाते हैं। ऐसी स्थिति अक्सर फूल आने के लगभग चार महीने बाद आती है। उस समय आपको गुच्छों से पके हुए फल चुनकर तोड़ने चाहिये। ध्यान रखें कि हरे फल न टूटें। फलों को तोड़ने के बाद उनकी अच्छी तरह से सफाई कर लें। सफाई करने के लिए एक लीटर पानी में 2.5 ग्राम क्लोरीनेटेड मिलाकर नीबू को उसमें अच्छी तरह से धो कर साफ करें। उसके बाद उन्हें छायादार जगह पर सुखायें। इससे फल की चमक बढ़ जाती है। इसके बाद बाजार में भेजें।
दलहन की फसलों की लेट वैरायटी की है जरूरत

दलहन की फसलों की लेट वैरायटी की है जरूरत

भारत में हमेशा से ही दालों की कीमत खाद्यान्नों में सबसे अधिक रही है। इसके बावजूद उसका उत्पादन नहीं बढ़ता है। कम उत्पादन और बढ़ती मांग के कारण दालों की कीमतें फिर से तेजी से बढ़ी हुईं हैं। इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि दलहन की फसल की लेट वैरायटी नहीं है। इसलिये जो किसान भाई दलहन की फसल की लेट वैरायटी करना भी चाहें तो उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाती है। इस वजह से दलहन की फसल के लिये समय का पालन करना पड़ता है।

Content

  1. क्या है समस्या
  2. क्यों है लेट वैरायटी की जरूरत
  3. चना व मसूर की लेट वैरायटी के मिले हैं संकेत
  4. अब दिसम्बर में भी बोया जा सकेगा चना
  5. चने की कुछ अन्य लेट वैरायटियां
  6. मसूर की लेट वैरायटी
  7. अभी काफी शोध की है जरूरत
  8. किसान भाइयों को हो सकता है ये लाभ

क्या है समस्या ?

दलहन की फसल यदि लेट बोई जाये तो उसके कई नुकसान हैं। उसमें मौसम के हिसाब से रोग व कीट लगते हैं तथा पकने से पहले ही पौधे तापमान को नहीं वर्दाश्त कर पाते हैं। नतीजा यह होता है कि आधे-अधूरे दाने ही पक जाते हैं, जो पूर्णतया फसल को खराब कर देते हैं।

क्यों है लेट वैरायटी की जरूरत ?

किसान भाइयों जैसे गेहूं, जौं आदि की फसलों की लेट वैरायटी आ गयी है। वैसे ही दलहन की फसल की लेट वैरायटी भी आने की सख्त जरूरत है। जो किसान भाई किसी कारण से फसलें लेने में लेट हो गये हैं और वे चाहते हैं कि दालों की फसल लेकर अधिक आय अर्जित करें या लेट के कारण हो रहे नुकसान की भरपाई कर सकें या उनके क्षेत्र की मिट्टी ही ऐसी है जिसमें दलहन की फसल ली जा सकती है। इसके अलावा मौसमी हालात कुछ ऐसे बन गये कि दलहन का सही समय था वो निकल गया और जब मौसम सही हुआ है तो दलहन की बुआई का समय ही निकल गया है तो फिर क्या करें। इन समस्याओं के लिए लेट वैरायटी होना ही चाहिये।

चना व  मसूर की लेट वैरायटी के मिले हैं संकेत

chana or masoor ki dal दलहन की लेट वैरायटी के बारे में चने की लेट वैरायटी तो खोजी जा चुकी है।  मसूर की लेट वैरायटी के बारे में भी शुरुआती जानकारी मिल रही है ।  अभी तक इन वैरायटियों के बारे में उत्साहजनक नतीजे आने बाकी है।  फिर भी अनुसंधान संस्थानों ने इन वैरायटियों के बारे में अच्छी-अच्छी बातें बतायीं हैं। किसान भाइयों की उम्मीदों पर यदि ये बातें खरी उतरतीं हैं तो खेती के लिए यह अच्छी बात होगी।

दिसम्बर में भी बोया जा सकेगा चना

chana कृषि वैज्ञानिकों ने दस साल की कड़ी मशक्कत के बाद चने की एक ऐसी किस्म खोजी है जिसकी बुवाई दिसम्बर माह में की जा सकती है। इस किस्म से अच्छी फसल भी ली जा सकती है तथा इसमें कीट का असर भी नहीं होता है। इस वैरायटी की फसल में एक या दो पानी की जरूरत होती है और एक वैरायटी तो ऐसी है कि यदि आपने धान के बाद चने की फसल ले रहे हैं तो आपको एक बार भी पानी की आवश्यकता नहीं पड़ने वाली। इन लेट वैरायटियों की खास बात यह भी है कि आप चने की फसल की अपेक्षा ये नई वैरायटियों की फसलें फरवरी मार्च की गर्मी को आसानी से सहन कर सकतीं हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार इन लेट वैरायटी की फसल का उत्पादन भी 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होंगा।

ये भी पढ़े: जानिए चने की बुआई और देखभाल कैसे करें

चने की लेट वैरायटियां

चने की लेट वैरायटी में दो नई किस्में आयीं हैं। आरजीवी 202 (RGV 202) और आरजीवी 203 (RGV 203) ऐसी किस्में हैं जो 90 दिन से लेकर 120 दिन के बीच तैयार हो जाती है। इन दोनों किस्मों की फसल की बुआई नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसम्बर के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है।

चने की कुछ अन्य लेट वैरायटियां

किसान भाइयों कृषि वैज्ञानिक लेट फसल लेने के लिए जेजी 11, जेजी 16, जेजी 63, जेजी 14 अ किस्मों की भी सलाह देते हैं। इनकी फसल दो बार की सिंचाई में तैयार हो जाती हैं। इन वैरायटियों की फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है। कम पानी वाले क्षेत्र में जेजी 11 सबसे अच्छी वैरायटी है। इस वैरायटी की खास बात यह है कि यदि धान के बाद इसकी फसल ली जाये तो इसमें पानी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

मसूर की लेट वैरायटी

masoor ki dal मसूर की लेट फसल की एकमात्र वैरायटी का पता चला है। इस वैरायटी का राम राजेन्द्र मसूर 1 बताया गया है। इस मसूर को 2352 नाम से भी पहचाना जाता है। इस वैरायटी को 1996 में स्वीकृति मिल चुकी है। इस वैरायटी को गामा किरणों (100 GY) के साथ विकिरण द्वारा विकसित किया गया है। इस नयी किस्म का मुख्य गुण कम तापमान को सहन करना और जल्दी पकना है। इसलिये इस वैरायटी को लेट बुआई में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका लैटिन नाम लेन्स कालिनारिस मेडिक है।

ये भी पढ़े: मसूर दाल की कीमतों पर नियंत्रण की तैयारी

अभी बहुत शोध की है जरूरत (Need of research)

ये चने और मसूर की लेट वैरायटी हैं, इनके बारे में अधिक प्रचार प्रसार इसलिये नहीं हो पाया है क्योंकि एक विशेष क्षेत्र तक ही इनकी खेती की जा सकती है।  इसलिये अभी दलहन क्षेत्र की लेट वैरायटी के बारे में काफी शोध की जरूरत है। कम से कम देश के विभिन्न भागों में खेती करने के लिए उपयुक्त लेट वैरायटियां होनी चाहिये। इस बारे में दलहन अनुसंधान संस्थान को रिसर्च करनी चाहिये। तभी दलहन का उत्पादन बढ़ सकेगा।

किसान भाइयों को हो सकता है यह लाभ

यदि दलहन की फसल की लेट वैरायटी की उपलब्धता हो जाये तो किसान भाइयों को बहुत लाभ हो सकते हैं। जैसे किसान भाई किसी अन्य पछैती फसल के साथ इन दलहनों को अंतरवर्तीय फसल के रूप में बोना चाहे तो उसके साथ बुआई करके अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। सरकारों को चाहिये कि वे इस बारे में किसानों की मदद करें। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को आवश्यक दिशानिर्देश दें। इससे देश की सम्पन्नता बढ़ेगी। दलहनों का आयात कम होगा और देश को फायदा होगा।
मेरीखेती किसान मेला 2022 (Merikheti Kisan Mela 2022)

मेरीखेती किसान मेला 2022 (Merikheti Kisan Mela 2022)

डिजिटल इंडिया की राह पर चलते हुए साल 2018 में कृषि क्षेत्र में रुचि रखने वाले कुछ किसानों और कृषि जगत की नई तकनीकों की जानकारी रखने वाले युवा लोगों के साथ, डिजिटल माध्यमों की मदद से किसान भाइयों तक, उनके खेत में तैयार होने वाले उत्पाद तथा उर्वरक और सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए शुरू किया गया हमारा प्रयास, merikheti.com आज भारतीय किसानों की बढ़ती और बदलती तस्वीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

कृषि क्षेत्र के जानकारों और किसान भाइयों के विश्वास की बदौलत अब आप हमारे प्रयासों का सीधा फायदा उठाने के लिए भी तैयार हो जाइए, क्योंकि 6 और 7 अक्टूबर 2022 को merikheti.com आप सभी किसान भाइयों के लिए एक किसान मेला आयोजन करवाने जा रहे हैं। भारत में पिछले कुछ सालों से कृषि क्षेत्र में हुए अनुसंधान और नई तकनीकों के बारे में डिजिटल माध्यमों से दूर किसानों तक जानकारी पहुंचाने के लिए 'कृषि मेला' सर्वश्रेष्ठ माध्यम माना जाता है। 

हमारे द्वारा आयोजित किए जाने वाले किसान मेले में कृषि क्षेत्र से जुड़े नए उत्पाद, जिनमें मशीनरी और खेती में इस्तेमाल आने वाले उपकरणों की जानकारी के अलावा उच्च गुणवत्ता प्रदान करने वाले बीज तथा बीज उपचार की नई खोज और बाजार में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले फल, सब्जियां और फलों के बारे में जानकारी के साथ ही बायोफ्यूल (Biofuel) और पशुपालन से जुड़ी सभी जानकारियां किसान भाइयों को उपलब्ध करवाई जाएगी। यदि कोई किसान लघु गृह उद्योग करने के बारे में सोच रहा है, तो इस कृषि मेले से उद्योग को शुरू करने की संपूर्ण विधि की जानकारी प्राप्त कर पाएगा।

कौन ले सकता है किसान मेला-2022 में भागीदारी ?

बिजनेसमैन-ब्रांड-बैंक-किसान की आपसी भागीदारी के मॉडल पर चलने वाला 'मेरीखेती किसान मेला' कई लोगों के लिए बेहतर साबित हो सकता है। बीज उत्पादन क्षेत्र से जुड़ी हुई कंपनियां और कृषि क्षेत्र के उपकरण बनाने वाली कम्पनियां अपने उत्पादों को किसान भाइयों के सामने प्रदर्शित कर सकते हैं, यदि आपके उत्पाद किसान भाइयों को पसंद आते हैं तो आपको ग्राहक मिल जाएगा और किसानों को उनके जरूरतमंद उपकरणों और बीज। कीटनाशी की बढ़ती मांग के मध्यनजर कीटनाशी बनाने वाली कंपनियां तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े बड़े संस्थान भी कृषि मेले में अपना स्टॉल लगा सकते हैं। 

कृषि मेले का फायदा कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले दो पहिए और चार पहिए वाहन निर्माता कम्पनियाँ भी ले सकती हैं और मेले के दौरान दूर दराज से आये किसान भाइयों को ट्रैक्टर और ट्रॉली तथा मशीनों से जुड़ी नई तकनीक और मॉडल के बारे में सीधे ही जानकारी उपलब्ध करवा सकती हैं। इसके अलावा इन सभी प्रकार की कंपनियों के लिए किसान भाइयों से सीधे संपर्क में आने पर कस्टमर लॉयल्टी तथा कंपनी की लोकप्रियता तो बढ़ेगी ही, साथ ही किसानों को कंपनी के ब्रांड और भविष्य में तैयार होने वाले दूसरे कई उत्पादों के बारे में भी जानकारी मिलेगी। किसानों से मिले फीडबैक से उत्पादक कम्पनियाँ अपनी भविष्यकारी नीतियों का निर्धारण भी कर सकती है। 

Merikheti.com के द्वारा आयोजित करवाए जा रहे इस मेले में कई बैंकिंग और वित्तीय संस्थान भी शामिल हो सकती है, जो किसानों को कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय की शुरुआत करने और उपकरण खरीदने के लिए लोन की व्यवस्था भी कर सकते हैं।

किसान भाइयों के लिए कौन सी सुविधाऐं और उत्पाद होंगे उपलब्ध ?

पशुपालन से जुड़े किसानों को ब्रीडिंग और पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पादों में वृद्धि के लिए नई वैज्ञानिक विधियों के बारे में जानकारी दी जाएगी, साथ ही किसान भाइयों के किसी नए इनोवेटिव आईडिया को बिजनेस से जुड़े लोगों के साथ शेयर भी किया जाएगा, जिस पर भविष्य में कोई नया उत्पाद तैयार हो सकता है। इसके अलावा किसान भाइयों के लिए गिफ्ट और अलग-अलग इंसेंटिव भी रखे गए है। नए उत्पादों और बीजों के बारे में जानकारी तो मिलेगी ही साथ ही कृषि जगत से जुड़ी कई बड़ी हस्तियों और सरकारी संस्थाओं में काम कर रहे वैज्ञानिकों से सवाल जवाब करने का मौका भी मिलेगा।

क्या है कृषि मेला 2022 की मुख्य थीम ?

इस साल अक्टूबर में होने वाले कृषि मेले में 'फसल अवशेष प्रबंधन' (Crop Residue Management) पर खास ध्यान दिया जाएगा, जिसके तहत किसान भाइयों को फसल काटने के बाद बची हुई पराली को जलाने के स्थान पर उसी से बायो-चार (Biochar) और मृदा की जैविक शक्ति बढ़ाने की तकनीक के अलावा जीरो टिलेज (Zero Tillage) जैसी नई वैज्ञानिक विधियों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

कृषि मेला 2022 में किसानों से जुड़ने वाले सम्मानित अतिथि :

Shri Manoj Kumar Joint Director ICAR-Central Potato Research Institute Regional Station-Modipuram-250110, Meerut (UP), India 

Dr. Raj Singh Head (Division of Agronomy) Indian Agricultural Research Institute,New Delhi -12 

Dr. Arvind Kumar Ex-Vice Chancellor, Rani Lakshmi Bai central Agriculture University, Jhansi 

Shri Bhure Lal (IAS) Member Monitoring Committee Constituted by Honorable Supreme Court of India, Ex - EPCA 

Dr. Uday Bhan Singh Professor of Horticulture Dean Agriculture College, Dholpur & Officer-in-charge Krishi Vigyan Kendra Kumher, Bharatpur 

Dr. J.P.S. Dabas Principal scientist ICATAT, ICAR- IARI  

किसान मेला 2022 का आयोजन स्थल :

लवकुश नगर, ब्रजधाम फार्म के सामने, नौझील (मथुरा), उत्तर प्रदेश - २८१ २०३ Lavkush Nagar, Opp. Brajdham Farms, Nauhjheel (Mathura), Uttar Pradesh - 281 203.

 

सामान्यतः पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) :

सवाल :- कृषि मेला में शामिल होने के लिए क्या है पूरी प्रक्रिया ?

जवाब :- कृषि मेला 2022 में शामिल होने के लिए आपको Merikheti.com की वेबसाइट पर जाकर मेले में भागीदारी करने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, इस मेले में आप एक विजिटर के अलावा एक स्पीकर या फिर प्रदर्शक के रूप में भी भाग ले सकते हैं। 

अंग्रेजी भाषा में जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक करेंकिसान मेले में अपना पंजीकरण करने के लिए इस लिंक पर दिए फॉर्म को भरें

सवाल :- क्या मेले के सफल आयोजन के लिए  Merikheti.com प्रतिबद्ध है ?

जवाब :- कृषि मेला 2022 किसानों के लिए पिछले कई सालों से किए जा रहे हमारे प्रयासों की एक अभिलाषी योजना का हिस्सा है। इसीलिए इस मेले में सभी प्रकार के सुविधाएं उपलब्ध करवाने के अलावा कृषि वैज्ञानिक और किसानों से जुड़े कांट्रेक्टर तथा सरकारी संस्थाओं एवं निर्यात और आयात से जुड़ी संस्थाओं के साथ ही पशुपालन से जुड़ी समस्या के समाधान के लिए कटिबद्ध है। 

सवाल  :- क्या 'कृषि मेला 2022' में कृषि व्यवसाय में सफल प्रगतिशील किसानों के बारे में जानकारियां उपलब्ध करवाई जाएगी ?

जवाब :- खेती में नई तकनीकों के इस्तेमाल और इनोवेशन से सफलता हासिल करने वाले प्रगतिशील किसान भाइयों की सफलतम कहानियों को आपके साथ साझा किया जाएगा।   

आशा करते है कि Merikheti.com के अथक प्रयासों से आयोजित होने वाले कृषि मेला-2022 में शामिल होकर सभी किसान भाई और प्रदर्शक कम्पनियाँ, तकनीक के इस सागर से कुछ सीख और प्राप्त कर ही जाएं।  

किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान भाइयों आपको यह बताते हुए बहुत ही हर्ष महसूस हो रहा है, कि 23 दिसंबर को किसान मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस पर merikheti.com द्वारा मुरादग्राम, पुर पुर्सी, मुरादनगर ग़ाज़ियाबाद में किसान गोष्टी एवं मासिक किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों व काफी संख्या में किसानों ने भाग लिया। मासिक किसान पंचायत का मुख्य उद्देश्य किसानों को सजग बनाना एवं उनके हित में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी उन तक समयानुसार पहुँचाना। किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद उनका सही व सटीक समाधान प्रदान करना वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य होता है। merikheti.com द्वारा आयोजित मासिक किसान पंचायत के दौरान डॉ सी.बी. सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट (RETD) IARI, पूसा दिल्ली व डॉ विपिन कुमार असोसिएट डायरेक्टर / प्रोफेसर (एग्रोनोमी) विशेषज्ञ आर्गेनिक फार्मिंग कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर , डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत वैज्ञानिक (प्लांट एंड ब्रीडिंग) विशेषज्ञ सीड प्रोडक्शन ऑफ वेजिटेबल कृषि विज्ञान केंद्र हापुड़ merikheti.com के कंटेंट हैड दिलीप कुमार एवं AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं बिज़नेस हैड श्री कृष्ण पाठक जी व merikheti.com की टीम मौजूद रही है। डॉ सी.बी. सिंह जी का कहना है, कि किसान केवल उत्पादन करने और उसको मंडी में बेचने तक ही सीमित न रहें उनको एक किसान से किसान व्यापारी बनने की नई दिशा की और कदम बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि किसानों की हालत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है, जबकि व्यवसाय एवं व्यापार करने वाले दिनोंदिन अमीर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भुखमरी व गरीबी जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं। इसकी मुख्य वजह किसानों में जागरुकता का अभाव और आधुनिक कृषि की सही जानकारी नहीं होना है। किसान कृषि विशेषज्ञों व कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से आधुनिक एवं प्रगतिशील जानकारी लेकर स्वयं व्यापारी की भाँति अपनी फसल का व पैदावार का समुचित प्रबंधन व प्रयोग करें।


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डॉ विपिन कुमार जी ने बताया है, कि जैविक खेती के माध्यम से किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। परंतु उनको किसी अच्छे कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही जैविक खाद बनाना चाहिए। क्योंकि किसान जानकारी के आभाव के कारण जैविक खाद को समुचित रूप से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जैविक कृषि करने के लिए किसानों को जैवक खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन किसान तापमान एवं मापदंडो को सही से न जानने की वजह से उसका ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से किसानों को सही पैदावार एवं बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं। डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, आजकल बढ़ती जनसँख्या की वजह से किसानों की भूमि विभाजित होती जा रही है इस वजह से अधिकांश किसान कम जमीन में ही खेती किसानी करके अपनी गुजर बसर करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति काफी दयनीय है इसकी एक वजह किसानों द्वारा परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती है। किसान आधुनिक कृषि तकनीकों एवं रचनात्मक सोच से कार्य नहीं करेंगे तब तक वह गरीबी एवं भुखमरी जैसी चुनौतियों का सामना करते रहेंगे। इसी संदर्भ में उन्होंने किसानों को बीज उत्पादन करके कैसे कम जमीन में अधिक उत्पादन कर सकते हैं इस बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। merikheti.com के कंटेंट एवं चैनल हेड दिलीप यादव जी ने कहा कि, किसान एकजुट होकर श्रेष्ठतम फसल उत्पादन करें एवं उसको विषमुक्त उत्पाद के नाम से बाजार में बेचें। क्योंकि अत्यधिक रासायनिक खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से फसल बेहद जहरीली होती जा रही हैं। यदि आपको अनुभव करना है, तो बाहरी बाजार के अनाज को खाकर देखें उसके बाद स्वयं बिना रासायनिक खाद एवं उर्वरक वाले अनाज को खाएं आपके पेट की गैस बता देगी कि कौन-सा अच्छा है और कौन-सा हानिकारक। यदि आप सब किसान एकजुट होकर विषमुक्त उत्पादन करेंगे तो निश्चित रूप से आपके उत्पाद को लोग जो आप चाहेंगे उस मूल्य पर खरीदेंगे आज देश में बीमारियों के बढ़ते प्रकोप की वजह से ऐसे उत्पादों की अत्यंत आवश्यकता है। AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं CEO श्री कृष्ण पाठक जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसान परिवार से होने की वजह से किसानों की समस्याओं एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में भली-भांति जानते हैं। इसलिए ही उन्होंने किसानों के हित में merikheti.com वेबसाइट को चालू किया था। वर्तमान में merikheti.com किसानों को सही एवं सटीक जानकारी देने का उत्तम माध्यम है। कृषि क्षेत्र में merikheti.com वेबसाइट अपनी अच्छी खासी पहचान रखती है, इसकी मुख्य वजह किसानों को दी जाने वाली उनके हित में जानकारी है। किसान दिवस के अवसर पर आयोजित मासिक किसान पंचायत में किसानों ने बढ़चढ़ कर बेबाकी के साथ अपनी समस्याएं अपने सवाल कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष रखें। वैज्ञानिकों ने भी उनके सवालों को ना केवल अच्छी तरह सुना और समझा बल्कि उनके सवालों का जवाब समाधान के साथ दिया है। किसानों को आधुनिक एवं नवीनतम किस्मों की जानकारी भी दी गयी, साथ ही किसानों ने कम लागत में अधिक पैदावार करने की विधियों के बारे में भी जाना है।
Merikheti.com ने की जनवरी की मासिक किसान पंचायत

Merikheti.com ने की जनवरी की मासिक किसान पंचायत

Merikheti.com के द्वारा 7 जनवरी 2023 दिन शनिवार को सोनीपत (हरियाणा) के गाँव टिकोला में आयोजित की गयी। मासिक किसान पंचायत के दौरान किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों एवं तकनीकों के बारे में बताया गया था। Merikheti.com द्वारा प्रत्येक माह किसान मासिक पंचायत का आयोजन किया जाता है। जिससे कि किसानों को वर्तमान में कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन के बारे में बताया जा सके साथ ही उनकी आय में बढ़ोत्तरी करके उनको अच्छे ढंग से अपना जीवन यापन करने के लिए सक्षम बनाया जा सके। हमारे समाज की रीढ़ के रूप में, खेती किसानी हर वर्ग को खाना दिलाकर पेट भरने वाला इकलौता व्यवसाय है । हालांकि, उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के बावजूद, किसानों को अक्सर ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके कल्याण और आजीविका को प्रभावित कर सकती हैं। इन मुद्दों को हल करने और किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना महत्वपूर्ण है ,जहां वे अपनी समस्याओ पर चर्चा करने और उनका समाधान खोजने के लिए एक साथ आ सकें। किसानों के हित में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान देश के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक मौजूद रहते हैं। किसान बेझिझक अपने सवाल पूछते हैं, जिनका उत्तर कार्यक्रम में उपस्थित कृषि विशेषज्ञ और कृषि वैज्ञानिक विस्तृत रूप में देते हैं। किसान मासिक पंचायत के दौरान डॉ सी.बी. सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट (RETD) IARI एवं डॉ हरीश कुमार कृषि वैज्ञानिक PUSA (ICAR) सहित अन्य बहुत से कृषि क्षेत्र से जुड़े दिग्गज वैज्ञानिक उपस्थित रहे। किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने की सलाह दी गई। इस पंचायत में मैसी फर्ग्यूसन (Massey Ferguson) से आए विशेषज्ञों ने भी बढ़चढ़कर भागीदारी दर्ज की। मैसी के विशेषज्ञों ने किसानों की ट्रैक्टर से संबंधित जिज्ञासा के बारे में भी उनको बेहतर जानकारी प्रदान की। Merikheti.com का मुख्य उद्देश्य किसानों की बेहतरी है। इसलिए प्रत्येक माह किसान मासिक पंचायत का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन से किसानों को कृषि से संबंधित बहुत-सी महत्त्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं। उनको फसलों के उत्तम चयन व फसलों की देखभाल किस प्रकार करें आदि आवश्यक पहलुओं के बारे में बेहद गहनता से बताया जाता है। किसान इस मासिक पंचायत में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी लेते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान प्रदान किया जाता है। मासिक किसान पंचायत के अंतर्गत वैज्ञानिकों से सवाल पूछने वाले किसानों को पुरुस्कृत किया जाता है।
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मेरीखेती की टीम विभिन्न राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में मासिक किसान पंचायत का आयोजन कराती है। किसान भी इन कार्यक्रमों में खूब दिलचस्पी दिखाते हैं। किसानों को बीज उत्पादन से लेकर व्यापारी बनाने तक की जानकारी कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान की जाती है। इस मासिक किसान पंचायत में वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ किसानों को आधुनिक तकनीकों एवं कृषि प्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। अगर किसी किसान को कृषि संबंधित किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती है, तो कार्यक्रम में उपस्थित कृषि वैज्ञानिक किसान की समस्या का सर्वोत्तम समाधान प्रदान करते हैं। यदि आप भी खेती किसानी करते हैं, तो Merikheti.com पर कृषि संबंधित सही एवं सटीक जानकरी ले सकते हैं।
अक्टूबर के बाद अब फरवरी में बढ़ाए अमूल ने दूध के भाव 

अक्टूबर के बाद अब फरवरी में बढ़ाए अमूल ने दूध के भाव 

गुजरात की अमूल कंपनी ने एक बार फिर दूध के भावों को काफी बढ़ा दिया है। दूध की कीमत में 3 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि देखने को मिली है। जो कि तत्कालिक रूप शीघ्र लागू होगी। इस बढ़वार के उपरांत अमूल गोल्ड का भाव 66 रुपये प्रति लीटर, अमूल ताजा का भाव 54 रुपये प्रति लीटर, अमूल गाय का दूध 56 रुपये प्रति लीटर एवं अमूल भैंस का दूध फिलहाल 70 रुपये प्रति लीटर में विक्रय किया जाएगा। आपको बतादें, कि अमूल कंपनी द्वारा विगत वर्ष अक्टूबर माह में दूध के भाव में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी। अमूल द्वारा इस वर्ष दूध के भाव में पहली बढ़ोतरी है। मदर डेयरी ने भी दिसंबर माह में दिल्ली एनसीआर में दूध का मूल्य 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा था।

अब आधे लीटर दूध की कितनी कीमत होगी

कंपनी का कहना है, कि वर्तमान में ग्राहकों को आधा लीटर अमूल ताजा दूध बाजार में 27 रुपए में मिलेगा। साथ ही, अमूल गोल्ड आधा लीटर खरीदने के लिए आपको 33 रुपये खर्च करने होंगे। अमूल गाय का आधा लीटर दूध लेने के लिए आपको 28 रुपये देने पड़ेंगे। अमूल 2 भैंस के आधे लीटर दूध हेतु 35 रुपये खर्च करने होंगे।
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अमूल ने क्यों बढ़ाये दूध के दाम

अमूल कंपनी के माध्यम से बताया गया है, कि अमूल दूध का भाव उत्पादन एवं खर्च में हुई वृद्धि की वजह से बढ़ा है। कंपनी का कहना है, कि विगत वर्ष की अपेक्षाकृत इस वर्ष चारे का भाव 20 फीसद तक बढ़ गया है। कंपनी का कहना है, कि इसी वजह से दूध के भाव में बढ़ोत्तरी की गई है। कंपनी का कहना है, कि इनपुट व्यय में बढ़ोत्तरी से विगत वर्ष की अपेक्षा में किसानों के भावों में 8-9 फीसद तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है।

प्रति माह दूध के भावों में वृद्धि हो रही है

अमूल कंपनी द्वारा पहले माह अक्टूबर 2022 में दूध का भाव में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी। वर्तमान में 3 फरवरी को दूध का भाव दोबारा से बढ़ाने की घोषणा कर दी गई है। अगर हम दूध की कीमतों में औसतन वृद्धि को ध्यान में रखें तो माह अक्टूबर 2022 से फरवरी माह 2023 तक दूध का भाव प्रति माह 1 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव बढ़ा है।
किसानों को जागरूकता और सूझ बूझ से खेती करने की अत्यंत आवश्यकता है : Merikheti.com

किसानों को जागरूकता और सूझ बूझ से खेती करने की अत्यंत आवश्यकता है : Merikheti.com

किसान भाई बेहद समस्याओं का सामना करते हैं। कभी प्राकृतिक आपदाएं तो कभी निराश्रित पशुओं से होने वाली हानि तो कभी फसल का समुचित मूल्य ना मिल पाना। किसान हमेशा चुनौतियों से घिरे रहते हैं। साथ ही, हमारे किसान भाई फसल उत्पादन करने से पूर्व किस फसल का चयन करें और किस फसल का नहीं उनको इस बात की जानकारी का अभाव होता है। इसलिए, आज भी किसान भाई परंपरागत तरीके से कृषि करने में अधिक विश्वास रखते हैं। भूमिगत तौर पर किसान फसल वहां की मृदा और जलवायु के अनुरूप उगाते हैं। लेकिन फायदेमंद और लाभकारी विकल्प को चुनने में मात खा जाते हैं। यूँ तो भारत में बहुत सी अनुपयोगी चीजों का भी विपणन कर किसान भाइयों को गुमराह किया जाता है। लेकिन कुछ फसलें ऐसी भी हैं जिनका उत्पादन समय की मांग के अनुरूप किया जाए तो किसान अच्छी आय कर सकते हैं। किसानों को अगर सुखी और समृद्ध बनना है, तो उनको काफी सजग और जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है। किसानों की दयनीय स्थिति को देखकर मेरीखेती टीम को काफी हमदर्दी होती है। आजकल किसान सड़कों पर ज्यादा खेत में कम दिखाई देता है, कभी फसल हानि के मुआवजे की गुहार करने तो कभी फसल के समुचित न्यूनतम समर्थन मूल्य की माँग के लिए किसान सड़कों पर मायूस घूमता रहता है। किसानों को अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के संपर्क में रहने की आवश्यकता है। क्योंकि कृषि के क्षेत्र में शोधकर्ता और जानकारों को काफी अनुभव होता है। इस बात के बहुत से प्रमाण भी हैं, कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाहनुसार किसानों ने खेती करके अच्छी आय और पैदावार हांसिल की है। इनकी सलाह से खेती करने वाले किसान काफी फायदे में रहते हैं। क्योंकि इनको कृषि क्षेत्र के विषय में काफी जानकारी होती है। तो मानी सी बात है, कि किसानों को इससे काफी लाभ मिलेगा।

Merikheti.com किसानों के लिए लिए हर माह किसान पंचायत आयोजित कराती है

Merikheti.com किसान और कृषि विशेषज्ञों को एक दूसरे से सवाल जवाब करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। जहां किसान भाई कृषि समस्याओं से संबंधित समाधान प्राप्त कर सकते हैं। मेरीखेती द्वारा इस आयोजन को निःशुल्क तौर पर केवल किसानों के फायदे के उद्देश्य से कराया जाता है। मेरीखेती टीम किसानों को सजग और जागरूक करने के साथ-साथ उनको अच्छी जानकारी मुहैय्या कराने का कार्य पूरी लगन से करती है। मेरीखेती टीम का केवल एक ही उद्देश्य है, कि किसानों को प्रमाणित और बेहतर जानकारी प्रदान करके उनको एक लाभकारी कृषि प्रणाली की तरफ अग्रसर किया जा सके। केवल इतना ही नहीं देशभर में जहां कहीं भी कृषि से संबंधित एवं किसानों के हित में कोई कार्यक्रम होता है, तो मेरीखेती की टीम उसे कवर करने जरूर पहुँचती है। प्रति माह किसान पंचायत होने से पूर्व उसकी जानकारी मेरीखेती की आधिकारिक फेसबुक पर दे दी जाती है।

किसानों को जागरूक होने की बेहद आवश्यकता है

किसान भाइयों को जागरूक होना ही पड़ेगा अन्यथा उनके हालात बदल नहीं पाएंगे। किसान यदि सही सूझ-बूझ और बेहतर तरीके से कृषि करें तो उनको काफी उन्नति और प्रगति हांसिल हो सकती है। Merikheti.com वेब पोर्टल पर हम कृषि से जुड़ी सही और सटीक जानकारी किसान भाइयों को प्रदान करते हैं। साथ ही, कृषि से संबंधित किसानों की समस्याओं का भी हल यथावत रूप से उनको देने का भी कार्य करते हैं। हम किसानों के लिए समर्पित भाव से कार्य करते आए हैं। किसानों के विकास को प्राथमिकता में रखते हुए हम किसानों को बेहतर जानकारी देने से लेकर प्रति माह किसान पंचायत का आयोजन एवं अन्य हितकर कार्य करते हैं।
भारत में लॉन्च हुए ये 7 दमदार नए ट्रैक्टर

भारत में लॉन्च हुए ये 7 दमदार नए ट्रैक्टर

Tractor ट्रैक्टर एक ऐसी मशीन है जिसके बिना आज के युग में खेती कर पाना लगभग नामुमकिन सा हो गया है। इसलिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों के लिए टैक्टर खरीदवाने का प्रयास कर रही हैं जिसके लिए कई राज्य सरकारें नई-नई योजनाएं लॉन्च करती रहती हैं। जिनमें ट्रैक्टर से लेकर कृषि उपकरण खरीद पर किसानों को भारी सब्सिडी प्रदान की जाती है। सरकारों के साथ ही ट्रैक्टर निर्माता कंपनियां भी इस सेक्टर में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। खेती किसानी के काम को और अधिक सुगम बनाया जा सके, इसके लिए कंपनियां नई रिसर्च को बढ़ावा दे रही हैं। साथ ही ट्रैक्टरों के अत्याधुनिक तकनीक वाले नए मॉल्ड्स लांन्च कर रही हैं। जिनको देखकर किसान नया ट्रैक्टर खरीदने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। इस साल कई कंपनियों ने अपने नए ट्रैक्टर लॉन्च किए हैं, जिनकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं।

महिंद्रा नोवो 755 डीआई ट्रैक्टर

महिंद्रा नोवो 755 डीआई ट्रैक्टर चार सिलेंडर के साथ आने वाला 75 एचपी का ट्रैक्टर है। अगर इसके इंजन रेटेड आरपीएम की बात करें तो यह  2100 आरपीएम आता है। इसके साथ ही इस ट्रैक्टर की पीटीओ क्षमता 66 एचपी है। महिंद्रा के इस ट्रैक्टर में कंपनी ने 3500 सीसी का इंजन दिया है। इसमें कंपनी ने ड्यूल एक्टिंग पावर स्टीयरिंग भी दी है। इसके साथ ही ट्रैक्टर को ड्यूल-क्लच के साथ लॉन्च किया गया है। यह ट्रैक्टर मल्टी डिस्क ब्रेक के साथ आता है जिससे फिसलन की समस्या नहीं रहती। महिंद्रा के इस ट्रैक्टर में 60 लीटर का फ्यूल टैंक आता है। यह ट्रैक्टर 2WD और 4WD दोंनों वेरियंट में उपलब्ध है। ट्रैक्टर का वजन 2600 किलोग्राम है। साथ ही इस ट्रैक्टर की कीमत 12.30 लाख रुपए से लेकर 12.90 लाख रुपये (एक्स शोरूम) है।

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जॉन डियर 3036 ईएन ट्रैक्टर

जॉन डियर 3036 ईएन एक मिनी ट्रैक्टर है। जो 1500 सीसी इंजन के साथ आता है। यह तीन सिलेंडर इंजन के साथ आता है जो 2800 इंजन रेटेड आरपीएम जनरेट करता है। इस ट्रैक्टर में फ्यूल टैंक की क्षमता 32 लीटर है। साथ ही इसमें पीटीओ पावर 30.6 एचपी है। इस ट्रैक्टर की बाजार में कीमत 7.20 लाख रुपये से लेकर 7.80 लाख रुपये (एक्स शोरूम) तक है। जिसके कारण भारतीय बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

न्यू हॉलैंड एक्सेल 5510 ट्रैक्टर

न्यू हॉलैंड एक्सेल 5510 ट्रैक्टर 3 सिलेंडर वाला 50 एचपी का ट्रैक्टर है। इसकी पीटीओ पावर 46 एचपी है। यह 2931 सीसी इंजन के साथ आता है, जिसमें कंपनी की तरफ से सिंक्रोमेश ट्रांसमिशन दिया गया है। यह ट्रैक्टर हाइड्रोस्टेटिक स्टीयरिंग के साथ आता है, जिसमें 100 लीटर का फ्यूल टैंक दिया गया है। ट्रैक्टर 2500 किलोग्राम तक का वजन उठाया सकता है। इसके साथ ही ट्रैक्टर में कंपनी ने कई एडवांस फीचर्स दिए हैं जो अन्य ट्रैक्टरों में नहीं आते हैं। इस ट्रैक्टर की बाजार में कीमत 9.97 लाख रुपये से लेकर 11.65 लाख रुपये (एक्स शोरूम) तक है।

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मैसी फर्ग्यूसन 8055 मैग्नाट्रैक ट्रैक्टर

इस ट्रैक्टर को हाल ही में मैसी ने लॉन्च किया है। जो 3 सिलेंडर के बेहद शक्तिशाली 3300 सीसी के इंजन के साथ आता है। यह ट्रैक्टर 50 एचपी के साथ आता है, जिसमें पीटीओ पावर 46 एचपी है। इस ट्रैक्टर में कंपनी ने ड्यूल क्लच ऑफर की हैं। इस ट्रैक्टर में 8 फॉरवर्ड और 2 रिवर्स गियर दिए गए हैं। इस ट्रैक्टर की बाजार में कीमत 6.80 लाख रुपये से लेकर 7.40 लाख रुपये (एक्स शोरूम) है।

फार्मट्रैक 60 ट्रैक्टर

फार्मट्रैक 60 ट्रैक्टर एक शानदार ट्रैक्टर है जो 3 सिलेंडर इंजन के साथ आता है। यह 50 एचपी का ट्रैक्टर है जो 2200 आरपीएम जनरेट करता है। फार्मट्रैक 60 ट्रैक्टर में 3147 सीसी का इंजन आता है। जो 2200 इंजन रेटेड आरपीएम जनरेट करता है। इस ट्रैक्टर में फ्यूल टैंक की क्षमता 50 लीटर आती है। इसके गियर बॉक्स में 8 फॉरवर्ड और 2 रिवर्स गियर आते हैं। यह ट्रैक्टर 1400 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है। इस ट्रैक्टर की कीमत 7.10 लाख रुपये से लेकर 7.40 लाख रुपये (एक्स शोरूम) है।

प्रीत 6049 सुपर ट्रैक्टर

प्रीत 6049 सुपर एक शक्तिशाली ट्रैक्टर है जो 3 सिलेंडर के 4087 सीसी इंजन के साथ आता है। इसमें कंपनी पावर स्टीयरिंग के साथ ड्यूल क्लच ऑफर करती है। इस ट्रैक्टर में 60 लीटर का फ्यूल टैंक आता है। साथ ही यह ट्रैक्टर 2200 किलोग्राम तक का भार उठा सकता है।

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वीएसटी 929 डीआई, ईजीटी ट्रैक्टर

कंपनी ने इस ट्रैक्टर को शानदार डिजाइन के साथ लॉन्च किया है। यह 28 एचपी का ट्रैक्टर है जो तीन सिलेंडर के साथ आता है। इस ट्रैक्टर का इंजन रेटेड 2400 आरपीएम है। इसके साथ ही इसके गियर बॉक्स में 8 फॉरवर्ड और 2 रिवर्स हैं। साथ ही यह पावर स्टीयरिंग के साथ आता है जो 750 किलोग्राम तक का वजन उठाने में सक्षम है। इस ट्रैक्टर की बाजार में कीमत 4.80 लाख रुपये से लेकर 6.10 लाख रुपये (एक्स शोरूम) तक है।